सीहोर में न्यूनतम तापमान 8 डिग्री तक पहुंचा:कुछ ही देर में गायब हुआ हल्का कोहरा; फिर लौटेगी कड़ाके की सर्दी

सीहोर जिले में कड़ाके की ठंड का प्रकोप जारी है। जिले का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। पिछले तीन दिनों से मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। एक दिन घना कोहरा छाया रहा, तो दूसरे दिन तेज धूप निकली। आज सुबह हल्का कोहरा छाया, जो कुछ देर बाद ही गायब हो गया। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में बादलों की डेंसिटी बढ़ने की संभावना है, जिससे कड़ाके की ठंड से कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, यह राहत अस्थायी होगी और कुछ दिनों बाद फिर से कड़ाके की ठंड लौट सकती है। शीतलहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश वहीं, शीतलहर को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सीएमएचओ डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों को विशेष निर्देश जारी किए हैं। इनमें शीतलहर से बचाव के लिए जन जागरूकता अभियान चलाना, शीत से प्रभावित मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था करना और रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करना शामिल है। विभाग ने अस्पतालों में पर्याप्त दवाइयों और एंटीबायोटिक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को यह निर्देश दिया गया है कि वे शीत से संबंधित बीमारियों के मरीजों को पर्याप्त प्राथमिक उपचार देने के बाद ही जिला अस्पताल रेफर करें।

सीहोर में न्यूनतम तापमान 8 डिग्री तक पहुंचा:कुछ ही देर में गायब हुआ हल्का कोहरा; फिर लौटेगी कड़ाके की सर्दी
सीहोर जिले में कड़ाके की ठंड का प्रकोप जारी है। जिले का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। पिछले तीन दिनों से मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है। एक दिन घना कोहरा छाया रहा, तो दूसरे दिन तेज धूप निकली। आज सुबह हल्का कोहरा छाया, जो कुछ देर बाद ही गायब हो गया। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में बादलों की डेंसिटी बढ़ने की संभावना है, जिससे कड़ाके की ठंड से कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, यह राहत अस्थायी होगी और कुछ दिनों बाद फिर से कड़ाके की ठंड लौट सकती है। शीतलहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश वहीं, शीतलहर को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सीएमएचओ डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने सभी स्वास्थ्य केंद्रों को विशेष निर्देश जारी किए हैं। इनमें शीतलहर से बचाव के लिए जन जागरूकता अभियान चलाना, शीत से प्रभावित मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था करना और रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करना शामिल है। विभाग ने अस्पतालों में पर्याप्त दवाइयों और एंटीबायोटिक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को यह निर्देश दिया गया है कि वे शीत से संबंधित बीमारियों के मरीजों को पर्याप्त प्राथमिक उपचार देने के बाद ही जिला अस्पताल रेफर करें।