गुना के गुलाबों की दुबई और बांग्लादेश में डिमांड:इंजीनियरिंग छोड़ किसान बना; रोजाना 6 हजार रुपए के गुलाब दूसरे शहरों में भेज रहे
गुना के गुलाबों की दुबई और बांग्लादेश में डिमांड:इंजीनियरिंग छोड़ किसान बना; रोजाना 6 हजार रुपए के गुलाब दूसरे शहरों में भेज रहे
दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको एक ऐसे युवा किसान से मिलवाते हैं, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ नौकरी शुरू कर दी। इसी दौरान किसी दोस्त के पॉली हाउस पहुंच गए। दोस्त ने आइडिया दिया और उससे उनकी किस्मत बदल गई। यहीं से उनका रिश्ता मिट्टी से जुड़ गया। उनके पॉली हाउस में लगाए गए गुलाब की महक दुबई और बांग्लादेश तक पहुंच रही है। वे रोजाना 5-6 हजार रुपए के गुलाब जयपुर और दिल्ली भेज रहे हैं। रोज 60-70 बंडल फूलों का उत्पादन हो रहा है। पहले वे केवल गुलाबी कलर का गुलाब उगाते थे, लेकिन इस बार उन्होंने कई और रंगों के गुलाब उगाना शुरू किया है। इनमें ऑरेंज, पीला, सफेद गुलाब शामिल हैं। हम बात कर रहे हैं गुना शहर की कोकाटे कॉलोनी में रहने वाले 27 साल के इंजीनियर अनिमेश श्रीवास्तव की। उन्होंने भोपाल के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पढ़िए, गुलाब की खेती की कहानी, खुद स्मार्ट किसान की जुबानी... मैंने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्टिंग एंड टेक्नोलॉजी (NIPHT) से 15 दिन की ट्रेनिंग ली। वहां मैंने किस किस्म की मिट्टी में कौन सी फसल बेहतर हो सकती है, यह सीखा। 2018 में गुना से 30 किमी दूर म्याना के पास अपनी जमीन पर खेती शुरू की। 3 एकड़ में पॉली हाउस बनाया और गुलाब की खेती शुरू की। पुणे के तलेगांव से 'डच रोज' किस्म के पौधे मंगाए। देश में केवल यही एक ऐसी जगह है, जहां डच रोज के पौधे मिलते हैं। डच रोज का एक पौधा 11 रुपए में खरीदा। कुल 3 एकड़ में 24 हजार पौधे लगाए। 5 साल तक यह पौधे लगातार उत्पादन देते हैं। पॉली हाउस बनाने में करीब 30 लाख रुपए खर्च किए। इसमें सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिली। लगभग 12-13 लाख रुपए का निवेश किया। मेरे गुलाबों का सबसे बड़ा मार्केट दिल्ली और जयपुर है। इसकी वजह है कि गुना से यहां ट्रांसपोर्ट आसान है। रोजाना ट्रेन से जयपुर और दिल्ली गुलाब भेजे जाते हैं। दिल्ली के कुछ व्यापारी यहां से गुलाब खरीदकर दुबई और बांग्लादेश तक एक्सपोर्ट करते हैं। एक एकड़ में लगाए जाते हैं 30 हजार पौधे
स्मार्ट किसान अनिमेश ने बताया कि पौधे रोपते समय एक-एक कर उचित दूरी (15 सेमी) पर लगाए जाते हैं। हमने गुलाब की 'डच रोज' किस्म के पौधे विशेष रूप से पुणे के तलेगांव से मंगाए हैं। एक पौधे की कीमत 4-5 रुपए होती है और एक एकड़ में लगभग 30,000 पौधे लगाए जाते हैं। ये पौधे 5 वर्षों तक उत्पादन देते हैं और एक बार फूल तोड़ने के बाद 40 दिन में नए फूल खिल जाते हैं। पूरे पॉलीहाउस प्रोजेक्ट पर लगभग 55 लाख रुपए की लागत आई, जिसमें सरकार से सब्सिडी भी मिली। सिंचाई और पोषण व्यवस्था
सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिसमें दो पाइप लगाए जाते हैं। एक पाइप से पौधों की जड़ों को पानी दिया जाता है और दूसरे पाइप (जिसमें स्प्रिंकलर लगे होते हैं) से पत्तियों और टहनियों को सिंचित किया जाता है। पॉलीहाउस के बाहर एक पानी का टैंक बनाया जाता है, जिससे पानी की आपूर्ति की जाती है। पानी की मात्रा संतुलित रखनी होती है क्योंकि ज्यादा पानी से बेड टूट सकते हैं और कम पानी से पौधे सूख सकते हैं। रोजाना फर्टिगेशन प्रक्रिया के तहत कैल्शियम नाइट्रेट, मैग्नीशियम और एनपीके का छिड़काव किया जाता है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उनका विकास सही ढंग से होता है। पहली कली को तोड़ देना चाहिए
अनिमेश ने बताया कि एक महीने के बाद गुलाब का पौधा बढ़ता है और मदर शूट से कलियां निकलती हैं। मदर शूट मतलब मुख्य शाखा है। उसमें से जो सबसे पहले कलियां निकलती हैं, उन्हें काट देते हैं, ताकि तना और अधिक मोटा हो जाए। यह कली दिखने के बाद सबसे पहले काटनी चाहिए। इस कली को तोड़ने के बाद 2-3 आंखें मुख्य शाखा पर बढ़ती हैं। यही बाद में शाखाओं में तब्दील हो जाती हैं। इन शाखाओं में कलियां विकसित हो जाती हैं। जब पौधा विकास की इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है, तो मदर शूट को पथ की दिशा की ओर झुकना (आड़ा) किया जाता है। कुछ ही दिनों में मदर शूट के झुकने के बाद गुलाब का पौधा अंकुरित हो सकता है। इनका उपयोग पौधे की संरचना के लिए किया जाता है। संरचना जितनी अच्छी होगी, पौधे की पैदावार उतनी ही अधिक होगी। इस काम के लिए कुशल और अनुभवी मजदूरों की जरूरत होती है। ऐसे करें केयर: गुलाब के पौधे में झुकाव करना
पेड़ पर अनावश्यक पत्तों की भीड़ से बचने के साथ-साथ पेड़ पर पर्याप्त मात्रा में पत्ते बनाए रखने के लिए गुलाब में झुकना मतलब पौधे को आड़ा कर देते हैं। यह स्वस्थ शाखाओं के विकास को बढ़ावा देता है। यह रोगों और कीटों को नियंत्रित करने में मदद करता है। झुकने से पहले शाखाओं की कलियों को हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत शाखा को बढ़ने दिया जाता है। यदि अंकुर कमजोर होते हैं, तो उन्हें फिर से मोड़ दिया जाता है, क्योंकि उनका उपयोग उत्पादन के लिए नहीं किया जाता है। अधिक गुणवत्ता वाले फूल प्राप्त करने के लिए डिस्बडिंग किया जाता है। डिस्बडिंग का मतलब है कि अन्य कलियां जो गुलाब की पंखुड़ियों के डंठल पर उगती हैं, उन्हें हटाना होता है। प्राथमिक कलियां हैं, वे हटा दी जाती हैं। इससे पौधे को बिना ऊर्जा बर्बाद किए अधिक गुणवत्ता वाले फूल मिलते हैं। ऑफ सीजन (जून-जुलाई) में गुलाबों की छंटाई की जाती है, इसे काटते नहीं हैं। काटने से गुलाब की नई शाखाएं कमजोर हो जाती हैं। दो पत्तियों पर छंटाई की जाती है और रोगग्रस्त शाखाओं को हटा दिया जाता है। मिट्टी की निराई करना जरूरी
अनिमेश के अनुसार, सिंचाई के कारण क्यारी की सतह सख्त हो जाती है और पौधे की जड़ों को खाद और हवा मिलना मुश्किल हो जाता है। इस कारण क्यारी पर मिट्टी को अधिक नहीं दबाना चाहिए। क्यारी की मिट्टी में हर 15 दिन में निराई-गुड़ाई की जाती है। मिट्टी की परत खुरचने तक क्यारी पर 5 सेमी गहरी निराई से जड़ों के टूटने की आशंका अधिक होती है। गुलाब के पौधों और फूल दोनों में रोग लग जाते हैं, इसलिए इन्हें अधिक देखभाल
दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार आपको एक ऐसे युवा किसान से मिलवाते हैं, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ नौकरी शुरू कर दी। इसी दौरान किसी दोस्त के पॉली हाउस पहुंच गए। दोस्त ने आइडिया दिया और उससे उनकी किस्मत बदल गई। यहीं से उनका रिश्ता मिट्टी से जुड़ गया। उनके पॉली हाउस में लगाए गए गुलाब की महक दुबई और बांग्लादेश तक पहुंच रही है। वे रोजाना 5-6 हजार रुपए के गुलाब जयपुर और दिल्ली भेज रहे हैं। रोज 60-70 बंडल फूलों का उत्पादन हो रहा है। पहले वे केवल गुलाबी कलर का गुलाब उगाते थे, लेकिन इस बार उन्होंने कई और रंगों के गुलाब उगाना शुरू किया है। इनमें ऑरेंज, पीला, सफेद गुलाब शामिल हैं। हम बात कर रहे हैं गुना शहर की कोकाटे कॉलोनी में रहने वाले 27 साल के इंजीनियर अनिमेश श्रीवास्तव की। उन्होंने भोपाल के एक प्रतिष्ठित कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पढ़िए, गुलाब की खेती की कहानी, खुद स्मार्ट किसान की जुबानी... मैंने पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्टिंग एंड टेक्नोलॉजी (NIPHT) से 15 दिन की ट्रेनिंग ली। वहां मैंने किस किस्म की मिट्टी में कौन सी फसल बेहतर हो सकती है, यह सीखा। 2018 में गुना से 30 किमी दूर म्याना के पास अपनी जमीन पर खेती शुरू की। 3 एकड़ में पॉली हाउस बनाया और गुलाब की खेती शुरू की। पुणे के तलेगांव से 'डच रोज' किस्म के पौधे मंगाए। देश में केवल यही एक ऐसी जगह है, जहां डच रोज के पौधे मिलते हैं। डच रोज का एक पौधा 11 रुपए में खरीदा। कुल 3 एकड़ में 24 हजार पौधे लगाए। 5 साल तक यह पौधे लगातार उत्पादन देते हैं। पॉली हाउस बनाने में करीब 30 लाख रुपए खर्च किए। इसमें सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिली। लगभग 12-13 लाख रुपए का निवेश किया। मेरे गुलाबों का सबसे बड़ा मार्केट दिल्ली और जयपुर है। इसकी वजह है कि गुना से यहां ट्रांसपोर्ट आसान है। रोजाना ट्रेन से जयपुर और दिल्ली गुलाब भेजे जाते हैं। दिल्ली के कुछ व्यापारी यहां से गुलाब खरीदकर दुबई और बांग्लादेश तक एक्सपोर्ट करते हैं। एक एकड़ में लगाए जाते हैं 30 हजार पौधे
स्मार्ट किसान अनिमेश ने बताया कि पौधे रोपते समय एक-एक कर उचित दूरी (15 सेमी) पर लगाए जाते हैं। हमने गुलाब की 'डच रोज' किस्म के पौधे विशेष रूप से पुणे के तलेगांव से मंगाए हैं। एक पौधे की कीमत 4-5 रुपए होती है और एक एकड़ में लगभग 30,000 पौधे लगाए जाते हैं। ये पौधे 5 वर्षों तक उत्पादन देते हैं और एक बार फूल तोड़ने के बाद 40 दिन में नए फूल खिल जाते हैं। पूरे पॉलीहाउस प्रोजेक्ट पर लगभग 55 लाख रुपए की लागत आई, जिसमें सरकार से सब्सिडी भी मिली। सिंचाई और पोषण व्यवस्था
सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिसमें दो पाइप लगाए जाते हैं। एक पाइप से पौधों की जड़ों को पानी दिया जाता है और दूसरे पाइप (जिसमें स्प्रिंकलर लगे होते हैं) से पत्तियों और टहनियों को सिंचित किया जाता है। पॉलीहाउस के बाहर एक पानी का टैंक बनाया जाता है, जिससे पानी की आपूर्ति की जाती है। पानी की मात्रा संतुलित रखनी होती है क्योंकि ज्यादा पानी से बेड टूट सकते हैं और कम पानी से पौधे सूख सकते हैं। रोजाना फर्टिगेशन प्रक्रिया के तहत कैल्शियम नाइट्रेट, मैग्नीशियम और एनपीके का छिड़काव किया जाता है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उनका विकास सही ढंग से होता है। पहली कली को तोड़ देना चाहिए
