भिंड में अल्ट्रासाउंड की दो रिपोर्ट में विरोधाभास:पहली में गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन बंद, दूसरी में सही; संचालक भागा

भिंड के हाउसिंग कॉलोनी स्थित श्रीहरि अल्‍ट्रासाउंड के संचालक पर एक गर्भवती महिला ने गलत जांच कर भ्रूण को मृत घोषित करने का आरोप लगाया है। महिला के परिजनों ने बताया कि 18 दिसंबर को श्रीहरि अल्‍ट्रासाउंड पर हुई जांच में रेडियोलॉजिस्‍ट डॉ. हरि गर्ग ने बच्‍चे की धड़कन बंद होने की बात कही और जल्‍दी सफाई कराने का सुझाव दिया। शक होने पर कंचन ने 24 दिसंबर को पूजा अल्‍ट्रासाउंड पर दोबारा जांच करवाई। यहां जांच रिपोर्ट में बच्‍चे की धड़कन चालू मिली। दरअसल, मामला आया है कि रूहेरा जिला दतिया की रहने वाली कंचन श्रीवास पिछले दो माह से गर्भवती है। वहीं, हाउसिंग कॉलोनी में अपनी बहन जूली के घर आई हुई थी और स्वास्थ्य जांच को लेकर वह अल्ट्रासाउंड करने के लिए श्री हरि अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पहुंची थी, जहां डॉक्टर हरी गर्ग ने जांच की। पहली रिपोर्ट में मृत बताया जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर ने गर्भ में पाल रहे भ्रूण को मृत बताया, उसकी धड़कन ना होने पर उसकी सफाई करने की सिफारिश की। जब महिला को पेट में पल रहे बच्चे का हलचल का एहसास हुआ तो उसने डॉक्टर बबीता को दिखाया और दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर पूजा पर अल्ट्रासाउंड कराया, जिसमें भ्रूण की धड़कन सही होना पाया। प्रसूता ने दोनों रिपोर्ट को देखने के बाद डॉक्‍टर से परामर्श किया, जिन्‍होंने भ्रूण को पूरी तरह स्‍वस्‍थ बताया। दोनों रिपोर्ट के विरोधाभास से कंचन असमंजस में हैं। शिकायत लेकर पहुंचे तो शटर बंद कर भागा कंचन व उसके परिजन इस मामले की शिकायत लेकर श्रीहरि अल्‍ट्रासाउंड पहुंचे, तो संचालक ने शटर बंद कर दिया और मौके से भाग निकला। महिला का आरोप है कि अल्‍ट्रासाउंड पर रेडियोलॉजिस्‍ट की बजाय किसी ऑपरेटर ने जांच की थी। संचालक बोला- रिपोर्ट मुझे दो और पैसे ले जाओ महिला के भतीजे अंकुश श्रीवास ने बताया कि जब हम लोग दूसरी जांच रिपोर्ट को लेकर श्री हरि अल्ट्रासाउंड पर पहुंचे तो यहां पर मौजूद एक कर्मचारी ने मुझे पहली रिपोर्ट को सही ठहराया और यह भी कहा कि आपको अगर गलत लग रहा है तो आप जांच के पैसे ले जाइए और मेरी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट मुझे दे दीजिए, जब हमने इसे मना कर दिया तो वह अल्ट्रासाउंड सेंटर की शटर डालकर चले गए। दैनिक भास्कर ने जब श्री हरि अल्ट्रासाउंड के कर्मचारी धर्मेंद्र जैन से बातचीत की तो उनका दावा था कि जिस समय अल्ट्रासाउंड हुआ है उसे समय बच्चे की धड़कन नहीं थी, बच्चों की सही धड़कन 12 सप्ताह बाद आती है, यह लोग दो जगह अल्ट्रासाउंड कराई नहीं के बाद दबाव बनाए रखने के लिए आए थे। डरावनी धमकी एमी और कई लोगों को साथ में लेकर आए थे इनके द्वारा पैसे की भी डिमांड की जा रही थी। सीएमएचओ से शिकायत की तैयारी कंचन के भतीजे अंकुश ने मामले की शिकायत सीएमएचओ से करने की बात कही है। उसका कहना है कि हम अपनी रिपोर्ट लेकर गए थे जिसे जो असमंजस है उसकी स्थिति साफ हो सके लेकिन अल्ट्रासाउंड के कर्मचारियों का बर्ताव ठीक नहीं था। अल्ट्रासाउंड की फिजिकल वेरिफिकेशन की जरूरत इस घटना ने अल्‍ट्रासाउंड सेंटरों की प्रक्रियाओं और जांच की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि यह घटना नियमों की अनदेखी थी या लापरवाही का मामला। लेकिन दोनों रिपोर्ट के विरोधाभास ने स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अफसरों को अल्ट्रासाउंड सेंटरों का फिजिकल वैरिफिकेशन कराए जाने पर विवश कर दिया है।

