रेज्डबेड पद्धति से बढ़ सकता है सोयाबीन उत्पादन:शाजापुर में कृषि वैज्ञानिक ने बताई 25% पैदावार बढ़ाने की तकनीक; मेड़ और नाली कारगर

शाजापुर में खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ किसानों ने सोयाबीन की बुवाई शुरू कर दी है। कृषि विज्ञान केंद्र, शाजापुर किसानों को आधुनिक तकनीकों से बता रहा है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़ ने बताया हे कि रेज्डबेड पद्धति से बुवाई करने पर 25 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन मिल सकता है। इस पद्धति में खेत में मेड के बीच गहरी नालियां बनाई जाती हैं। इन नालियों में सोयाबीन की दो कतारें बोई जाती हैं। यह पद्धति कम बारिश में नमी संरक्षित करती है। ज्यादा बारिश में पानी की निकासी आसान होती है। जिन किसानों के पास रेज्डबेड या बीबीएफ मशीनें नहीं हैं, वे सामान्य सीड ड्रिल को संशोधित कर सकते हैं। ड्रिल की दोनों तरफ की अंतिम टाइंस हटाकर रीजर लगाने से 3-4 इंच गहरी नालियां बन जाती हैं। इससे खेत में जलभराव नहीं होता। फसल को ऑक्सीजन और नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। केंद्र प्रमुख डॉ. अंबावतिया ने किसानों को मौसम और जमीन के हिसाब से बीज और खाद की व्यवस्था करने की सलाह दी है। उन्होंने फसल विविधिकरण और सोयाबीन की दो से तीन मध्यम अवधि की किस्मों को बोने की सिफारिश की है। साथ ही 4 इंच वर्षा होने पर ही बुवाई करने और बीजोपचार करने का सुझाव दिया है। खेत की तैयारी खेत को अच्छी तरह से जोतें और समतल करें।खरपतवार और पुराने फसल अवशेषों को साफ करें।खेत में उचित ढलान रखें ताकि पानी निकासी सुचारु रहे। रेज्डबेड (ऊंची मेड़) और नाली का निर्माण मशीन (रेज्डबेड प्लांटर या बीबीएफ से मेड़ और नाली बनाएं।प्रत्येक रेज्डबेड की ऊंचाई 15–20 सेमी और चौड़ाई 60–75 सेमी रखें।दो रेज्डबेड के बीच में लगभग 30 सेमी गहरी नाली रखें। बीज बुवाई का तरीका प्रत्येक रेज्डबेड पर दो कतारों में बीज बोएं।कतार से कतार की दूरी 35–45 सेमी रखें।बीजों की गहराई 3–4 सेमी रखें। जल प्रबंधन अल्पवर्षा की स्थिति में मेड़ से नाली को बंद करके पानी रोकें। अधिक वर्षा होने पर नालियों से जल निकासी कर दें।इससे खेत में नमी संतुलित बनी रहती है और जलभराव नहीं होता। उपकरण का विकल्प यदि रेज्डबेड प्लांटर उपलब्ध नहीं है तो साधारण सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल को मॉडिफाई करके उपयोग करें,ड्रिल की दोनों ओर की अंतिम टाइन्स हटाएं। वहां रिजर लगाएं ताकि नाली बनाकर रखें। टाइन और रिजर की गहराई में 4 इंच का अंतर रखें। बुवाई के बाद ध्यान दें बुवाई के तुरंत बाद ट्रैक्टर से डीचर चलाकर नालियां साफ करें, नमी संरक्षण के लिए खेत को खुला न छोड़ें, बीजोपचार जरूर करें (फफूंदनाशक, जीवाणुनाशक और कीटनाशक से)। वर्षा का असर नहीं वर्षा की अधिकता या कमी में भी उत्पादन पर असर नहीं पड़ता। जलनिकासी और नमी संरक्षण बेहतर होता है, पौधों को अधिक धूप और ऑक्सीजन मिलती है, उत्पादन में 20–25% तक की वृद्धि देखी गई है।

