मिशन अस्पताल में मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा:दमोह में सर्जरी के बाद 7 हार्ट पेशेंट की मौत का दावा; मानव अधिकार आयोग करेगा जांच

दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी के बाद जिन सात मरीजों की मौत का दावा किया जा रहा है, उनमें से पांच की पहचान हो गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) मुकेश जैन ने इन पांचों मरीजों के परिजन को पत्र लिखकर बयान देने के लिए बुलाया है। सोमवार को जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम दमोह सर्किट हाउस पहुंचेगी। टीम आज और कल बयान दर्ज करेगी। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को भी बुलाया गया है। इससे पहले मिशन अस्पताल पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण का आरोप भी लग चुका है। अब दावा है कि यहां डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम नाम के शख्स ने लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एनजोन केम के नाम से प्रैक्टिस की। 15 हार्ट ऑपरेशन भी किए। इनमें से 7 मरीजों की मौत हो गई। पूछताछ शुरू होते ही खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाला डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम भाग निकला। मामला 4 अप्रैल को सामने आया, जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की। इसमें मिशन अस्पताल में 7 हार्ट पेशेंट्स की मौत और फर्जी डॉक्टर का जिक्र किया। इन मरीजों की मौत हुई दो महीने पहले सीएमएचओ से की थी शिकायत बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने बताया, 'डॉक्टर ने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 हार्ट पेशेंट्स की सर्जरी (एंजियोप्लास्टी) की। इनमें से 7 मरीजों की मौत हो गई। कुछ परिजन मेरे संपर्क में आए थे, जिसके बाद मैंने फरवरी में सीएमएचओ मुकेश जैन से शिकायत की। उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया तो मार्च में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से शिकायत कर दी।' एंजियोप्लास्टी के आधे घंटे बाद महिला की मौत मिशनरी अस्पताल में सर्जरी के बाद जिन मरीजों की मौत होने का दावा किया जा रहा है, उनमें रहीसा बेग शामिल हैं। उनके बेटे नबी ने बताया, '12 फरवरी को मां को हार्ट अटैक आया। उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। हालत नाजुक थी, इसलिए मिशन अस्पताल रेफर कर दिया। यहां डॉ. एनजोन केएम ने कहा कि मां के दिल में 80% और 92% के दो ब्लॉकेज हैं। एंजियोप्लास्टी करनी पड़ेगी। हमने भोपाल ले जाने को कहा तो उन्होंने अलग-अलग बातें कहीं। 50 हजार रुपए जमा करवाए। 15 फरवरी को एंजियोप्लास्टी कर दी। करीब आधे घंटे बाद मां की मौत हो गई। हमने इलाज की रिपोर्ट मांगी तो नहीं दी गई। कहा कि जरूरत नहीं है। हम मां का शव लेकर आ गए। अब पता चला है कि सर्जरी करने वाला डॉक्टर फर्जी था। आयुष्मान कार्ड लेकर आए, तब तक सर्जरी कर डाली मिशन अस्पताल में ऑपरेशन के बाद एक अन्य मरीज मंगल सिंह की भी मौत हो गई थी। ​भास्कर ने उनके बेटे धर्मेंद्र से वीडियो कॉल पर बात की। धर्मेंद्र ने बताया, '3 फरवरी की सुबह 6 बजे पिता को सीने में दर्द हुआ था। छोटा भाई जितेंद्र उन्हें मिशन अस्पताल लेकर पहुंचा। सुबह भाई ने बताया कि पिता की सर्जरी होनी है, आयुष्मान कार्ड लेकर आ जाओ। सुबह 11 बजे अस्पताल पहुंचे, तब तक पिता की सर्जरी हो चुकी थी।’ मंगल के भतीजे सुमरत सिंह ने बताया, ‘जब हम पहुंचे, तब चाचा होश में थे। हमसे बात की थी। एक मिनट बाद ही हमें वार्ड से बाहर कर दिया गया। हम शीशे में से अंदर झांक रहे थे। अस्पताल का स्टाफ चाचा का सीना दबा रहा था। डॉक्टरों ने बाहर से दवा मंगवाई। कुछ देर बाद स्टाफ चला गया। उन्होंने कोरे कागज पर दस्तखत करवाए। कहा कि मरीज को वेंटिलेटर पर रखना है। चाचा शांत हो चुके थे। इसके बावजूद वेंटिलेटर पर रखे रहे। शाम 4 बजे तक इलाज करते रहे। हमने वहां मौजूद कर्मचारियों से पूछा, तब उन्होंने बताया कि आपके मरीज की मौत हो चुकी है। हमने विरोध जताया तो स्टाफ ने डॉक्टर जोन से फोन पर बात की। उसके बाद चाचा का शव सौंप दिया। चाचा की सुबह ही मौत हो गई थी, तो इलाज के नाम पर 4 बजे तक क्यों रखा? डॉक्टर ने फोन पर ही मृत होने की पुष्टि कैसे कर दी?' अस्पताल प्रबंधन बोला- एजेंसी के जरिए की थी नियुक्ति मिशन अस्पताल की प्रभारी प्रबंधक पुष्पा खरे ने कहा, ‘जांच अधिकारियों ने जो भी डॉक्यूमेंट मांगे थे, वह दे दिए हैं। दस्तावेजों में डॉक्टर का नाम नरेंद्र जोन केम है। वह मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। शासन से अधिकृत इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स इंक्वायरी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (IWUS) एजेंसी के माध्यम से डॉक्टर की नियुक्ति की थी। 1 जनवरी को डॉ. नरेंद्र ने जॉइन किया था। फरवरी में बिना जानकारी दिए चले गए। हमने सीधे तौर पर उन्हें नहीं बुलाया, इसलिए उनकी डिग्री के बारे में भी कुछ नहीं कह सकते। मौतों का गलत आंकड़ा बताया जा रहा है, इतनी मौतें नहीं हुई हैं। अस्पताल संचालक पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस मिशन अस्पताल का संचालक डॉ. अजय लाल है। वह नर्सिंग कॉलेज भी चलाता है। डॉ. अजय लाल पहले मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन के नाम से समाजसेवी संस्था चलाता था, जिसका बाद में नाम बदलकर आधारशिला संस्थान कर दिया। उसके खिलाफ 7 अगस्त 2024 को ह्यूमन ट्रैफिकिंग केस दर्ज किया गया था। डॉ. लाल को घर में ही नजरबंद करके रखा गया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद जब पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची, तो वह भाग गया। बताया जाता है कि वह परिवार समेत विदेश में है। तत्कालीन राष्ट्रीय बाल आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दमोह पुलिस को पत्र लिखा था। इसमें 18 साल पहले एडॉप्ट किए गए दो बच्चों को लेकर ह्यूमन ट्रैफिकिंग की आशंका जताई थी। जांच के बाद पुलिस ने डॉ. अजय लाल और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और जुवेनाइल जस्टिस केयर एक्ट का पालन न करने के आरोप के तहत केस दर्ज किया था। इस केस को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। धर्मांतरण के आरोप के बाद अनाथालय हो गया था बंद डॉ. अजय लाल दमोह के मारूताल में अपने आधारशिला संस्थान के ऑफिस के पास ही बाल भवन अनाथालय चलाता था। 2023 में कानूनगो ने बाल आश्रम को संदिग्ध बताया था। उन्होंने कहा था कि यहां बच्चों के धर्म परिवर्तन की कोशिश की जा रही है। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। डॉ. अजय ल

मिशन अस्पताल में मृत मरीज को वेंटिलेटर पर रखा:दमोह में सर्जरी के बाद 7 हार्ट पेशेंट की मौत का दावा; मानव अधिकार आयोग करेगा जांच
दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी के बाद जिन सात मरीजों की मौत का दावा किया जा रहा है, उनमें से पांच की पहचान हो गई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) मुकेश जैन ने इन पांचों मरीजों के परिजन को पत्र लिखकर बयान देने के लिए बुलाया है। सोमवार को जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम दमोह सर्किट हाउस पहुंचेगी। टीम आज और कल बयान दर्ज करेगी। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को भी बुलाया गया है। इससे पहले मिशन अस्पताल पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण का आरोप भी लग चुका है। अब दावा है कि यहां डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम नाम के शख्स ने लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एनजोन केम के नाम से प्रैक्टिस की। 