पत्नी की खुदकुशी के आरोपी डॉक्टर का नया कारनामा:दवाओं की कर रहा था री-पैकेजिंग, प्रशासन को डायरी में मिला लाखों का हिसाब
पत्नी की खुदकुशी के आरोपी डॉक्टर का नया कारनामा:दवाओं की कर रहा था री-पैकेजिंग, प्रशासन को डायरी में मिला लाखों का हिसाब
भोपाल की डॉ. रिचा पांडे को खुदकुशी के लिए उकसाने वाला आरोपी पति डॉ. अभिजीत पांडे गैरकानूनी तरीके से दवाओं की रिपैकेजिंग का भी काम कर रहा था। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम को क्लीनिक में न केवल 32 तरह की दवाएं मिली हैं, बल्कि पैकेजिंग की सामग्री भी मिली है। साथ ही प्रशासन ने एक डायरी बरामद की है, जिसमें दवाओं की सप्लाई और इससे मिलने वाले रुपयों का हिसाब दर्ज है। दरअसल, दमोह के डॉ. डेथ यानी नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम का मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे क्लीनिक पर कार्रवाई की है जो बिना रजिस्ट्रेशन और डर्मेटोलॉजिस्ट के चल रहे थे। भोपाल में ऐसे 4 क्लीनिक को सील किया गया। इनमें डॉ. अभिजीत का एमपी नगर स्थित क्लीनिक भी शामिल है। डॉ. अभिजीत के पास बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जन की डिग्री थी, मगर वो स्किन केयर और हेयर ट्रांसप्लांट क्लीनिक संचालित कर रहा था। हालांकि, ये क्लीनिक पिछले 4 साल से संचालित हो रहा था, मगर स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। क्लीनिक से मिली दवाओं का क्या इस्तेमाल होता था? इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट मांगी है। आगे के कमरों में ट्रीटमेंट, पीछे दवाओं की री-पैकेजिंग
आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा पांडे की खुदकुशी करने के बाद प्रशासन ने डॉ. अभिजीत पांडे के क्लीनिक को 3 अप्रैल को सील किया था। दरअसल, डॉ. रिचा के परिजन ने आरोप लगाया था कि क्लीनिक पर अवैध गतिविधियां संचालित हो रही थीं। इसके बाद से ही ये बंद था, लेकिन 11 अप्रैल को प्रशासन ने यहां एक बार फिर कार्रवाई की। दरअसल, कार्रवाई करने वाली टीम में शामिल तहसीलदार आलोक पारे बताते हैं कि क्लीनिक के आसपास रहने वाले कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि रात के वक्त क्लीनिक के पिछले हिस्से में कुछ अज्ञात लोगों ने दाखिल होने की कोशिश की थी। जब हम लोग यहां पहुंचे तो कमरे में चारों तरफ दवाएं रखी हुई थीं। दवाओं के बड़े बड़े-बॉक्स थे, जिन्हें मुंबई से मंगाया गया था। साथ ही पैकेजिंग मटेरियल भी मिला। प्रशासन को मिली डायरी, एक पन्ने पर 2 लाख की एंट्री
एमपी नगर एसडीएम एलके खरे बताते हैं कि यहां स्किन क्रीम के बड़े-बड़े डिब्बे मिले, जिन्हें 100-100 ग्राम के डिब्बों में री-पैकिंग कर बाहर भेजा जाता था। ऐसा अनुमान है कि यहां से दवाओं की सप्लाई कई शहरों में की जा रही थी। जांच टीम को क्लीनिक में डायरी भी मिली है, इसमें दवाओं की थोक में खरीदी और सप्लाई का हिसाब-किताब है। डायरी के एक पन्ने पर तो 2 लाख 68 हजार रुपए की दवाओं की सप्लाई का जिक्र है। यह सप्लाई मात्र 10 हजार रुपए के एडवांस पर की गई थी। एसडीएम खरे के मुताबिक यहां टीम को 32 तरह की दवाएं मिली हैं, जिनकी स्वास्थ्य विभाग की मदद से लिस्टिंग की गई है। इन दवाओं का क्या इस्तेमाल हो रहा था? बिना एक्सपायरी डेट और बाकी डिटेल्स के छोटे पैकेट्स में ये दवाएं कैसे सप्लाई की जा रही थी? इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है। ऐसी ब्रांड की दवाएं, जो एमपी में नहीं मिलती
