एग्जाम से पहले फेसबुक–इंस्टा अनइंस्टॉल:10वीं की टॉपर बोली- कभी भी पढ़ाई के घंटे नहीं गिने, स्कूल में जो पढ़ा उसी दिन रिवीजन किया

एग्जाम से पहले मैं इंस्टाग्राम और फेसबुक पर एक्टिव थी, लेकिन जैसे ही परीक्षा नजदीक आई, मैंने इन्हें अनइंस्टॉल कर दिया। तब से सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस किया। यह कहना है एमपी बोर्ड की 10वीं की टॉपर प्रज्ञा जायसवाल का। प्रज्ञा ने बोर्ड परीक्षा में 500/500 नंबर हासिल किए हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रज्ञा ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने मानसिक संतुलन बनाए रखा और हर विषय को बराबर समय देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि इंटरेस्ट से समझने की जरूरत है। पढ़िए टॉपर प्रज्ञा से हुई बातचीत के मुख्य अंश…. भास्कर- आपका डेली स्टडी रूटीन क्या था? कितने घंटे पढ़ाई करती थीं? प्रज्ञा- मैं घंटों के हिसाब से नहीं टारगेट के हिसाब से पढ़ाई करती थी। हर दिन का टारगेट सेट कर लेती थी, फिर उसी हिसाब से पढ़ाई करती थी। किस विषय को कितना समय देना है, ये पहले से ही तय कर लेती थी। भास्कर- आपने कौन-कौन सी किताबें और नोट्स इस्तेमाल किए? प्रज्ञा- मैंने सिर्फ एनसीईआरटी की किताब से पढ़ाई की। स्कूल में जो किताबें बताई जाती थीं, सिर्फ उन्हीं किताबों से पढ़ाई करती थी। केवल पेपर के टाइम पर दो-तीन अतिरिक्त किताबों से पढ़ाई की। भास्कर- मुश्किल विषयों को कैसे समझा और उन्हें कैसे मजबूत किया? प्रज्ञा- जिस विषय में दिक्कत होती थी, उस पर ज्यादा फोकस करती थी। स्कूल जाकर टीचर्स से सभी डाउ्टस पूछा करती थी, फिर घर लौटकर उसका रिविजन करती थी। भास्कर- पढ़ाई के साथ-साथ ब्रेक और एंटरटेनमेंट को कैसे बैलेंस किया? प्रज्ञा- मैं एग्जाम से पहले सभी प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर भाग लेती थी, लेकिन एग्जाम से एक-दो महीने पहले मैंने सब बंद कर दिया था, सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देती थी। भास्कर- कभी निराशा या तनाव आया तो उससे कैसे बाहर निकलीं? प्रज्ञा- जब भी लगता था कि अब नहीं पढ़ सकती या निराशा आ जाती तो मुझे पता होता था कि मेरे माता-पिता हमेशा मेरे साथ हैं। एक दिन मैं दुखी होती हूं, और दूसरे दिन मेरी निराशा चली जाती है, क्योंकि उन्होंने मुझे हमेशा प्रेरित किया है और कभी भी मुझे टूटने नहीं दिया। भास्कर- आप अन्य विद्यार्थियों को क्या सलाह देना चाहेंगी जो अगले साल बोर्ड एग्जाम देंगे? प्रज्ञा- लगातार पढ़ाई करना बहुत जरूरी है। आपको सिर्फ परीक्षा से पहले ही नहीं पढ़ना चाहिए, बल्कि रोजाना कुछ घंटे पढ़ाई करनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैं कहना चाहती हूं, वह यह है कि पढ़ाई को बोझ न समझें, उसमें अपनी रुचि पैदा करें। जब पढ़ाई में दिलचस्पी हो जाती है, तो वह बोझ नहीं लगती, बल्कि एक आदत और आनंद बन जाती है। प्रज्ञा के माता-पिता दोनों शिक्षक प्रज्ञा की मां और पिता दोनों सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। एक छोटा भाई है जो सैनिक स्कूल में पढ़ता है। प्रज्ञा ने बताया कि वह UPSC की तैयारी करना चाहती है। दसवीं के बाद गणित विषय लेगी। प्रज्ञा