खुद को बागी घोषित करने वाला आरक्षक बरी:सरकारी राइफल से फायर करते हुए वीडियो हुआ था वायरल; कोर्ट में वीडियो ही पेश नहीं हुआ
खुद को बागी घोषित करने वाला आरक्षक बरी:सरकारी राइफल से फायर करते हुए वीडियो हुआ था वायरल; कोर्ट में वीडियो ही पेश नहीं हुआ
सरकारी राइफल लेकर भागने और खुद को बागी घोषित करने वाले आरक्षक को कोर्ट ने बरी कर दिया है। आरक्षक की EVM वेयरहाउस पर ड्यूटी लगी थी। यहां से वह राइफल लेकर गायब हो गया था। इसके बाद एक वीडियो जारी कर उसने खुद को बागी घोषित कर दिया था। साथ ही एक वीडियो में वह राइफल से हवाई फायरिंग करते भी दिखा था। हालांकि, कोर्ट में सभी गवाह अपने बयानों से पलट गए। साथ ही वह वीडियो भी कोर्ट के सामने नहीं आया, जिसमें आरक्षक फायरिंग करते हुए दिख रहा था। उसके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण कोर्ट ने उसे आरोपों से मुक्त कर दिया। मामला वर्ष 2021 का है। 6 फरवरी को प्रधान आरक्षक सीताराम वर्मा ने कैंट थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि ईवीएम सुरक्षा न्यू कलेक्ट्रेट में उसकी ड्यूटी लगी थी। उसके साथ डयूटी पर प्रधान आरक्षक भगवानसिंह, आरक्षक कैलाश मोंगिया, आरक्षक नीरज जोशी भी डयूटी पर थे। तीन-तीन घंटे के रोटेशन से अपनी डयूटी करते थे। उसे पुलिस लाइन गुना से एक इंसास राइफल वट नंबर 151 बॉडी नंबर 18370846 मय 15 राउंड के साथ में आर्मोरर शाखा से ईवीएम सुरक्षा के लिए 7 जनवरी को दी गई थी। राइफल को तैनात कर्मचारी डयूटी के दौरान धारण करते थे। 5 फरवरी को आरक्षक नीरज जोशी की डयूटी रात 9 से 12 बजे तक थी, जिसे डयूटी के लिए राइफल प्रधान आरक्षक भगवानसिंह ने दी थी। इसी बीच में नीरज जोशी शासकीय राइफल को मय राउंड के लेकर चला गया। तीनों लोग सुबह तक उसको तलाश करते रहे। जब वह नहीं मिला, तो रक्षित निरीक्षक को संपूर्ण जानकारी दी। साथ ही रोजनामचे में रिपोर्ट दर्ज कराई। आरक्षक नीरज जोशी ने शासकीय संपत्ति को ले जाकर अमानत में ख़यानत किया है। प्रधान आरक्षक की शिकायत पर कैंट थाने में मामला दर्ज किया गया। राइफल से फायर करते हुए वीडियो वायरल किया 6 फरवरी को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुए, जिसने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया। यह वीडियो आरक्षक नीरज जोशी का था। उसने खुद को बागी घोषित कर दिया था। दूसरे वीडियो में वह राइफल से फायर करते हुए दिखाई दे रहा था। पुलिस लाइन में पदस्थ आरक्षक नीरज जोशी उर्फ टोनी ने बंदूक उठा ली था। संभवतः यह पहला मामला था, जब किसी सिपाही ने खुद को बागी घोषित कर दिया और सरकारी राइफल से ही हवाई फायर भी किए। वायरल वीडियो में वह कह रहा था कि "मैं आज तक सिपाही था, लेकिन अब एक बागी हूं। मुझे बागी बनाने में पुलिस की भूमिका रही, रामवीर (उस समय आगर मालवा में पदस्थ), तत्कालीन आईजी राजाबाबू सिंह है। मुझे पर 3-3 झूठे प्रकरण लादे गए, जिसमें मैं बरी हुआ हूं। 4-4 विभागीय जांच बिठाई, इंक्रीमेंट डाउन किए। राजाबाबू सिंह ने 2 लाख रुपए लिए, रामवीर कुशवाह ने आत्माराम पारदी, मोहब्बत सिंह को मारा। ऐसे कितने मारे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पैसे के जोर पर बचता रहा है।आईजी ने महिला की शिकायत पर झूठी जांच बिठाई।" 