बिना पोस्टमॉर्टम 7 साल में किया 9 लोगों का देहदान:बाल आयोग ने कलेक्टर से मांगी जांच रिपोर्ट; घरौंदा आश्रम संचालिका बोली-कोई गड़बड़ी नहीं की

सागर के घरौंदा आश्रम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बिना वैधानिक प्रक्रिया और पोस्टमॉर्टम के 9 लोगों का देहदान किया गया। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह द्वारा किए गए निरीक्षण में यह खुलासा हुआ कि पिछले 7 साल में आश्रम से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को 5 महिलाओं, 3 पुरुषों और एक अज्ञात व्यक्ति का गलत तरह से देहदान किया गया। इस मामले में सबसे गंभीर तथ्य यह है कि बाल कल्याण समिति द्वारा भेजी गई एक नाबालिग लड़की, जो बाद में बालिग हुई, उसकी मृत्यु के बाद बिना अनुमति देहदान कर दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है और कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की है। वहीं घरौंदा आश्रम की संचालिका से देहदान संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो उन्होंने दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए। बाल आयोग सदस्य ने कहा- मामले में संदेह उठता है बाल आयोग सदस्य ओंकार सिंह का कहना है कि आश्रम में रहने वाले किसी भी व्यक्ति का बिना पोस्टमॉर्टम के अंतिम संस्कार या देहदान करना नियम विरुद्ध है। आश्रम में मृत्यु होने पर पोस्टमॉर्टम अनिवार्य है, जिससे मृत्यु का वास्तविक कारण पता चल सके, लेकिन कुछ मामलों में यह नियम नहीं अपनाया गया और देहदान कर दिया गया। इससे संदेह उठता है कि कहीं मृत्यु के वास्तविक कारणों को छिपाने का प्रयास तो नहीं किया गया। 2019 से अब तक घरौंदा आश्रम से 9 देहदान आश्रम से किए गए देहदान की जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि आश्रम से वर्ष 2019 से देहदान किए जाने का सिलसिला शुरू हुआ था। आखिरी देह मार्च 2025 में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को दान की गई है। इसका मतलब 7 सालों में 9 देहदान आश्रम से बीएमसी में किए गए हैं। इसमें 5 महिलाएं, 3 पुरुष और एक अज्ञात व्यक्ति शामिल है। इसके अलावा करुणा आश्रम खजुरिया और मदर टेरेसा आश्रम से भी नियम विरुद्ध देहदान किए जाने की बात सामने आई है। बाल आयोग ने कलेक्टर को दिया नोटिस मामला सामने आने के बाद मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सागर कलेक्टर को नोटिस जारी किया है, जिसमें आयोग अध्यक्ष ने कहा कि घरौंदा आश्रम में निवासरत एक नाबालिग बालिका की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। इसके बाद बिना वैध प्रक्रिया, अभिभावकों की अनुमति और पोस्टमॉर्टम के उसका देहदान बीएमसी में करा दिया गया। अन्य मामलों में भी बच्चों की मौत होने पर बिना पोस्टमॉर्टम के सीधे अंतिम संस्कार कराए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। मामले की पूरी गंभीरता से स्वतंत्र जांच कराना आवश्यक है। अध्यक्ष ने बिना वैधानिक प्रक्रिया के देहदान स्वीकार करने को लेकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की भूमिका की भी जांच कराने कहा है। जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराने की भी बात कही है। नोटिस में कहा- मान्यता बालक की, बालिकाओं को रखा मानव अधिकार आयोग ने नोटिस में कहा है कि घरौंदा आश्रम, करुणा आश्रम खजुरिया और मदर टेरेसा आश्रम में मृत्यु के बाद उनका पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। मृत्यु के संबंध में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, स्थानीय पुलिस या किसी सक्षम प्राधिकारी को नहीं बताया। घरौंदा आश्रम को किशोर न्याय अधिनियम के तहत सिर्फ बालक आश्रम की मान्यता प्राप्त है, लेकिन यहां बालिकाओं को भी रखा जाता है। आयोग ने नोटिस में कहा कि घरौंदा आश्रम द्वारा लगातार 9 अनाधिकृत और दिव्यांग व्यक्तियों के शवों का बीएमसी में दान कर दिया