यूरिया के लिए रात से लाइन में लगे किसान:हरदा में बोले- एक महीने से नहीं मिल रही खाद; पीली पड़ने लगी फसल

हरदा में यूरिया की किल्लत से किसान परेशान हैं। इस साल किसानों ने सोयाबीन की जगह मक्का की खेती का रकबा तीन गुना बढ़ाया है, लेकिन समय पर यूरिया न मिलने से फसल को नुकसान का खतरा बढ़ रहा है। मंगलवार को प्रशासन ने एमपी एग्रो, डीएमओ गोदाम और सोसायटी के माध्यम से खाद वितरण की जानकारी दी, जिसके बाद सैकड़ों किसान देर शाम से ही गोदामों पर पहुंच गए। किसान बैरिकेड के बीच मच्छरों से जूझते हुए रात भर जागकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि अब उन्हें फसल बचाने के लिए यूरिया की तत्काल जरूरत है। इसलिए वे पूरी रात लाइन में रहकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि फसल बोने के एक महीने बाद भी एक बार यूरिया नहीं मिल पाया है, जिससे मक्का की फसल पीली पड़ने लगी है। किसानों का कहना है कि वे पहले भी कई बार लाइन में लगे, लेकिन बारी आने तक खाद खत्म हो जाती है और खाली हाथ लौटना पड़ता है। 'लगातार खाद की रैक लग रही है' कृषि उप संचालक जवाहरलाल कास्दे के मुताबिक खरीफ सीजन के लिए कुल 24 हजार 500 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है, जिसमें से 22 हजार मीट्रिक टन खाद पहले ही आ चुकी है। उन्होंने बताया कि जिले में लगातार खाद की रैक लग रही है और किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है। यहां मिलेगा यूरिया- जिला विपणन अधिकारी योगेश मालवीय ने बताया कि बुधवार सुबह 10 बजे से यूरिया का वितरण शुरू होगा। विपणन संघ गोदाम हरदा, टिमरनी और छीपाबड़ के अलावा रहटगांव, खिरकिया और एमपी एग्रो के माध्यम से भी यूरिया मिलेगा। 'जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है' साथ ही मोरगढी, पालसनेर, करताना, सोडलपुर, सिराली, खमलाय, पीपलघटा, मोहनपुर समेत बेडियाकला, अबगांवकला, टेमागांव, हंडिया, मसनगांव, गहाल, बालागांव, अबगांवखुर्द, रवांग और जूनापानी की सहकारी समितियों के जरिए भी किसानों को यूरिया उपलब्ध कराया जाएगा। निजी विक्रेताओं के माध्यम से भी यूरिया का वितरण किया जाएगा, जिससे किसानों को खरीफ सीजन के लिए जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है।

Aug 6, 2025 - 06:49
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यूरिया के लिए रात से लाइन में लगे किसान:हरदा में बोले- एक महीने से नहीं मिल रही खाद; पीली पड़ने लगी फसल
हरदा में यूरिया की किल्लत से किसान परेशान हैं। इस साल किसानों ने सोयाबीन की जगह मक्का की खेती का रकबा तीन गुना बढ़ाया है, लेकिन समय पर यूरिया न मिलने से फसल को नुकसान का खतरा बढ़ रहा है। मंगलवार को प्रशासन ने एमपी एग्रो, डीएमओ गोदाम और सोसायटी के माध्यम से खाद वितरण की जानकारी दी, जिसके बाद सैकड़ों किसान देर शाम से ही गोदामों पर पहुंच गए। किसान बैरिकेड के बीच मच्छरों से जूझते हुए रात भर जागकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि अब उन्हें फसल बचाने के लिए यूरिया की तत्काल जरूरत है। इसलिए वे पूरी रात लाइन में रहकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि फसल बोने के एक महीने बाद भी एक बार यूरिया नहीं मिल पाया है, जिससे मक्का की फसल पीली पड़ने लगी है। किसानों का कहना है कि वे पहले भी कई बार लाइन में लगे, लेकिन बारी आने तक खाद खत्म हो जाती है और खाली हाथ लौटना पड़ता है। 'लगातार खाद की रैक लग रही है' कृषि उप संचालक जवाहरलाल कास्दे के मुताबिक खरीफ सीजन के लिए कुल 24 हजार 500 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है, जिसमें से 22 हजार मीट्रिक टन खाद पहले ही आ चुकी है। उन्होंने बताया कि जिले में लगातार खाद की रैक लग रही है और किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है। यहां मिलेगा यूरिया- जिला विपणन अधिकारी योगेश मालवीय ने बताया कि बुधवार सुबह 10 बजे से यूरिया का वितरण शुरू होगा। विपणन संघ गोदाम हरदा, टिमरनी और छीपाबड़ के अलावा रहटगांव, खिरकिया और एमपी एग्रो के माध्यम से भी यूरिया मिलेगा। 'जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है' साथ ही मोरगढी, पालसनेर, करताना, सोडलपुर, सिराली, खमलाय, पीपलघटा, मोहनपुर समेत बेडियाकला, अबगांवकला, टेमागांव, हंडिया, मसनगांव, गहाल, बालागांव, अबगांवखुर्द, रवांग और जूनापानी की सहकारी समितियों के जरिए भी किसानों को यूरिया उपलब्ध कराया जाएगा। निजी विक्रेताओं के माध्यम से भी यूरिया का वितरण किया जाएगा, जिससे किसानों को खरीफ सीजन के लिए जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है।