डॉ. पांडे के क्लीनिक से प्रशासन ने दवाओं की जो लिस्ट तैयार की है, उस लिस्ट को भास्कर ने मेडिकल एक्सपर्ट को दिखाया। एक्सपर्ट ने कुछ ही दवाओं की पहचान की, जैसे इस लिस्ट में ट्रू-आईडी-100 नाम की दवा है। एक्सपर्ट के मुताबिक ये फंगल इन्फेक्शन को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। वहीं मिनोक्सी डिट्र नाम की दवा हेयर फॉल के लिए, तो आइसोट्रू दवा का इस्तेमाल पिंपल्स को क्लियर करने के लिए होता है। लिस्ट में बाकी दवाओं को एक्सपर्ट भी नहीं पहचान पाए। उन्होंने कहा कि ये ऐसे ब्रांड हैं जो एमपी में इस्तेमाल नहीं होते। इन दवाओं में इस्तेमाल ड्रग का कॉम्बिनेशन देखकर बताया जा सकता है कि किस तरह के ट्रीटमेंट में इनका उपयोग हो रहा था। क्लीनिक खाली कर सबूत मिटाने की कोशिश
अभिजीत पांडे के क्लीनिक को जब प्रशासन ने सील किया था तब यहां अज्ञात लोगों ने दाखिल होने की कोशिश की थी। क्लीनिक के बगल में ऑफिस चलाने वाले योगेश कुमार ने बताया कि डॉ. पांडे की पत्नी के खुदकुशी करने की घटना के बाद से ही क्लीनिक पर ताला लगा हुआ था। 7 अप्रैल को रात करीब 9.30 बजे मैंने बाहर ऑटो की आवाज सुनी। ऑटो एक जाली में फंस गया था। पहले तो मैंने सोचा कि ये ऐसे ही खड़ा होगा। मगर, मैंने देखा कि 6-7 लोग क्लीनिक के गेट की तरफ जा रहे हैं। मैंने जोर से आवाज दी तो वे घबराकर वापस लौट आए। इसी बीच मेरे ऑफिस के दूसरे साथी भी आ गए। हमने उनसे पूछताछ की तो सभी लोग घबराकर वहां से भाग खड़े हुए। दूसरे राज्यों से आते थे मरीज, किन्नरों की भीड़
योगेश ने बताया कि, हमें तो पता ही नहीं था कि डॉ. अभिजीत डेंटिस्ट हैं, हम तो उसे स्किन का नामी डॉक्टर समझते थे। क्लीनिक पर लगातार भीड़ लगती थी। यहां ज्यादातर लड़कियां आती थीं। दूसरे राज्यों से भी लोग पता पूछते हुए आते थे, मैने यहां उत्तरप्रदेश, औरंगाबाद सहित कई जगहों से आए मरीज देखे हैं। डॉ. रिचा पांडे की खुदकुशी के आरोप में जेल में बंद हैं अभिजीत
भोपाल के आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा पांडे ने 22 मार्च को अपने ही घर में खुदकुशी कर ली थी। रिचा के हाथ पर इंजेक्शन के निशान मिले थे। बॉडी में सस्पेक्टेड पॉइजन पाया गया था। पति उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर रिचा पांडे की शादी चार महीने पहले सतना के रहने वाले डॉ. अभिजीत पांडे से हुई थी। अभिजीत डेंटिस्ट है। पुलिस को जांच के दौरान डॉ. रिचा के मोबाइल में वॉट्सएप चैट मिली। इससे खुलासा हुआ कि लंबे समय से चल रही घरेलू कलह और पति की बेवफाई से तंग आकर डॉ. रिचा ने अपनी जान दी। पुलिस जांच में सामने आया कि डॉ. अभिजीत किसी और महिला के साथ रिश्ते में था। रिचा को इसकी भनक लग गई थी। उन्होंने कई बार पति को समझाने की कोशिश भी की। पति की हरकतों के कारण रिचा तनाव में थी। वॉट्सएप चैट में कई बार पति ने रिचा से कहा था- मर जाओ। प्रेमिका पर खूब खर्
