मां के सामने बेटी को चिमटा मारा,सिर पर पटका पत्थर:7 किमी पैदल चलकर पहुंची थाने; तांत्रिक पिता बोला– झाड़फूंक नहीं करवा रही थी
मां के सामने बेटी को चिमटा मारा,सिर पर पटका पत्थर:7 किमी पैदल चलकर पहुंची थाने; तांत्रिक पिता बोला– झाड़फूंक नहीं करवा रही थी
सीधी में एक तांत्रिक ने अपनी ही 15 साल की बेटी की बेरहमी से हत्या कर दी। पहले उसे जूते- चप्पल और चिमटे से पीटा। इसके बाद सिर पर पत्थर पटक दिया। इस दौरान मां बचाने के लिए चीखती रही, लेकिन आरोपी ने एक नहीं सुनी। वारदात के बाद लड़की की मां करीब 7 किलोमीटर पैदल चलकर थाने पहुंची। यहां पूरा घटनाक्रम बताया। वारदात 7 दिसंबर को कोतवाली थाना क्षेत्र की है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर भाठा गांव पहुंची। यहां लड़की की मां और टीआई अभिषेक उपाध्याय से बात कर मामले को समझा। आरोपी का कबूलनामा- वह भागी, मैंने चिमटा मारा
आरोपी सुखपति सिंह गोड़ ने पुलिस को पूछताछ में बताया, ‘मैं गांव में झाड़फूंक करता हूं। साथ ही मजदूरी भी करता हूं। घर के बाहर चबूतरा भी बना हुआ है। यहां रोजाना करीब तीन से चार लोग झाड़फूंक करवाने आते हैं। सबसे छोटी बेटी गीता की पिछले 15 दिन से मानसिक हालत ठीक नहीं थी। वह बड़बड़ाती रहती थी। तंत्र क्रिया के जरिए उसे ठीक करना चाहता था। शनिवार सुबह 6 बजे घर के बाहर बैठा था। गीता बड़बड़ाते हुए बाहर निकली। मैंने गीता को पास बिठाया। चमड़े के जूते और संन्यासी बाबा के चिमटे से झाड़ने लगा। पूछा- तेरा गुरु कौन है? गीता कुछ नहीं बोली। इसके बाद उसके सिर और पीठ में जूते मारे। इससे वह भड़क गई। गाली–गलौज करने लगी। संन्यासी बाबा के चिमटे से उसके सिर पर मारा। उसे खून निकलने लगा। बेटी भागने लगी। मैं दौड़कर उसका पीछा कर रहा था। इस दौरान मैंने चिमटे को उसकी तरफ फेंका। चिमटा उसके सिर पर लगा। वह खेत में ही गिर गई। वह खून से लथपथ थी, लेकिन बड़बड़ाना खत्म नहीं हुआ। मैंने गुस्से में उसके सिर पर पत्थर दे मारा।’ मां बोली- मुझे भी मारकर निकाल दिया
गीता की मां कुसुम कली ने बताया, ‘मेरे पति सुखपति रात में शराब पीते हैं। कभी–कभार सुबह से ही नशा करने लगते हैं। उस रोज भी सुबह शराब पी रखी थी। हमारे तीन बेटे और दो बेटियां हैं। सबसे छोटी बेटी 15 साल की है। करीब 15 दिन पहले तक गीता ठीक थी, लेकिन अचानक उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगी। वह बड़बड़ाती रहती थी। इसे देखकर पति उसे समझाते और डांटते रहते थे। जब पति ने बेटी को पीटा, तो शोर सुनकर मैं भी घर से बाहर आई। मैं पति को रोकती रही, लेकिन मेरी एक भी नहीं सुनी। मेरे सामने बेटी को लगातार पीटते रहे। पति को रोका, तो मेरी भी पिटाई कर भगा दिया। कहा- तंत्र क्रिया में परेशान कर रही हो। मैं घर के अंदर चली गई। कुछ देर बाद आई, तो बेटी की लाश खेत पर खून से लथपथ पड़ी थी। पति के हाथ में बड़ा सा पत्थर था।’ 7 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंची थाने
कुसुम कली ने बताया कि बेटी 6वीं तक पढ़ी है। इसके बाद पढ़ाई छोड़ दी। गांव का रास्ता जंगल से होकर जाता है। यहां प्राइवेट वाहन से ही पहुंचा जा सकता है। मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं आता। इस कारण करीब 7 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंची। यहां से ऑटो की मदद से थाने पहुंचकर पुलिस को पूरी बात बताई। पुलिस शाम करीब 4 बजे गांव पहुंची। तब तक शव मौके पर ही पड़ा रहा। करीब 8 घंटे तक आरोपी वहीं आसपास ही घूमता रहा।
