जबलपुर जेल से गणतंत्र दिवस पर 11 कैदी रिहा होंगे:14 साल की सजा पूरी की; 10 पुरुष और 1 महिला कैदी को मिलेगी आजादी
जबलपुर जेल से गणतंत्र दिवस पर 11 कैदी रिहा होंगे:14 साल की सजा पूरी की; 10 पुरुष और 1 महिला कैदी को मिलेगी आजादी
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार से गणतंत्र दिवस के अवसर पर 11 कैदियों को रिहा किया जाएगा। इनमें 10 पुरुष और एक महिला कैदी शामिल हैं, जिन्होंने आजीवन कारावास की सजा के तहत 14 साल पूरे कर लिए हैं। उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश के अनुसार, इन सभी कैदियों का जेल में आचरण अच्छा रहा है। शासन से माफी का लाभ मिलने के बाद इन्हें रिहा किया जाएगा। रिहा होने वाले कैदियों में मुन्नालाल, गौरा बाई, कृष्णाल सिंह, रविंद्र नाथ, सुंदर सिंह, विनय कोल, गहरू गोड, नरेश भातपीरे, डालचंद माली, प्रकाश ठाकुर और अशोक कुचबंधिया शामिल हैं। इन कैदियों में दो जबलपुर, तीन कटनी, दो बालाघाट, एक डिंडोरी, एक मंडला, एक भोपाल और एक सागर के निवासी हैं। खास बात यह है कि पहले केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही कैदियों को रिहा किया जाता था, लेकिन अब गांधी जयंती और अंबेडकर जयंती पर भी यह सुविधा दी जाती है। कैदियों के पुनर्वास को ध्यान में रखते हुए उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण भी दिया गया है। जुर्माना न चुका पाने वाले कैदियों के लिए एनजीओ मदद करते हैं। इस बार भी एक महिला कैदी का जुर्माना एक एनजीओ ने जमा किया है, ताकि उसकी रिहाई में कोई बाधा न आए। ये खबर भी पढ़ें... 27 सालों से जेल में बंद कैदी की कहानी:दो हत्याओं में आरोपी बना; रिहाई का मौका मिला तो जेल से निकलने के नियम बदल गए कहते हैं कि किस्मत अगर साथ न दे, तो फिर कुछ नहीं हो सकता। बहुत कुछ किस्मत पर ही निर्भर रहता है। कुछ इसी तरह की खराब किस्मत से गुजर रहा है एक कैदी, जो बीते 27 सालों से जेल में बंद है। दो बार जेल से बाहर निकलने की उसकी राह भी बनी, लेकिन जेल के नियम उसकी रिहाई के आड़े आ गए। लिहाज़ा वह आज भी जेल में बंद है। परिवार वाले और साथी उसकी रिहाई के लिए लगातार कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद आज भी कैदी शिवचंदन की रिहाई कानून की पेचीदगियों में उलझकर रह गई है। पूरी खबर पढ़ें...
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार से गणतंत्र दिवस के अवसर पर 11 कैदियों को रिहा किया जाएगा। इनमें 10 पुरुष और एक महिला कैदी शामिल हैं, जिन्होंने आजीवन कारावास की सजा के तहत 14 साल पूरे कर लिए हैं। उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश के अनुसार, इन सभी कैदियों का जेल में आचरण अच्छा रहा है। शासन से माफी का लाभ मिलने के बाद इन्हें रिहा किया जाएगा। रिहा होने वाले कैदियों में मुन्नालाल, गौरा बाई, कृष्णाल सिंह, रविंद्र नाथ, सुंदर सिंह, विनय कोल, गहरू गोड, नरेश भातपीरे, डालचंद माली, प्रकाश ठाकुर और अशोक कुचबंधिया शामिल हैं। इन कैदियों में दो जबलपुर, तीन कटनी, दो बालाघाट, एक डिंडोरी, एक मंडला, एक भोपाल और एक सागर के निवासी हैं। खास बात यह है कि पहले केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही कैदियों को रिहा किया जाता था, लेकिन अब गांधी जयंती और अंबेडकर जयंती पर भी यह सुविधा दी जाती है। कैदियों के पुनर्वास को ध्यान में रखते हुए उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण भी दिया गया है। जुर्माना न चुका पाने वाले कैदियों के लिए एनजीओ मदद करते हैं। इस बार भी एक महिला कैदी का जुर्माना एक एनजीओ ने जमा किया है, ताकि उसकी रिहाई में कोई बाधा न आए। ये खबर भी पढ़ें... 27 सालों से जेल में बंद कैदी की कहानी:दो हत्याओं में आरोपी बना; रिहाई का मौका मिला तो जेल से निकलने के नियम बदल गए कहते हैं कि किस्मत अगर साथ न दे, तो फिर कुछ नहीं हो सकता। बहुत कुछ किस्मत पर ही निर्भर रहता है। कुछ इसी तरह की खराब किस्मत से गुजर रहा है एक कैदी, जो बीते 27 सालों से जेल में बंद है। दो बार जेल से बाहर निकलने की उसकी राह भी बनी, लेकिन जेल के नियम उसकी रिहाई के आड़े आ गए। लिहाज़ा वह आज भी जेल में बंद है। परिवार वाले और साथी उसकी रिहाई के लिए लगातार कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। लंबा अरसा बीत जाने के बावजूद आज भी कैदी शिवचंदन की रिहाई कानून की पेचीदगियों में उलझकर रह गई है। पूरी खबर पढ़ें...