सोया सीड क्रांति से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की अपील:इंदौर में हुआ अंतर्राष्ट्रीय सोया कॉन्क्लेव 2025; एक्सपर्ट बोले- आत्मनिर्भरता की नींव- बीज क्रांति

भारत को खाद्य तेल और प्रोटीन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने देशव्यापी सोया सीड रिवोल्यूशन शुरू करने की अपील की है। इस पहल के तहत उच्च उत्पादन क्षमता वाली, जलवायु-सहिष्णु सोयाबीन किस्मों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण किया जाएगा, ताकि देश के हर एक किसान तक बेहतर बीज पहुंच सकें। एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने इंदौर 8 अक्टूबर से आयोजित दो दिनी अंतर्राष्ट्रीय सोया कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि भारत की तेल और प्रोटीन आत्मनिर्भरता की नींव एक ही चीज पर टिकती है “बीज क्रांति। सोयाबीन केवल एक फसल नहीं, बल्कि किसानों की आशा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का इंजन और भारत की पोषण शक्ति है। समय आ गया है कि हम एक ऐसी बीज क्रांति को प्रज्ज्वलित करें, जो उत्पादकता को दोगुना करें किसानों का आत्मविश्वास लौटाए, देश को तेल और प्रोटीन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाए। बीज क्रांति- भारत के सोया पुनर्जागरण की नींव डॉ. जैन ने बताया कि वर्तमान में भारत की सोया उत्पादकता 1.1 टन प्रति हेक्टेयर है, जो वैश्विक औसत 2.6 टन प्रति हेक्टेयर से काफी कम है। SOPA का लक्ष्य है कि अगले पांच सालों में उत्पादकता को 2 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंचाया जाए और कम से कम 70% किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएं। यदि हम प्रति हेक्टेयर सिर्फ 500 किलोग्राम की बढ़ोतरी भी कर लें, तो भारत अरबों रुपए के तेल आयात बचा सकता है और किसानों की आय बढ़ सकती है। सोया सीड रिवोल्यूशन सिर्फ एक कृषि कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह भारत की पोषण, कृषि और आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में निर्णायक कदम है। हमें अब बीज से लेकर थाली तक हर स्तर पर परिवर्तन लाना होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ा कर आयात निर्भरता कम की जाए भारत अपनी कुल खाद्य तेल आवश्यकता का 60% से अधिक आयात करता है, जिस पर हर साल लगभग ₹1.7 लाख करोड़ विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इस निर्भरता को कम करने का सबसे टिकाऊ उपाय घरेलू उत्पादन बढ़ाना है। सही मायने में आत्मनिर्भर भारत का यथार्थ तभी संभव है, जब हम आयल सीड्स और प्रोटीन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। उच्च उत्पादकता और वैल्यू एडिशन के जरिए हम न केवल अरबों रुपए की बचत कर सकते हैं, बल्कि लाखों ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी दे सकते हैं।

Oct 9, 2025 - 06:36
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सोया सीड क्रांति से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की अपील:इंदौर में हुआ अंतर्राष्ट्रीय सोया कॉन्क्लेव 2025; एक्सपर्ट बोले- आत्मनिर्भरता की नींव- बीज क्रांति
भारत को खाद्य तेल और प्रोटीन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने देशव्यापी सोया सीड रिवोल्यूशन शुरू करने की अपील की है। इस पहल के तहत उच्च उत्पादन क्षमता वाली, जलवायु-सहिष्णु सोयाबीन किस्मों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण किया जाएगा, ताकि देश के हर एक किसान तक बेहतर बीज पहुंच सकें। एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने इंदौर 8 अक्टूबर से आयोजित दो दिनी अंतर्राष्ट्रीय सोया कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि भारत की तेल और प्रोटीन आत्मनिर्भरता की नींव एक ही चीज पर टिकती है “बीज क्रांति। सोयाबीन केवल एक फसल नहीं, बल्कि किसानों की आशा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का इंजन और भारत की पोषण शक्ति है। समय आ गया है कि हम एक ऐसी बीज क्रांति को प्रज्ज्वलित करें, जो उत्पादकता को दोगुना करें किसानों का आत्मविश्वास लौटाए, देश को तेल और प्रोटीन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाए। बीज क्रांति- भारत के सोया पुनर्जागरण की नींव डॉ. जैन ने बताया कि वर्तमान में भारत की सोया उत्पादकता 1.1 टन प्रति हेक्टेयर है, जो वैश्विक औसत 2.6 टन प्रति हेक्टेयर से काफी कम है। SOPA का लक्ष्य है कि अगले पांच सालों में उत्पादकता को 2 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंचाया जाए और कम से कम 70% किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएं। यदि हम प्रति हेक्टेयर सिर्फ 500 किलोग्राम की बढ़ोतरी भी कर लें, तो भारत अरबों रुपए के तेल आयात बचा सकता है और किसानों की आय बढ़ सकती है। सोया सीड रिवोल्यूशन सिर्फ एक कृषि कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह भारत की पोषण, कृषि और आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में निर्णायक कदम है। हमें अब बीज से लेकर थाली तक हर स्तर पर परिवर्तन लाना होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ा कर आयात निर्भरता कम की जाए भारत अपनी कुल खाद्य तेल आवश्यकता का 60% से अधिक आयात करता है, जिस पर हर साल लगभग ₹1.7 लाख करोड़ विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इस निर्भरता को कम करने का सबसे टिकाऊ उपाय घरेलू उत्पादन बढ़ाना है। सही मायने में आत्मनिर्भर भारत का यथार्थ तभी संभव है, जब हम आयल सीड्स और प्रोटीन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। उच्च उत्पादकता और वैल्यू एडिशन के जरिए हम न केवल अरबों रुपए की बचत कर सकते हैं, बल्कि लाखों ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी दे सकते हैं।