सीधी में एक तांत्रिक ने अपनी ही 15 साल की बेटी की बेरहमी से हत्या कर दी। पहले उसे जूते- चप्पल और चिमटे से पीटा। इसके बाद सिर पर पत्थर पटक दिया। इस दौरान मां बचाने के लिए चीखती रही, लेकिन आरोपी ने एक नहीं सुनी। वारदात के बाद लड़की की मां करीब 7 किलोमीटर पैदल चलकर थाने पहुंची। यहां पूरा घटनाक्रम बताया। वारदात 7 दिसंबर को कोतवाली थाना क्षेत्र की है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर भाठा गांव पहुंची। यहां लड़की की मां और टीआई अभिषेक उपाध्याय से बात कर मामले को समझा। आरोपी का कबूलनामा- वह भागी, मैंने चिमटा मारा
आरोपी सुखपति सिंह गोड़ ने पुलिस को पूछताछ में बताया, ‘मैं गांव में झाड़फूंक करता हूं। साथ ही मजदूरी भी करता हूं। घर के बाहर चबूतरा भी बना हुआ है। यहां रोजाना करीब तीन से चार लोग झाड़फूंक करवाने आते हैं। सबसे छोटी बेटी गीता की पिछले 15 दिन से मानसिक हालत ठीक नहीं थी। वह बड़बड़ाती रहती थी। तंत्र क्रिया के जरिए उसे ठीक करना चाहता था। शनिवार सुबह 6 बजे घर के बाहर बैठा था। गीता बड़बड़ाते हुए बाहर निकली। मैंने गीता को पास बिठाया। चमड़े के जूते और संन्यासी बाबा के चिमटे से झाड़ने लगा। पूछा- तेरा गुरु कौन है? गीता कुछ नहीं बोली। इसके बाद उसके सिर और पीठ में जूते मारे। इससे वह भड़क गई। गाली–गलौज करने लगी। संन्यासी बाबा के चिमटे से उसके सिर पर मारा। उसे खून निकलने लगा। बेटी भागने लगी। मैं दौड़कर उसका पीछा कर रहा था। इस दौरान मैंने चिमटे को उसकी तरफ फेंका। चिमटा उसके सिर पर लगा। वह खेत में ही गिर गई। वह खून से लथपथ थी, लेकिन बड़बड़ाना खत्म नहीं हुआ। मैंने गुस्से में उसके सिर पर पत्थर दे मारा।’ मां बोली- मुझे भी मारकर निकाल दिया
गीता की मां कुसुम कली ने बताया, ‘मेरे पति सुखपति रात में शराब पीते हैं। कभी–कभार सुबह से ही नशा करने लगते हैं। उस रोज भी सुबह शराब पी रखी थी। हमारे तीन बेटे और दो बेटियां हैं। सबसे छोटी बेटी 15 साल की है। करीब 15 दिन पहले तक गीता ठीक थी, लेकिन अचानक उसकी मानसिक हालत बिगड़ने लगी। वह बड़बड़ाती रहती थी। इसे देखकर पति उसे समझाते और डांटते रहते थे। जब पति ने बेटी को पीटा, तो शोर सुनकर मैं भी घर से बाहर आई। मैं पति को रोकती रही, लेकिन मेरी एक भी नहीं सुनी। मेरे सामने बेटी को लगातार पीटते रहे। पति को रोका, तो मेरी भी पिटाई कर भगा दिया। कहा- तंत्र क्रिया में परेशान कर रही हो। मैं घर के अंदर चली गई। कुछ देर बाद आई, तो बेटी की लाश खेत पर खून से लथपथ पड़ी थी। पति के हाथ में बड़ा सा पत्थर था।’ 7 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंची थाने
कुसुम कली ने बताया कि बेटी 6वीं तक पढ़ी है। इसके बाद पढ़ाई छोड़ दी। गांव का रास्ता जंगल से होकर जाता है। यहां प्राइवेट वाहन से ही पहुंचा जा सकता है। मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं आता। इस कारण करीब 7 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंची। यहां से ऑटो की मदद से थाने पहुंचकर पुलिस को पूरी बात बताई। पुलिस शाम करीब 4 बजे गांव पहुंची। तब तक शव मौके पर ही पड़ा रहा। करीब 8 घंटे तक आरोपी वहीं आसपास ही घूमता रहा।