BJP नेता और WCL कर्मी के सुसाइड का कनेक्शन:दोनों जिगरी दोस्त, गहने-घर बेचकर ब्लैकमेलर्स को दिए 1 करोड़, फिर दे दी जान
BJP नेता और WCL कर्मी के सुसाइड का कनेक्शन:दोनों जिगरी दोस्त, गहने-घर बेचकर ब्लैकमेलर्स को दिए 1 करोड़, फिर दे दी जान
मौत से बड़ी सच्चाई इस जीवन में कुछ नहीं है। मैं सही हूं, ये साबित करने के लिए मुझे मरना पड़ रहा है। मैं मेरे परिवार का गुनहगार हूं। जिसका कारण ये सभी लोग हैं, इनकी वजह से मुझे मरने जैसा कदम उठाना पड़ रहा है। 7 अक्टूबर को 6 पेज का ये सुसाइड नोट लिखकर बैतूल के सारणी में भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष रविंद्र उर्फ रवि देशमुख ने सुसाइड कर लिया। उन्होंने खुद की कनपटी पर उस वक्त गोली मार ली, जब घर पर कोई नहीं था। खास बात ये है कि रवि के सुसाइड से 27 दिन पहले उनके जिगरी दोस्त एवं वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड (WCL) में काम करने वाले अनिल खवसे ने 10 सितंबर को अपने सरकारी क्वार्टर में फांसी लगा ली थी। अनिल और रवि दोनों के सुसाइड नोट में पांच आरोपियों के नाम समान है। सुसाइड नोट में आरोपियों को कुल 99 लाख रुपए देने का भी जिक्र है। ये भी लिखा है कि आरोपी और ज्यादा पैसों की डिमांड कर रहे थे। प्रारंभिक जांच में मामला बीसी के पैसों को क्रिकेट सट्टे में लगाने और रकम लौटाने को लेकर ब्लैकमेलिंग से जुड़ा दिख रहा है। रवि और अनिल ने आरोपियों से पैसों का लेन देन क्यों किया था? उन्हें किस तरह प्रताड़ित किया गया? इसका कारण जानने दैनिक भास्कर की टीम बैतूल पहुंची। दोनों के परिजन से बात की, पुलिस की जांच के एंगल को समझा...पढ़िए रिपोर्ट पहले जानिए, बीजेपी नेता रवि देशमुख के सुसाइड की कहानी
सारणी के बगडोना निवासी रविंद्र देशमुख भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष थे। इस बार वे मंडल अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे थे। बगडोना में ही उनकी कम्प्यूटर-लैपटॉप की दुकान है। तीन भाइयों में दूसरे नंबर के रविंद्र के पिता 80 वर्षीय माधवराव देशमुख WCL के रिटायर कर्मचारी हैं। रविंद्र के बड़े भाई देवेंद्र और उनका परिवार एक ही मकान में ऊपर-नीचे रहता है। छोटा भाई योगेश पत्नी संग इंदौर में रहता है। एमए पास रविंद्र की पत्नी किरन बताती हैं- 2009 में शादी हुई थी। 13 साल का इकलौता बेटा तन्मय 9वीं कक्षा में पढ़ रहा है। 7 अक्टूबर को मैं जेठानी के साथ मंदिर पूजा करने गई थी। घर पर बेटा तन्मय और पति रविंद्र थे। उन्होंने बेटे तन्मय को 7.50 पर ही स्कूल भेज दिया था जबकि वह 8 बजे निकलता था। जल्दबाजी में तन्मय टिफिन भूल गया। 5 मिनट बाद जब वह लौटा तो देखा कि रविंद्र कमरे में गिरे पड़े थे। कनपटी से खून का रिसाव हो रहा था। तन्मय की चीख सुनकर आस-पड़ोस के लोग भी पहुंच गए। 10 मिनट बाद मैं भी जेठानी के साथ मंदिर से लौटी तो मेरी दुनिया उजड़ चुकी थी। पुलिस को उनकी जेब 6 पेज का सुसाइड नोट मिला। रविंद्र के सुसाइड नोट में 10 आरोपियों के नाम
रविंद्र ने 6 पन्ने का सुसाइड नोट लिखा है, उसमें तीन बातें अहम है- पहली बार 15 लाख, दूसरी बार 40 लाख रुपए लिए
