15 लाख का पैकेज छोड़ शुरू की जैविक खेती:छिंदवाड़ा के किसान का सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर; मुंबई तक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की सप्लाई

पेशे से इंजीनियर युवक ने 15 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर जैविक खेती शुरू की है। अब किसान का सालाना टर्न ओवर डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा है। उसके ऑर्गेनिक प्रोडक्ट मुंबई, पुणे और नोएडा समेत दूसरे राज्यों में भी सप्लाई किए जा रहे हैं। दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको छिंदवाड़ा के खजरी गांव के रहने वाले राहुल कमार वसूले से मिलवाते हैं। बाकी की बातें राहुल की जुबानी जानते हैं। बेटे और पिता की मौत बना टर्निंग पॉइंट राहुल बताते हैं कि नागपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच में इंजीनियरिंग की। इसके बाद मैनेजमेंट की भी डिग्री हासिल की। 15 लाख रुपए सालाना पैकेज पर मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी करने लगा। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। अचानक ऐसा मोड़ आया, जिससे जिंदगी ही बदल गई। बेटे और पिता की कैंसर से मौत हो गई। इस हादसे ने मुझे झकझोर दिया। एहसास हुआ कि रसायन से पैदा हो रहा अनाज और सब्जियां ही बीमारियों की जड़ हैं। 10 एकड़ पैतृक जमीन है। साल 2018 में जैविक खेती करने का निर्णय लिया। नौकरी छोड़कर गांव आ गया। देशभर के 8 प्रतिष्ठित संस्थानों से जैविक खेती की ट्रेंनिग राहुल ने बताया कि ऑर्गेनिक फार्मिंग को बेहतर ढंग से समझने के लिए देशभर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों से ट्रेनिंग भी ली। इनमें करनाल के रीजनल सेंटर ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग, सेंट्रल ऑफ एक्सीलेंस-वेजिटेबल इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट, नागपुर के साइंटिफिक वे ऑफ डेरी फार्मिंग, साइंटिफिक वे ऑफ फिश फार्मिंग, हिमाचल प्रदेश के साइंटिफिक वे ऑफ मशरूम फार्मिंग, डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम और छिंदवाड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र से टेक्निकल ट्रेंनिग हासिल की। सब्जियों से शुरू की जैविक खेती राहुल बताते हैं कि ट्रेंनिग के बाद साल 2018 में ही सब्जियों से ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की। बाद में गेहूं, ज्वार, बाजरा, मूंग, अरहर जैसी फसल जैविक तरीके से उगाने लगा। इसी साल 50 हजार रुपए की लागत से बायो प्रोडक्ट यूनिट लगाई। यह यूनिट जैविक उर्वरक और अन्य उत्पादों के निर्माण में सहायक बनी। इसके बाद कभी मुड़कर नहीं देखा। सेहत और समाज के लिए फायदेमंद खेती का लिया संकल्प राहुल कहते हैं कि जैविक खेती सेहत और समाज दोनों के लिए फायदेमंद है। इसमें सबसे अहम साधन बनी- गाय। देसी गाय से मिलने वाले गोबर और गोमूत्र के जरिए जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र और केंचुआ खाद जैसे जैविक उत्पाद तैयार करना शुरू किया। इनके इस्तेमाल से फसलें न सिर्फ बेहतर उगने लगीं, बल्कि लागत भी बेहद कम हो गई। गोबर खाद और गोमूत्र से तैयार जीवामृत और अन्य उत्पाद फसल के लिए पर्याप्त होते हैं। रासायनिक कीटनाशक की बजाय जैविक कीटनियंत्रक का इस्तेमाल कर फसलों को नुकसान पहुंचाए बिना सुरक्षित रखा जा सकता है। यही कारण है कि जैविक खेती किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बेहतर विकल्प है। नवरत्न आटे ने दिलाई पहचान राहुल ने बताया कि सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए 35 लाख की लागत से नवरत्न आटे की यूनिट लगाई। मकसद था कि ऐसे उत्पाद तैयार किए जाएं, जो अधिक समय तक टिक सकें। किसानों को अतिरिक्त कमाई का जरिया भी मिले। ‘नवरत्न आटे’ में ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, मोठ, चना, तुअर और काला गेहूं जैसे पोषक अनाज शामिल हैं। इस प्रोडक्ट ने मार्केट में अलग पहचान दिलाई। आज इस यूनिट के जरिए 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। ऑर्गेंनिक प्रोडक्ट इंदौर, नागपुर, जबलपुर, गुरुग्राम, नोएडा, पुणे और मुंबई जैसे बड़े शहरों तक पहुंच रहे हैं। किसानों के लिए बनाया ‘श्रीराम जैविक कृषक समूह’ राहुल कहते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के दौरान ख्याल आया कि अगर अकेले ही जैविक खेती करता हूं, तो बदलाव सीमित रहेगा। किसानों को साथ लेकर चलने का संकल्प लिया। इसके लिए ‘श्रीराम जैविक कृषक समूह’ की स्थापना की। आज इस समूह से 600 से ज्यादा किसान जुड़े हैं। हम उन्हें सिर्फ जैविक खेती की ही ट्रेनिंग नहीं, बल्कि उनकी उपज का सही दाम दिलाने का काम भी करते हैं। मैं भारतीय किसान संघ छिंदवाड़ा से भी जुड़ा हूं। केंद्रीय मंत्री से मिला ‘मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड’ राहुल ने बताया कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में की गई मेहनत और समर्पण को देशभर में पहचान मिली। दिसंबर 2024 में दिल्ली के पूसा में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ‘मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। इससे पहले, साल 2022 में ‘जैविक इंडिया अवॉर्ड’ (आगरा) और 2023 में ‘प्रभाकर राव केलकर गो-आधारित जैविक अवॉर्ड’ (मप्र और छग) भी मिल चुका है। जैविक खेती से सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर किसान राहुल कुमार वसूले की संचालित फर्म की सालाना आय डेढ़ करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। जैविक खेती को लेकर उनका दृष्टिकोण न केवल उनके लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुआ है, बल्कि इससे क्षेत्र के अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है।

Sep 12, 2025 - 07:41
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15 लाख का पैकेज छोड़ शुरू की जैविक खेती:छिंदवाड़ा के किसान का सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर; मुंबई तक ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की सप्लाई
पेशे से इंजीनियर युवक ने 15 लाख रुपए का पैकेज छोड़कर जैविक खेती शुरू की है। अब किसान का सालाना टर्न ओवर डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा है। उसके ऑर्गेनिक प्रोडक्ट मुंबई, पुणे और नोएडा समेत दूसरे राज्यों में भी सप्लाई किए जा रहे हैं। दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको छिंदवाड़ा के खजरी गांव के रहने वाले राहुल कमार वसूले से मिलवाते हैं। बाकी की बातें राहुल की जुबानी जानते हैं। बेटे और पिता की मौत बना टर्निंग पॉइंट राहुल बताते हैं कि नागपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच में इंजीनियरिंग की। इसके बाद मैनेजमेंट की भी डिग्री हासिल की। 15 लाख रुपए सालाना पैकेज पर मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी करने लगा। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। अचानक ऐसा मोड़ आया, जिससे जिंदगी ही बदल गई। बेटे और पिता की कैंसर से मौत हो गई। इस हादसे ने मुझे झकझोर दिया। एहसास हुआ कि रसायन से पैदा हो रहा अनाज और सब्जियां ही बीमारियों की जड़ हैं। 