है। आयोग ने मामले की जांच कराकर कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। ऐसे सामने आया पूरा मामला बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि घरौंदा आश्रम से बीएमसी में देहदान किया गया है। जिस कारण पहले बीएमसी में पहुंचकर देहदान की जानकारी जुटाई। उसके बाद घरौंदा आश्रम का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में सामने आया कि एक बालिका को बाल कल्याण समिति द्वारा भेजा गया था। इसी दौरान उसकी मौत हो गई। मौत होने पर उसका पोस्टमॉर्टम नहीं कराया गया और उन्होंने बीएमसी में देहदान कर दी। इसका मतलब है कि उन्होंने मौत का कारण छिपाया है। बाल आयोग सदस्य ओंकार सिंह के अनुसार यह हैं देहदान के नियम घरौंदा आश्रम संचालिका प्रीति यादव ने कहा- नियमानुसार देहदान किया गया है। गड़बड़ी नहीं की गई है। सभी आरोप निराधार है। शीघ्र ही साक्ष्यों को सामने रखा जाएगा। जान-बूझकर टारगेट किया जा रहा है। बीएमसी मीडिया प्रभारी बोले- देह नियमानुसार ली गईं बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग प्रभारी व मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल भतकारिया का कहना है कि घरौंदा आश्रम से आई देह नियमानुसार ली गई है। दिव्यांगों की देह भी दान की जा सकती है। एनाटॉमी एक्ट में इसको लेकर कहीं भी मना नहीं किया गया है। देहदान करते समय परिवार वालों की सहमति, एफिडेविट भरवाया जाता है। आश्रम से आने वाली देह को लेते समय ईसीजी रिपोर्ट, आश्रम से लिखित में देहदान की सहमति ली जाती है। उनको पुलिस और अन्य समितियों को सूचना भी देना चाहिए। डॉ. भतकारिया का कहना है कि अभी मैं छुट्‌टी पर हूं। सोमवार को काम पर लौटूंगा। घरौंदा से आई देहदान की प्रक्रिया और दस्तावेजी कार्रवाई की और अधिक जानकारी लेकर बताता हूं। बीएमसी एनाटॉमी विभाग प्रमुख डॉ. विशाल भतकारिया से समझते हैं देहदान के नियम

Jun 8, 2025 - 06:27
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बिना पोस्टमॉर्टम 7 साल में किया 9 लोगों का देहदान:बाल आयोग ने कलेक्टर से मांगी जांच रिपोर्ट; घरौंदा आश्रम संचालिका बोली-कोई गड़बड़ी नहीं की
सागर के घरौंदा आश्रम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बिना वैधानिक प्रक्रिया और पोस्टमॉर्टम के 9 लोगों का देहदान किया गया। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह द्वारा किए गए निरीक्षण में यह खुलासा हुआ कि पिछले 7 साल में आश्रम से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को 5 महिलाओं, 3 पुरुषों और एक अज्ञात व्यक्ति का गलत तरह से देहदान किया गया। इस मामले में सबसे गंभीर तथ्य यह है कि बाल कल्याण समिति द्वारा भेजी गई एक नाबालिग लड़की, जो बाद में बालिग हुई, उसकी मृत्यु के बाद बिना अनुमति देहदान कर दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है और कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की है। वहीं घरौंदा आश्रम की संचालिका से देहदान संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो उन्होंने दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए। बाल आयोग सदस्य ने कहा- मामले में संदेह उठता है बाल आयोग सदस्य ओंकार सिंह का कहना है कि आश्रम में रहने वाले किसी भी व्यक्ति का बिना पोस्टमॉर्टम के अंतिम संस्कार या देहदान करना नियम विरुद्ध है। आश्रम में मृत्यु होने पर पोस्टमॉर्टम अनिवार्य है, जिससे मृत्यु का वास्तविक कारण पता चल सके, लेकिन कुछ मामलों में यह नियम नहीं अपनाया गया और देहदान कर दिया गया। इससे संदेह उठता है कि कहीं मृत्यु के वास्तविक कारणों को छिपाने का प्रयास तो नहीं किया गया। 