टेंडर मामले में हस्तक्षेप से हाईकोर्ट ने फिलहाल किया इनकार:कहा-पहले परिषद को निर्णय लेने दें, इसके बाद भी आपत्ति हो तो याची के पास विकल्प मौजूद

आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने का जिम्मा गुरुग्राम की कंपनी को दिए जाने का विरोध कर रहे भाजपा पार्षद को हाई कोर्ट ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी। पार्षद बृजेश श्रीवास ने आरोप लगाया है कि जिस कंपनी से निगम ने अनुबंध किया है, वह कागजों में संचालित होती है। कंपनी के बताए पते पर कार्यालय नहीं है। हालांकि, डिवीजन बेंच ने कहा कि 16 जनवरी को परिषद की बैठक होनी है। जिसके एजेंडे में आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती से जुड़े टेंडर में हुए संशोधन पर चर्चा होनी है। भाजपा पार्षद अपनी आपत्ति परिषद में दर्ज कराएं। इसके बाद उन्हें आपत्ति है तो उनके पास कानूनी विकल्प खुले हैं। दरअसल, निगम में आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने के मामला विवादों के घेरे में हैं। नगर निगम ने गुरुग्राम की बिलीव सोल्यूशन सर्विसेस से इसका अनुबंध किया। बाद में जब पार्षदों ने आपत्ति लगाई तो कमिश्नर अमन वैष्णव ने अनुबंध में संशोधन कर स्वीकृति के लिए परिषद के पास भेज दिया। गुरुवार को हुई सुनवाई में निगम ने कोर्ट को बताया कि अनुबंध में संशोधन पर परिषद को निर्णय लेना है। परिषद में चर्चा के दौरान याची अपनी बात रख सकते हैं। इसके बाद भी यदि वे निर्णय से असंतुष्ट हैं तो विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। वहीं, याची की ओर से अगली सुनवाई 17 जनवरी को करने की बात कही गई। उनका कहना था कि 16 जनवरी को परिषद में अनुबंध में किए गए संशोधन पर चर्चा उपरांत निर्णय ले लिया जाएगा। ऐसे में अगले दिन जब सुनवाई होगी, तो सारी स्थिति कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दी जाएंगी। इससे मामले का शीघ्र निराकरण हो सकेगा। निगम ने इस बात पर आपत्ति जताई, कहा कि 17 को सुनवाई का तिथि तय करने का उद्देश्य परिषद पर दबाव बनाना है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मामले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। आप इतना इंट्रेस्ट क्यों ले रहे हैं मामले की सुनवाई के दौरान नगर निगम के सभापति की ओर से कोर्ट से आग्रह किया गया कि वे आदेश में कोई निष्कर्ष नहीं दें। इस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा- आप तो सभापति हैं। आप क्यों इतना इंट्रेस्ट ले रहे हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि मामले में कुछ गड़बड़ है !

टेंडर मामले में हस्तक्षेप से हाईकोर्ट ने फिलहाल किया इनकार:कहा-पहले परिषद को निर्णय लेने दें, इसके बाद भी आपत्ति हो तो याची के पास विकल्प मौजूद
आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने का जिम्मा गुरुग्राम की कंपनी को दिए जाने का विरोध कर रहे भाजपा पार्षद को हाई कोर्ट ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी। पार्षद बृजेश श्रीवास ने आरोप लगाया है कि जिस कंपनी से निगम ने अनुबंध किया है, वह कागजों में संचालित होती है। कंपनी के बताए पते पर कार्यालय नहीं है। हालांकि, डिवीजन बेंच ने कहा कि 16 जनवरी को परिषद की बैठक होनी है। जिसके एजेंडे में आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती से जुड़े टेंडर में हुए संशोधन पर चर्चा होनी है। भाजपा पार्षद अपनी आपत्ति परिषद में दर्ज कराएं। इसके बाद उन्हें आपत्ति है तो उनके पास कानूनी विकल्प खुले हैं। दरअसल, निगम में आउटसोर्स कर्मचारी उपलब्ध कराने के मामला विवादों के घेरे में हैं। नगर निगम ने गुरुग्राम की बिलीव सोल्यूशन सर्विसेस से इसका अनुबंध किया। बाद में जब पार्षदों ने आपत्ति लगाई तो कमिश्नर अमन वैष्णव ने अनुबंध में संशोधन कर स्वीकृति के लिए परिषद के पास भेज दिया। गुरुवार को हुई सुनवाई में निगम ने कोर्ट को बताया कि अनुबंध में संशोधन पर परिषद को निर्णय लेना है। परिषद में चर्चा के दौरान याची अपनी बात रख सकते हैं। इसके बाद भी यदि वे निर्णय से असंतुष्ट हैं तो विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। वहीं, याची की ओर से अगली सुनवाई 17 जनवरी को करने की बात कही गई। उनका कहना था कि 16 जनवरी को परिषद में अनुबंध में किए गए संशोधन पर चर्चा उपरांत निर्णय ले लिया जाएगा। ऐसे में अगले दिन जब सुनवाई होगी, तो सारी स्थिति कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दी जाएंगी। इससे मामले का शीघ्र निराकरण हो सकेगा। निगम ने इस बात पर आपत्ति जताई, कहा कि 17 को सुनवाई का तिथि तय करने का उद्देश्य परिषद पर दबाव बनाना है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मामले में फिलहाल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। आप इतना इंट्रेस्ट क्यों ले रहे हैं मामले की सुनवाई के दौरान नगर निगम के सभापति की ओर से कोर्ट से आग्रह किया गया कि वे आदेश में कोई निष्कर्ष नहीं दें। इस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा- आप तो सभापति हैं। आप क्यों इतना इंट्रेस्ट ले रहे हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि मामले में कुछ गड़बड़ है !