जिला सहकारी बैंक के सीईओ रहे आचार्य बर्खास्त, FIR होगी:खरगोन में बिना अनुमति के 62 करोड़ का लोन दिया; 110 करोड़ उलट-पुलट का मामला
जिला सहकारी बैंक के सीईओ रहे आचार्य बर्खास्त, FIR होगी:खरगोन में बिना अनुमति के 62 करोड़ का लोन दिया; 110 करोड़ उलट-पुलट का मामला
खरगोन जिला सहकारी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे राजेंद्र आचार्य को पद से बर्खास्त कर दिया गया है। आचार्य के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। आचार्य ने सनावद की अवंती सूत मिल को बिना उचित अनुमति के 62 करोड़ रुपए का लोन दिया था। जांच हुई तो कुल 110 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। राशि की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। प्रबंध संचालक पीएस धनवाल ने यह कार्रवाई की है। कलेक्टर भव्या मित्तल के निर्देश पर प्रबंधक स्थापना अनिल कानूनगो ने मामले की जांच की। जांच के दौरान आचार्य अपना पक्ष साबित करने के लिए कोई साक्ष्य या दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। उन पर सॉफ्टवेयर खरीदी और अनुकंपा नियुक्ति के मामले में भी जांच चल रही है। दरअसल आचार्य 1 दिसंबर 2021 से 1 सितंबर 2023 तक बैंक के सीईओ रहे। इस दौरान उन्होंने वित्तीय निर्णयों के लिए न तो प्रशासक कमेटी को कोई प्रस्ताव भेजा और न ही आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाओं, भोपाल से अनुमति ली। जब मामला सामने आया तो उन्हें सीईओ से दूसरे छोटे पदों पर रखा गया और उन पर जांच चली। अब राजेंद्र आचार्य के खिलाफ यह बड़ा एक्शन लिया गया है। उन्हें सीईओ के पद से बर्खास्त ही कर दिया है।
खरगोन जिला सहकारी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे राजेंद्र आचार्य को पद से बर्खास्त कर दिया गया है। आचार्य के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज कराया जाएगा। आचार्य ने सनावद की अवंती सूत मिल को बिना उचित अनुमति के 62 करोड़ रुपए का लोन दिया था। जांच हुई तो कुल 110 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। राशि की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। प्रबंध संचालक पीएस धनवाल ने यह कार्रवाई की है। कलेक्टर भव्या मित्तल के निर्देश पर प्रबंधक स्थापना अनिल कानूनगो ने मामले की जांच की। जांच के दौरान आचार्य अपना पक्ष साबित करने के लिए कोई साक्ष्य या दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। उन पर सॉफ्टवेयर खरीदी और अनुकंपा नियुक्ति के मामले में भी जांच चल रही है। दरअसल आचार्य 1 दिसंबर 2021 से 1 सितंबर 2023 तक बैंक के सीईओ रहे। इस दौरान उन्होंने वित्तीय निर्णयों के लिए न तो प्रशासक कमेटी को कोई प्रस्ताव भेजा और न ही आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाओं, भोपाल से अनुमति ली। जब मामला सामने आया तो उन्हें सीईओ से दूसरे छोटे पदों पर रखा गया और उन पर जांच चली। अब राजेंद्र आचार्य के खिलाफ यह बड़ा एक्शन लिया गया है। उन्हें सीईओ के पद से बर्खास्त ही कर दिया है।