शाजापुर के मंदिरों में महिलाओं ने चढ़ाए बासी पकवान:शीतला सप्तमी पर संक्रामक रोगों से मुक्ति के लिए की पूजा

शाजापुर में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर सीतला सप्तमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। शहर के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मां राजराजेश्वरी माता मंदिर, आदर्श कॉलोनी, सोमवारिया बाजार, नई सड़क और मारवाड़ सेरी स्थित शीतला माता मंदिर में महिलाएं कतारबद्ध होकर दर्शन के लिए पहुंचीं। महिलाओं ने एक दिन पहले से ही विशेष पकवान तैयार किए। सुबह शीतला माता की विधिवत पूजा की गई। परंपरा के अनुसार, देवी को ठंडा और बासी भोजन अर्पित किया गया। इसमें पूड़ी-सब्जी, भजिए, कढ़ी, मीठे पुए, चने, मीठे चावल और हलवा शामिल था। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर परिवार की खुशहाली की कामना की। मान्यताओं के अनुसार, सीतला माता के पूजन से संक्रामक रोगों का नाश होता है। इसलिए शीत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल में यह पूजा की जाती है। सीतला माता को ज्वर और अन्य व्याधियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता। आयुर्वेद के अनुसार, ऋतु परिवर्तन के समय ठंडा भोजन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह वसंत और ग्रीष्म ऋतु में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। विशेषकर बच्चों को शीत जनित रोगों से बचाने में सहायक है।

शाजापुर के मंदिरों में महिलाओं ने चढ़ाए बासी पकवान:शीतला सप्तमी पर संक्रामक रोगों से मुक्ति के लिए की पूजा
शाजापुर में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर सीतला सप्तमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। शहर के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मां राजराजेश्वरी माता मंदिर, आदर्श कॉलोनी, सोमवारिया बाजार, नई सड़क और मारवाड़ सेरी स्थित शीतला माता मंदिर में महिलाएं कतारबद्ध होकर दर्शन के लिए पहुंचीं। महिलाओं ने एक दिन पहले से ही विशेष पकवान तैयार किए। सुबह शीतला माता की विधिवत पूजा की गई। परंपरा के अनुसार, देवी को ठंडा और बासी भोजन अर्पित किया गया। इसमें पूड़ी-सब्जी, भजिए, कढ़ी, मीठे पुए, चने, मीठे चावल और हलवा शामिल था। श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर परिवार की खुशहाली की कामना की। मान्यताओं के अनुसार, सीतला माता के पूजन से संक्रामक रोगों का नाश होता है। इसलिए शीत और ग्रीष्म ऋतु के संधिकाल में यह पूजा की जाती है। सीतला माता को ज्वर और अन्य व्याधियों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है। इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता। आयुर्वेद के अनुसार, ऋतु परिवर्तन के समय ठंडा भोजन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह वसंत और ग्रीष्म ऋतु में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है। विशेषकर बच्चों को शीत जनित रोगों से बचाने में सहायक है।