चित्रकूट में किसानों ने शुरू की मूंगफली की खेती:110 दिन में तैयार हो रही फसल, बोले- इससे ज्यादा मुनाफा हो रहा है
चित्रकूट में किसानों ने शुरू की मूंगफली की खेती:110 दिन में तैयार हो रही फसल, बोले- इससे ज्यादा मुनाफा हो रहा है
बुंदेलखंड का चित्रकूट जिला अब तक खेती के लिहाज से पिछड़ा माना जाता था। आज किसानों के लिए नए अवसरों का गवाह बन रहा है। यहां के किसान अब पारंपरिक फसलों से हटकर नई तकनीकों और फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। इस परिवर्तन का एक उदाहरण मारकुंडी गांव के किसान हरविलास हैं। उन्होंने ज्वार और बाजरा छोड़कर मूंगफली की खेती शुरू की है। हरविलास ने बताया कि उन्हें यह विचार टीवी पर प्रसारित होने वाले किसान चैनल से मिला। उन्होंने मूंगफली की खेती को एक लाभदायक विकल्प मानते हुए 45 किलो बीज अपने खेत में बोया। जिसे उन्होंने 120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा था। उनका कहना है कि यह फसल मानसून के दौरान ही तैयार हो जाती है और इसमें ज्यादा मेहनत की जरूरत भी नहीं पड़ती। मूंगफली की फसल 110-120 दिनों में तैयार हो जाती है और सबसे खास बात यह है कि इस फसल को जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते। हरविलास ने बताया कि मूंगफली की खेती ने उन्हें नए मुनाफे के रास्ते दिखाए हैं और वह भविष्य में भी इस तरह की नई फसलों की खेती जारी रखेंगे।
बुंदेलखंड का चित्रकूट जिला अब तक खेती के लिहाज से पिछड़ा माना जाता था। आज किसानों के लिए नए अवसरों का गवाह बन रहा है। यहां के किसान अब पारंपरिक फसलों से हटकर नई तकनीकों और फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। इस परिवर्तन का एक उदाहरण मारकुंडी गांव के किसान हरविलास हैं। उन्होंने ज्वार और बाजरा छोड़कर मूंगफली की खेती शुरू की है। हरविलास ने बताया कि उन्हें यह विचार टीवी पर प्रसारित होने वाले किसान चैनल से मिला। उन्होंने मूंगफली की खेती को एक लाभदायक विकल्प मानते हुए 45 किलो बीज अपने खेत में बोया। जिसे उन्होंने 120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदा था। उनका कहना है कि यह फसल मानसून के दौरान ही तैयार हो जाती है और इसमें ज्यादा मेहनत की जरूरत भी नहीं पड़ती। मूंगफली की फसल 110-120 दिनों में तैयार हो जाती है और सबसे खास बात यह है कि इस फसल को जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते। हरविलास ने बताया कि मूंगफली की खेती ने उन्हें नए मुनाफे के रास्ते दिखाए हैं और वह भविष्य में भी इस तरह की नई फसलों की खेती जारी रखेंगे।