रविंद्र ने सुसाइड नोट में इस पूरी ब्लैकमेलिंग का जिक्र किया है। रविंद्र ने लिखा है- रंजीत सिंह, प्रकाश शिवहरे, दीपक शिवहरे और प्रमोद गुप्ता ने मिलकर सबसे पहले अभिषेक साहू को झूठा सुसाइड नोट लिखने के लिए कहा। सुसाइड नोट लिखकर वह गायब हो गया। उसके भाई ने पैसा न देने की झूठी शिकायत पुलिस को की। इस शिकायत को आधार बनाकर प्रमोद गुप्ता ने स्थानीय अखबार में खबर छाप दी। अभिषेक और उसके भाई ने रविंद्र पर 20 लाख रुपए देने का दबाव बनाया। न देने पर बदनाम करने की धमकी दी। रविंद्र ने अभिषेक और उसके भाई को 15 लाख रुपए दिए। तीन दिन बाद उसने थाने में जाकर अपने बयान दर्ज करवाए। रंजीत सिंह, प्रकाश शिवहरे, दीपक शिवहरे के बाद नसीम रजा, शंभू सिंह, शमीम रजा से पैसा न देने की शिकायत पुलिस को की। रविंद्र ने दबाव में आकर शंभू को 5 लाख, नसीम और उसके भाई को 10 लाख रुपए दिए। इसी तरह भोला सिंह को 6 लाख, करण सूर्यवंशी को 8 लाख रुपए दिए। आरोपियों ने इसके बाद 50 लाख रुपए की डिमांड की। जब पैसे देने से मना किया तो अभिषेक की तरह नसीम को घर से गायब करवा दिया, फिर पाथाखेड़ा चौकी और एसपी ऑफिस में शिकायत कराई। रविंद्र ने जब आरोपियों को 40 लाख रुपए दिए तब नसीम ने वापस आकर चौकी में अपने बयान दर्ज कराए। दोस्त की खुदकुशी के बाद उसकी पत्नी के साथ नाम जोड़ा
रविंद्र ने अपने सुसाइड नोट में ये भी लिखा है कि अनिल खवसे के खुदकुशी करने के बाद इन सभी लोगों ने मुझे शहर में बदनाम कर दिया। अनिल खवसे का भाई मनोज खवसे शुजालपुर में टीचर है। उसने मुझ पर झूठे आरोप लगाए हैं। अनिल की पत्नी के साथ गलत तरीके से मेरा नाम बदनाम करने की पूरी कोशिश की लेकिन अनिल खवसे से मेरे पारिवारिक संबंध हैं। आरोपी जमानत लेकर वापस आ जाएंगे, जैसे अनिल खवसे के केस में आए और फिर किसी और को ब्लैकमेल करेंगे। अभिषेक के गायब होने के बाद अनिल परेशान रहने लगा था
रवि से पहले 10 सितंबर को उसके दोस्त अनिल खवसे ने सुसाइड किया था। इस केस में पुलिस ने नसीम, भोला सिंह, अभिषेक साहू, शमीम अंसारी, नईम अंसारी, नाजिया और राकेश खपरिए को आरोपी बनाया है। राकेश और नईम को छोड़कर बाकी के पांच आरोपी रवि के केस में भी आरोपी हैं। अनिल की पत्नी सरला खवसे कहती हैं कि अभिषेक के सुसाइड नोट छोड़कर गायब होने के बाद से उनके पति तनाव में आए थे। नसीम, उसकी पत्नी नाजिया और बाकी लोग अक्सर घर पर आकर पैसों के लिए विवाद करते थे। आरोपियों को पैसे देने के लिए मेरे पति ने शुजालपुर में बनाया गया घर तक बेच दिया था। मेरे और मेरी सास के गहने बिक गए। यहां तक कि पिछले एक साल से वे अपना वेतन भी आरोपियों को दे रहे थे। सरला कहती है कि 10 सितंबर की सुबह 8 बजे अनिल सोकर उठे थे। इसके बाद ये कहते हुए फिर सोने चले गए कि दोपहर की शिफ्ट है। दोपहर 12 बजे किसी ने उनके बारे में पूछा। जब मैं उन्हें जगाने के लिए पहुंची तो कमरे का दरवाजा बंद था। दरवाजे को धक्का देकर खोला तो वे चादर का फंदा लगाकर पंखे से लटके मिले। उन्होंने 2 पेज का सुसाइड नोट लिखा था, जो पुलिस जब्त कर ले गई है। 2016 में अनिल को कैंसर हुआ था, इलाज में बड़ी रकम खर्च हुई
