21 साल खुशी से बिताए, 12 परिवार मांग रहे इच्छामृत्यु:हरियाली-खुशहाली योजना की जमीन पर बनेगा वुडन कलस्टर; जानिए आदिवासियों का दर्द

बैतूल में 23 आदिवासी परिवारों को 21 साल पहले मिली खुशी अब गम में बदलने वाली है। हरियाली-खुशहाली योजना के तहत आदिवासियों को पेड़-पौधे और खेती करने दी गई जमीन उद्योग विभाग को वुडन कलस्टर के लिए दी जा रही है। अगर ऐसा होता है तो आदिवासियों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। 6 किसानों को हटाने के लिए नोटिस दिया गया है। कढ़ाई गांव के आदिवासियों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु की मांग की है। आदिवासियों के 21 साल पहले जमीन दिए जाने के दावों और प्रशासन द्वारा इसे अतिक्रमण मानने पर दैनिक भास्कर टीम ने इसकी पड़ताल की तो हकीकत सामने आईं। बैतूल से 5 किलोमीटर दूर कढ़ाई गांव में 12 आदिवासियों का क्या है दर्द और क्यों मांग रहे इच्छामृत्यु, आइए जानते हैं सिलसिलेवार पूरा मामला… 2003 की ग्रामसभा में प्रस्ताव, 110 एकड़ दी जमीन आदिवासियों के मुताबिक उन्हें साल 2003 में हरियाली खुशहाली योजना के तहत 110 एकड़ जमीन दी गई थी। इसके लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव भी पारित किया गया था। यहां 40 से 50 लाख रुपए खर्च कर कूप खनन किया गया, फलदार वृक्ष रोपने के साथ कृषि उपकरण खरीदे गए। आदिवासी यहां पर 21 साल से खेती कर रहे हैं। आदिवासी सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और वुडन कलस्टर को उनकी जमीन देने का विरोध करते हुए कलेक्टर कोर्ट के नाम आवेदन सौंपा। राष्ट्रपति के नाम इच्छामृत्यु का आवेदन भी कलेक्टर को दिया है। कलेक्टर कोर्ट को भी आवेदन दिया आदिवासी सुखचंद की तरफ से कलेक्टर कोर्ट में एक अपील आवेदन भी दिया गया है। इसमें जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक रोहित डावर, जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष ब्रिज आशीष पांडे और सचिव पीयूष तिवारी को गैर अपीलार्थी बनाया गया है। जिसमें कलेक्टर समेत, राज्य शासन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। वुडन कलस्टर के लिए ली गई कईं अनापत्तियों को फर्जी बताया गया है, जबकि भूमि के आवंटन के लिए बड़ा षड्यंत्र तक करने का आरोप लगाया गया है। पंचायत में है रिकॉर्ड, बनाया था नक्शा मध्यप्रदेश सरकार ने 2003 में 23 आदिवासी परिवारों को भूमिहीन मानते हुए हरियाली से खुशहाली योजना में दो - दो हेक्टेयर जमीन दी थी। चरनोई मद की इन जमीनों पर उन्हें फलदार पौधे लगाने, खेती करने के लिए कहा गया था। ग्रामीणों के मुताबिक उस समय पंचायत ने नक्शा बनाया था। उसी आधार पर उन्हें जमीन चिन्हित कर बांट दी गई थी, जिसका रिकॉर्ड पंचायत के पास है। बांध को बंद करने पोकलेन से डाली जा रही मिट्‌टी कढ़ाई गांव के पास छोटे बांध को पोकलेन मशीन के जरिए मिट्टी डालकर बंद करने का काम चल रहा है। ग्रामीण इस प्रोजेक्ट से घबराए हुए हैं। गांव में प्रवेश करते ही लोहे का बड़ा सा गेट है। गेट पर 20 साल पहले लिखा था- हरियाली से खुशहाली ग्राम कढ़ाई, जो अब धुंधला हो गया है। गेट पर लगे बोर्ड पर हरे पेंट से योजनाएं लिखी हैं, लेकिन इन पर भी जंक लग गया है जो साफ नहीं दिखाई दे रहीं। एक बोर्ड पर योजना के लिए आवंटित जमीन