ने कहा कि उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे पूरे अंक मिलेंगे, उसने सिर्फ 95 से ज्यादा अंक आने की उम्मीद की थी। यूट्यूब देखकर डाउट्स दूर करती थी प्रज्ञा के पिता विनय जायसवाल ने कहा कि प्रज्ञा भी बाकी बच्चों की तरह पढ़ाई करती थी। फोन भी बराबर चलाती थी। जब भी उसे पढ़ाई में कोई समस्या आती है, तो वह मोबाइल का इस्तेमाल करती है। वह यूट्यूब पर वीडियो देखकर अपने डाउट्स दूर करती थी। हमें पता था कि वह एक अच्छी छात्रा है, लेकिन यह नहीं सोचा था कि उसे पूरे के पूरे अंक मिलेंगे। सेकेंड टॉपर के माता-पिता भी शिक्षक मऊगंज के आयुष द्विवेदी ने कक्षा 10वीं में 500 में से 499 अंक हासिल किए हैं। अब वे 10वीं के बाद बायोलॉजी के साथ मैथ्स की पढ़ाई करेंगे, क्योंकि वे डॉक्टर बनना चाहते हैं। आयुष के भी माता-पिता शिक्षक हैं। दादा सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। पढ़िए दैनिक भास्कर से आयुष की बातचीत भास्कर- आपका डेली स्टडी रूटीन क्या था? कितने घंटे पढ़ाई करते थे? आयुष- मैंने अप्रैल से ही पढ़ाई शुरू कर दी थी। जो भी स्कूल में पढ़ाया जाता था, मैं उसे उसी समय अच्छे से समझकर याद कर लेता था। मैंने कभी अपनी निरंतरता नहीं तोड़ी। मैं ज्यादा देर तक नहीं पढ़ता था। रोज 2 से 3 घंटे की पढ़ाई करता था। हर संडे हफ्ते भर जितना पढ़ा उसे रिवाइज करता था। भास्कर- पढ़ाई के साथ-साथ ब्रेक और एंटरटेनमेंट को कैसे बैलेंस किया? आयुष- पढ़ाई के अलावा मैं रोज क्रिकेट खेलता था। जब बाहर जा कर नहीं खेल पाता था, तब बहनों के साथ घर पर ही खेल लेता था। भास्कर- रिवीजन के लिए आपने क्या स्ट्रेटजी अपनाई थी? आयुष- रिवीजन के लिए मैंने पहले से ही नोट्स बना लिए थे। हर विषय के छोटे-छोटे नोट्स मैं उसी दिन बना लेता था जिस दिन वो स्कूल में पढ़ाया जाता था। शॉर्ट नोट्स मुझे परीक्षा के समय बहुत मददगार साबित हुए। रोज स्कूल में 4-5 दोस्तों का ग्रुप बैठकर आपस में टॉपिक डिस्कस करता था। भास्कर- आपके माता-पिता ने आपकी पढ़ाई में किस तरह मदद की? आयुष- मेरे माता-पिता ने मेरा बहुत साथ दिया और खासकर मेरे दादाजी ने। उन्होंने मुझे बताया कि परीक्षा के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। दादाजी ने कहा था कि पेपर के 2-3 घंटे पहले कुछ भी नया मत पढ़ना। ये खबरें भी पढ़ें... MP 10वीं बोर्ड रिजल्ट- सिंगरौली की प्रज्ञा को 500/500 मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमपीबीएसई) की 10वीं और 12वीं क्लास के रिजल्ट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को जारी कर दिए। 10वीं में सिंगरौली की प्रज्ञा जायसवाल ने 500 में से 500 अंक प्राप्त कर प्रदेश में टॉप किया। पूढ़ें पूरी खबर... MP 12वीं बोर्ड रिजल्ट- 74.48% स्टूडेंट पास मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) की 12वीं की परीक्षा का परिणाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को जारी कर दिया। इस बार 7 लाख 6 हजार छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी। इनमें से 74.48% पास हुए। मैहर की प्रियल द्विवेदी ने मैथ्स-साइंस में 500 में से 492 नंबर हासिल कर प्रदेश में टॉप किया है। पढ़ें पूरी खबर...

