स्टेट कैपिटल रीजन:एक फीट जमीन का विकास भी प्राधिकरण की मर्जी से होगा
स्टेट कैपिटल रीजन यानी एससीआर में रायपुर, नवा रायपुर, बीरगांव, दुर्ग-भिलाई ही नहीं धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव के इलाकों को भी शामिल किया जाएगा। खारुन नदी से शिवनाथ नदी तक ऐसा डेवलपमेंट होगा जिससे आने वाले 25 साल में इन शहरों की तस्वीर बदल जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि इस रीजन में हैदराबाद, दिल्ली की तर्ज पर देश-विदेश की नामी कंपनियां निवेश करें। रीजन का काम शुरू होने के बाद इन इलाकों में नए सिरे से सड़कें, आवासीय और औद्योगिक जोन बनाए जाएंगे। जो कंपनियां अब तक छत्तीसगढ़ से दूर हैं जैसे रिलांयस, टाटा, एपल, विप्रो, माइक्रोसॉफ्ट, डीएचएल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचसीएल जैसी कंपनियों को निवेश के लिए बुलाएंगे। इन्हें ऐसा विकास दिया जाएगा जिससे ये अपना प्रोडक्शन आसानी से शुरू करें। अभी तक किसी भी उद्योग को शुरू करने या नई सड़कें बनाने के लिए कई विभागों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें काफी समय लगता है और कंपनियां भी ज्यादा दस्तावेजी प्रक्रिया में उलझना नहीं चाहती। यही वजह है कि रायपुर, नवा रायपुर, बीरगांव, दुर्ग-भिलाई, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव के जिन इलाकों को रीजन में शामिल किया जाएगा वहां की एक-एक वर्गफीट जमीन पर क्या होगा इसका फैसला स्टेट कैपिटल रीजन ही करेगी। इससे सभी काम के लिए सिंगल विंडो तैयार हो जाएगा। यही वजह है कि इस प्राधिकरण का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाया गया है। यानी कोई भी फाइल कई विभागों से होकर गुजरने के बजाय सीधे सीएम के पास पहुंचेगी। हर फैसले तुरंत लिए जाएंगे और फैसलों पर अमल कराने के लिए तीन वरिष्ठ मंत्रियों के समूह के साथ ही एसीएस रैंक के अफसर प्राधिकरण में बतौर सदस्य काम करेंगे। यानी कोई भी काम कहीं नहीं रुकेगा। अभी तक क्या हो रहा है
रायपुर, नवा रायपुर, बीरगांव, भिलाई या दुर्ग तक के इलाकों की जमीन में किसी भी तरह के उद्योग या नए काम शुरू करने के लिए कई विभागों से होकर गुजरना पड़ता है। रहवासी और कमर्शियल एरिया एक साथ मिल रहे हैं। नए उद्योगों के लिए जमीन भी कम पड़ रही है। आने वाले 25 साल में डेवलपमेंट का काम बेहद जटिल और बेतरतीब हो जाएगा। अब सरकार क्या करेगी
राज्य सरकार के अफसरों का मानना है कि जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है उसके अनुसार व्यवस्थित डेवलपमेंट करना होगा। इन इलाकों की जमीन का बेहतर उपयोग करना होगा। ऐसी सुविधाएं देनी होगी, जिससे देश-विदेश की नामी कंपनियां इन शहरों में काम करने के लिए आए। नई सड़कें बनाएंगे, बड़े स्तर पर जमीन को आरक्षित और लैंडयूज चेंज किया जाएगा। इससे निवेश बढ़ेगा। रोजगार बढ़ेंगे। लिविंग स्टैंडर्ड चेंज होगा। ^ स्टेट कैपिटल बनने से सभी लोगों का लिविंग स्टैंडर्ड बढ़ेगा। एससीआर ऐसी योजना है जिससे कई शहरों का डेवलपमेंट एक साथ होगा। वो भी व्यवस्थित नया निवेश आएगा। मल्टीनेशनल कंपनियां दस्तक देगी। इन शहरों की देशभर में एक अलग पहचान बनेगी।
