महाबोधि मंदिर की जिम्मेदारी सिर्फ बौद्ध भिक्षुओं को दी जाए:मायावती ने कहा–बाबा साहेब की विरासत पर राजनीतिक ड्रामा कर रहीं कुछ पार्टियां
महाबोधि मंदिर की जिम्मेदारी सिर्फ बौद्ध भिक्षुओं को दी जाए:मायावती ने कहा–बाबा साहेब की विरासत पर राजनीतिक ड्रामा कर रहीं कुछ पार्टियां
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बोधगया महाबोधि मंदिर प्रबंधन एक्ट 1949 को भेदभावपूर्ण और अनुचित बताते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि, गैर-बौद्ध लोगों को मंदिर कमेटी में शामिल करना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि यह बौद्धों की धार्मिक स्वतंत्रता में दखल है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर देश-विदेश के बौद्ध अनुयायी और भिक्षु लंबे समय से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी बात आज तक अनसुनी की गई। बीएसपी की यह मांग है कि, "महाबोधि मंदिर की देखरेख, पूजापाठ और प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों को दी जाए।" उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ में मीडिया को संबोधित करते हुए कई अहम मुद्दों पर केंद्र व राज्य सरकारों को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने बोधगया मंदिर का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमले किए। कहा-देश की आज़ादी के बाद कांग्रेस ने बिहार स्थित बोधगया मन्दिर प्रबंधन के सम्बन्ध में जो कानून बनाया था, वो पहली नज़र में ही अनुचित और भेदभावपूर्ण लगता है। कानून के तहत मंदिर के प्रबंधन के लिए गठित कमेटी में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार हिन्दू व चार बौध धर्म के मानने वाले लोगों को शामिल किया गया है। सरकार की दखलंदाजी की वजह से महाबोधि मंदिर में अव्यवस्था सरकार की इस अनावश्यक दखलंदाजी की वजह से ही महाबोधि मन्दिर में पूजापाठ, देख-रेख, संपत्तियों के संरक्षण, उसका रख-रखाव व साफ-सफाई आदि के साथ ही लाखों तीर्थ यात्रियों की सुख-सुविधा आदि को लेकर भी स्थिति लगातार असहज व तनावपूर्ण सी बनी हुई है। बौध धर्म के मानने वालों की यह मांग है कि महाबोधि मन्दिर की पवित्रता को पूरी तरह से बनाए रखने तथा इसकी सही से देखभाल के लिए जरूरी है कि मन्दिर में पूजापाठ, उसकी सुरक्षा व संरक्षण आदि की पूरी जिम्मेदारी बौध भिक्षुओं व बौध धर्म के अनुयायियों को ही सौंपी जाए। उन्होंने केन्द्र व बिहार की एनडीए सरकार को इसमें तत्काल आवश्यक सुधार करने की मांग की। अम्बेडकर जयंती पर श्रद्धांजलि, राजनीतिक दलों पर निशाना मायावती ने सबसे पहले 14 अप्रैल को आने वाली बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती को लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, "बाबा साहेब ने पूरी जिन्दगी समाज के दबे-कुचले वर्गों के आत्म-सम्मान और संवैधानिक अधिकारों के लिए समर्पित कर दी। बाबा साहेब ने अपने आखिरी समय में 14 अक्तूबर सन् 1956 को अपने अपार अनुयायियों के साथ धर्म परिवर्तन करके जो बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है, तो उसे भी अब जातिवादी मानसिकता के लोग सनातनी बनाने में लगे हैं, उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से बाबा साहेब ने संविधान बनाया, उसपर कांग्रेस, बीजेपी और अन्य जातिवादी पार्टियां केवल अम्बेडकर जयंती पर वोट बैंक के लिए नाटक कर रही हैं। उन्होंने बीएसपी को ही बाबा साहेब के मिशन की असली उत्तराधिकारी बताते हुए कहा, "हमारा प्रयास है कि देश भर में उनके अनुयायी अपने पैरों पर खड़े हों। नया वक्फ कानून भी सवालों के घेरे में मायावती ने हाल ही में पास हुए वक्फ कानून में नॉन-मुस्लिम को वक्फ बोर्ड में शामिल करने के प्रावधान को भी "अनुचित" बताते हुए कहा कि, "मुस्लिम समाज इस बदलाव से नाखुश है और इसे वापस लेने की मांग कर रहा है।" उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की कि इस कानून को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर फिर से पुनर्विचार किया जाए। देश की सुरक्षा पर सरकारों को दी नसीहत अंत में देश और नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए बीएसपी सुप्रीमो ने साफ शब्दों में कहा, "आतंकवाद के खिलाफ सभी सरकारों को अपनी राजनीतिक सुविधा छोड़कर निष्पक्ष, ईमानदार और कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। यही देश के हित में होगा। मायावती ने दोहराया –बाबा साहेब का कारवां आज भी अधूरा है। हमें उनके रास्ते पर चलकर इसे मुक़ाम तक पहुंचाना है। बीएसपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो इस मिशन को बिना समझौते के आगे बढ़ा रही है।