48 घंटे बाद किया सरेंडर वीडियो वायरल होने के 48 घंटे बाद नीरज जोशी ने बजरंगगढ़ थाने में खुद ही सरेंडर कर दिया था। उसने थाने जाकर कहा था कि वह परेशान हो गया था। इसलिए ऐसा किया। इसके बाद SP ने उसे घर भेज दिया था। पुलिस ने उसके पिता के पास से सरकारी राइफल बरामद की थी। साथ ही कारतूस के 11 खाली खोके भी बरामद किए गए थे। अगली सुबह पुलिस ने आरोपी आरक्षक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था। विवेचना के बाद 9 अगस्त 2021 को कैंट पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट में सभी गवाह पलटे 28 दिसंबर 2021 से मामले में ट्रायल शुरू हुआ। एक एक कर कई गवाहों के बयान हुए। हालांकि, कोर्ट में सभी गवाह बयानों से मुकर गए। सबसे पहले मामले में FIR कराने वाले प्रधान आरक्षक सीताराम वर्मा के बयान हुए। अपने बयानों में उसने बताया कि उसकी ड्यूटी EVM सुरक्षा में लगी थी। घटना वाले दिन उसके साथ कौन ड्यूटी कर रहा था, उसे जानकारी नहीं है। हालांकि, उसने कोर्ट में कहा कि जब राइफल नहीं मिली थी, तो उसने RI को सूचना दी थी। यहां तक कि, पहले तो उसने FIR कराने के लिए कैंट थाने में आवेदन आवेदन देने से ही इनकार कर दिया। हालांकि, जब उससे क्रॉस सवाल पूछे गए, तो उसने यह स्वीकार किया कि उसने ही थाने में आवेदन दिया था। जिसने राइफल घर दी, वह युवती भी मुकरी इस मामले में यह सामने आया था कि नीरज जोशी ने सरकारी राइफल एक युवती को दे दी थी और कहा था कि वह उसके घर पर राइफल पहुंचा दे। पुलिस ने भी आरक्षक के घर में उसके पिता के पास से राइफल बरामद की थी। हालांकि, कोर्ट में युवती भी अपने बयान से मुकर गई। उसने कोर्ट में कहा कि घटना के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। पिता से जब्त हुई राइफल कोर्ट में आरक्षक के पिता कुलदीप जोशी के भी बयान हुए। उन्होंने कोर्ट में बताया कि उस दिन कुछ पुलिसवाले घर आए थे और कहा था कि नीरज जोशी की तबियत खराब है, उसे इलाज के लिए ले जाना है। उन्होंने घटना के संबंध में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया था। उन्होंने कोर्ट में यह स्वीकार किया था कि पुलिस ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की। पुलिस ने तीन चार कोरे कागज पर उनके हस्ताक्षर कराए थे। नीरज को राइफल देने वाला आरक्षक भी मुकरा आरोपी के सहकर्मी भगवानसिंह मीना ने उसके मुख्य परीक्षण में कहा कि 5 फरवरी को शाम 6 से 9 बजे डयूटी के बाद डयूटी पर आरक्षक नीरज जोशी आ गया था। सभी गार्डों की 3-3 घंटे के अंतर से डयूटी लगाई जाती थी। वह अपनी डयूटी करने के बाद राइफल और 15 राउंड नीरज जोशी को देकर चला गया था। इसके बाद प्रधान आरक्षक सीताराम ने उसे बताया कि नीरज जोशी पहरे पर नहीं है और न ही कलेक्ट्रेट में है। तब वह, आरक्षक कैलाश मोंगिया, सीताराम तीनों ने उसकी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला था। तब रक्षित निरीक्षक को संपूर्ण जानकारी दी गई थी और थाना केंट में रिपोर्ट कराई गई थी। भगवान सिंह ने अपने क्रॉस में यह स्वीकार किया कि प्रधान आरक्षक सीताराम द्वारा सूचना करने पर वह कलेक्ट्रेट ऑफिस गया था। इस घटना के समय उसकी डयूटी ईवीएम सुरक्षा के लिए नही
सरकारी राइफल लेकर भागने और खुद को बागी घोषित करने वाले आरक्षक को कोर्ट ने बरी कर दिया है। आरक्षक की EVM वेयरहाउस पर ड्यूटी लगी थी। यहां से वह राइफल लेकर गायब हो गया था। इसके बाद एक वीडियो जारी कर उसने खुद को बागी घोषित कर दिया था। साथ ही एक वीडियो में वह राइफल से हवाई फायरिंग करते भी दिखा था। हालांकि, कोर्ट में सभी गवाह अपने बयानों से पलट गए। साथ ही वह वीडियो भी कोर्ट के सामने नहीं आया, जिसमें आरक्षक फायरिंग करते हुए दिख रहा था। उसके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण कोर्ट ने उसे आरोपों से मुक्त कर दिया। मामला वर्ष 2021 का है। 