हिल-स्टेशन पचमढ़ी कल 3 घंटे रहेगा बंद, आज भी धरना:ईको-सेंसिटिव जोन का विरोध, नए साल पर पर्यटकों को खासी परेशानी होगी
हिल-स्टेशन पचमढ़ी कल 3 घंटे रहेगा बंद, आज भी धरना:ईको-सेंसिटिव जोन का विरोध, नए साल पर पर्यटकों को खासी परेशानी होगी
मध्य प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में नए साल के जश्न के बीच विरोध के सुर तेज हो गए हैं। इको-सेंसिटिव जोन और प्रस्तावित जोनल मास्टर प्लान के विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। 'पचमढ़ी बचाओ संघर्ष समिति' के नेतृत्व में आज (गुरुवार) दोपहर 3 बजे जवाहर चौक पर दो घंटे का शांतिपूर्ण धरना दिया जाएगा। वहीं, शुक्रवार (26 दिसंबर) को तीन घंटे तक पूरा पचमढ़ी बाजार बंद रखने और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) प्रबंधन का पुतला फूंकने की रणनीति बनाई गई है। क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के कारण पचमढ़ी अभी हाउसफुल चल रहा है। ऐसे में बाजार बंद होने और आंदोलन के चलते यहां घूमने आए हजारों पर्यटकों को चाय-नाश्ते और खाने-पीने के लिए परेशान होना पड़ सकता है। व्यापारियों ने शुक्रवार को पचमढ़ी उत्सव के लिए निकलने वाले कार्निवल के बहिष्कार की भी चेतावनी दी है। 400 पेज का मास्टर प्लान अंग्रेजी में, आदिवासी कैसे पढ़ें? विरोध की सबसे बड़ी वजह जोनल मास्टर प्लान की भाषा और गोपनियता है। संघर्ष समिति के संजय लिडवाणी ने बताया कि प्रशासन ने 400 पेज का जो मास्टर प्लान तैयार किया है, वह पूरा अंग्रेजी में है। पचमढ़ी के दायरे में आने वाले अधिकतर गांव ग्रामीण और आदिवासी परिवेश के हैं। वे अंग्रेजी नहीं समझ सकते। इसे हिंदी में जारी किया जाना चाहिए था ताकि लोग जान सकें कि इसमें उनका फायदा है या नुकसान। आरोप है कि एसटीआर प्रबंधन ने दावे-आपत्ति बुलाने की औपचारिकता भी गुपचुप तरीके से पूरी कर ली। 13 दिसंबर आखिरी तारीख थी और इसकी सूचना ऑफिस के गेट पर एक ए-4 साइज के कागज में चिपका दी गई, जिस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी। इसे बड़े होर्डिंग या मुनादी के जरिए प्रचारित नहीं किया गया, जिससे कई लोग आपत्ति दर्ज नहीं करा पाए। 4 नवंबर को भी पचमढ़ी रहा था बंद होटलें फुल हैं, पर्यटक होंगे परेशान पचमढ़ी में 20 दिसंबर से लेकर 5-6 जनवरी तक सभी होटल और रिसॉर्ट फुल हैं। पीक सीजन होने के कारण यहां पर्यटकों की भारी भीड़ है। शुक्रवार को अगर 3 घंटे के लिए भी बाजार बंद रहता है, तो पर्यटकों को भारी असुविधा होगी। समिति ने शुक्रवार शाम 6 बजे जटाशंकर चौराहा पर पुतला दहन का कार्यक्रम रखा है। इससे पहले 4 नवंबर को भी कोर और बफर एरिया के विवाद को लेकर पचमढ़ी बंद रहा था। मास्टर प्लान वापस लेने की मांग आंदोलनकारियों का कहना है कि इको-सेंसिटिव जोन के नए नियम स्थानीय रहवासियों के हितों के खिलाफ हैं। समिति ने सभी व्यापारियों, नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस आंदोलन में शामिल हों। गुरुवार को जवाहर चौक पर प्रदर्शन के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
मध्य प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी में नए साल के जश्न के बीच विरोध के सुर तेज हो गए हैं। इको-सेंसिटिव जोन और प्रस्तावित जोनल मास्टर प्लान के विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। 'पचमढ़ी बचाओ संघर्ष समिति' के नेतृत्व में आज (गुरुवार) दोपहर 3 बजे जवाहर चौक पर दो घंटे का शांतिपूर्ण धरना दिया जाएगा। वहीं, शुक्रवार (26 दिसंबर) को तीन घंटे तक पूरा पचमढ़ी बाजार बंद रखने और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) प्रबंधन का पुतला फूंकने की रणनीति बनाई गई है। क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के कारण पचमढ़ी अभी हाउसफुल चल रहा है। ऐसे में बाजार बंद होने और आंदोलन के चलते यहां घूमने आए हजारों पर्यटकों को चाय-नाश्ते और खाने-पीने के लिए परेशान होना पड़ सकता है। व्यापारियों ने शुक्रवार को पचमढ़ी उत्सव के लिए निकलने वाले कार्निवल के बहिष्कार की भी चेतावनी दी है। 400 पेज का मास्टर प्लान अंग्रेजी में, आदिवासी कैसे पढ़ें? विरोध की सबसे बड़ी वजह जोनल मास्टर प्लान की भाषा और गोपनियता है। संघर्ष समिति के संजय लिडवाणी ने बताया कि प्रशासन ने 400 पेज का जो मास्टर प्लान तैयार किया है, वह पूरा अंग्रेजी में है। पचमढ़ी के दायरे में आने वाले अधिकतर गांव ग्रामीण और आदिवासी परिवेश के हैं। वे अंग्रेजी नहीं समझ सकते। इसे हिंदी में जारी किया जाना चाहिए था ताकि लोग जान सकें कि इसमें उनका फायदा है या नुकसान। आरोप है कि एसटीआर प्रबंधन ने दावे-आपत्ति बुलाने की औपचारिकता भी गुपचुप तरीके से पूरी कर ली। 13 दिसंबर आखिरी तारीख थी और इसकी सूचना ऑफिस के गेट पर एक ए-4 साइज के कागज में चिपका दी गई, जिस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी। इसे बड़े होर्डिंग या मुनादी के जरिए प्रचारित नहीं किया गया, जिससे कई लोग आपत्ति दर्ज नहीं करा पाए। 4 नवंबर को भी पचमढ़ी रहा था बंद होटलें फुल हैं, पर्यटक होंगे परेशान पचमढ़ी में 20 दिसंबर से लेकर 5-6 जनवरी तक सभी होटल और रिसॉर्ट फुल हैं। पीक सीजन होने के कारण यहां पर्यटकों की भारी भीड़ है। शुक्रवार को अगर 3 घंटे के लिए भी बाजार बंद रहता है, तो पर्यटकों को भारी असुविधा होगी। समिति ने शुक्रवार शाम 6 बजे जटाशंकर चौराहा पर पुतला दहन का कार्यक्रम रखा है। इससे पहले 4 नवंबर को भी कोर और बफर एरिया के विवाद को लेकर पचमढ़ी बंद रहा था। मास्टर प्लान वापस लेने की मांग आंदोलनकारियों का कहना है कि इको-सेंसिटिव जोन के नए नियम स्थानीय रहवासियों के हितों के खिलाफ हैं। समिति ने सभी व्यापारियों, नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस आंदोलन में शामिल हों। गुरुवार को जवाहर चौक पर प्रदर्शन के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।