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बोधगया महाबोधि मंदिर प्रबंधन एक्ट 1949 को भेदभावपूर्ण और अनुचित बताते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि, गैर-बौद्ध लोगों को मंदिर कमेटी में शामिल करना न सिर्फ अनुचित है, बल्कि यह बौद्धों की धार्मिक स्वतंत्रता में दखल है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर देश-विदेश के बौद्ध अनुयायी और भिक्षु लंबे समय से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी बात आज तक अनसुनी की गई। बीएसपी की यह मांग है कि, "महाबोधि मंदिर की देखरेख, पूजापाठ और प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों को दी जाए।" उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने गुरुवार को राजधानी लखनऊ में मीडिया को संबोधित करते हुए कई अहम मुद्दों पर केंद्र व राज्य सरकारों को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने बोधगया मंदिर का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमले किए। कहा-देश की आज़ादी के बाद कांग्रेस ने बिहार स्थित बोधगया मन्दिर प्रबंधन के सम्बन्ध में जो कानून बनाया था, वो पहली नज़र में ही अनुचित और भेदभावपूर्ण लगता है। कानून के तहत मंदिर के प्रबंधन के लिए गठित कमेटी में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार हिन्दू व चार बौध धर्म के मानने वाले लोगों को शामिल किया गया है। सरकार की दखलंदाजी की वजह से महाबोधि मंदिर में अव्यवस्था सरकार की इस अनावश्यक दखलंदाजी की वजह से ही महाबोधि मन्दिर में पूजापाठ, देख-रेख, संपत्तियों के संरक्षण, उसका रख-रखाव व साफ-सफाई आदि के साथ ही लाखों तीर्थ यात्रियों की सुख-सुविधा आदि को लेकर भी स्थिति लगातार असहज व तनावपूर्ण सी बनी हुई है। बौध धर्म के मानने वालों की यह मांग है कि महाबोधि मन्दिर की पवित्रता को पूरी तरह से बनाए रखने तथा इसकी सही से देखभाल के लिए जरूरी है कि मन्दिर में पूजापाठ, उसकी सुरक्षा व संरक्षण आदि की पूरी जिम्मेदारी बौध भिक्षुओं व बौध धर्म के अनुयायियों को ही सौंपी जाए। उन्होंने केन्द्र व बिहार की एनडीए सरकार को इसमें तत्काल आवश्यक सुधार करने की मांग की। अम्बेडकर जयंती पर श्रद्धांजलि, राजनीतिक दलों पर निशाना मायावती ने सबसे पहले 14 अप्रैल को आने वाली बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती को लेकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, "बाबा साहेब ने पूरी जिन्दगी समाज के दबे-कुचले वर्गों के आत्म-सम्मान और संवैधानिक अधिकारों के लिए समर्पित कर दी। बाबा साहेब ने अपने आखिरी समय में 14 अक्तूबर सन् 1956 को अपने अपार अनुयायियों के साथ धर्म परिवर्तन करके जो बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है, तो उसे भी अब जातिवादी मानसिकता के लोग सनातनी बनाने में लगे हैं, उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से बाबा साहेब ने संविधान बनाया, उसपर कांग्रेस, बीजेपी और अन्य जातिवादी पार्टियां केवल अम्बेडकर जयंती पर वोट बैंक के लिए नाटक कर रही हैं। उन्होंने बीएसपी को ही बाबा साहेब के मिशन की असली उत्तराधिकारी बताते हुए कहा, "हमारा प्रयास है कि देश भर में उनके अनुयायी अपने पैरों पर खड़े हों। नया वक्फ कानून भी सवालों के घेरे में मायावती ने हाल ही में पास हुए वक्फ कानून में नॉन-मुस्लिम को वक्फ बोर्ड में शामिल करने के प्रावधान को भी "अनुचित" बताते हुए कहा कि, "मुस्लिम समाज इस बदलाव से नाखुश है और इसे वापस लेने की मांग कर रहा है।" उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की कि इस कानून को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर फिर से पुनर्विचार किया जाए। देश की सुरक्षा पर सरकारों को दी नसीहत अंत में देश और नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए बीएसपी सुप्रीमो ने साफ शब्दों में कहा, "आतंकवाद के खिलाफ सभी सरकारों को अपनी राजनीतिक सुविधा छोड़कर निष्पक्ष, ईमानदार और कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। यही देश के हित में होगा। मायावती ने दोहराया –बाबा साहेब का कारवां आज भी अधूरा है। हमें उनके रास्ते पर चलकर इसे मुक़ाम तक पहुंचाना है। बीएसपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो इस मिशन को बिना समझौते के आगे बढ़ा रही है।