बनारस की तर्ज पर सागर में मनाई जाएगी देव दीपावली:लाखा बंजारा झील के घाटों पर जलेंगे 1.11 लाख दीये, गंगा आरती भी होगी

सागर में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बुधवार को देव दीपावली का उत्सव बनारस की तर्ज पर मनाया जाएगा। आज शाम तीन मढ़िया पर बने स्वच्छता नायक चौक पर दीपक जलाकर देव दिवाली उत्सव का शुभारंभ होगा। इसके बाद लाखा बंजारा झील के चकराघाट से लेकर गणेशघाट तक बने करीब 500 मीटर के घाट पर 1 लाख 11 हजार 111 दीप जलाए जाएंगे। कार्यक्रम को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने बताया कि निगम द्वारा दीपक उपलब्ध कराने सहित आयोजन की पूरी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने सभी शहरवासियों से अपने घरों से मिट्टी या आटे के दीपक लाकर इस उत्सव में सहभागी बनने की अपील की है। आयुक्त ने कहा कि गंगा आरती के साथ देव दीपावली का यह आयोजन सागर शहर की नई सांस्कृतिक पहचान बनेगा। आयुक्त ने तैयारियों का लिया जायजा निगम आयुक्त ने चकराघाट पहुंच कर सफाई व्यवस्था, दीपश्रृंखला निर्माण, विद्युत सज्जा, सुरक्षा व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि झील का यह किनारा वर्षों से धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। बुधवार को झील का यह किनारा हजारों श्रद्धालुओं की भक्ति और लाखों दीपों के प्रकाश से जगमगाएगा। क्यों मनाई जाती है देव दीपावली हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इस विजय से देवताओं ने प्रसन्न होकर दीप जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से यह पर्व देव दीपावली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं। इसलिए इस दिन दीपदान, गंगा स्नान आदि का विशेष महत्व होता है।

बनारस की तर्ज पर सागर में मनाई जाएगी देव दीपावली:लाखा बंजारा झील के घाटों पर जलेंगे 1.11 लाख दीये, गंगा आरती भी होगी
सागर में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बुधवार को देव दीपावली का उत्सव बनारस की तर्ज पर मनाया जाएगा। आज शाम तीन मढ़िया पर बने स्वच्छता नायक चौक पर दीपक जलाकर देव दिवाली उत्सव का शुभारंभ होगा। इसके बाद लाखा बंजारा झील के चकराघाट से लेकर गणेशघाट तक बने करीब 500 मीटर के घाट पर 1 लाख 11 हजार 111 दीप जलाए जाएंगे। कार्यक्रम को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने बताया कि निगम द्वारा दीपक उपलब्ध कराने सहित आयोजन की पूरी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने सभी शहरवासियों से अपने घरों से मिट्टी या आटे के दीपक लाकर इस उत्सव में सहभागी बनने की अपील की है। आयुक्त ने कहा कि गंगा आरती के साथ देव दीपावली का यह आयोजन सागर शहर की नई सांस्कृतिक पहचान बनेगा। आयुक्त ने तैयारियों का लिया जायजा निगम आयुक्त ने चकराघाट पहुंच कर सफाई व्यवस्था, दीपश्रृंखला निर्माण, विद्युत सज्जा, सुरक्षा व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि झील का यह किनारा वर्षों से धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। बुधवार को झील का यह किनारा हजारों श्रद्धालुओं की भक्ति और लाखों दीपों के प्रकाश से जगमगाएगा। क्यों मनाई जाती है देव दीपावली हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इस विजय से देवताओं ने प्रसन्न होकर दीप जलाकर उत्सव मनाया था। तभी से यह पर्व देव दीपावली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं। इसलिए इस दिन दीपदान, गंगा स्नान आदि का विशेष महत्व होता है।