ED की जांच में बेकरी कारोबारी को क्लीनचिट:स्टॉक वेरिफिकेशन के लिए 3 दिन चली कार्रवाई, कोई दस्तावेज या राशि जब्त नहीं

कुशीनगर के कठकुइयां में स्थित बेकरी और किराना के होलसेल कारोबारी रितेश अग्रवाल की फैक्ट्री में आयकर विभाग द्वारा की गई तीन दिवसीय जांच में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। यह जांच वास्तव में गोरखपुर के गोयल ग्रुप पर चल रही कार्रवाई का हिस्सा थी। रितेश अग्रवाल ने दैनिक भास्कर से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनकी फैक्ट्री में की गई जांच केवल स्टॉक वेरिफिकेशन तक सीमित थी। गोयल ग्रुप के रिकॉर्ड्स में मैदा सप्लाई से जुड़े लेनदेन के कारण यह रूटीन जांच की गई। बृहस्पतिवार से शनिवार तक चली इस जांच के दौरान न तो कारोबारी के घर पर छापेमारी हुई और न ही परिवार के किसी सदस्य से पूछताछ की गई। फैक्ट्री का कामकाज जांच के दौरान भी सामान्य रूप से जारी रहा। दो शिफ्ट में लगभग 40 कर्मचारी काम करते रहे और माल की आवक-जावक भी नियमित रूप से होती रही। आयकर विभाग की टीम ने सभी दस्तावेजों की विस्तृत जांच की, जिसमें कोई अनियमितता नहीं मिली। टीम ने न तो कोई दस्तावेज जब्त किए और न ही किसी राशि को सीज किया। कारोबारी ने स्पष्ट किया कि वे सरकार को नियमानुसार सभी कर का भुगतान करते हैं और कानूनी नियमों का पालन करते हुए अपना व्यवसाय संचालित करते हैं। मीडिया में चल रही अफवाहों और आरोपों को उन्होंने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। छापेमारी को लेकर मामले सोशल मीडिया से लेकर मीडिया चला रही है उसमें कोई सत्यता नही है। मैं उनसे कहना चाहता हु की मेरे जनहित व मदद को जगह देते मेरी फैक्ट्री लोगो को रोजगार दे रही है उसे बदनाम करने से कोई लाभ नही होगा। गोयल ग्रुप द्वारा बड़े पैमाने पर मैदे की खरीदारी की थी। इसका इस्तेमाल बेकरी में करने के साथ ही किराना दुकान से बेचने के लिए आता है। सब पेमेंट मानकों के अनुसार होते है यही कारण है कि आयकर विभाग की टिम को कुछ गलत नही मिला। सभी बारीकियों पर नजर रखते हुए टीम छानबीन किया। हम लोगो ने भी उनका भरपूर सहयोग किये...

ED की जांच में बेकरी कारोबारी को क्लीनचिट:स्टॉक वेरिफिकेशन के लिए 3 दिन चली कार्रवाई, कोई दस्तावेज या राशि जब्त नहीं
कुशीनगर के कठकुइयां में स्थित बेकरी और किराना के होलसेल कारोबारी रितेश अग्रवाल की फैक्ट्री में आयकर विभाग द्वारा की गई तीन दिवसीय जांच में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। यह जांच वास्तव में गोरखपुर के गोयल ग्रुप पर चल रही कार्रवाई का हिस्सा थी। रितेश अग्रवाल ने दैनिक भास्कर से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनकी फैक्ट्री में की गई जांच केवल स्टॉक वेरिफिकेशन तक सीमित थी। गोयल ग्रुप के रिकॉर्ड्स में मैदा सप्लाई से जुड़े लेनदेन के कारण यह रूटीन जांच की गई। बृहस्पतिवार से शनिवार तक चली इस जांच के दौरान न तो कारोबारी के घर पर छापेमारी हुई और न ही परिवार के किसी सदस्य से पूछताछ की गई। फैक्ट्री का कामकाज जांच के दौरान भी सामान्य रूप से जारी रहा। दो शिफ्ट में लगभग 40 कर्मचारी काम करते रहे और माल की आवक-जावक भी नियमित रूप से होती रही। आयकर विभाग की टीम ने सभी दस्तावेजों की विस्तृत जांच की, जिसमें कोई अनियमितता नहीं मिली। टीम ने न तो कोई दस्तावेज जब्त किए और न ही किसी राशि को सीज किया। कारोबारी ने स्पष्ट किया कि वे सरकार को नियमानुसार सभी कर का भुगतान करते हैं और कानूनी नियमों का पालन करते हुए अपना व्यवसाय संचालित करते हैं। मीडिया में चल रही अफवाहों और आरोपों को उन्होंने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। छापेमारी को लेकर मामले सोशल मीडिया से लेकर मीडिया चला रही है उसमें कोई सत्यता नही है। मैं उनसे कहना चाहता हु की मेरे जनहित व मदद को जगह देते मेरी फैक्ट्री लोगो को रोजगार दे रही है उसे बदनाम करने से कोई लाभ नही होगा। गोयल ग्रुप द्वारा बड़े पैमाने पर मैदे की खरीदारी की थी। इसका इस्तेमाल बेकरी में करने के साथ ही किराना दुकान से बेचने के लिए आता है। सब पेमेंट मानकों के अनुसार होते है यही कारण है कि आयकर विभाग की टिम को कुछ गलत नही मिला। सभी बारीकियों पर नजर रखते हुए टीम छानबीन किया। हम लोगो ने भी उनका भरपूर सहयोग किये...