भोपाल की डॉ. रिचा पांडे को खुदकुशी के लिए उकसाने वाला आरोपी पति डॉ. अभिजीत पांडे गैरकानूनी तरीके से दवाओं की रिपैकेजिंग का भी काम कर रहा था। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम को क्लीनिक में न केवल 32 तरह की दवाएं मिली हैं, बल्कि पैकेजिंग की सामग्री भी मिली है। साथ ही प्रशासन ने एक डायरी बरामद की है, जिसमें दवाओं की सप्लाई और इससे मिलने वाले रुपयों का हिसाब दर्ज है। दरअसल, दमोह के डॉ. डेथ यानी नरेंद्र यादव उर्फ एन जॉन केम का मामला उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे क्लीनिक पर कार्रवाई की है जो बिना रजिस्ट्रेशन और डर्मेटोलॉजिस्ट के चल रहे थे। भोपाल में ऐसे 4 क्लीनिक को सील किया गया। इनमें डॉ. अभिजीत का एमपी नगर स्थित क्लीनिक भी शामिल है। डॉ. अभिजीत के पास बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जन की डिग्री थी, मगर वो स्किन केयर और हेयर ट्रांसप्लांट क्लीनिक संचालित कर रहा था। हालांकि, ये क्लीनिक पिछले 4 साल से संचालित हो रहा था, मगर स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। क्लीनिक से मिली दवाओं का क्या इस्तेमाल होता था? इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट मांगी है। आगे के कमरों में ट्रीटमेंट, पीछे दवाओं की री-पैकेजिंग
आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा पांडे की खुदकुशी करने के बाद प्रशासन ने डॉ. अभिजीत पांडे के क्लीनिक को 3 अप्रैल को सील किया था। दरअसल, डॉ. रिचा के परिजन ने आरोप लगाया था कि क्लीनिक पर अवैध गतिविधियां संचालित हो रही थीं। इसके बाद से ही ये बंद था, लेकिन 11 अप्रैल को प्रशासन ने यहां एक बार फिर कार्रवाई की। दरअसल, कार्रवाई करने वाली टीम में शामिल तहसीलदार आलोक पारे बताते हैं कि क्लीनिक के आसपास रहने वाले कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि रात के वक्त क्लीनिक के पिछले हिस्से में कुछ अज्ञात लोगों ने दाखिल होने की कोशिश की थी। जब हम लोग यहां पहुंचे तो कमरे में चारों तरफ दवाएं रखी हुई थीं। दवाओं के बड़े बड़े-बॉक्स थे, जिन्हें मुंबई से मंगाया गया था। साथ ही पैकेजिंग मटेरियल भी मिला। प्रशासन को मिली डायरी, एक पन्ने पर 2 लाख की एंट्री
एमपी नगर एसडीएम एलके खरे बताते हैं कि यहां स्किन क्रीम के बड़े-बड़े डिब्बे मिले, जिन्हें 100-100 ग्राम के डिब्बों में री-पैकिंग कर बाहर भेजा जाता था। ऐसा अनुमान है कि यहां से दवाओं की सप्लाई कई शहरों में की जा रही थी। जांच टीम को क्लीनिक में डायरी भी मिली है, इसमें दवाओं की थोक में खरीदी और सप्लाई का हिसाब-किताब है। डायरी के एक पन्ने पर तो 2 लाख 68 हजार रुपए की दवाओं की सप्लाई का जिक्र है। यह सप्लाई मात्र 10 हजार रुपए के एडवांस पर की गई थी। एसडीएम खरे के मुताबिक यहां टीम को 32 तरह की दवाएं मिली हैं, जिनकी स्वास्थ्य विभाग की मदद से लिस्टिंग की गई है। इन दवाओं का क्या इस्तेमाल हो रहा था? बिना एक्सपायरी डेट और बाकी डिटेल्स के छोटे पैकेट्स में ये दवाएं कैसे सप्लाई की जा रही थी? इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है। ऐसी ब्रांड की दवाएं, जो एमपी में नहीं मिलती
डॉ. पांडे के क्लीनिक से प्रशासन ने दवाओं की जो लिस्ट तैयार की है, उस लिस्ट को भास्कर ने मेडिकल एक्सपर्ट को दिखाया। एक्सपर्ट ने कुछ ही दवाओं की पहचान की, जैसे इस लिस्ट में ट्रू-आईडी-100 नाम की दवा है। एक्सपर्ट के मुताबिक ये फंगल इन्फेक्शन को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। वहीं मिनोक्सी डिट्र नाम की दवा हेयर फॉल के लिए, तो आइसोट्रू दवा का इस्तेमाल पिंपल्स को क्लियर करने के लिए होता है। लिस्ट में बाकी दवाओं को एक्सपर्ट भी नहीं पहचान पाए। उन्होंने कहा कि ये ऐसे ब्रांड हैं जो एमपी में इस्तेमाल नहीं होते। इन दवाओं में इस्तेमाल ड्रग का कॉम्बिनेशन देखकर बताया जा सकता है कि किस तरह के ट्रीटमेंट में इनका उपयोग हो रहा था। क्लीनिक खाली कर सबूत मिटाने की कोशिश