का पूरा नक्शा भी लगा है। भास्कर की टीम गेट के सामने खड़ी ही थी कि पहले नंबर के मकान के बाहर एक आदिवासी युवक नजर आया। उसकी जमीन पर आम के पेड़ की बगिया है, इन पेड़ों का योजना के तहत पौधरोपण किया गया था। टीम आगे बढ़ी तो धान के खेत नजर आए। हल्की पहाड़ी चढ़ते ही डैम जैसी जगह के उस पार बड़ी-बड़ी मशीनें काम करती नजर आई। इनमें एक पोकलेन मशीन से पानी में मिट्टी भर रही थी। कुछ आदिवासी इस काम को देखकर मायूस खड़े थे। एक महीने पहले छह परिवारों को दिया नोटिस एक महीने पहले गांव के 6 आदिवासी परिवार ननिया बाई, विमल, नंदलाल, दीनू, दिनेश, नवलू को जमीन से हटने का नोटिस भेजा गया था। प्रशासन इन आदिवासियों को अतिक्रमणकारी बता रहा है। गांव के विनायक ने बताया, जब जमीन दी गई थी तो पंचायत ने नक्शे भी बनाए थे। उस समय के प्रस्ताव में सभी के नाम है। इनमें सभी 23 परिवार भूमिहीन हैं। अब यहां वुडन कलस्टर बनाने के लिए दो तालाबों को बंद कर दिया गया है। जेसीबी मशीनों से जमीनों को लेवल किया जा रहा है। आदिवासी सुखचंद लगाए गंभीर आरोप, पढ़िए जिला उद्योग महाप्रबंधक, संघ अध्यक्ष और सचिव ने शासन की आरक्षित वन भूमि ग्राम कढ़ाई में वुडन क्लस्टर खोलने के लिए कलेक्टर कार्यालय को गलत एवं फर्जी जानकारी दी। आदिवासियों को भूमिहिन करने, पैसा कानून का उल्लंघन करने, आरक्षित वनों को काटने और तालाब को समाप्त करने पर तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कलस्टर के लिए वन विभाग की कोई एनओसी न होने के बावजूद कलेक्टर और शासन को झूठी जानकारी भेज दी गई। ऐसा ही अन्य विभागों की अनापत्ति में भी किया गया। ग्राम सभा की विशेष बैठक में कोई प्रस्ताव नहीं लिया। 2 अक्टूबर को आयोजित बैठक में विशेष कार्यवाही प्रस्ताव पंजी में वुडन कलस्टर को निरस्त करने का आवेदन लिया गया है। भूमि के समीप आरक्षित वन क्षेत्र है, जहां पर वुडन क्लस्टर खुलने के बाद भारी मात्रा में सागौन एवं अन्य प्रजातियों के जंगल की एवं जानवरों की जान को खतरा है। वुडन क्लस्टर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय, भारत शासन व राज्य शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि आरक्षित वन क्षेत्र की सीमा से 20 किलोमीटर दूरी पर लकड़ी से चिराई संबंधित कार्य होना चाहिए । अनिल गर्ग ने कहा-वुडन कलस्टर को नहीं दे सकते जमीन सतपुड़ा लैंड सर्च के संस्थापक अनिल गर्ग का कहना है कि आदिवासियों को जमीन कढ़ाई में दी गई थी। सरकार ने तालाब कुंआ खुदवाया। सुप्रीम कोर्ट के इसमें दो आदेश हैं, जो जमीन धारा 237 (1) में आरक्षित है। चराई आदि के लिए वह प्राइवेट सेक्टर के उपयोग के लिए नहीं दी जा सकती। वुडन कलस्टर प्राइवेट सेक्टर है, इसलिए उनको नहीं दे सकते। फॉरेस्ट राइट एक्ट का दावा अगर निरस्त हो गया है उसे बेदखल नहीं किया जा सकता। उस समय इस योजना पर सरकारी पैसा खर्च हुआ है। ग्राम सभा के प्रस्ताव है। फाइल आदिवासी थोड़े ढूंढेगा। ये जिम्मेदारी तो प्रशासन की है। कलेक्टर बोले-उन्नति होगी, इच्छामृत्यु की मांग गलत बैतूल कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने ब

21 साल खुशी से बिताए, 12 परिवार मांग रहे इच्छामृत्यु:हरियाली-खुशहाली योजना की जमीन पर बनेगा वुडन कलस्टर; जानिए आदिवासियों का दर्द
