शीतला सप्तमी पर मंदिरों में महिलाओं की भीड़:सुख-समृद्धि की कामना के लिए माता मंदिर में पूजन करने पहुंची महिलाएं

धार्मिक नगरी उज्जैन में शीतला सप्तमी के मौके पर शुक्रवार को बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह से माता के मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए पहुंचीं। यहां एक रात पहले बनाए गए भोजन का भोग लगाकर घर में सुख-समृद्धि की कामना की गई। गुरुवार रात 12 बजे से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि लगते ही शीतला सप्तमी का पर्व शुरू हो गया, जिसके चलते देर रात से ही पूजन का दौर शुरू हो गया था। ऋषिनगर स्थित शीतला माता मंदिर में तड़के पांच बजे से ही महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। मान्यता है कि रंगपंचमी के दूसरे दिन सप्तमी पर घरों में चूल्हा नहीं जलता। महिलाएं शीतला माता को ठंडा भोजन चढ़ाती हैं। प्रभा देवी शर्मा ने बताया कि शीतला सप्तमी के दिन सुख-शांति और मनोकामना पूर्ण होने की कामना के लिए घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। ठंडे भोजन का पहले शीतला माता को भोग लगाया जाता है, फिर लोग बासी भोजन ग्रहण करते हैं। सुबह से ही माता मंदिरों में लंबी-लंबी कतारों में लगकर महिलाओं ने माता का पूजन किया। पूजन कर ठंडे भोजन का भोग बबीता अग्रवाल ने बताया कि शीतला सप्तमी से एक दिन पहले ओलिया, खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी, राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी और सब्जियां बनाई जाती हैं। इन्हीं का भोग शीतला सप्तमी पर माता मंदिरों में चढ़ाया जाता है।

शीतला सप्तमी पर मंदिरों में महिलाओं की भीड़:सुख-समृद्धि की कामना के लिए माता मंदिर में पूजन करने पहुंची महिलाएं
धार्मिक नगरी उज्जैन में शीतला सप्तमी के मौके पर शुक्रवार को बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह से माता के मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए पहुंचीं। यहां एक रात पहले बनाए गए भोजन का भोग लगाकर घर में सुख-समृद्धि की कामना की गई। गुरुवार रात 12 बजे से कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि लगते ही शीतला सप्तमी का पर्व शुरू हो गया, जिसके चलते देर रात से ही पूजन का दौर शुरू हो गया था। ऋषिनगर स्थित शीतला माता मंदिर में तड़के पांच बजे से ही महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। मान्यता है कि रंगपंचमी के दूसरे दिन सप्तमी पर घरों में चूल्हा नहीं जलता। महिलाएं शीतला माता को ठंडा भोजन चढ़ाती हैं। प्रभा देवी शर्मा ने बताया कि शीतला सप्तमी के दिन सुख-शांति और मनोकामना पूर्ण होने की कामना के लिए घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। ठंडे भोजन का पहले शीतला माता को भोग लगाया जाता है, फिर लोग बासी भोजन ग्रहण करते हैं। सुबह से ही माता मंदिरों में लंबी-लंबी कतारों में लगकर महिलाओं ने माता का पूजन किया। पूजन कर ठंडे भोजन का भोग बबीता अग्रवाल ने बताया कि शीतला सप्तमी से एक दिन पहले ओलिया, खाजा, चूरमा, मगद, नमक पारे, शक्कर पारे, बेसन चक्की, पुए, पकौड़ी, राबड़ी, बाजरे की रोटी, पूड़ी और सब्जियां बनाई जाती हैं। इन्हीं का भोग शीतला सप्तमी पर माता मंदिरों में चढ़ाया जाता है।