सरला बताती हैं कि उनके पति अनिल को 2016 में कैंसर हुआ था। तब इलाज में काफी खर्चा हुआ था।
मौत से बड़ी सच्चाई इस जीवन में कुछ नहीं है। मैं सही हूं, ये साबित करने के लिए मुझे मरना पड़ रहा है। मैं मेरे परिवार का गुनहगार हूं। जिसका कारण ये सभी लोग हैं, इनकी वजह से मुझे मरने जैसा कदम उठाना पड़ रहा है। 7 अक्टूबर को 6 पेज का ये सुसाइड नोट लिखकर बैतूल के सारणी में भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष रविंद्र उर्फ रवि देशमुख ने सुसाइड कर लिया। उन्होंने खुद की कनपटी पर उस वक्त गोली मार ली, जब घर पर कोई नहीं था। खास बात ये है कि रवि के सुसाइड से 27 दिन पहले उनके जिगरी दोस्त एवं वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड (WCL) में काम करने वाले अनिल खवसे ने 10 सितंबर को अपने सरकारी क्वार्टर में फांसी लगा ली थी। अनिल और रवि दोनों के सुसाइड नोट में पांच आरोपियों के नाम समान है। सुसाइड नोट में आरोपियों को कुल 99 लाख रुपए देने का भी जिक्र है। ये भी लिखा है कि आरोपी और ज्यादा पैसों की डिमांड कर रहे थे। प्रारंभिक जांच में मामला बीसी के पैसों को क्रिकेट सट्टे में लगाने और रकम लौटाने को लेकर ब्लैकमेलिंग से जुड़ा दिख रहा है। रवि और अनिल ने आरोपियों से पैसों का लेन देन क्यों किया था? उन्हें किस तरह प्रताड़ित किया गया? इसका कारण जानने दैनिक भास्कर की टीम बैतूल पहुंची। दोनों के परिजन से बात की, पुलिस की जांच के एंगल को समझा...पढ़िए रिपोर्ट पहले जानिए, बीजेपी नेता रवि देशमुख के सुसाइड की कहानी
सारणी के बगडोना निवासी रविंद्र देशमुख भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष थे। इस बार वे मंडल अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे थे। बगडोना में ही उनकी कम्प्यूटर-लैपटॉप की दुकान है। तीन भाइयों में दूसरे नंबर के रविंद्र के पिता 80 वर्षीय माधवराव देशमुख WCL के रिटायर कर्मचारी हैं। रविंद्र के बड़े भाई देवेंद्र और उनका परिवार एक ही मकान में ऊपर-नीचे रहता है। छोटा भाई योगेश पत्नी संग इंदौर में रहता है। एमए पास रविंद्र की पत्नी किरन बताती हैं- 2009 में शादी हुई थी। 13 साल का इकलौता बेटा तन्मय 9वीं कक्षा में पढ़ रहा है। 7 अक्टूबर को मैं जेठानी के साथ मंदिर पूजा करने गई थी। घर पर बेटा तन्मय और पति रविंद्र थे। उन्होंने बेटे तन्मय को 7.50 पर ही स्कूल भेज दिया था जबकि वह 8 बजे निकलता था। जल्दबाजी में तन्मय टिफिन भूल गया। 5 मिनट बाद जब वह लौटा तो देखा कि रविंद्र कमरे में गिरे पड़े थे। कनपटी से खून का रिसाव हो रहा था। तन्मय की चीख सुनकर आस-पड़ोस के लोग भी पहुंच गए। 10 मिनट बाद मैं भी जेठानी के साथ मंदिर से लौटी तो मेरी दुनिया उजड़ चुकी थी। पुलिस को उनकी जेब 6 पेज का सुसाइड नोट मिला। रविंद्र के सुसाइड नोट में 10 आरोपियों के नाम
रविंद्र ने 6 पन्ने का सुसाइड नोट लिखा है, उसमें तीन बातें अहम है- पहली बार 15 लाख, दूसरी बार 40 लाख रुपए लिए