15 हार्ट ऑपरेशन भी किए। इनमें से 7 मरीजों की मौत हो गई। पूछताछ शुरू होते ही खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाला डॉ. नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम भाग निकला। मामला 4 अप्रैल को सामने आया, जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की। इसमें मिशन अस्पताल में 7 हार्ट पेशेंट्स की मौत और फर्जी डॉक्टर का जिक्र किया। इन मरीजों की मौत हुई दो महीने पहले सीएमएचओ से की थी शिकायत बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने बताया, 'डॉक्टर ने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 हार्ट पेशेंट्स की सर्जरी (एंजियोप्लास्टी) की। इनमें से 7 मरीजों की मौत हो गई। कुछ परिजन मेरे संपर्क में आए थे, जिसके बाद मैंने फरवरी में सीएमएचओ मुकेश जैन से शिकायत की। उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया तो मार्च में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से शिकायत कर दी।' एंजियोप्लास्टी के आधे घंटे बाद महिला की मौत मिशनरी अस्पताल में सर्जरी के बाद जिन मरीजों की मौत होने का दावा किया जा रहा है, उनमें रहीसा बेग शामिल हैं। उनके बेटे नबी ने बताया, '12 फरवरी को मां को हार्ट अटैक आया। उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। हालत नाजुक थी, इसलिए मिशन अस्पताल रेफर कर दिया। यहां डॉ. एनजोन केएम ने कहा कि मां के दिल में 80% और 92% के दो ब्लॉकेज हैं। एंजियोप्लास्टी करनी पड़ेगी। हमने भोपाल ले जाने को कहा तो उन्होंने अलग-अलग बातें कहीं। 50 हजार रुपए जमा करवाए। 15 फरवरी को एंजियोप्लास्टी कर दी। करीब आधे घंटे बाद मां की मौत हो गई। हमने इलाज की रिपोर्ट मांगी तो नहीं दी गई। कहा कि जरूरत नहीं है। हम मां का शव लेकर आ गए। अब पता चला है कि सर्जरी करने वाला डॉक्टर फर्जी था। आयुष्मान कार्ड लेकर आए, तब तक सर्जरी कर डाली मिशन अस्पताल में ऑपरेशन के बाद एक अन्य मरीज मंगल सिंह की भी मौत हो गई थी। ​भास्कर ने उनके बेटे धर्मेंद्र से वीडियो कॉल पर बात की। धर्मेंद्र ने बताया, '3 फरवरी की सुबह 6 बजे पिता को सीने में दर्द हुआ था। छोटा भाई जितेंद्र उन्हें मिशन अस्पताल लेकर पहुंचा। सुबह भाई ने बताया कि पिता की सर्जरी होनी है, आयुष्मान कार्ड लेकर आ जाओ। सुबह 11 बजे अस्पताल पहुंचे, तब तक पिता की सर्जरी हो चुकी थी।’ मंगल के भतीजे सुमरत सिंह ने बताया, ‘जब हम पहुंचे, तब चाचा होश में थे। हमसे बात की थी। एक मिनट बाद ही हमें वार्ड से बाहर कर दिया गया। हम शीशे में से अंदर झांक रहे थे। अस्पताल का स्टाफ चाचा का सीना दबा रहा था। डॉक्टरों ने बाहर से दवा मंगवाई। कुछ देर बाद स्टाफ चला गया। उन्होंने कोरे कागज पर दस्तखत करवाए। कहा कि मरीज को वेंटिलेटर पर रखना है। चाचा शांत हो चुके थे। इसके बावजूद वेंटिलेटर पर रखे रहे। शाम 4 बजे तक इलाज करते रहे। हमने वहां मौजूद कर्मचारियों से पूछा, तब उन्होंने बताया कि आपके मरीज की मौत हो चुकी है। हमने विरोध जताया तो स्टाफ ने डॉक्टर जोन से फोन पर बात की। उसके बाद चाचा का शव सौंप दिया। चाचा की सुबह ही मौत हो गई थी, तो इलाज के नाम पर 4 बजे तक क्यों रखा? डॉक्टर ने फोन पर ही मृत होने की पुष्टि कैसे कर दी?' अस्पताल प्रबंधन बोला- एजेंसी के जरिए की थी नियुक्ति मिशन अस्पताल की प्रभारी प्रबंधक पुष्पा खरे ने कहा, ‘जांच अधिकारियों ने जो भी डॉक्यूमेंट मांगे थे, वह दे दिए हैं। दस्तावेजों में डॉक्टर का नाम नरेंद्र जोन केम है। वह मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। शासन से अधिकृत इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स इंक्वायरी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (IWUS) एजेंसी के माध्यम से डॉक्टर की नियुक्ति की थी। 