मेडिकल रिपोर्ट में चोट के निशान तक नहीं मिले:जुआरियों ने आरक्षक पर लगाया था मारपीट का आरोप
मेडिकल रिपोर्ट में चोट के निशान तक नहीं मिले:जुआरियों ने आरक्षक पर लगाया था मारपीट का आरोप
बालाघाट पुलिस ने हट्टा थाना के आरक्षक भूपेन्द्र जाट पर लगे मारपीट के आरोपों को निराधार बताया है। सीएसपी वैशाली कराहलिया की जांच में यह खुलासा हुआ है। मामला 20 जनवरी का है, जब शिकायतकर्ता एपिन ठाकरे की सूचना पर हट्टा थाना प्रभारी भूपेन्द्र पंद्रो, आरक्षक भूपेन्द्र जाट और चालक आर. अभिषेक मालवीय तिलपेवाड़ा में जुआ-सट्टे की शिकायत की जांच के लिए पहुंचे थे। वहां एक किराना दुकान के बाहर कुछ लोग फोन पर संदिग्ध गतिविधियां कर रहे थे, जो पुलिस को देखकर भाग गए। पुलिस ने रमन दमाहे और दीपक चाकपाक को पकड़कर पूछताछ के लिए थाने लाया। दोनों आरोपियों के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। रमन दमाहे पर आबकारी एक्ट के दो मामले और दीपक चाकपाक पर जुआ और मारपीट के दो मामले दर्ज हैं। पूछताछ के बाद दोनों को गांव के राजेश मचाडे के साथ भेज दिया गया। बाद में दोनों आरोपियों ने जिला पंचायत सदस्य रुकमणि माहुले के प्रतिनिधि मुकेश माहुले के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर आरक्षक भूपेन्द्र जाट पर सिगरेट के पैसे मांगने और 5 हजार रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने तुरंत जांच के आदेश दिए। दोनों शिकायतकर्ताओं का मेडिकल परीक्षण कराया गया, जिसमें कोई चोट के निशान नहीं मिले। डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में 'नो एक्सटरनल इंजरी सीन' लिखा है, जिससे मारपीट के आरोप झूठे साबित हुए हैं। पुलिस की मानें तो शिकायकर्ताओं ने जिस जिला पंचायत प्रतिनिधि मिकेश माहुले के साथ पुलिस अधीक्षक को शिकायत की थी और मीडिया से उन्होंने मामले को लेकर चर्चा की थी। उसने ही शिकायकर्ता को पहचानने से इनकार कर दिया। जिस आधार पर पुलिस ने मीडिया को बताया कि आरक्षक भूपेन्द्र जाट और हट्टा पुलिस पर जो आरोप लगाए गए है, वह तथ्यहीन हैं, जो पुलिस की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।
बालाघाट पुलिस ने हट्टा थाना के आरक्षक भूपेन्द्र जाट पर लगे मारपीट के आरोपों को निराधार बताया है। सीएसपी वैशाली कराहलिया की जांच में यह खुलासा हुआ है। मामला 20 जनवरी का है, जब शिकायतकर्ता एपिन ठाकरे की सूचना पर हट्टा थाना प्रभारी भूपेन्द्र पंद्रो, आरक्षक भूपेन्द्र जाट और चालक आर. अभिषेक मालवीय तिलपेवाड़ा में जुआ-सट्टे की शिकायत की जांच के लिए पहुंचे थे। वहां एक किराना दुकान के बाहर कुछ लोग फोन पर संदिग्ध गतिविधियां कर रहे थे, जो पुलिस को देखकर भाग गए। पुलिस ने रमन दमाहे और दीपक चाकपाक को पकड़कर पूछताछ के लिए थाने लाया। दोनों आरोपियों के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। रमन दमाहे पर आबकारी एक्ट के दो मामले और दीपक चाकपाक पर जुआ और मारपीट के दो मामले दर्ज हैं। पूछताछ के बाद दोनों को गांव के राजेश मचाडे के साथ भेज दिया गया। बाद में दोनों आरोपियों ने जिला पंचायत सदस्य रुकमणि माहुले के प्रतिनिधि मुकेश माहुले के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर आरक्षक भूपेन्द्र जाट पर सिगरेट के पैसे मांगने और 5 हजार रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने तुरंत जांच के आदेश दिए। दोनों शिकायतकर्ताओं का मेडिकल परीक्षण कराया गया, जिसमें कोई चोट के निशान नहीं मिले। डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में 'नो एक्सटरनल इंजरी सीन' लिखा है, जिससे मारपीट के आरोप झूठे साबित हुए हैं। पुलिस की मानें तो शिकायकर्ताओं ने जिस जिला पंचायत प्रतिनिधि मिकेश माहुले के साथ पुलिस अधीक्षक को शिकायत की थी और मीडिया से उन्होंने मामले को लेकर चर्चा की थी। उसने ही शिकायकर्ता को पहचानने से इनकार कर दिया। जिस आधार पर पुलिस ने मीडिया को बताया कि आरक्षक भूपेन्द्र जाट और हट्टा पुलिस पर जो आरोप लगाए गए है, वह तथ्यहीन हैं, जो पुलिस की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।