राजमाता से लोकमाता बनी देवी अहिल्याबाई का जीवन अनुकरणीय -- डा मनीषा शर्मा
मनीष शुक्ला
(मनीष शुक्ला)
अनूपपुर/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र के सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक पुनरुत्थान के क्षेत्र में योगदान देने वाले महापुरुषों का पुण्य स्मरण करता आ रहा है। इसी परंपरा के तहत अनूपपुर जिला मुख्यालय में पुण्यश्लोक देवी अहिल्या बाई होलकर के द्वारा उनके जीवन काल में किये गये बहु आयामी कार्यों को स्मरण करते हुए एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पुण्यश्लोक देवी अहिल्या बाई होलकर का सामाजिक योगदान एवं पंच परिवर्तन विषय की मुख्य वक्ता प्रो मनीषा शर्मा, डीन ,व्यावसायिक शिक्षा संकाय , पूर्व डीन और विभागाध्यक्ष पत्रकारिता और जनसंपर्क विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ट्रायबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक ने मुख्य वक्ता के रुप में मंच से संबोधित करते हुए देवी अहिल्या बाई के जीवन और उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि हरिश्चंद्र अग्रवाल, श्रीमती किरण बियाणी, संघ के विभाग प्रचारक कमल जी, विभाग संपर्क प्रमुख मनोज गौतम, जिला संघ चालक राजेन्द्र तिवारी, जिला कार्यवाह राकेश शुक्ला, जिला प्रचारक नीतेश जी, जिला व्यवस्था प्रमुख हरिशंकर वर्मा, जिला प्रचार प्रमुख आदर्श दुबे मनीष शुक्ला शिक्षा उत्थान जिला संयोजक अनूपपुर
के साथ उपस्थित सैकडों गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए डाक्टर मनीषा शर्मा ने कहा कि अहिल्या बाई साधारण किसान परिवार में जन्मी एक ऐसी बेटी थीं, जिनमे अल्यायु में ही दया, संवेदना, आध्यात्मिकता ,सामाजिकता और राष्ट्र के प्रति प्रेम भाव था। इन्ही सद्गुणों के कारण वे होलकर परिवार की बहु बनीं। कम उम्र में ही उनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये और पुत्र भी असमय चल बसा। ऐसे में उनके श्वसुर होलकर महाराजा ने उन्हे आगे बढने और मजबूती से राष्ट्र रक्षा का मार्ग दिखलाया। अहिल्या को सती होने से उनके श्वसुर ने रोका और शिक्षा अपनाने के साथ समाज को कुरीतियों से दूर करने के लिये कहा। मुगलों ने भारत की धार्मिक , सार्वजनिक संस्थानों को बहुत क्षति पहुंचाई। तीर्थाटन के दौरान अहिल्या बाई ने इसे नजदीक से देखा । तब उन्होंने धर्मशालाओं ,मन्दिरों का जीर्णोद्धार करवाया।काशी विश्वनाथ मन्दिर का वर्तमान स्वरुप अहिल्या देवी की देन है। जल संरक्षण के लिये उन्होंने सैकड़ों स्थानों पर बावडी,कुंए,तालाब का निर्माण करवाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंच परिवर्तन पर चर्चा करते हुए प्रो शर्मा ने कहा कि कुटुंब प्रबोधन से परिवार का वातावरण पवित्र, शुचिता पूर्ण, स्वस्थ और संस्कारित होता है। परिवार और समाज निर्माण में महिलाओं के योगदान को समझना और स्वीकारना होगा। कर्तव्यबोध परिवार के प्रति लड़कियों में भी होना जरुरी है। युवाओं को संस्कारित और अनुशासित बनाने की जरुरत है।संस्कृति को बचाना है। परिवार, पर्यावरण, संस्कृतिं संरक्षण और एकजुटता से राष्ट्र को मजबूत बनाना है।स्वदेशी को ना अपनाने से आन लाईन शापिंग के कारण हमारा पैसा विदेशी ताकतों को मजबूत बना रहा है। संस्कृति की अच्छाईयों को सीखना चाहिये। अप संस्कृति से दूर रहना चाहिए।अनुशासन, कर्तव्य और मेहनत युवाओं में जरुरी है। बिना किसी आह्वान के राष्ट्र के लिये समर्पण होना चाहिए। अहिल्या बाई ने सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध कार्य किया। नशा, छेड़ छाड़ का विरोध होना चाहिये। जबकि यह आवश्यक है कि मृत्युभोज , विवाह को इवेंट ना बनाया जाए। इससे पूर्व विभाग संपर्क प्रमुख मनोज गौतम ने विषय की प्रस्तावना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मजबूत राष्ट्र निर्माण के लिये यह बहुत जरुरी है कि पंच परिवर्तन समाज का विषय बने। सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी जागरण,पर्यावरण संरक्षण और नैतिक कर्तव्यभाव का बोध समाज जागरण के लिये अत्यावश्यक हैं। मुख्य अतिथि हरिश्चंद्र अग्रवाल ने संक्षिप्त लेकिन ओजस्वी विचार रखते हुए परिवार, समाज और इसके माध्यम से भारत निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि समाज मजबूत होगा तो ही राष्ट्र मजबूत होगा। समाज को कमजोर करने वाली, तोडने वाली ताकतें सक्रिय हैं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज निर्माण , राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रही है। सनातन धर्म को मजबूत करने वाली समाजसेवी संगठन है। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता और देवी अहिल्या बाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलन करके किया गया। आभार प्रदर्शन जिला कार्यवाह राकेश शुक्ला ने जबकि मंच संचालन डा पुष्पेन्द्र नामदेव ने किया।