6 फरवरी को प्रधान आरक्षक सीताराम वर्मा ने कैंट थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि ईवीएम सुरक्षा न्यू कलेक्ट्रेट में उसकी ड्यूटी लगी थी। उसके साथ डयूटी पर प्रधान आरक्षक भगवानसिंह, आरक्षक कैलाश मोंगिया, आरक्षक नीरज जोशी भी डयूटी पर थे। तीन-तीन घंटे के रोटेशन से अपनी डयूटी करते थे। उसे पुलिस लाइन गुना से एक इंसास राइफल वट नंबर 151 बॉडी नंबर 18370846 मय 15 राउंड के साथ में आर्मोरर शाखा से ईवीएम सुरक्षा के लिए 7 जनवरी को दी गई थी। राइफल को तैनात कर्मचारी डयूटी के दौरान धारण करते थे। 5 फरवरी को आरक्षक नीरज जोशी की डयूटी रात 9 से 12 बजे तक थी, जिसे डयूटी के लिए राइफल प्रधान आरक्षक भगवानसिंह ने दी थी। इसी बीच में नीरज जोशी शासकीय राइफल को मय राउंड के लेकर चला गया। तीनों लोग सुबह तक उसको तलाश करते रहे। जब वह नहीं मिला, तो रक्षित निरीक्षक को संपूर्ण जानकारी दी। साथ ही रोजनामचे में रिपोर्ट दर्ज कराई। आरक्षक नीरज जोशी ने शासकीय संपत्ति को ले जाकर अमानत में ख़यानत किया है। प्रधान आरक्षक की शिकायत पर कैंट थाने में मामला दर्ज किया गया। राइफल से फायर करते हुए वीडियो वायरल किया 6 फरवरी को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुए, जिसने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया। यह वीडियो आरक्षक नीरज जोशी का था। उसने खुद को बागी घोषित कर दिया था। दूसरे वीडियो में वह राइफल से फायर करते हुए दिखाई दे रहा था। पुलिस लाइन में पदस्थ आरक्षक नीरज जोशी उर्फ टोनी ने बंदूक उठा ली था। संभवतः यह पहला मामला था, जब किसी सिपाही ने खुद को बागी घोषित कर दिया और सरकारी राइफल से ही हवाई फायर भी किए। वायरल वीडियो में वह कह रहा था कि "मैं आज तक सिपाही था, लेकिन अब एक बागी हूं। मुझे बागी बनाने में पुलिस की भूमिका रही, रामवीर (उस समय आगर मालवा में पदस्थ), तत्कालीन आईजी राजाबाबू सिंह है। मुझे पर 3-3 झूठे प्रकरण लादे गए, जिसमें मैं बरी हुआ हूं। 4-4 विभागीय जांच बिठाई, इंक्रीमेंट डाउन किए। राजाबाबू सिंह ने 2 लाख रुपए लिए, रामवीर कुशवाह ने आत्माराम पारदी, मोहब्बत सिंह को मारा। ऐसे कितने मारे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पैसे के जोर पर बचता रहा है।आईजी ने महिला की शिकायत पर झूठी जांच बिठाई।" 48 घंटे बाद किया सरेंडर वीडियो वायरल होने के 48 घंटे बाद नीरज जोशी ने बजरंगगढ़ थाने में खुद ही सरेंडर कर दिया था। उसने थाने जाकर कहा था कि वह परेशान हो गया था। इसलिए ऐसा किया। इसके बाद SP ने उसे घर भेज दिया था। पुलिस ने उसके पिता के पास से सरकारी राइफल बरामद की थी। साथ ही कारतूस के 11 खाली खोके भी बरामद किए गए थे। अगली सुबह पुलिस ने आरोपी आरक्षक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था। विवेचना के बाद 9 अगस्त 2021 को कैंट पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट में सभी गवाह पलटे 28 दिसंबर 2021 से मामले में ट्रायल शुरू हुआ। एक एक कर कई गवाहों के बयान हुए। हालांकि, कोर्ट में सभी गवाह बयानों से मुकर गए। सबसे पहले मामले में FIR कराने वाले प्रधान आरक्षक सीताराम वर्मा के बयान हुए। अपने बयानों में उसने बताया कि उसकी ड्यूटी EVM सुरक्षा में लगी थी। घटना वाले दिन उसके साथ कौन ड्यूटी कर रहा था, उसे जानकारी नहीं है। हालांकि, उसने कोर्ट में कहा कि जब राइफल नहीं मिली थी, तो उसने RI को सूचना दी थी। यहां तक कि, पहले तो उसने FIR कराने के लिए कैंट थाने में आवेदन आवेदन देने से ही इनकार कर दिया। हालांकि, जब उससे क्रॉस सवाल पूछे गए, तो उसने यह स्वीकार किया कि उसने ही थाने में आवेदन दिया था। जिसने राइफल घर दी, वह युवती