भिंड में अल्ट्रासाउंड की दो रिपोर्ट में विरोधाभास:पहली में गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन बंद, दूसरी में सही; संचालक भागा
भिंड के हाउसिंग कॉलोनी स्थित श्रीहरि अल्‍ट्रासाउंड के संचालक पर एक गर्भवती महिला ने गलत जांच कर भ्रूण को मृत घोषित करने का आरोप लगाया है। महिला के परिजनों ने बताया कि 18 दिसंबर को श्रीहरि अल्‍ट्रासाउंड पर हुई जांच में रेडियोलॉजिस्‍ट डॉ. हरि गर्ग ने बच्‍चे की धड़कन बंद होने की बात कही और जल्‍दी सफाई कराने का सुझाव दिया। शक होने पर कंचन ने 24 दिसंबर को पूजा अल्‍ट्रासाउंड पर दोबारा जांच करवाई। यहां जांच रिपोर्ट में बच्‍चे की धड़कन चालू मिली। दरअसल, मामला आया है कि रूहेरा जिला दतिया की रहने वाली कंचन श्रीवास पिछले दो माह से गर्भवती है। वहीं, हाउसिंग कॉलोनी में अपनी बहन जूली के घर आई हुई थी और स्वास्थ्य जांच को लेकर वह अल्ट्रासाउंड करने के लिए श्री हरि अल्ट्रासाउंड सेंटर पर पहुंची थी, जहां डॉक्टर हरी गर्ग ने जांच की। पहली रिपोर्ट में मृत बताया जांच रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर ने गर्भ में पाल रहे भ्रूण को मृत बताया, उसकी धड़कन ना होने पर उसकी सफाई करने की सिफारिश की। जब महिला को पेट में पल रहे बच्चे का हलचल का एहसास हुआ तो उसने डॉक्टर बबीता को दिखाया और दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर पूजा पर अल्ट्रासाउंड कराया, जिसमें भ्रूण की धड़कन सही होना पाया। प्रसूता ने दोनों रिपोर्ट को देखने के बाद डॉक्‍टर से परामर्श किया, जिन्‍होंने भ्रूण को पूरी तरह स्‍वस्‍थ बताया। दोनों रिपोर्ट के विरोधाभास से कंचन असमंजस में हैं। शिकायत लेकर पहुंचे तो शटर बंद कर भागा कंचन व उसके परिजन इस मामले की शिकायत लेकर श्रीहरि अल्‍ट्रासाउंड पहुंचे, तो संचालक ने शटर बंद कर दिया और मौके से भाग निकला। महिला का आरोप है कि अल्‍ट्रासाउंड पर रेडियोलॉजिस्‍ट की बजाय किसी ऑपरेटर ने जांच की थी। संचालक बोला- रिपोर्ट मुझे दो और पैसे ले जाओ महिला के भतीजे अंकुश श्रीवास ने बताया कि जब हम लोग दूसरी जांच रिपोर्ट को लेकर श्री हरि अल्ट्रासाउंड पर पहुंचे तो यहां पर मौजूद एक कर्मचारी ने मुझे पहली रिपोर्ट को सही ठहराया और यह भी कहा कि आपको अगर गलत लग रहा है तो आप जांच के पैसे ले जाइए और मेरी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट मुझे दे दीजिए, जब हमने इसे मना कर दिया तो वह अल्ट्रासाउंड सेंटर की शटर डालकर चले गए। दैनिक भास्कर ने जब श्री हरि अल्ट्रासाउंड के कर्मचारी धर्मेंद्र जैन से बातचीत की तो उनका दावा था कि जिस समय अल्ट्रासाउंड हुआ है उसे समय बच्चे की धड़कन नहीं थी, बच्चों की सही धड़कन 12 सप्ताह बाद आती है, यह लोग दो जगह अल्ट्रासाउंड कराई नहीं के बाद दबाव बनाए रखने के लिए आए थे। डरावनी धमकी एमी और कई लोगों को साथ में लेकर आए थे इनके द्वारा पैसे की भी डिमांड की जा रही थी। सीएमएचओ से शिकायत की तैयारी कंचन के भतीजे अंकुश ने मामले की शिकायत सीएमएचओ से करने की बात कही है। उसका कहना है कि हम अपनी रिपोर्ट लेकर गए थे जिसे जो असमंजस है उसकी स्थिति साफ हो सके लेकिन अल्ट्रासाउंड के कर्मचारियों का बर्ताव ठीक नहीं था। अल्ट्रासाउंड की फिजिकल वेरिफिकेशन की जरूरत इस घटना ने अल्‍ट्रासाउंड सेंटरों की प्रक्रियाओं और जांच की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि यह घटना नियमों की अनदेखी थी या लापरवाही का मामला। लेकिन दोनों रिपोर्ट के विरोधाभास ने स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अफसरों को अल्ट्रासाउंड सेंटरों का फिजिकल वैरिफिकेशन कराए जाने पर विवश कर दिया है।