बैतूल में 23 आदिवासी परिवारों को 21 साल पहले मिली खुशी अब गम में बदलने वाली है। हरियाली-खुशहाली योजना के तहत आदिवासियों को पेड़-पौधे और खेती करने दी गई जमीन उद्योग विभाग को वुडन कलस्टर के लिए दी जा रही है। अगर ऐसा होता है तो आदिवासियों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। 6 किसानों को हटाने के लिए नोटिस दिया गया है। कढ़ाई गांव के आदिवासियों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु की मांग की है। आदिवासियों के 21 साल पहले जमीन दिए जाने के दावों और प्रशासन द्वारा इसे अतिक्रमण मानने पर दैनिक भास्कर टीम ने इसकी पड़ताल की तो हकीकत सामने आईं। बैतूल से 5 किलोमीटर दूर कढ़ाई गांव में 12 आदिवासियों का क्या है दर्द और क्यों मांग रहे इच्छामृत्यु, आइए जानते हैं सिलसिलेवार पूरा मामला… 2003 की ग्रामसभा में प्रस्ताव, 110 एकड़ दी जमीन आदिवासियों के मुताबिक उन्हें साल 2003 में हरियाली खुशहाली योजना के तहत 110 एकड़ जमीन दी गई थी। इसके लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव भी पारित किया गया था। यहां 40 से 50 लाख रुपए खर्च कर कूप खनन किया गया, फलदार वृक्ष रोपने के साथ कृषि उपकरण खरीदे गए। आदिवासी यहां पर 21 साल से खेती कर रहे हैं। आदिवासी सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे और वुडन कलस्टर को उनकी जमीन देने का विरोध करते हुए कलेक्टर कोर्ट के नाम आवेदन सौंपा। राष्ट्रपति के नाम इच्छामृत्यु का आवेदन भी कलेक्टर को दिया है। कलेक्टर कोर्ट को भी आवेदन दिया आदिवासी सुखचंद की तरफ से कलेक्टर कोर्ट में एक अपील आवेदन भी दिया गया है। इसमें जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक रोहित डावर, जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष ब्रिज आशीष पांडे और सचिव पीयूष तिवारी को गैर अपीलार्थी बनाया गया है। जिसमें कलेक्टर समेत, राज्य शासन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। वुडन कलस्टर के लिए ली गई कईं अनापत्तियों को फर्जी बताया गया है, जबकि भूमि के आवंटन के लिए बड़ा षड्यंत्र तक करने का आरोप लगाया गया है। पंचायत में है रिकॉर्ड, बनाया था नक्शा मध्यप्रदेश सरकार ने 2003 में 23 आदिवासी परिवारों को भूमिहीन मानते हुए हरियाली से खुशहाली योजना में दो - दो हेक्टेयर जमीन दी थी। चरनोई मद की इन जमीनों पर उन्हें फलदार पौधे लगाने, खेती करने के लिए कहा गया था। ग्रामीणों के मुताबिक उस समय पंचायत ने नक्शा बनाया था। उसी आधार पर उन्हें जमीन चिन्हित कर बांट दी गई थी, जिसका रिकॉर्ड पंचायत के पास है। बांध को बंद करने पोकलेन से डाली जा रही मिट्‌टी कढ़ाई गांव के पास छोटे बांध को पोकलेन मशीन के जरिए मिट्टी डालकर बंद करने का काम चल रहा है। ग्रामीण इस प्रोजेक्ट से घबराए हुए हैं। गांव में प्रवेश करते ही लोहे का बड़ा सा गेट है। गेट पर 20 साल पहले लिखा था- हरियाली से खुशहाली ग्राम कढ़ाई, जो अब धुंधला हो गया है। गेट पर लगे बोर्ड पर हरे पेंट से योजनाएं लिखी हैं, लेकिन इन पर भी जंक लग गया है जो साफ नहीं दिखाई दे रहीं। एक बोर्ड पर योजना के लिए आवंटित जमीन का पूरा नक्शा भी लगा है। भास्कर की टीम गेट के सामने खड़ी ही थी कि पहले नंबर के मकान के बाहर एक आदिवासी युवक नजर आया। उसकी जमीन पर आम के पेड़ की