10 एकड़ पैतृक जमीन है। साल 2018 में जैविक खेती करने का निर्णय लिया। नौकरी छोड़कर गांव आ गया। देशभर के 8 प्रतिष्ठित संस्थानों से जैविक खेती की ट्रेंनिग राहुल ने बताया कि ऑर्गेनिक फार्मिंग को बेहतर ढंग से समझने के लिए देशभर के कई प्रतिष्ठित संस्थानों से ट्रेनिंग भी ली। इनमें करनाल के रीजनल सेंटर ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग, सेंट्रल ऑफ एक्सीलेंस-वेजिटेबल इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट, नागपुर के साइंटिफिक वे ऑफ डेरी फार्मिंग, साइंटिफिक वे ऑफ फिश फार्मिंग, हिमाचल प्रदेश के साइंटिफिक वे ऑफ मशरूम फार्मिंग, डायरेक्टरेट ऑफ मशरूम और छिंदवाड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र से टेक्निकल ट्रेंनिग हासिल की। सब्जियों से शुरू की जैविक खेती राहुल बताते हैं कि ट्रेंनिग के बाद साल 2018 में ही सब्जियों से ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की। बाद में गेहूं, ज्वार, बाजरा, मूंग, अरहर जैसी फसल जैविक तरीके से उगाने लगा। इसी साल 50 हजार रुपए की लागत से बायो प्रोडक्ट यूनिट लगाई। यह यूनिट जैविक उर्वरक और अन्य उत्पादों के निर्माण में सहायक बनी। इसके बाद कभी मुड़कर नहीं देखा। सेहत और समाज के लिए फायदेमंद खेती का लिया संकल्प राहुल कहते हैं कि जैविक खेती सेहत और समाज दोनों के लिए फायदेमंद है। इसमें सबसे अहम साधन बनी- गाय। देसी गाय से मिलने वाले गोबर और गोमूत्र के जरिए जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र और केंचुआ खाद जैसे जैविक उत्पाद तैयार करना शुरू किया। इनके इस्तेमाल से फसलें न सिर्फ बेहतर उगने लगीं, बल्कि लागत भी बेहद कम हो गई। गोबर खाद और गोमूत्र से तैयार जीवामृत और अन्य उत्पाद फसल के लिए पर्याप्त होते हैं। रासायनिक कीटनाशक की बजाय जैविक कीटनियंत्रक का इस्तेमाल कर फसलों को नुकसान पहुंचाए बिना सुरक्षित रखा जा सकता है। यही कारण है कि जैविक खेती किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बेहतर विकल्प है। नवरत्न आटे ने दिलाई पहचान राहुल ने बताया कि सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए 35 लाख की लागत से नवरत्न आटे की यूनिट लगाई। मकसद था कि ऐसे उत्पाद तैयार किए जाएं, जो अधिक समय तक टिक सकें। किसानों को अतिरिक्त कमाई का जरिया भी मिले। ‘नवरत्न आटे’ में ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, मोठ, चना, तुअर और काला गेहूं जैसे पोषक अनाज शामिल हैं। इस प्रोडक्ट ने मार्केट में अलग पहचान दिलाई। आज इस यूनिट के जरिए 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। ऑर्गेंनिक प्रोडक्ट इंदौर, नागपुर, जबलपुर, गुरुग्राम, नोएडा, पुणे और मुंबई जैसे बड़े शहरों तक पहुंच रहे हैं। किसानों के लिए बनाया ‘श्रीराम जैविक कृषक समूह’ राहुल कहते हैं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के दौरान ख्याल आया कि अगर अकेले ही जैविक खेती करता हूं, तो बदलाव सीमित रहेगा। किसानों को साथ लेकर चलने का संकल्प लिया। इसके लिए ‘श्रीराम जैविक कृषक समूह’ की स्थापना की। आज इस समूह से 600 से ज्यादा किसान जुड़े हैं। हम उन्हें सिर्फ जैविक खेती की ही ट्रेनिंग नहीं, बल्कि उनकी उपज का सही दाम दिलाने का काम भी करते हैं। मैं भारतीय किसान संघ छिंदवाड़ा से भी जुड़ा हूं। केंद्रीय मंत्री से मिला ‘मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड’ राहुल ने बताया कि ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में की गई मेहनत और समर्पण को देशभर में पहचान मिली। दिसंबर 2024 में दिल्ली के पूसा में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ‘मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। इससे पहले, साल 2022 में ‘जैविक इंडिया अवॉर्ड’ (आगरा) और 2023 में ‘प्रभाकर राव केलकर गो-आधारित जैविक अवॉर्ड’ (मप्र और छग) भी मिल चुका है। जैविक खेती से सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर किसान राहुल कुमार वसूले की संचालित फर्म की सालाना आय डेढ़ करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। जैविक खेती को लेकर उनका दृष्टिकोण न केवल उनके लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुआ है, बल्कि इससे क्षेत्र के अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है।