स्टेट चैंपियनशिप कबड्डी प्रतियोगिता विवादों में:महिला खिलाड़ियों का आरोप- एनओसी नहीं दे रहे, जीत की रकम भी रख लेते
स्टेट चैंपियनशिप कबड्डी प्रतियोगिता विवादों में:महिला खिलाड़ियों का आरोप- एनओसी नहीं दे रहे, जीत की रकम भी रख लेते
जबलपुर में चल रहा राज्य स्तरीय महिला कबड्डी महापौर कप विवादों में घिर गया है। महिला खिलाड़ियों ने आयोजकों पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। जबलपुर और मध्य प्रदेश की टीम से कई प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें जबलपुर कबड्डी फेडरेशन से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं दी गई, जिसके चलते न केवल उन्हें इस प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा, बल्कि किसी दूसरी टीम से खेलने का मौका भी छिन गया। हालांकि, आयोजकों का कहना है कि जिन महिला खिलाड़ियों ने यह आरोप लगाए हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। उन्हें एनओसी देने से मना नहीं किया गया, बल्कि उन्हें एक फार्म भरने के लिए कहा गया था, जिसे उन्होंने नहीं भरा। 54 जिले के 500 से अधिक खिलाड़ियों ने लिया भाग जबलपुर के एमएलबी स्कूल मैदान में आयोजित तीन दिवसीय महापौर कप प्रतियोगिता में प्रदेश के 54 जिलों से लगभग 520 खिलाड़ी भाग लेने पहुंचे। जबलपुर कॉर्पोरेशन की टीम से खेलने वाली राज्य स्तरीय तीन महिला खिलाड़ियों ने पहले तो टीम छोड़ी और अब टीम के संरक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला खिलाड़ी श्वेता उपाध्याय ने बताया कि मार्च 2024 में उन्होंने अपनी दो साथियों, खुशबू राय और ज्योति के साथ टीम को छोड़ दिया था। उनका कहना है कि टीम में अनुशासन की कमी थी। साथ ही, प्रतियोगिता में जीती गई रकम खिलाड़ियों को देने के बजाय टीम के कोच और अन्य लोग खुद रख लेते थे। जबकि हम खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि हर बार टूर्नामेंट में खुद का पैसा लगाकर भाग ले सकें। "एनओसी मांगी लेकिन नहीं दी" श्वेता उपाध्याय ने बताया कि जबलपुर कॉर्पोरेशन की टीम से खेलने की उनकी इच्छा नहीं थी और दूसरी टीम में शामिल होने के लिए एनओसी की आवश्यकता थी। उन्होंने और उनकी साथियों ने एनओसी के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन कॉर्पोरेशन की ओर से उन्हें फार्म दिया गया और कहा गया कि पहले उस टीम से साइन करवा कर लाएं, जिससे खेलना है, उसके बाद एनओसी दी जाएगी। खिलाड़ियों का कहना है कि जब एनओसी नहीं मिलेगी, तब तक वे किसी दूसरी टीम से कैसे खेलेंगी। जीत की राशि खिलाड़ियों को नहीं मिलती श्वेता उपाध्याय ने जबलपुर कॉर्पोरेशन टीम को छोड़ने का कारण बताते हुए कहा कि सालों तक टीम के लिए खेलने के बावजूद, जीत की राशि खिलाड़ियों को नहीं दी जाती थी। उन्होंने कहा कि कबड्डी के अधिकांश खिलाड़ी गरीब परिवारों से आते हैं और उनके पास प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए खुद से पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं होती। खिलाड़ियों के द्वारा जीती गई राशि टीम के पुराने कोच शानू यादव ही रखा करते थे। हर बार उनकी तरफ से कहा जाता था कि आप लोगों को सुविधाएं मिलेगी लेकिन असल में ऐसा होता नहीं था। एक जिले की दो टीम, नियम विरुद्ध महिला खिलाड़ियों ने राज्य स्तरीय महिला कबड्डी प्रतियोगिता के नियमों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक ही जिले की दो टीमों को अनुमति देना नियमों का उल्लंघन है। इंदौर कारपोरेशन से दो टीमें – इंदौर कारपोरेशन-ए और इंदौर कारपोरेशन-बी – खेल रही हैं, जो नियमों के खिलाफ है। एनओसी देने को मना नहीं किया जबलपुर फेडरेशन के संरक्षक शानू यादव ने कहा कि एनओसी को लेकर लगाए गए आरोप गलत हैं। उन्होंने बताया कि एनओसी के लिए फार्म भरना अनिवार्य है, जिसे खिलाड़ियों ने नहीं भरा। तीसरी खिलाड़ी ज्योति को एनओसी इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने टीम के साथ तीन साल पूरे नहीं किए हैं, जो एनओसी देने का नियम है। नियम यह कहता है कि एक यूनिट से तीन साल खेलने के बाद ही उन्हें एनओसी दी जाएगी। मध्यप्रदेश एमेच्योर कबड्डी एसोसिएशन ने कहा- फॉर्म भरने पर दी जाएगी, एनओसी मध्यप्रदेश एमेच्योर कबड्डी एसोसिएशन के सचिव जेसी शर्मा की निगरानी में यह पूरा टूर्नामेंट हो रहा है। तीनों ही महिला खिलाड़ियों ने एनओसी को लेकर उनसे भी मुलाकात की। महिला खिलाड़ियों के आरोप को लेकर जेसी शर्मा का कहना है एनओसी नियमों के तहत ही दी जाती है। खिलाड़ियों को फार्म भरने के लिए कहा गया है, और जैसे ही वे फार्म भरेंगी, उन्हें एनओसी दी जाएगी। वहीं टूर्नामेंट की राशि टीम के अधिकारियों के द्वारा रखने का लेकर उनका कहना था कि ये जबलपुर जिला का मामला है, और अभी तक हमारे संज्ञान में आया नहीं है।