रविंद्र ने सुसाइड नोट में इस पूरी ब्लैकमेलिंग का जिक्र किया है। रविंद्र ने लिखा है- रंजीत सिंह, प्रकाश शिवहरे, दीपक शिवहरे और प्रमोद गुप्ता ने मिलकर सबसे पहले अभिषेक साहू को झूठा सुसाइड नोट लिखने के लिए कहा। सुसाइड नोट लिखकर वह गायब हो गया। उसके भाई ने पैसा न देने की झूठी शिकायत पुलिस को की। इस शिकायत को आधार बनाकर प्रमोद गुप्ता ने स्थानीय अखबार में खबर छाप दी। अभिषेक और उसके भाई ने रविंद्र पर 20 लाख रुपए देने का दबाव बनाया। न देने पर बदनाम करने की धमकी दी। रविंद्र ने अभिषेक और उसके भाई को 15 लाख रुपए दिए। तीन दिन बाद उसने थाने में जाकर अपने बयान दर्ज करवाए। रंजीत सिंह, प्रकाश शिवहरे, दीपक शिवहरे के बाद नसीम रजा, शंभू सिंह, शमीम रजा से पैसा न देने की शिकायत पुलिस को की। रविंद्र ने दबाव में आकर शंभू को 5 लाख, नसीम और उसके भाई को 10 लाख रुपए दिए। इसी तरह भोला सिंह को 6 लाख, करण सूर्यवंशी को 8 लाख रुपए दिए। आरोपियों ने इसके बाद 50 लाख रुपए की डिमांड की। जब पैसे देने से मना किया तो अभिषेक की तरह नसीम को घर से गायब करवा दिया, फिर पाथाखेड़ा चौकी और एसपी ऑफिस में शिकायत कराई। रविंद्र ने जब आरोपियों को 40 लाख रुपए दिए तब नसीम ने वापस आकर चौकी में अपने बयान दर्ज कराए। दोस्त की खुदकुशी के बाद उसकी पत्नी के साथ नाम जोड़ा
रविंद्र ने अपने सुसाइड नोट में ये भी लिखा है कि अनिल खवसे के खुदकुशी करने के बाद इन सभी लोगों ने मुझे शहर में बदनाम कर दिया। अनिल खवसे का भाई मनोज खवसे शुजालपुर में टीचर है। उसने मुझ पर झूठे आरोप लगाए हैं। अनिल की पत्नी के साथ गलत तरीके से मेरा नाम बदनाम करने की पूरी कोशिश की लेकिन अनिल खवसे से मेरे पारिवारिक संबंध हैं। आरोपी जमानत लेकर वापस आ जाएंगे, जैसे अनिल खवसे के केस में आए और फिर किसी और को ब्लैकमेल करेंगे। अभिषेक के गायब होने के बाद अनिल परेशान रहने लगा था
रवि से पहले 10 सितंबर को उसके दोस्त अनिल खवसे ने सुसाइड किया था। इस केस में पुलिस ने नसीम, भोला सिंह, अभिषेक साहू, शमीम अंसारी, नईम अंसारी, नाजिया और राकेश खपरिए को आरोपी बनाया है। राकेश और नईम को छोड़कर बाकी के पांच आरोपी रवि के केस में भी आरोपी हैं। अनिल की पत्नी सरला खवसे कहती हैं कि अभिषेक के सुसाइड नोट छोड़कर गायब होने के बाद से उनके पति तनाव में आए थे। नसीम, उसकी पत्नी नाजिया और बाकी लोग अक्सर घर पर आकर पैसों के लिए विवाद करते थे। आरोपियों को पैसे देने के लिए मेरे पति ने शुजालपुर में बनाया गया घर तक बेच दिया था। मेरे और मेरी सास के गहने बिक गए। यहां तक कि पिछले एक साल से वे अपना वेतन भी आरोपियों को दे रहे थे। सरला कहती है कि 10 सितंबर की सुबह 8 बजे अनिल सोकर उठे थे। इसके बाद ये कहते हुए फिर सोने चले गए कि दोपहर की शिफ्ट है। दोपहर 12 बजे किसी ने उनके बारे में पूछा। जब मैं उन्हें जगाने के लिए पहुंची तो कमरे का दरवाजा बंद था। दरवाजे को धक्का देकर खोला तो वे चादर का फंदा लगाकर पंखे से लटके मिले। उन्होंने 2 पेज का सुसाइड नोट लिखा था, जो पुलिस जब्त कर ले गई है। 2016 में अनिल को कैंसर हुआ था, इलाज में बड़ी रकम खर्च हुई
सरला बताती हैं कि उनके पति अनिल को 2016 में कैंसर हुआ था। तब इलाज में काफी खर्चा हुआ था। दो बच्चों में बड़ी बेटी सृष्टि इंदौर में नीट की तैयारी कर रही है। वहीं, बेटा श्रेयांस अभी सेंट्रल स्कूल में छठवीं क्लास में पढ़ रहा है। आरोपियों से परेशान होकर कई बार मैं बच्चों को लेकर मायके में रही हूं। अब जानिए, क्या है अनिल और रविंद्र के सुसाइड का कनेक्शन