May 6, 2025 - 14:15
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एग्जाम से पहले फेसबुक–इंस्टा अनइंस्टॉल:10वीं की टॉपर बोली- कभी भी पढ़ाई के घंटे नहीं गिने, स्कूल में जो पढ़ा उसी दिन रिवीजन किया
एग्जाम से पहले मैं इंस्टाग्राम और फेसबुक पर एक्टिव थी, लेकिन जैसे ही परीक्षा नजदीक आई, मैंने इन्हें अनइंस्टॉल कर दिया। तब से सिर्फ पढ़ाई पर ही फोकस किया। यह कहना है एमपी बोर्ड की 10वीं की टॉपर प्रज्ञा जायसवाल का। प्रज्ञा ने बोर्ड परीक्षा में 500/500 नंबर हासिल किए हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रज्ञा ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने मानसिक संतुलन बनाए रखा और हर विषय को बराबर समय देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि इंटरेस्ट से समझने की जरूरत है। पढ़िए टॉपर प्रज्ञा से हुई बातचीत के मुख्य अंश…. भास्कर- आपका डेली स्टडी रूटीन क्या था? कितने घंटे पढ़ाई करती थीं? प्रज्ञा- मैं घंटों के हिसाब से नहीं टारगेट के हिसाब से पढ़ाई करती थी। हर दिन का टारगेट सेट कर लेती थी, फिर उसी हिसाब से पढ़ाई करती थी। किस विषय को कितना समय देना है, ये पहले से ही तय कर लेती थी। भास्कर- आपने कौन-कौन सी किताबें और नोट्स इस्तेमाल किए? प्रज्ञा- मैंने सिर्फ एनसीईआरटी की किताब से पढ़ाई की। स्कूल में जो किताबें बताई जाती थीं, सिर्फ उन्हीं किताबों से पढ़ाई करती थी। केवल पेपर के टाइम पर दो-तीन अतिरिक्त किताबों से पढ़ाई की। भास्कर- मुश्किल विषयों को कैसे समझा और उन्हें कैसे मजबूत किया? प्रज्ञा- जिस विषय में दिक्कत होती थी, उस पर ज्यादा फोकस करती थी। स्कूल जाकर टीचर्स से सभी डाउ्टस पूछा करती थी, फिर घर लौटकर उसका रिविजन करती थी। भास्कर- पढ़ाई के साथ-साथ ब्रेक और एंटरटेनमेंट को कैसे बैलेंस किया? प्रज्ञा- मैं एग्जाम से पहले सभी प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर भाग लेती थी, लेकिन एग्जाम से एक-दो महीने पहले मैंने सब बंद कर दिया था, सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देती थी। भास्कर- कभी निराशा या तनाव आया तो उससे कैसे बाहर निकलीं? प्रज्ञा- जब भी लगता था कि अब नहीं पढ़ सकती या निराशा आ जाती तो मुझे पता होता था कि मेरे माता-पिता हमेशा मेरे साथ हैं। एक दिन मैं दुखी होती हूं, और दूसरे दिन मेरी निराशा चली जाती है, क्योंकि उन्होंने मुझे हमेशा प्रेरित किया है और कभी भी मुझे टूटने नहीं दिया। भास्कर- आप अन्य विद्यार्थियों को क्या सलाह देना चाहेंगी जो अगले साल बोर्ड एग्जाम देंगे? प्रज्ञा- लगातार पढ़ाई करना बहुत जरूरी है। आपको सिर्फ परीक्षा से पहले ही नहीं पढ़ना चाहिए, बल्कि रोजाना कुछ घंटे पढ़ाई करनी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैं कहना चाहती हूं, वह यह है कि पढ़ाई को बोझ न समझें, उसमें अपनी रुचि पैदा करें। जब पढ़ाई में दिलचस्पी हो जाती है, तो वह बोझ नहीं लगती, बल्कि एक आदत और आनंद बन जाती है। प्रज्ञा के माता-पिता दोनों शिक्षक प्रज्ञा की मां और पिता दोनों सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। एक छोटा भाई है जो सैनिक स्कूल में पढ़ता है। प्रज्ञा ने बताया कि वह UPSC की तैयारी करना चाहती है। दसवीं के बाद