1 जनवरी को डॉ. नरेंद्र ने जॉइन किया था। फरवरी में बिना जानकारी दिए चले गए। हमने सीधे तौर पर उन्हें नहीं बुलाया, इसलिए उनकी डिग्री के बारे में भी कुछ नहीं कह सकते। मौतों का गलत आंकड़ा बताया जा रहा है, इतनी मौतें नहीं हुई हैं। अस्पताल संचालक पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस मिशन अस्पताल का संचालक डॉ. अजय लाल है। वह नर्सिंग कॉलेज भी चलाता है। डॉ. अजय लाल पहले मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन के नाम से समाजसेवी संस्था चलाता था, जिसका बाद में नाम बदलकर आधारशिला संस्थान कर दिया। उसके खिलाफ 7 अगस्त 2024 को ह्यूमन ट्रैफिकिंग केस दर्ज किया गया था। डॉ. लाल को घर में ही नजरबंद करके रखा गया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद जब पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची, तो वह भाग गया। बताया जाता है कि वह परिवार समेत विदेश में है। तत्कालीन राष्ट्रीय बाल आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दमोह पुलिस को पत्र लिखा था। इसमें 18 साल पहले एडॉप्ट किए गए दो बच्चों को लेकर ह्यूमन ट्रैफिकिंग की आशंका जताई थी। जांच के बाद पुलिस ने डॉ. अजय लाल और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और जुवेनाइल जस्टिस केयर एक्ट का पालन न करने के आरोप के तहत केस दर्ज किया था। इस केस को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। धर्मांतरण के आरोप के बाद अनाथालय हो गया था बंद डॉ. अजय लाल दमोह के मारूताल में अपने आधारशिला संस्थान के ऑफिस के पास ही बाल भवन अनाथालय चलाता था। 2023 में कानूनगो ने बाल आश्रम को संदिग्ध बताया था। उन्होंने कहा था कि यहां बच्चों के धर्म परिवर्तन की कोशिश की जा रही है। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। डॉ. अजय लाल के बेटे अभिजीत लाल और करीबी संजीव लैंबर्ट पर मिशन अस्पताल में काम करने वाले अंबर मिश्रा, शैलेंद्र पाठक और एक अन्य ने धर्मांतरण के लिए दबाव बनाने का आरोप भी लगाया था। कोतवाली पुलिस ने दोनों पर केस भी दर्ज किया था। यह मामला कोर्ट में चल रहा है। 10 साल से चल रहा मिशन अस्पताल, इसमें ऑक्सीजन प्लांट भी 131 बिस्तर वाला मिशन अस्पताल बीते 10 साल से चल रहा है। इसमें सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, ईसीजी, थ्री डी इको, सोनोग्राफी की सुविधा है। ऑक्सीजन प्लांट, पैथ लैब, ब्लड बैंक, डायलिसिस यूनिट, ऑपरेशन थियेटर, गहन चिकित्सा इकाई भी हैं। अस्पताल में 24/7 इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर भी है। हार्ट सर्जरी के बाद मौतों के मामले में कलेक्टर सुधीर कोचर का कहना है कि फिलहाल जांच चल रही है, इसलिए कुछ नहीं बता पाएंगे। कांग्रेस ने कहा- बीजेपी ने हत्यारे को प्रमोट किया कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- एनजोन केम ने डॉक्टर बनकर 7 लोगों की जान ली है। इस हत्यारे को भाजपा ने प्रमोट किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसके सोशल मीडिया पर री-ट्वीट करते हैं। श्रीनेत ने X पर लिखा- मोहन यादव जी, इस आदमी को डाॅक्टर बनकर इलाज करने की इजाजत किसने दी? क्या इस अपराध में आप भी शामिल हैं? बेकसूरों की मौतों की सरकार भी जिम्मेदार है? मामले से जुड़ी ये खबर भी पढे़ं... दमोह में फर्जी डॉक्टर ने 15 ऑपरेशन किए: दो मौतों की पुष्टि, दावा 7 का दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एनजोन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले। आरोप है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुए इन ऑपरेशनों में 7 मरीजों की मौत हो गई। हालांकि, अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन और डीएचओ डॉ. विक्रम चौहान की जांच में दो मौतों की पुष्टि की सूचना है। पढे़ं पूरी खबर...