जबलपुर में चल रहा राज्य स्तरीय महिला कबड्डी महापौर कप विवादों में घिर गया है। महिला खिलाड़ियों ने आयोजकों पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है। जबलपुर और मध्य प्रदेश की टीम से कई प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें जबलपुर कबड्डी फेडरेशन से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं दी गई, जिसके चलते न केवल उन्हें इस प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा, बल्कि किसी दूसरी टीम से खेलने का मौका भी छिन गया। हालांकि, आयोजकों का कहना है कि जिन महिला खिलाड़ियों ने यह आरोप लगाए हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। उन्हें एनओसी देने से मना नहीं किया गया, बल्कि उन्हें एक फार्म भरने के लिए कहा गया था, जिसे उन्होंने नहीं भरा। 54 जिले के 500 से अधिक खिलाड़ियों ने लिया भाग जबलपुर के एमएलबी स्कूल मैदान में आयोजित तीन दिवसीय महापौर कप प्रतियोगिता में प्रदेश के 54 जिलों से लगभग 520 खिलाड़ी भाग लेने पहुंचे। जबलपुर कॉर्पोरेशन की टीम से खेलने वाली राज्य स्तरीय तीन महिला खिलाड़ियों ने पहले तो टीम छोड़ी और अब टीम के संरक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला खिलाड़ी श्वेता उपाध्याय ने बताया कि मार्च 2024 में उन्होंने अपनी दो साथियों, खुशबू राय और ज्योति के साथ टीम को छोड़ दिया था। उनका कहना है कि टीम में अनुशासन की कमी थी। साथ ही, प्रतियोगिता में जीती गई रकम खिलाड़ियों को देने के बजाय टीम के कोच और अन्य लोग खुद रख लेते थे। जबकि हम खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि हर बार टूर्नामेंट में खुद का पैसा लगाकर भाग ले सकें। "एनओसी मांगी लेकिन नहीं दी" श्वेता उपाध्याय ने बताया कि जबलपुर कॉर्पोरेशन की टीम से खेलने की उनकी इच्छा नहीं थी और दूसरी टीम में शामिल होने के लिए एनओसी की आवश्यकता थी। उन्होंने और उनकी साथियों ने एनओसी के लिए कई बार आवेदन किया, लेकिन कॉर्पोरेशन की ओर से उन्हें फार्म दिया गया और कहा गया कि पहले उस टीम से साइन करवा कर लाएं, जिससे खेलना है, उसके बाद एनओसी दी जाएगी। खिलाड़ियों का कहना है कि जब एनओसी नहीं मिलेगी, तब तक वे किसी दूसरी टीम से कैसे खेलेंगी। जीत की राशि खिलाड़ियों को नहीं मिलती श्वेता उपाध्याय ने जबलपुर कॉर्पोरेशन टीम को छोड़ने का कारण बताते हुए कहा कि सालों तक टीम के लिए खेलने के बावजूद, जीत की राशि खिलाड़ियों को नहीं दी जाती थी। उन्होंने कहा कि कबड्डी के अधिकांश खिलाड़ी गरीब परिवारों से आते हैं और उनके पास प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए खुद से पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं होती। खिलाड़ियों के द्वारा जीती गई राशि टीम के पुराने कोच शानू यादव ही रखा करते थे। हर बार उनकी तरफ से कहा जाता था कि आप लोगों को सुविधाएं मिलेगी लेकिन असल में ऐसा होता नहीं था। एक जिले की दो टीम, नियम विरुद्ध महिला खिलाड़ियों ने राज्य स्तरीय महिला कबड्डी प्रतियोगिता के नियमों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक ही जिले की दो टीमों को अनुमति देना नियमों का उल्लंघन है। इंदौर कारपोरेशन से दो टीमें – इंदौर कारपोरेशन-ए और इंदौर कारपोरेशन-बी – खेल रही हैं, जो नियमों के खिलाफ है। एनओसी देने को मना नहीं किया जबलपुर फेडरेशन के संरक्षक शानू यादव ने कहा कि एनओसी को लेकर लगाए गए आरोप गलत हैं। उन्होंने बताया कि एनओसी के लिए फार्म भरना अनिवार्य है, जिसे खिलाड़ियों ने नहीं भरा। तीसरी खिलाड़ी ज्योति को एनओसी इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने टीम के साथ तीन साल पूरे नहीं किए हैं, जो एनओसी देने का नियम है। नियम यह कहता है कि एक यूनिट से तीन साल खेलने के बाद ही उन्हें एनओसी दी जाएगी। मध्यप्रदेश एमेच्योर कबड्डी एसोसिएशन ने कहा- फॉर्म भरने पर दी जाएगी, एनओसी मध्यप्रदेश एमेच्योर कबड्डी एसोसिएशन के सचिव जेसी शर्मा की निगरानी में यह पूरा टूर्नामेंट हो रहा है। तीनों ही महिला खिलाड़ियों ने एनओसी को लेकर उनसे भी मुलाकात की। महिला खिलाड़ियों के आरोप को लेकर जेसी शर्मा का कहना है एनओसी नियमों के तहत ही दी जाती है। खिलाड़ियों को फार्म भरने के लिए कहा गया है, और जैसे ही वे फार्म भरेंगी, उन्हें एनओसी दी जाएगी। वहीं टूर्नामेंट की राशि टीम के अधिकारियों के द्वारा रखने का लेकर उनका कहना था कि ये जबलपुर जिला का मामला है, और अभी तक हमारे संज्ञान में आया नहीं है।