बगिया है, इन पेड़ों का योजना के तहत पौधरोपण किया गया था। टीम आगे बढ़ी तो धान के खेत नजर आए। हल्की पहाड़ी चढ़ते ही डैम जैसी जगह के उस पार बड़ी-बड़ी मशीनें काम करती नजर आई। इनमें एक पोकलेन मशीन से पानी में मिट्टी भर रही थी। कुछ आदिवासी इस काम को देखकर मायूस खड़े थे। एक महीने पहले छह परिवारों को दिया नोटिस एक महीने पहले गांव के 6 आदिवासी परिवार ननिया बाई, विमल, नंदलाल, दीनू, दिनेश, नवलू को जमीन से हटने का नोटिस भेजा गया था। प्रशासन इन आदिवासियों को अतिक्रमणकारी बता रहा है। गांव के विनायक ने बताया, जब जमीन दी गई थी तो पंचायत ने नक्शे भी बनाए थे। उस समय के प्रस्ताव में सभी के नाम है। इनमें सभी 23 परिवार भूमिहीन हैं। अब यहां वुडन कलस्टर बनाने के लिए दो तालाबों को बंद कर दिया गया है। जेसीबी मशीनों से जमीनों को लेवल किया जा रहा है। आदिवासी सुखचंद लगाए गंभीर आरोप, पढ़िए जिला उद्योग महाप्रबंधक, संघ अध्यक्ष और सचिव ने शासन की आरक्षित वन भूमि ग्राम कढ़ाई में वुडन क्लस्टर खोलने के लिए कलेक्टर कार्यालय को गलत एवं फर्जी जानकारी दी। आदिवासियों को भूमिहिन करने, पैसा कानून का उल्लंघन करने, आरक्षित वनों को काटने और तालाब को समाप्त करने पर तीनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कलस्टर के लिए वन विभाग की कोई एनओसी न होने के बावजूद कलेक्टर और शासन को झूठी जानकारी भेज दी गई। ऐसा ही अन्य विभागों की अनापत्ति में भी किया गया। ग्राम सभा की विशेष बैठक में कोई प्रस्ताव नहीं लिया। 2 अक्टूबर को आयोजित बैठक में विशेष कार्यवाही प्रस्ताव पंजी में वुडन कलस्टर को निरस्त करने का आवेदन लिया गया है। भूमि के समीप आरक्षित वन क्षेत्र है, जहां पर वुडन क्लस्टर खुलने के बाद भारी मात्रा में सागौन एवं अन्य प्रजातियों के जंगल की एवं जानवरों की जान को खतरा है। वुडन क्लस्टर के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय, भारत शासन व राज्य शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि आरक्षित वन क्षेत्र की सीमा से 20 किलोमीटर दूरी पर लकड़ी से चिराई संबंधित कार्य होना चाहिए । अनिल गर्ग ने कहा-वुडन कलस्टर को नहीं दे सकते जमीन सतपुड़ा लैंड सर्च के संस्थापक अनिल गर्ग का कहना है कि आदिवासियों को जमीन कढ़ाई में दी गई थी। सरकार ने तालाब कुंआ खुदवाया। सुप्रीम कोर्ट के इसमें दो आदेश हैं, जो जमीन धारा 237 (1) में आरक्षित है। चराई आदि के लिए वह प्राइवेट सेक्टर के उपयोग के लिए नहीं दी जा सकती। वुडन कलस्टर प्राइवेट सेक्टर है, इसलिए उनको नहीं दे सकते। फॉरेस्ट राइट एक्ट का दावा अगर निरस्त हो गया है उसे बेदखल नहीं किया जा सकता। उस समय इस योजना पर सरकारी पैसा खर्च हुआ है। ग्राम सभा के प्रस्ताव है। फाइल आदिवासी थोड़े ढूंढेगा। ये जिम्मेदारी तो प्रशासन की है। कलेक्टर बोले-उन्नति होगी, इच्छामृत्यु की मांग गलत बैतूल कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने बताया कि वुडन कलस्टर बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इससे लोगों की उन्नति होगी। यहां का सागौन विश्वस्तर पर जाना पहचाना जायेगा। भूमि आवंटन काफी सोच समझकर किया जाता है। पूरी जांच पड़ताल के बाद किया जाता है। वहां दो-तीन अतिक्रमण हैं, यह किसी भी शासकीय रिकॉर्ड में नहीं हैं।