वार्षिक अगहन जात्रा: भक्तों ने माता शीतला को लगाया चावल का भोग

भास्कर न्यूज | दंतेवाड़ा शीतला माता मंदिर परिसर में वार्षिक अगहन जात्रा का आयोजन किया गया, जात्रा का आयोजन हर साल अगहन माह के तीसरे या अंतिम मंगलवार को किया जाता है। इस जात्रा में क्षेत्र के 36 मंदिर के परगनाओं की उपस्थिति में सालों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है। 185 गांव के ग्रामीण इस अगहन जात्रा में शामिल होने पहुंचते हैं। अगहन जात्रा पूजा के दौरान सर्वप्रथम माटी पुजारियों ने शीतला माता को नये चावल का भोग चढ़ाया इसके बाद माता की विशेष पूजा की गई। अगहन जात्रा को माटी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में सर्वप्रथम माता की पूजा होती है जिसके बाद संध्या पहर में 3 बजे से बकरे और मुर्गे की बलि दी जाती है। यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है जिसे आज भी निभाया जा रहा है। जात्रा के मद्देनजर आज शीतला माता मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से लगी रही।लोग कतारबद्ध होकर एक एककर माता के दर्शन पूजन करते देखे गए। अगहन जात्रा के बाद बस्तर में मेला मंडई का आगाज हो जाता है, मान्यता है कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद कई कष्ट दूर हो जाते हैं, माता के स्नान कराए गए पानी से लोगों के बहुत सारे विकार दूर होते हैं। धरती मां भी मानी जाती हैं मां शीतला : क्षेत्र के किसान धान कटाई के बाद मां से क्षमा याचना के लिए इस जात्रा में आते हैं, इस दौरान मां को कंद फूल, धान्य अर्पण करते हैं। बस्तर संभाग में अगहन जात्रा दंतेवाड़ा से शुरू होती है, इसके बाद पूरे संभाग में जात्रा शुरू हो जाती है।

वार्षिक अगहन जात्रा: भक्तों ने माता शीतला को लगाया चावल का भोग
भास्कर न्यूज | दंतेवाड़ा शीतला माता मंदिर परिसर में वार्षिक अगहन जात्रा का आयोजन किया गया, जात्रा का आयोजन हर साल अगहन माह के तीसरे या अंतिम मंगलवार को किया जाता है। इस जात्रा में क्षेत्र के 36 मंदिर के परगनाओं की उपस्थिति में सालों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है। 185 गांव के ग्रामीण इस अगहन जात्रा में शामिल होने पहुंचते हैं। अगहन जात्रा पूजा के दौरान सर्वप्रथम माटी पुजारियों ने शीतला माता को नये चावल का भोग चढ़ाया इसके बाद माता की विशेष पूजा की गई। अगहन जात्रा को माटी पूजा के नाम से भी जाना जाता है। दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में सर्वप्रथम माता की पूजा होती है जिसके बाद संध्या पहर में 3 बजे से बकरे और मुर्गे की बलि दी जाती है। यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है जिसे आज भी निभाया जा रहा है। जात्रा के मद्देनजर आज शीतला माता मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से लगी रही।लोग कतारबद्ध होकर एक एककर माता के दर्शन पूजन करते देखे गए। अगहन जात्रा के बाद बस्तर में मेला मंडई का आगाज हो जाता है, मान्यता है कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद कई कष्ट दूर हो जाते हैं, माता के स्नान कराए गए पानी से लोगों के बहुत सारे विकार दूर होते हैं। धरती मां भी मानी जाती हैं मां शीतला : क्षेत्र के किसान धान कटाई के बाद मां से क्षमा याचना के लिए इस जात्रा में आते हैं, इस दौरान मां को कंद फूल, धान्य अर्पण करते हैं। बस्तर संभाग में अगहन जात्रा दंतेवाड़ा से शुरू होती है, इसके बाद पूरे संभाग में जात्रा शुरू हो जाती है।