रविंद्र देशमुख और अनिल खवसे के सुसाइड केस की जांच एसआईटी इन तीन बिंदुओं पर कर रही है- 1. आरोपी रंजीत सिंह से रविंद्र का पॉलिटिकल कम्पटीशन
भाजपा पदाधिकारी और रविंद्र के परिवार के करीबी गोविंद साहू बताते हैं कि रंजीत सिंह का सारणी क्षेत्र में राजनीतिक रसूख है। वह भाजपा झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ का प्रदेश सह संयोजक एवं विधायक प्रतिनिधि था जबकि रविंद्र देशमुख मंडल उपाध्यक्ष थे। रविंद्र पार्टी में तेजी से आगे बढ़ रहे थे। युवाओं में उनकी तगड़ी पकड़ थी। सदस्यता अभियान के लिए उन्हें जिलास्तर पर सम्मानित किया गया था। इस बार वे मंडल अध्यक्ष की दावेदारी कर रहे थे। रंजीत खेमे से प्रकाश शिवहरे भी इस दौड़ में शामिल था। इसे लेकर उनके बीच राजनीतिक स्पर्धा थी। 2. अनिल खवसे की पत्नी से संबंधों की अफवाह
अनिल खवसे के पिता वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड के कर्मचारी थे। उनके आकस्मिक निधन पर अनिल को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। रवि के पिता भी डब्ल्यूसीएल में थे। दोनों परिवारों में तभी से घनिष्ठता थी। अनिल उम्र में रवि से दो साल बड़े थे। वे बचपन से गहरे दोस्त थे। आरोपियों ने रवि और अनिल की पत्नी के संबंधों को लेकर अफवाह फैलाना शुरू कर दी थी। यहां तक कि अनिल के सुसाइड के बाद उसके छोटे भाई ने भी रवि के बारे में इस तरह की बातें की। वहीं, रवि ने सुसाइड नोट में स्पष्ट कर दिया है कि उनका भाभी-देवर से अधिक कोई रिश्ता नहीं था। 3. ब्लैकमेल कर 84 लाख रुपए वसूलना और 50 लाख की मांग
रवि ने सुसाइड में जिक्र किया है कि सारा लेन-देन अनिल का आरोपियों से था। रंजीत के कहने पर उसे जबरन फंसाया गया। रवि ने ब्लैकमेलिंग की शिकायत क्यों नहीं की, इसके जवाब में पत्नी किरण बताती हैं कि 15 अगस्त को नसीम के लौटने के अगले दिन मेरे पति रवि ने पाथाखेड़ा चौकी में नसीम, उसकी पत्नी रजिया बानो, भाई नईम रजा पर सामाजिक प्रतिष्ठा खराब करने और ब्लैकमेल करके पैसे मांगने का जिक्र करते हुए शिकायत की थी। पुलिस की जांच का एंगल- रुपयों का लेन-देन क्यों हुआ था
रवि और अनिल के सुसाइड नोट और अब तक की पूछताछ में ये तो पता चल रहा है कि आरोपी पैसों के लिए दोनों को ब्लैकमेल कर रहे थे। इसके पीछे की वजह बताते हुए एसआईटी से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं कि प्रारंभिक जांच में ये सामने आया है कि आरोपी और सुसाइड करने वाले रवि और अनिल बीसी खेलते थे। ये भी पता चला है कि दोनों बीसी की रकम क्रिकेट के सट्टे में हार गए थे। क्या यही ब्लैकमेल की वजह है, इसकी तस्दीक की जा रही है। पुलिस ने दस में से दो आरोपी दीपक और प्रमोद गुप्ता को गिरफ्तार किया है। बाकी के आठ आरोपी फरार हैं। पुलिस ने उन पर तीन-तीन हजार रुपए का इनाम घोषित किया है। पुलिस ने इनकी संपत्ति की डिटेल भी जुटाना शुरू की है। इस मामले के बाद बीजेपी रंजीत और प्रकाश शिवहरे को पार्टी से बर्खास्त कर चुकी है।