ग्वालियर में बढ़े साइबर फ्रॉड के मामले:फिशिंग एप पर लुभावने ऑफर्स के जरिए ठगी, ना प्रोडक्ट ट्रैक होता ना डिलीवर

क्या आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं? क्या ऑनलाइन शॉपिंग एप पर आपको ललचाने वाले ऑफर आते हैं? जैसे 10 हजार की वाशिंग मशीन सिर्फ 3 हजार रुपए या फिर ब्रांडेड ईयर फोन सिर्फ 160 रुपए में। यदि हां तो ऐसे लुभावने ऑफर्स से सावधान रहें। ये ऑफर्स आपकी जेब ढीली कर सकते हैं। शहर में लगभग 8 से 10 लोग रोज इस तरह की ठगी के शिकार हो रहे हैं। फिशिंग एप के जरिए हो रही ठगी त्योहार और शादी-विवाह के मौसम में ठगी के नए तरह के मामले सामने आ रहे हैं। ठगों ने जितने भी बड़े ऑनलाइन शॉपिंग एप हैं, उनके नकली एप तैयार किए हैं। जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट व अन्य। इन नकली एप को फिशिंग एप भी कहते हैं। इन पर ओरिजिनल शॉपिंग एप जैसे ही लोगो रहते हैं। इनके पेज सोशल मीडिया के विभिन्न एप पर शो होते हैं। सोशल मीडिया चलाते-चलाते लोग इनके शिकार बन जाते हैं। 10 हजार का प्रोडक्ट सिर्फ 3 से 4 हजार में करते हैं ऑफर इस तरह के फिशिंग एप पर ठग इतने लुभावने ऑफर देते हैं कि लोग उनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं। जैसे कोई 10 हजार रुपए का प्रोडक्ट या आइटम उसी दिन विशेष ऑफर में सिर्फ 2 से 4 हजार रुपए में मिल रहा होता है। ऐसे ऑफर को जब लोग कंपनी के ओरिजिनल ऑनलाइन शॉपिंग एप पर देखते हैं, तो वहां कोई ऑफर नहीं होता। ऐसे में वह फिशिंग एप पर ही वापस लौट कर ऑर्डर करते हैं। ऑर्डर में COD का ऑप्शन नहीं जब लोग इस लुभावने ऑफर में फंस कर ऑर्डर करने जाते हैं, तो इसमें कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प ही नहीं होता। सिर्फ डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड व ऑनलाइन UPI ट्रांजैक्शन से ही पेमेंट होता है। जिस पर ज्यादातर लोग UPI से पेमेंट करते हैं। इसके बाद न तो उनका ऑनलाइन ऑर्डर वेबसाइट पर ट्रैक होता है न ही ऑर्डर की डिलीवरी होती है। हर दिन आ रहे हैं ऐसे केस ग्वालियर सहित मध्य प्रदेश के हर शहर में हर दिन ऐसे कई केस आते हैं। सिर्फ ग्वालियर में ही 8 से 10 केस प्रतिदिन हो रहे हैं। जिसमें 80 फीसदी मामलों में ठगी की रकम दो से तीन हजार होने पर वह थानों तक भी नहीं पहुंचते हैं। कोई आवेदन लेकर साइबर क्राइम पहुंचता है तो उसे रिकॉर्ड में लिया जाता है। ठगी के कुछ मामले जो साइबर क्राइम टीम तक पहुंचे केस-1 - ग्वालियर के मुरार निवासी आरपी सिंह कुछ दिन पहले फेसबुक पर एक्टिव थे। इस दौरान एक लिंक पर क्लिक करने से पेज खुला। उसमें फ्लिपकार्ट जैसा लोगो लगा था। उनको बोट कंपनी के ईयर फोन जिनकी कीमत 2500 रुपए थी, वो सिर्फ 160 रुपए में ऑफर हुए थे। जिस पर आरपी सिंह ने ऑर्डर प्लेस कर दिया। पेमेंट में ऑनलाइन का विकल्प था, जिस पर उन्होंने UPI से पेमेंट कर दिया। इसके बाद न तो ऑनलाइन ऑर्डर ट्रैक हुआ न ही डिलीवरी हुई। केस-2 - लश्कर निवासी संगीता देवी के इंस्टाग्राम पर एक पेज ओपन हुआ था। जिसमें उनको 12 हजार रुपए की ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन अमेजन पर सिर्फ 4 हजार रुपए में ऑफर हुई थी। जब संगीता ने अमेजन पर जाकर ऑफर चेक किया तो वहां ऐसा कोई ऑफर नहीं था। इस पर वह वापस पेज