लामता में 1 हजार बोरी धान भीगी:सोसायटी सुखाने में जुटी, परिवहन की गति धीमी होने से केंद्रों में रखा माल
लामता में 1 हजार बोरी धान भीगी:सोसायटी सुखाने में जुटी, परिवहन की गति धीमी होने से केंद्रों में रखा माल
बालाघाट जिले के लामता में शनिवार रात हुई तेज बारिश से सोसायटी में रखा लगभग एक हजार बोरी धान भीग गई। इसके बाद रविवार सुबह से ही सहकारी समिति कर्मचारी मजदूरों के साथ इसे सुखाने में जुटे हैं। रविवार को अवकाश होने से केन्द्रों में धान खरीदी बंद है और सोमवार से बुधवार यानी 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक उपार्जित धान को मौसम से बचाने के लिए परिवहन के चलते खरीदी को बंद किया गया है। इस दौरान भंडारित धान का उठाव होगा। 65 हजार किसानों की 32 लाख क्विंटल धान खरीदी गई शनिवार तक जिले में 65 हजार 322 किसानों से 32 लाख 4 हजार 216 क्विंटल धान खरीदी गई जा चुकी है। जिसमें केवल 17 लाख 62 हजार 638 क्विंटल धान का ही परिवहन हो सका है, जबकि 7 लाख 79 हजार 736 क्विंटल धान तो गोदाम और कैप में ही खरीदी गई है, जिससे केवल 10 लाख क्विंटल ही धान का परिवहन अब तक हो सका है। बारिश से धान को बचाने नहीं हैं इंतजाम जबकि इससे ज्यादा उपार्जित धान सोसायटियों में पड़ी है, जिसके बारिश से बचाव के लिए समिति कर्मचारी, तिरपाल और पॉलीथिन के भरोसे है। जिम्मेदार बोले- तिरपाल और पॉलीथिन से ढका है धान सहकारी केन्द्रीय बैंक प्रबंधक आर.सी. पटले का कहना है कि बारिश से समय पूर्व सोसायटियों में धान को तिरपाल और पॉलीथिन से ढक दिए जाने के कारण धान ज्यादा नहीं भीगा है। लामता में जरूर धान के कुछ बोरियों के भीगने की जानकारी मिली है, जिसे व्यवस्थित करने में सोसायटी कर्मचारी जुटे हैं।
बालाघाट जिले के लामता में शनिवार रात हुई तेज बारिश से सोसायटी में रखा लगभग एक हजार बोरी धान भीग गई। इसके बाद रविवार सुबह से ही सहकारी समिति कर्मचारी मजदूरों के साथ इसे सुखाने में जुटे हैं। रविवार को अवकाश होने से केन्द्रों में धान खरीदी बंद है और सोमवार से बुधवार यानी 30 दिसंबर से 1 जनवरी तक उपार्जित धान को मौसम से बचाने के लिए परिवहन के चलते खरीदी को बंद किया गया है। इस दौरान भंडारित धान का उठाव होगा। 65 हजार किसानों की 32 लाख क्विंटल धान खरीदी गई शनिवार तक जिले में 65 हजार 322 किसानों से 32 लाख 4 हजार 216 क्विंटल धान खरीदी गई जा चुकी है। जिसमें केवल 17 लाख 62 हजार 638 क्विंटल धान का ही परिवहन हो सका है, जबकि 7 लाख 79 हजार 736 क्विंटल धान तो गोदाम और कैप में ही खरीदी गई है, जिससे केवल 10 लाख क्विंटल ही धान का परिवहन अब तक हो सका है। बारिश से धान को बचाने नहीं हैं इंतजाम जबकि इससे ज्यादा उपार्जित धान सोसायटियों में पड़ी है, जिसके बारिश से बचाव के लिए समिति कर्मचारी, तिरपाल और पॉलीथिन के भरोसे है। जिम्मेदार बोले- तिरपाल और पॉलीथिन से ढका है धान सहकारी केन्द्रीय बैंक प्रबंधक आर.सी. पटले का कहना है कि बारिश से समय पूर्व सोसायटियों में धान को तिरपाल और पॉलीथिन से ढक दिए जाने के कारण धान ज्यादा नहीं भीगा है। लामता में जरूर धान के कुछ बोरियों के भीगने की जानकारी मिली है, जिसे व्यवस्थित करने में सोसायटी कर्मचारी जुटे हैं।