पुस्तक मेले में किताबें नहीं मिलीं, दुकान से लेने कहा:खिलचीपुर में कई अभिभावक रहे परेशान; प्रशासन बोला- जल्द उपलब्ध कराएंगे

राजगढ़ जिले के खिलचीपुर की कृषि उपज मंडी में आयोजित तीन दिवसीय पुस्तक मेला शुक्रवार को समाप्त हो गया। मेले का उद्देश्य था कि छात्र व उनके अभिभावक एक ही स्थान पर उचित दामों पर किताबें, स्कूल बैग, यूनिफॉर्म सहित शैक्षणिक सामग्री खरीद सकें। हालांकि आयोजन के अंतिम दिन कई अभिभावकों को जरूरी किताबें नहीं मिलने से नाराजगी देखने को मिली। 11 जून से शुरू हुए इस मेले में शुरुआत में अच्छी भीड़ रही, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ते गए, व्यवस्थाएं कमजोर पड़ती नजर आईं। शुक्रवार को जब अभिभावक किताबें लेने पहुंचे तो कई स्टॉल पर किताबें मौजूद ही नहीं थीं। दुकानदारों ने कहा- “किताबें बाजार में हैं, वहाँ से ले लीजिए।” इससे मेले की उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए। अभिभावकों की शिकायतें सामने आईं जालमपुरा निवासी कमल सौंधिया अपने बेटे सुमित (कक्षा 2) और बेटी अनन्या (कक्षा 5) की किताबें लेने आए थे, लेकिन उन्हें किसी भी स्टॉल पर किताबें नहीं मिलीं। दुकानदारों ने बाजार की दुकान पर जाकर लेने को कहा। सोमवारिया वार्ड क्रमांक 1 निवासी अब्दुल मुसव्विर ने बताया कि वह अपने बेटे मुआज़ (कक्षा 1) की किताबें लेने आए थे, लेकिन उनकी कक्षा की किताबें भी किसी भी स्टॉल पर नहीं मिलीं। अभिभावकों का सवाल है कि यदि किताबें मंडी में उपलब्ध नहीं थीं तो दुकानें मेला स्थल पर क्यों लगाई गईं? उन्हें आशंका है कि अब बाजार में मनमानी कीमतों पर किताबें दी जाएंगी। दुकानदार बोला- तीन दिन में अच्छी खरीदारी हुई बीआरसीसी नोशाद खान ने कहा कि यह खिलचीपुर जैसे कस्बे में पहली बार पुस्तक मेला लगा है। तीन दिन में अच्छी खरीदारी हुई है। संभवतः कुछ किताबें खत्म हो गई होंगी, दुकानदार किताबें मंगवा रहे हैं और जल्द उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने बताया कि हर स्टॉल पर एक नोडल शिक्षक की ड्यूटी लगाई गई थी, जो पालकों को मार्गदर्शन दे रहा था और दुकानदारों से यह सुनिश्चित करवा रहा था कि सामग्री उचित दामों पर मिले। मेला लगाने का उद्देश्य यही था कि अभिभावक और छात्र स्वतंत्र रूप से अपनी जरूरत की सामग्री चुन सकें।

पुस्तक मेले में किताबें नहीं मिलीं, दुकान से लेने कहा:खिलचीपुर में कई अभिभावक रहे परेशान; प्रशासन बोला- जल्द उपलब्ध कराएंगे
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर की कृषि उपज मंडी में आयोजित तीन दिवसीय पुस्तक मेला शुक्रवार को समाप्त हो गया। मेले का उद्देश्य था कि छात्र व उनके अभिभावक एक ही स्थान पर उचित दामों पर किताबें, स्कूल बैग, यूनिफॉर्म सहित शैक्षणिक सामग्री खरीद सकें। हालांकि आयोजन के अंतिम दिन कई अभिभावकों को जरूरी किताबें नहीं मिलने से नाराजगी देखने को मिली। 11 जून से शुरू हुए इस मेले में शुरुआत में अच्छी भीड़ रही, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ते गए, व्यवस्थाएं कमजोर पड़ती नजर आईं। शुक्रवार को जब अभिभावक किताबें लेने पहुंचे तो कई स्टॉल पर किताबें मौजूद ही नहीं थीं। दुकानदारों ने कहा- “किताबें बाजार में हैं, वहाँ से ले लीजिए।” इससे मेले की उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए। अभिभावकों की शिकायतें सामने आईं जालमपुरा निवासी कमल सौंधिया अपने बेटे सुमित (कक्षा 2) और बेटी अनन्या (कक्षा 5) की किताबें लेने आए थे, लेकिन उन्हें किसी भी स्टॉल पर किताबें नहीं मिलीं। दुकानदारों ने बाजार की दुकान पर जाकर लेने को कहा। सोमवारिया वार्ड क्रमांक 1 निवासी अब्दुल मुसव्विर ने बताया कि वह अपने बेटे मुआज़ (कक्षा 1) की किताबें लेने आए थे, लेकिन उनकी कक्षा की किताबें भी किसी भी स्टॉल पर नहीं मिलीं। अभिभावकों का सवाल है कि यदि किताबें मंडी में उपलब्ध नहीं थीं तो दुकानें मेला स्थल पर क्यों लगाई गईं? उन्हें आशंका है कि अब बाजार में मनमानी कीमतों पर किताबें दी जाएंगी। दुकानदार बोला- तीन दिन में अच्छी खरीदारी हुई बीआरसीसी नोशाद खान ने कहा कि यह खिलचीपुर जैसे कस्बे में पहली बार पुस्तक मेला लगा है। तीन दिन में अच्छी खरीदारी हुई है। संभवतः कुछ किताबें खत्म हो गई होंगी, दुकानदार किताबें मंगवा रहे हैं और जल्द उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने बताया कि हर स्टॉल पर एक नोडल शिक्षक की ड्यूटी लगाई गई थी, जो पालकों को मार्गदर्शन दे रहा था और दुकानदारों से यह सुनिश्चित करवा रहा था कि सामग्री उचित दामों पर मिले। मेला लगाने का उद्देश्य यही था कि अभिभावक और छात्र स्वतंत्र रूप से अपनी जरूरत की सामग्री चुन सकें।