2019 से अब तक घरौंदा आश्रम से 9 देहदान आश्रम से किए गए देहदान की जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि आश्रम से वर्ष 2019 से देहदान किए जाने का सिलसिला शुरू हुआ था। आखिरी देह मार्च 2025 में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को दान की गई है। इसका मतलब 7 सालों में 9 देहदान आश्रम से बीएमसी में किए गए हैं। इसमें 5 महिलाएं, 3 पुरुष और एक अज्ञात व्यक्ति शामिल है। इसके अलावा करुणा आश्रम खजुरिया और मदर टेरेसा आश्रम से भी नियम विरुद्ध देहदान किए जाने की बात सामने आई है। बाल आयोग ने कलेक्टर को दिया नोटिस मामला सामने आने के बाद मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सागर कलेक्टर को नोटिस जारी किया है, जिसमें आयोग अध्यक्ष ने कहा कि घरौंदा आश्रम में निवासरत एक नाबालिग बालिका की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। इसके बाद बिना वैध प्रक्रिया, अभिभावकों की अनुमति और पोस्टमॉर्टम के उसका देहदान बीएमसी में करा दिया गया। अन्य मामलों में भी बच्चों की मौत होने पर बिना पोस्टमॉर्टम के सीधे अंतिम संस्कार कराए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। मामले की पूरी गंभीरता से स्वतंत्र जांच कराना आवश्यक है। अध्यक्ष ने बिना वैधानिक प्रक्रिया के देहदान स्वीकार करने को लेकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की भूमिका की भी जांच कराने कहा है। जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराने की भी बात कही है। नोटिस में कहा- मान्यता बालक की, बालिकाओं को रखा मानव अधिकार आयोग ने नोटिस में कहा है कि घरौंदा आश्रम, करुणा आश्रम खजुरिया और मदर टेरेसा आश्रम में मृत्यु के बाद उनका पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। मृत्यु के संबंध में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, स्थानीय पुलिस या किसी सक्षम प्राधिकारी को नहीं बताया। घरौंदा आश्रम को किशोर न्याय अधिनियम के तहत सिर्फ बालक आश्रम की मान्यता प्राप्त है, लेकिन यहां बालिकाओं को भी रखा जाता है। आयोग ने नोटिस में कहा कि घरौंदा आश्रम द्वारा लगातार 9 अनाधिकृत और दिव्यांग व्यक्तियों के शवों का बीएमसी में दान कर दिया है। आयोग ने मामले की जांच कराकर कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। ऐसे सामने आया पूरा मामला बाल आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि सूचना मिली थी कि घरौंदा आश्रम से बीएमसी में देहदान किया गया है। जिस कारण पहले बीएमसी में पहुंचकर देहदान की जानकारी जुटाई। उसके बाद घरौंदा आश्रम का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में सामने आया कि एक बालिका को बाल कल्याण समिति द्वारा भेजा गया था। इसी दौरान उसकी मौत हो गई। मौत होने पर उसका पोस्टमॉर्टम नहीं कराया गया और उन्होंने बीएमसी में देहदान कर दी। इसका मतलब है कि उन्होंने मौत का कारण छिपाया है। बाल आयोग सदस्य ओंकार सिंह के अनुसार यह हैं देहदान के नियम घरौंदा आश्रम संचालिका प्रीति यादव ने कहा- नियमानुसार देहदान किया गया है। गड़बड़ी नहीं की गई है। सभी आरोप निराधार है। शीघ्र ही साक्ष्यों को सामने रखा जाएगा। जान-बूझकर टारगेट किया जा रहा है। बीएमसी मीडिया प्रभारी बोले- देह नियमानुसार ली गईं बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग प्रभारी व मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल भतकारिया का कहना है कि घरौंदा आश्रम से आई देह नियमानुसार ली गई है। दिव्यांगों की देह भी दान की जा सकती है। एनाटॉमी एक्ट में इसको लेकर कहीं भी मना नहीं किया गया है। देहदान करते समय परिवार वालों की सहमति, एफिडेविट भरवाया जाता है। आश्रम से आने वाली देह को लेते समय ईसीजी रिपोर्ट, आश्रम से लिखित में देहदान की सहमति ली जाती है। उनको पुलिस और अन्य समितियों को सूचना भी देना चाहिए। डॉ. भतकारिया का कहना है कि अभी मैं छुट्‌टी पर हूं। सोमवार को काम पर लौटूंगा। घरौंदा से आई देहदान की प्रक्रिया और दस्तावेजी कार्रवाई की और अधिक जानकारी लेकर बताता हूं। बीएमसी एनाटॉमी विभाग प्रमुख डॉ. विशाल भतकारिया से समझते हैं देहदान के नियम