रेज्डबेड पद्धति से बढ़ सकता है सोयाबीन उत्पादन:शाजापुर में कृषि वैज्ञानिक ने बताई 25% पैदावार बढ़ाने की तकनीक; मेड़ और नाली कारगर
शाजापुर में खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ किसानों ने सोयाबीन की बुवाई शुरू कर दी है। कृषि विज्ञान केंद्र, शाजापुर किसानों को आधुनिक तकनीकों से बता रहा है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़ ने बताया हे कि रेज्डबेड पद्धति से बुवाई करने पर 25 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन मिल सकता है। इस पद्धति में खेत में मेड के बीच गहरी नालियां बनाई जाती हैं। इन नालियों में सोयाबीन की दो कतारें बोई जाती हैं। यह पद्धति कम बारिश में नमी संरक्षित करती है। ज्यादा बारिश में पानी की निकासी आसान होती है। जिन किसानों के पास रेज्डबेड या बीबीएफ मशीनें नहीं हैं, वे सामान्य सीड ड्रिल को संशोधित कर सकते हैं। ड्रिल की दोनों तरफ की अंतिम टाइंस हटाकर रीजर लगाने से 3-4 इंच गहरी नालियां बन जाती हैं। इससे खेत में जलभराव नहीं होता। फसल को ऑक्सीजन और नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। केंद्र प्रमुख डॉ. अंबावतिया ने किसानों को मौसम और जमीन के हिसाब से बीज और खाद की व्यवस्था करने की सलाह दी है। उन्होंने फसल विविधिकरण और सोयाबीन की दो से तीन मध्यम अवधि की किस्मों को बोने की सिफारिश की है। साथ ही 4 इंच वर्षा होने पर ही बुवाई करने और बीजोपचार करने का सुझाव दिया है। खेत की तैयारी खेत को अच्छी तरह से जोतें और समतल करें।खरपतवार और पुराने फसल अवशेषों को साफ करें।खेत में उचित ढलान रखें ताकि पानी निकासी सुचारु रहे। रेज्डबेड (ऊंची मेड़) और नाली का निर्माण मशीन (रेज्डबेड प्लांटर या बीबीएफ से मेड़ और नाली बनाएं।प्रत्येक रेज्डबेड की ऊंचाई 15–20 सेमी और चौड़ाई 60–75 सेमी रखें।दो रेज्डबेड के बीच में लगभग 30 सेमी गहरी नाली रखें। बीज बुवाई का तरीका प्रत्येक रेज्डबेड पर दो कतारों में बीज बोएं।कतार से कतार की दूरी 35–45 सेमी रखें।बीजों की गहराई 3–4 सेमी रखें। जल प्रबंधन अल्पवर्षा की स्थिति में मेड़ से नाली को बंद करके पानी रोकें। अधिक वर्षा होने पर नालियों से जल निकासी कर दें।इससे खेत में नमी संतुलित बनी रहती है और जलभराव नहीं होता। उपकरण का विकल्प यदि रेज्डबेड प्लांटर उपलब्ध नहीं है तो साधारण सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल को मॉडिफाई करके उपयोग करें,ड्रिल की दोनों ओर की अंतिम टाइन्स हटाएं। वहां रिजर लगाएं ताकि नाली बनाकर रखें। टाइन और रिजर की गहराई में 4 इंच का अंतर रखें। बुवाई के बाद ध्यान दें बुवाई के तुरंत बाद ट्रैक्टर से डीचर चलाकर नालियां साफ करें, नमी संरक्षण के लिए खेत को खुला न छोड़ें, बीजोपचार जरूर करें (फफूंदनाशक, जीवाणुनाशक और कीटनाशक से)। वर्षा का असर नहीं वर्षा की अधिकता या कमी में भी उत्पादन पर असर नहीं पड़ता। जलनिकासी और नमी संरक्षण बेहतर होता है, पौधों को अधिक धूप और ऑक्सीजन मिलती है, उत्पादन में 20–25% तक की वृद्धि देखी गई है।