राजनीति की रेस में आगे निकलने के लिए नेताओं में तगड़ा कॉम्पिटिशन रहता है। नेता चाहे अपने दल के हो या विरोधी दल के, उनके बीच शह-मात का खेल चलता रहता है। सूबे के एक मंत्री और सांसद के बीच भी कुछ ऐसा ही खेल चल रहा है। मामला राजधानी से लगे एक जिले का है। जहां हाल ही में 'पुराने सरकार' ने रिव्यू मीटिंग ली थी। जिसमें मंत्री और सांसद के बीच मनमुटाव की बात सामने आ गई। इस पर 'पुराने सरकार' को कहना पड़ा कि मिलजुल कर काम करिए। मैं आप लोगों का विवाद थोड़े निपटाता रहूंगा। सांसद जी 'पुराने सरकार' के करीबी हैं। मंत्री जी को लगता हैं कि उन्हें काफी पहले तरक्की मिल गई होती, लेकिन सांसद जी की वजह से प्रोग्रेस नहीं हो पाई। दोनों नेताओं के बीच छिड़े शीत युद्ध को लेकर अफसर कह रहे हैं कि ये विवाद किसी दिन बड़ा रूप ले सकता है। अगली बार पूरी तैयारी के साथ आना
बात 'पुराने सरकार' की रिव्यू मीटिंग की ही है। जहां उनके तेवर देखकर अफसर सकते में आ गए। उन्होंने अफसरों से योजनाओं के टारगेट और अचीवमेंट की रिपोर्ट लेना शुरू कर दी। इस पर अधिकारियों ने दाएं- बाएं जवाब दिया तो 'पुराने सरकार' ने कहा- ऐसा मत सोचना कि काजू बादाम खिलाकर चलता कर दोगे, अगली बार से मीटिंग और प्रभावशाली होगी। पूरी तैयारी के साथ आना। एक अधिकारी ने तो कहा- सर मेरी पोस्टिंग कुछ दिन पहले हुई है। ये सुनकर 'पुराने सरकार' ने कहा ऐसा थोड़े होता है। कोई आएगा, जाएगा। उससे क्या फर्क पड़ता है। सरकार तो निरंतर चलती है। अगली बार से ऐसा जवाब मत देना, तैयारी से आना। 'पुराने सरकार' के ये तेवर देखकर दूसरे जिले के अधिकारी मीटिंग को लेकर तगड़ी तैयारी में लगे है। सरल स्वभाव के नेता जी हुए कठिन
नेशनल पॉलिटिक्स से स्टेट में शिफ्ट किए गए एक नेता जी अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि उनके और पब्लिक के बीच बस एक फोन कॉल की दूरी रहती है। लेकिन, जब से वे स्टेट में शिफ्ट हुए हैं, उनका सरल स्वभाव कठिन हो गया है। दरअसल, अब कोई भी नेता जी को फोन करता है तो उनके सहयोगी फोन रिसीव करते हैं। नाम, पद, पता, क्या काम है, पूरा बायोडाटा पूछ लेते हैं। फिर जवाब आता है साहब से पूछकर बताते हैं। अब नेता जी ही जानें कि ये व्यवस्था उन्होंने ही शुरू की है या उनके चेलों ने खुद सिस्टम डेवलप किया है। बता दें कि नेताजी मां नर्मदा के बड़े भक्त हैं। मां के दरबार तक मंत्री की पदयात्रा
सूबे में सरकार की शपथ को इसी महीने एक साल पूरा होने जा रहा है। इस मौके पर सरकार अपने कामों की फेहरिस्त जनता के सामने रखने की तैयारी में जुटी है। इससे पहले पहली बार विधानसभा पहुंचकर सीधे मंत्री बनने वाली महिला नेता ने धार्मिक संकल्प पदयात्रा की है। दो दिनों में वे करीब 50 किलोमीटर पैदल चलकर मैहर में शारदा माता के मंदिर पहुंची। आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार होने की संभावना है, ऐसे में मंत्री जी की कुर्सी रहेगी या उन्हें प्रमोशन मिलेगा। ये तो आने वाला वक्त बताएगा। इससे पहले ही मंत्री ने पदयात्रा कर सुर्खियां तो बटोर ही ली हैं। विरोधी दल की यूथ विंग में पावर पॉलिटिक्स
विरोधी दल की यूथ विंग में पावर पॉलिटिक्स चल रही है। आर्थिक राजधानी में यूथ विंग के चीफ आए तो स्टेट के वर्तमान और पुराने चीफ के समर्थकों के बीच भिडंत हो गई। इस वाकिया ने जग हंसाई कराई तो स्टेट प्रेसिडेंट ने अपना पावर दिखाते हुए एक पुराने पदाधिकारी पर सस्पेंशन का चाबूक चला दिया। इस एक्शन के बाद पुराने चीफ ने अपना वीटो लगाया और स्टेट इंचार्ज से अपने खास का सस्पेंशन होल्ड करा दिया। कुल मिलाकर गिने-चुने लोगों में ही आपस में पटरी नहीं बैठ पा रही। पार्टी के मौजूदा सीनियर लीडर्स भी विवाद शांत नहीं करा पा रहे हैं। फिलहाल कार्रवाई होल्ड होने के बाद इन्वेस्टिगेशन शुरू कराई गई है। अब देखना यह है कि जांच के बाद किस पर आंच आती है। यंग लीडर की मांग- महाराज बनें सरकार