गणित विषय लेगी। प्रज्ञा ने कहा कि उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे पूरे अंक मिलेंगे, उसने सिर्फ 95 से ज्यादा अंक आने की उम्मीद की थी। यूट्यूब देखकर डाउट्स दूर करती थी प्रज्ञा के पिता विनय जायसवाल ने कहा कि प्रज्ञा भी बाकी बच्चों की तरह पढ़ाई करती थी। फोन भी बराबर चलाती थी। जब भी उसे पढ़ाई में कोई समस्या आती है, तो वह मोबाइल का इस्तेमाल करती है। वह यूट्यूब पर वीडियो देखकर अपने डाउट्स दूर करती थी। हमें पता था कि वह एक अच्छी छात्रा है, लेकिन यह नहीं सोचा था कि उसे पूरे के पूरे अंक मिलेंगे। सेकेंड टॉपर के माता-पिता भी शिक्षक मऊगंज के आयुष द्विवेदी ने कक्षा 10वीं में 500 में से 499 अंक हासिल किए हैं। अब वे 10वीं के बाद बायोलॉजी के साथ मैथ्स की पढ़ाई करेंगे, क्योंकि वे डॉक्टर बनना चाहते हैं। आयुष के भी माता-पिता शिक्षक हैं। दादा सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। पढ़िए दैनिक भास्कर से आयुष की बातचीत भास्कर- आपका डेली स्टडी रूटीन क्या था? कितने घंटे पढ़ाई करते थे? आयुष- मैंने अप्रैल से ही पढ़ाई शुरू कर दी थी। जो भी स्कूल में पढ़ाया जाता था, मैं उसे उसी समय अच्छे से समझकर याद कर लेता था। मैंने कभी अपनी निरंतरता नहीं तोड़ी। मैं ज्यादा देर तक नहीं पढ़ता था। रोज 2 से 3 घंटे की पढ़ाई करता था। हर संडे हफ्ते भर जितना पढ़ा उसे रिवाइज करता था। भास्कर- पढ़ाई के साथ-साथ ब्रेक और एंटरटेनमेंट को कैसे बैलेंस किया? आयुष- पढ़ाई के अलावा मैं रोज क्रिकेट खेलता था। जब बाहर जा कर नहीं खेल पाता था, तब बहनों के साथ घर पर ही खेल लेता था। भास्कर- रिवीजन के लिए आपने क्या स्ट्रेटजी अपनाई थी? आयुष- रिवीजन के लिए मैंने पहले से ही नोट्स बना लिए थे। हर विषय के छोटे-छोटे नोट्स मैं उसी दिन बना लेता था जिस दिन वो स्कूल में पढ़ाया जाता था। शॉर्ट नोट्स मुझे परीक्षा के समय बहुत मददगार साबित हुए। रोज स्कूल में 4-5 दोस्तों का ग्रुप बैठकर आपस में टॉपिक डिस्कस करता था। भास्कर- आपके माता-पिता ने आपकी पढ़ाई में किस तरह मदद की? आयुष- मेरे माता-पिता ने मेरा बहुत साथ दिया और खासकर मेरे दादाजी ने। उन्होंने मुझे बताया कि परीक्षा के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। दादाजी ने कहा था कि पेपर के 2-3 घंटे पहले कुछ भी नया मत पढ़ना। ये खबरें भी पढ़ें... MP 10वीं बोर्ड रिजल्ट- सिंगरौली की प्रज्ञा को 500/500 मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (एमपीबीएसई) की 10वीं और 12वीं क्लास के रिजल्ट मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को जारी कर दिए। 10वीं में सिंगरौली की प्रज्ञा जायसवाल ने 500 में से 500 अंक प्राप्त कर प्रदेश में टॉप किया। पूढ़ें पूरी खबर... MP 12वीं बोर्ड रिजल्ट- 74.48% स्टूडेंट पास मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (MPBSE) की 12वीं की परीक्षा का परिणाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को जारी कर दिया। इस बार 7 लाख 6 हजार छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी। इनमें से 74.48% पास हुए। मैहर की प्रियल द्विवेदी ने मैथ्स-साइंस में 500 में से 492 नंबर हासिल कर प्रदेश में टॉप किया है। पढ़ें पूरी खबर...