अभिजीत पांडे के क्लीनिक को जब प्रशासन ने सील किया था तब यहां अज्ञात लोगों ने दाखिल होने की कोशिश की थी। क्लीनिक के बगल में ऑफिस चलाने वाले योगेश कुमार ने बताया कि डॉ. पांडे की पत्नी के खुदकुशी करने की घटना के बाद से ही क्लीनिक पर ताला लगा हुआ था। 7 अप्रैल को रात करीब 9.30 बजे मैंने बाहर ऑटो की आवाज सुनी। ऑटो एक जाली में फंस गया था। पहले तो मैंने सोचा कि ये ऐसे ही खड़ा होगा। मगर, मैंने देखा कि 6-7 लोग क्लीनिक के गेट की तरफ जा रहे हैं। मैंने जोर से आवाज दी तो वे घबराकर वापस लौट आए। इसी बीच मेरे ऑफिस के दूसरे साथी भी आ गए। हमने उनसे पूछताछ की तो सभी लोग घबराकर वहां से भाग खड़े हुए। दूसरे राज्यों से आते थे मरीज, किन्नरों की भीड़
योगेश ने बताया कि, हमें तो पता ही नहीं था कि डॉ. अभिजीत डेंटिस्ट हैं, हम तो उसे स्किन का नामी डॉक्टर समझते थे। क्लीनिक पर लगातार भीड़ लगती थी। यहां ज्यादातर लड़कियां आती थीं। दूसरे राज्यों से भी लोग पता पूछते हुए आते थे, मैने यहां उत्तरप्रदेश, औरंगाबाद सहित कई जगहों से आए मरीज देखे हैं। डॉ. रिचा पांडे की खुदकुशी के आरोप में जेल में बंद हैं अभिजीत
भोपाल के आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रिचा पांडे ने 22 मार्च को अपने ही घर में खुदकुशी कर ली थी। रिचा के हाथ पर इंजेक्शन के निशान मिले थे। बॉडी में सस्पेक्टेड पॉइजन पाया गया था। पति उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर रिचा पांडे की शादी चार महीने पहले सतना के रहने वाले डॉ. अभिजीत पांडे से हुई थी। अभिजीत डेंटिस्ट है। पुलिस को जांच के दौरान डॉ. रिचा के मोबाइल में वॉट्सएप चैट मिली। इससे खुलासा हुआ कि लंबे समय से चल रही घरेलू कलह और पति की बेवफाई से तंग आकर डॉ. रिचा ने अपनी जान दी। पुलिस जांच में सामने आया कि डॉ. अभिजीत किसी और महिला के साथ रिश्ते में था। रिचा को इसकी भनक लग गई थी। उन्होंने कई बार पति को समझाने की कोशिश भी की। पति की हरकतों के कारण रिचा तनाव में थी। वॉट्सएप चैट में कई बार पति ने रिचा से कहा था- मर जाओ। प्रेमिका पर खूब खर्चा करता था डॉ. अभिजीत
जांच में यह भी सामने आया कि अभिजीत अपनी प्रेमिका पर खूब पैसे खर्च करता था। जब रिचा को यह बात पता चली तो उन्होंने विरोध किया। इसके चलते दोनों के बीच आए दिन झगड़े होने लगे थे। पुलिस ने 24 मार्च को रात 10 बजे अभिजीत के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर उसे हिरासत में ले लिया। उसके मोबाइल डेटा और क्लीनिक के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... डॉक्टर रिचा सुसाइड केस में पति पर FIR:भोपाल पुलिस को मिली वॉट्सएप चैट, दूसरी महिला से संबंध से थी परेशान भोपाल में डॉक्टर रिचा पांडे के सुसाइड केस में पुलिस ने उनके पति डॉ. अभिजीत पांडे पर एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस को डॉ. रिचा के वॉट्सएप चैट मिली है। इससे खुलासा हुआ है कि लंबे समय से चल रही घरेलू कलह और पति की बेवफाई से तंग आकर डॉ. रिचा ने अपनी जान दी है। पढ़ें पूरी खबर...