नीम-जाम, आम-फुलहर के पत्तों से तैयार करते हैं खाद:किसान बिरेंद्र 18 एकड़ में गेहूं, सूर्यमुखी, चना, अलसी उगा रहे, नवाचार से 90,000 की बचत
नीम-जाम, आम-फुलहर के पत्तों से तैयार करते हैं खाद:किसान बिरेंद्र 18 एकड़ में गेहूं, सूर्यमुखी, चना, अलसी उगा रहे, नवाचार से 90,000 की बचत
बालोद जिले के ग्राम अचौद निवासी किसान बिरेंद्र साहू जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। घर में ही गोबर, पेड़-पौधों के पत्तों व वेस्टेज चीजों से खाद तैयार कर जैविक खेती कर रहे हैं। इस नवाचार से वे हर साल रबी सीजन में ही लगभग 90 हजार रुपए की बचत कर लेते हैंं। इसके अलावा प्रति एकड़ लगभग 35 हजार रुपए मुनाफा भी कमा रहे हैं। वे धान के बजाय अन्य फसल की खेती कर पानी भी बचा रहे हैं। पिछले 6 साल से 18 एकड़ खेत में गेहूं, सूर्यमुखी, चना, अलसी, सरसो, उड़द, मूंग, मक्का सहित अन्य दलहन तिलहन फसल लगा रहे हैं। बिरेंद्र से प्रेरित होकर क्षेत्र के लगभग 25 किसान भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। किसान बिरेंद्र का कहना है कि जैविक खाद जब से घर में बना रहा हूं, तब से खेती की लागत में कमी आई है। पहले प्रति एकड़ रासायनिक खाद के छिड़काव में ही 5 से 6 हजार रुपए खर्च हो रहा था, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ रही है, तो पैसे की बचत हो रही है। मैं खुद व परिवार के सदस्य पिछले 6 साल से घर में ही जैविक खाद तैयार कर फसलों में छिड़काव करते आ रहे हैं। किसान बिरेंद्र बताते हैं कि घर में वर्मी कंपोस्ट टांका है, जिसमें गोबर, नीम, जाम, आम, फुलहर सहित अन्य पेड़-पौधों के पत्ते, धान पैरा की कुट्टी, वेस्टेज चीजों को डालकर यानी मिक्स कर जैविक खाद तैयार करते हैं, जिसके बाद फसलों में छिड़काव करते हैं। फसल अनुसार जैविक खाद का छिड़काव करते हैं। रासायनिक के बजाय जैविक खाद का उपयोग होने से उत्पादन भी ज्यादा होता है। प्रति एकड़ न्यूनतम 35 हजार रुपए शुद्ध मुनाफा होने से आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। इसके अलावा फसल चक्र अपनाकर मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ा रहे हैं। बिरेंद्र ने बताया कि कि वे पिछले 6 साल से रबी सीजन में धान के बजाय दलहन-तिलहन की खेती कर रहे हैं। धान में पानी की खपत ज्यादा होती है और मुनाफा भी कम मिलता है। इस वजह से गेहूं, अलसी सहित अन्य फसल की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं कि बिना रासायनिक खाद के उपयोग से भी किसान जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा फसल चक्र की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बनी रहेगी। जिससे भविष्य में बेहतर उत्पादन होगा। ---------------------- (इन प्रगतिशील किसान से और जानें- 9575977500) (किसान बिरेंद्र साहू सूर्यमुखी सहित अन्य दलहन-तिलहन की खेती करने जैविक खाद का उपयोग करते हैं। )
बालोद जिले के ग्राम अचौद निवासी किसान बिरेंद्र साहू जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। घर में ही गोबर, पेड़-पौधों के पत्तों व वेस्टेज चीजों से खाद तैयार कर जैविक खेती कर रहे हैं। इस नवाचार से वे हर साल रबी सीजन में ही लगभग 90 हजार रुपए की बचत कर लेते हैंं। इसके अलावा प्रति एकड़ लगभग 35 हजार रुपए मुनाफा भी कमा रहे हैं। वे धान के बजाय अन्य फसल की खेती कर पानी भी बचा रहे हैं। पिछले 6 साल से 18 एकड़ खेत में गेहूं, सूर्यमुखी, चना, अलसी, सरसो, उड़द, मूंग, मक्का सहित अन्य दलहन तिलहन फसल लगा रहे हैं। बिरेंद्र से प्रेरित होकर क्षेत्र के लगभग 25 किसान भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। किसान बिरेंद्र का कहना है कि जैविक खाद जब से घर में बना रहा हूं, तब से खेती की लागत में कमी आई है। पहले प्रति एकड़ रासायनिक खाद के छिड़काव में ही 5 से 6 हजार रुपए खर्च हो रहा था, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ रही है, तो पैसे की बचत हो रही है। मैं खुद व परिवार के सदस्य पिछले 6 साल से घर में ही जैविक खाद तैयार कर फसलों में छिड़काव करते आ रहे हैं। किसान बिरेंद्र बताते हैं कि घर में वर्मी कंपोस्ट टांका है, जिसमें गोबर, नीम, जाम, आम, फुलहर सहित अन्य पेड़-पौधों के पत्ते, धान पैरा की कुट्टी, वेस्टेज चीजों को डालकर यानी मिक्स कर जैविक खाद तैयार करते हैं, जिसके बाद फसलों में छिड़काव करते हैं। फसल अनुसार जैविक खाद का छिड़काव करते हैं। रासायनिक के बजाय जैविक खाद का उपयोग होने से उत्पादन भी ज्यादा होता है। प्रति एकड़ न्यूनतम 35 हजार रुपए शुद्ध मुनाफा होने से आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। इसके अलावा फसल चक्र अपनाकर मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ा रहे हैं। बिरेंद्र ने बताया कि कि वे पिछले 6 साल से रबी सीजन में धान के बजाय दलहन-तिलहन की खेती कर रहे हैं। धान में पानी की खपत ज्यादा होती है और मुनाफा भी कम मिलता है। इस वजह से गेहूं, अलसी सहित अन्य फसल की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं कि बिना रासायनिक खाद के उपयोग से भी किसान जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा फसल चक्र की वजह से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बनी रहेगी। जिससे भविष्य में बेहतर उत्पादन होगा। ---------------------- (इन प्रगतिशील किसान से और जानें- 9575977500) (किसान बिरेंद्र साहू सूर्यमुखी सहित अन्य दलहन-तिलहन की खेती करने जैविक खाद का उपयोग करते हैं। )