अनिमेश ने बताया कि एक महीने के बाद गुलाब का पौधा बढ़ता है और मदर शूट से कलियां निकलती हैं। मदर शूट मतलब मुख्य शाखा है। उसमें से जो सबसे पहले कलियां निकलती हैं, उन्हें काट देते हैं, ताकि तना और अधिक मोटा हो जाए। यह कली दिखने के बाद सबसे पहले काटनी चाहिए। इस कली को तोड़ने के बाद 2-3 आंखें मुख्य शाखा पर बढ़ती हैं। यही बाद में शाखाओं में तब्दील हो जाती हैं। इन शाखाओं में कलियां विकसित हो जाती हैं। जब पौधा विकास की इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है, तो मदर शूट को पथ की दिशा की ओर झुकना (आड़ा) किया जाता है। कुछ ही दिनों में मदर शूट के झुकने के बाद गुलाब का पौधा अंकुरित हो सकता है। इनका उपयोग पौधे की संरचना के लिए किया जाता है। संरचना जितनी अच्छी होगी, पौधे की पैदावार उतनी ही अधिक होगी। इस काम के लिए कुशल और अनुभवी मजदूरों की जरूरत होती है। ऐसे करें केयर: गुलाब के पौधे में झुकाव करना
पेड़ पर अनावश्यक पत्तों की भीड़ से बचने के साथ-साथ पेड़ पर पर्याप्त मात्रा में पत्ते बनाए रखने के लिए गुलाब में झुकना मतलब पौधे को आड़ा कर देते हैं। यह स्वस्थ शाखाओं के विकास को बढ़ावा देता है। यह रोगों और कीटों को नियंत्रित करने में मदद करता है। झुकने से पहले शाखाओं की कलियों को हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत शाखा को बढ़ने दिया जाता है। यदि अंकुर कमजोर होते हैं, तो उन्हें फिर से मोड़ दिया जाता है, क्योंकि उनका उपयोग उत्पादन के लिए नहीं किया जाता है। अधिक गुणवत्ता वाले फूल प्राप्त करने के लिए डिस्बडिंग किया जाता है। डिस्बडिंग का मतलब है कि अन्य कलियां जो गुलाब की पंखुड़ियों के डंठल पर उगती हैं, उन्हें हटाना होता है। प्राथमिक कलियां हैं, वे हटा दी जाती हैं। इससे पौधे को बिना ऊर्जा बर्बाद किए अधिक गुणवत्ता वाले फूल मिलते हैं। ऑफ सीजन (जून-जुलाई) में गुलाबों की छंटाई की जाती है, इसे काटते नहीं हैं। काटने से गुलाब की नई शाखाएं कमजोर हो जाती हैं। दो पत्तियों पर छंटाई की जाती है और रोगग्रस्त शाखाओं को हटा दिया जाता है। मिट्टी की निराई करना जरूरी
अनिमेश के अनुसार, सिंचाई के कारण क्यारी की सतह सख्त हो जाती है और पौधे की जड़ों को खाद और हवा मिलना मुश्किल हो जाता है। इस कारण क्यारी पर मिट्टी को अधिक नहीं दबाना चाहिए। क्यारी की मिट्टी में हर 15 दिन में निराई-गुड़ाई की जाती है। मिट्टी की परत खुरचने तक क्यारी पर 5 सेमी गहरी निराई से जड़ों के टूटने की आशंका अधिक होती है। गुलाब के पौधों और फूल दोनों में रोग लग जाते हैं, इसलिए इन्हें अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। गुलाब में सुंडियां, खैरा रोग, उल्टा सूखा जैसे रोग लगते हैं। इसके अलावा कीट रोग भी पौधों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। यह रोग पौधों और फूलों दोनों पर ही देखने को मिलते हैं। इस तरह के रोग लग जाने पर पौधे की शाखाएं सूखने लगती हैं साथ ही फूल और नई कलियां भी सूख जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए पांच ग्राम टैगक्सोन नाम के पाउडर 6 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। सफेद मक्खी का रोग गुलाब के पौधों में सबसे ज्यादा लगता है। इस रोग में सफेद मक्खियां पौधों की पत्तियों का रस चूस लेती हैं। इससे पत्तियां नष्ट होकर गिर जाती हैं। इस रोग से रोकथाम के लिए डायफेनथ्रीयुरोन 50 डब्ल्यूपी के 20 ग्राम पाउच को लगभग 15 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर पौधों में छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ ही स्पाइरोमेसिफेन 240 SC की 20 मिलीलीटर की मात्रा को 18 से 20 लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए। स्केल कीट रोग से बचाव का तरीका
अनिमेश ने बताया कि यह रोग पौधों के लिए अधिक हानिकारक होता है। स्केल किट रोग एक पतले सफेद आवरण के पीछे खुद को छिपाए रखता है। यह पौधे के विकास को रोक देता है। ऐसे रोग पौधे की कोमल तने का रस चूसकर उसे ख़त्म कर देता है, जिससे पौधा पूरी तरह से सूख जाता है। इस तरह के रोग से रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफॉस 2% के 10 किलो पैक्ट एक एकड़ में इस रोग से ग्रसित पौधों पर छिड़काव करना चाहिए। इस रोग का अधिक प्रभाव होने पर बुप्रोफेजिन 25 एससी के 30 मिलिलीटर को 15 लीटर पानी में मिलाकर अच्छे से छिड़काव करना चाहिए। मिलिबग कीट रोग से ऐसे करें बचाव
यह कीट रोग पौधों की कोमल डुंख और पत्ते की निचली सतह से रस को चूस कर पौधों को अधिक नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए बुप्रोफेजिन 25 SC का उचित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए। गुलाब के लिए सबसे अच्छी खाद गर्मियों में गुलाब के पौधे के लिए गोबर की खाद सबसे अच्छी खाद मानी जाती हैं, क्योंकि यह खाद आसानी से उपलब्ध है। इसमें गुलाब के पौधे के विकास के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जैसे-नाइट्रोजन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस आदि। राज्य स्तर पर सम्मानित हो चुके गुलाब किसान
बता दें कि गुना में गुलाब उगाने वाले किसान राज्य स्तर पर भी सम्मानित हो चुके हैं। 11 और 12 जनवरी को भोपाल के गुलाब उद्यान में 44वीं अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में पूरे भारत से गुलाब के लगभग 700 उत्कृष्ट नमूने प्रस्तुत किए गए। गुना जिले की किसान लता अग्रवाल निवासी ग्राम मावन और इंदु जादौन निवासी हनुमान टेकरी के पास गुना ने अपने पॉलीहाउस में उगाए गए गुलाब के डच रोज कट फ्लावर प्रदर्शनी में भेजकर जिले का गौरव बढ़ाया। लता अग्रवाल को व्यवसायिक पुष्प उत्पादकों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। वहीं इंदु जादौन को उसी श्रेणी में प्रथम और द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। MP के स्मार्ट किसान सीरीज की ये खबर भी पढ़ें... बिना मिट्टी उगा रहे चाइनीज खीरा मध्यप्रदेश के गरोठ में तीन दोस्त मिलकर बिना मिट्टी के चाइनीज खीरा उगा रहे हैं। उन्होंने 2 बीघा जमीन से इसकी शुरुआत की है। इसके लिए 42 लाख रुपए लोन भी लिया। पिछले चार महीने में 11 लाख रुपए का मुनाफा कमा चुके हैं। पढ़ें पूरी खबर...