ओपी चौधरी, मंत्री आवास एवं पर्यावरण
स्टेट कैपिटल रीजन यानी एससीआर में रायपुर, नवा रायपुर, बीरगांव, दुर्ग-भिलाई ही नहीं धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव के इलाकों को भी शामिल किया जाएगा। खारुन नदी से शिवनाथ नदी तक ऐसा डेवलपमेंट होगा जिससे आने वाले 25 साल में इन शहरों की तस्वीर बदल जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि इस रीजन में हैदराबाद, दिल्ली की तर्ज पर देश-विदेश की नामी कंपनियां निवेश करें। रीजन का काम शुरू होने के बाद इन इलाकों में नए सिरे से सड़कें, आवासीय और औद्योगिक जोन बनाए जाएंगे। जो कंपनियां अब तक छत्तीसगढ़ से दूर हैं जैसे रिलांयस, टाटा, एपल, विप्रो, माइक्रोसॉफ्ट, डीएचएल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचसीएल जैसी कंपनियों को निवेश के लिए बुलाएंगे। इन्हें ऐसा विकास दिया जाएगा जिससे ये अपना प्रोडक्शन आसानी से शुरू करें। अभी तक किसी भी उद्योग को शुरू करने या नई सड़कें बनाने के लिए कई विभागों से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें काफी समय लगता है और कंपनियां भी ज्यादा दस्तावेजी प्रक्रिया में उलझना नहीं चाहती। यही वजह है कि रायपुर, नवा रायपुर, बीरगांव, दुर्ग-भिलाई, धमतरी, महासमुंद और राजनांदगांव के जिन इलाकों को रीजन में शामिल किया जाएगा वहां की एक-एक वर्गफीट जमीन पर क्या होगा इसका फैसला स्टेट कैपिटल रीजन ही करेगी। इससे सभी काम के लिए सिंगल विंडो तैयार हो जाएगा। यही वजह है कि इस प्राधिकरण का अध्यक्ष मुख्यमंत्री को बनाया गया है। यानी कोई भी फाइल कई विभागों से होकर गुजरने के बजाय सीधे सीएम के पास पहुंचेगी। हर फैसले तुरंत लिए जाएंगे और फैसलों पर अमल कराने के लिए तीन वरिष्ठ मंत्रियों के समूह के साथ ही एसीएस रैंक के अफसर प्राधिकरण में बतौर सदस्य काम करेंगे। यानी कोई भी काम कहीं नहीं रुकेगा। अभी तक क्या हो रहा है
रायपुर, नवा रायपुर, बीरगांव, भिलाई या दुर्ग तक के इलाकों की जमीन में किसी भी तरह के उद्योग या नए काम शुरू करने के लिए कई विभागों से होकर गुजरना पड़ता है। रहवासी और कमर्शियल एरिया एक साथ मिल रहे हैं। नए उद्योगों के लिए जमीन भी कम पड़ रही है। आने वाले 25 साल में डेवलपमेंट का काम बेहद जटिल और बेतरतीब हो जाएगा। अब सरकार क्या करेगी
राज्य सरकार के अफसरों का मानना है कि जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है उसके अनुसार व्यवस्थित डेवलपमेंट करना होगा। इन इलाकों की जमीन का बेहतर उपयोग करना होगा। ऐसी सुविधाएं देनी होगी, जिससे देश-विदेश की नामी कंपनियां इन शहरों में काम करने के लिए आए। नई सड़कें बनाएंगे, बड़े स्तर पर जमीन को आरक्षित और लैंडयूज चेंज किया जाएगा। इससे निवेश बढ़ेगा। रोजगार बढ़ेंगे। लिविंग स्टैंडर्ड चेंज होगा। ^ स्टेट कैपिटल बनने से सभी लोगों का लिविंग स्टैंडर्ड बढ़ेगा। एससीआर ऐसी योजना है जिससे कई शहरों का डेवलपमेंट एक साथ होगा। वो भी व्यवस्थित नया निवेश आएगा। मल्टीनेशनल कंपनियां दस्तक देगी। इन शहरों की देशभर में एक अलग पहचान बनेगी।
ओपी चौधरी, मंत्री आवास एवं पर्यावरण