चार साल पहले सूबे की पॉलिटिक्स में बड़ा उलटफेर हुआ। महाराज ने अपने विधायकों के साथ दलबदल कर लिया। इस उलटफेर के बाद महाराज के करीबियों को उम्मीद थी कि वे सूबे के सरकार बनेंगे। लेकिन, वे दिल्ली दरबार में शिफ्ट हो गए। अब राजधानी में महाराज के एक सबसे करीबी युवा नेता ने महाराज को सूबे का सरकार बनाने की मांग की है। युवा नेता के मन की बात अब सोशल मीडिया पर भी दौड़ रही है। लेकिन, पार्टी में इसको लेकर चर्चा है कि सत्ताधारी दल में व्यक्ति आधारित मांग नहीं चलती, बल्कि सब कुछ पार्टी तय करती है। महाराज के लिए मांग करने वाला युवा नेता पार्टी में प्रदेश पदाधिकारी हैं। भारी भरकम विभाग को नए एसीएस का इंतजार
प्रदेश का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पावरफुल विभागों में माना जाता है। इसकी वजह विभाग के पास भारी भरकम बजट और डेवलपमेंट के लिए प्रदेश का बहुत बड़ा एरिया होना है जिसके माध्यम से ग्रामीण विकास के कार्य किए जाते हैं। इस विभाग के एसीएस की आधिकारिक तौर पर विदाई होने वाली है। इसके बाद अब इस महकमे के एसीएस पद के लिए सीनियर आईएएस अफसरों में जुगाड़ शुरू हो गई है। हालांकि सरकार ने इस विभाग में एक महिला प्रमुख सचिव की पद स्थापना कर रखी है, लेकिन पिछले 10 सालों में यह विभाग प्रमुख सचिव के बजाय अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी के हवाले रहा है। माना जा रहा है कि जल्दी ही किसी वरिष्ठ अपर मुख्य सचिव को इस विभाग का प्रशासनिक मुखिया बनाया जाएगा। और अंत में... अगले महीने रिटायर हो जाएंगे पापुलर आईएएस
प्रदेश के पापुलर आईएएस अफसरों में शुमार अपर मुख्य सचिव स्तर के एक अधिकारी अगले महीने रिटायर हो जाएंगे। इस अधिकारी की खूबी यह है कि जो भी एक बार मिलता है वह उनके स्वभाव के चलते बार-बार मिलना चाहता है। खास बात यह है कि कलेक्टर से लेकर अपर मुख्य सचिव तक की जिम्मेदारी निभा चुके इस अधिकारी के स्वभाव में आईएएस वाला रौब दिखाने का हुनर नहीं है। सहज स्वभाव वाले इन अफसर के चेंबर में उनके बैठने के दौरान मिलने जुलने वालों की भीड़ लगी रहती है। वे सबको अलग-अलग टाइम भी देते हैं। आपको बता दें कि ये अफसर एमपी की सीमा से सटे यूपी के एक छोटे से जिले के रहने वाले हैं। ये भी पढ़ें... मंत्री की हार पर नेता की देवी पूजा की चर्चा: नेताजी ने भरी मीटिंग में कहा- तेरा-मेरा नहीं चलेगा; सांसद ने पटवारियों को लताड़ा सूबे में हुए बाय इलेक्शन के बाद मंत्रियों से लेकर विधायक तक कैबिनेट में सिलेक्शन की आस लिए बैठे हैं। रिजल्ट के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्री ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे को मंजूर कर विभागों की जिम्मेदारी किसी मंत्री को दी जाएगी। चुनावी परिणामों के बीच एक नेता जी द्वारा कराई गई देवी की पूजा की चर्चा सियासी गलियारों में खूब हो रही है। खबर है कि करीब दो महीने पहले नेता जी ने पूजा कराई थी और अब चुनाव परिणामों के बाद लोग कह रहे हैं कि उनकी कराई गई पूजा असर कर गई है। पढ़ें पूरी खबर... फिफ्टी-फिफ्टी डील और अध्यक्ष का इस्तीफा: प्रशासनिक मुखिया की बैठकों से अफसर परेशान; फुस्सी ‘बम’ के सहारे विरोधी दल सत्ताधारी दल के एक विधायक इन दिनों सुर्खियों में हैं। वे एक स्थानीय मुद्दे को लेकर पुलिस और प्रशासन के सामने आ गए हैं। अपनी जिद पर इस कदर अड़े हैं कि कई घंटों तक उन्हें नजरबंद तक रखना पड़ा। अब इन सब के पीछे विधायक जी का असल एजेंडा क्या है?, उनकी मंशा क्या? विधायक के अपने दल के नेताओं के साथ ही विरोधी भी इसी खोज में जुटे हैं। विधायक विंध्य क्षेत्र के एक नवगठित जिले से आते हैं। यहां के कलेक्टर से लेकर एसपी तक इनसे परेशान हैं। सत्ताधारी दल के सीनियर नेता भी इनके काम के तौर-तरीके से खुश नहीं हैं। इसी के चलते पिछले महीने विधायक को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय तलब भी किया गया था। पढ़ें पूरी खबर...