भी मुकरी इस मामले में यह सामने आया था कि नीरज जोशी ने सरकारी राइफल एक युवती को दे दी थी और कहा था कि वह उसके घर पर राइफल पहुंचा दे। पुलिस ने भी आरक्षक के घर में उसके पिता के पास से राइफल बरामद की थी। हालांकि, कोर्ट में युवती भी अपने बयान से मुकर गई। उसने कोर्ट में कहा कि घटना के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। पिता से जब्त हुई राइफल कोर्ट में आरक्षक के पिता कुलदीप जोशी के भी बयान हुए। उन्होंने कोर्ट में बताया कि उस दिन कुछ पुलिसवाले घर आए थे और कहा था कि नीरज जोशी की तबियत खराब है, उसे इलाज के लिए ले जाना है। उन्होंने घटना के संबंध में कोई भी जानकारी होने से इनकार किया था। उन्होंने कोर्ट में यह स्वीकार किया था कि पुलिस ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की। पुलिस ने तीन चार कोरे कागज पर उनके हस्ताक्षर कराए थे। नीरज को राइफल देने वाला आरक्षक भी मुकरा आरोपी के सहकर्मी भगवानसिंह मीना ने उसके मुख्य परीक्षण में कहा कि 5 फरवरी को शाम 6 से 9 बजे डयूटी के बाद डयूटी पर आरक्षक नीरज जोशी आ गया था। सभी गार्डों की 3-3 घंटे के अंतर से डयूटी लगाई जाती थी। वह अपनी डयूटी करने के बाद राइफल और 15 राउंड नीरज जोशी को देकर चला गया था। इसके बाद प्रधान आरक्षक सीताराम ने उसे बताया कि नीरज जोशी पहरे पर नहीं है और न ही कलेक्ट्रेट में है। तब वह, आरक्षक कैलाश मोंगिया, सीताराम तीनों ने उसकी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिला था। तब रक्षित निरीक्षक को संपूर्ण जानकारी दी गई थी और थाना केंट में रिपोर्ट कराई गई थी। भगवान सिंह ने अपने क्रॉस में यह स्वीकार किया कि प्रधान आरक्षक सीताराम द्वारा सूचना करने पर वह कलेक्ट्रेट ऑफिस गया था। इस घटना के समय उसकी डयूटी ईवीएम सुरक्षा के लिए नहीं थी। उसने इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि वह आरोपी को पसंद नहीं करता था, क्योंकि वह नशा करता था और वरिष्ठ पुलिसजनों का सम्मान भी नहीं करता था। राइफल आरक्षक को दी, यही साबित नहीं हुआ कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह साबित ही नहीं हो पाया कि राइफल आरक्षक नीरज जोशी को दी गई हो। अभियोजन पक्ष ऐसा कोई दस्तावेज ही प्रस्तुत नहीं कर पाया, जिससे यह साबित हो कि राइफल आरक्षक को दी गई। आरोपी की कलेक्ट्रेट रवानगी का जिक्र जरूर रोजनामचे में दर्ज है। 6 फरवरी के रोजनामचे में यह जिक्र है कि आरोपी राइफल सहित अनुपस्थित है। तर्क के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से यह व्यक्त किया गया कि शासकीय इंसास राइफल आरोपी के पिता से जब्त की गई है। राइफल के 11 खोके आरोपी की निशानदेही से जप्त किए गए हैं। मामले में खाली कारतूस जब्त किया जाना प्रमाणित है, लेकिन उक्त इंसास राइफल के संबंध में जांच रिपोर्ट में यही अभिमत है कि जब्त हुई इंसास राइफल से पूर्व में फायर किए जाने के अवशेष उपलब्ध है, लेकिन अंतिम बार फायर किए जाने की अवधि बताया जाना संभव नहीं है। साथ ही 11 कारतूस के खोने जप्त हुई राइफल से ही चलाया जाना दर्शित होता है। जांच रिपोर्ट में भी यह तथ्य स्पष्ट नहीं हुआ कि वो फायर आरोपी ने ही किए हैं। जो वीडियो वायरल हुआ, उसका कोई जिक्र नहीं इस पूरे मामले में जिस वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा था, उस वीडियो का कोर्ट में कोई जिक्र ही नहीं हुआ। न ही उस वीडियो की सीडी पेश की गई। साथ ही सभी गवाह भी स्पष्ट कुछ नहीं बता पाए। इसी आधार पर कोर्ट में मामला साबित ही नहीं हो पाया। कोर्ट ने आरोपी नीरज जोशी उर्फ टोनी को बरी कर दिया।