पर आई तो यहां उन्होंने वही ऑफर देखा। संगीता ने यहां अपने कैश ऑन डिलीवरी पर प्रोडक्ट खरीदने का सोचा, लेकिन उसमें यह विकल्प नहीं था। इसके बाद उन्होंने UPI से भुगतान किया, लेकिन 15 दिन बाद भी वाशिंग मशीन नहीं आई। ग्वालियर के साइबर क्राइम थाने के सब इंस्पेक्टर धर्मेन्द्र शर्मा का कहना है कि- इस तरह से ठगी के कई मामले सामने आ रहे हैं। विशेषकर त्योहार के सीजन में ऐसे केस ज्यादा आते हैं। इसमें डिलीवरी होती ही नहीं है या होती है तो बहुत खराब होती है। हम लगातार इनकी जांच कर ठगों को ट्रैक करने का प्रयास कर रहे हैं।

ग्वालियर में बढ़े साइबर फ्रॉड के मामले:फिशिंग एप पर लुभावने ऑफर्स के जरिए ठगी, ना प्रोडक्ट ट्रैक होता ना डिलीवर
क्या आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं? क्या ऑनलाइन शॉपिंग एप पर आपको ललचाने वाले ऑफर आते हैं? जैसे 10 हजार की वाशिंग मशीन सिर्फ 3 हजार रुपए या फिर ब्रांडेड ईयर फोन सिर्फ 160 रुपए में। यदि हां तो ऐसे लुभावने ऑफर्स से सावधान रहें। ये ऑफर्स आपकी जेब ढीली कर सकते हैं। शहर में लगभग 8 से 10 लोग रोज इस तरह की ठगी के शिकार हो रहे हैं। फिशिंग एप के जरिए हो रही ठगी त्योहार और शादी-विवाह के मौसम में ठगी के नए तरह के मामले सामने आ रहे हैं। ठगों ने जितने भी बड़े ऑनलाइन शॉपिंग एप हैं, उनके नकली एप तैयार किए हैं। जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट व अन्य। इन नकली एप को फिशिंग एप भी कहते हैं। इन पर ओरिजिनल शॉपिंग एप जैसे ही लोगो रहते हैं। इनके पेज सोशल मीडिया के विभिन्न एप पर शो होते हैं। सोशल मीडिया चलाते-चलाते लोग इनके शिकार बन जाते हैं। 10 हजार का प्रोडक्ट सिर्फ 3 से 4 हजार में करते हैं ऑफर इस तरह के फिशिंग एप पर ठग इतने लुभावने ऑफर देते हैं कि लोग उनके जाल में आसानी से फंस जाते हैं। जैसे कोई 10 हजार रुपए का प्रोडक्ट या आइटम उसी दिन विशेष ऑफर में सिर्फ 2 से 4 हजार रुपए में मिल रहा होता है। ऐसे ऑफर को जब लोग कंपनी के ओरिजिनल ऑनलाइन शॉपिंग एप पर देखते हैं, तो वहां कोई ऑफर नहीं होता। ऐसे में वह फिशिंग एप पर ही वापस लौट कर ऑर्डर करते हैं। ऑर्डर में COD का ऑप्शन नहीं जब लोग इस लुभावने ऑफर में फंस कर ऑर्डर करने जाते हैं, तो इसमें कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प ही नहीं होता। सिर्फ डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड व ऑनलाइन UPI ट्रांजैक्शन से ही पेमेंट होता है। जिस पर ज्यादातर लोग UPI से पेमेंट करते हैं। इसके बाद न तो उनका ऑनलाइन ऑर्डर वेबसाइट पर ट्रैक होता है न ही ऑर्डर की डिलीवरी होती है। हर दिन आ रहे हैं ऐसे केस ग्वालियर सहित मध्य प्रदेश के हर शहर में हर दिन ऐसे कई केस आते हैं। सिर्फ ग्वालियर में ही 8 से 10 केस प्रतिदिन हो रहे हैं। जिसमें 80 फीसदी मामलों में ठगी की रकम दो से तीन हजार होने पर वह थानों तक भी नहीं पहुंचते हैं। कोई आवेदन लेकर साइबर क्राइम पहुंचता है तो उसे रिकॉर्ड में लिया जाता है। ठगी के कुछ मामले जो साइबर क्राइम टीम तक पहुंचे केस-1 - ग्वालियर के मुरार निवासी आरपी सिंह कुछ दिन पहले फेसबुक पर एक्टिव थे। इस दौरान एक लिंक पर क्लिक करने से पेज खुला। उसमें फ्लिपकार्ट जैसा लोगो लगा था। उनको बोट कंपनी के ईयर फोन जिनकी कीमत 2500 रुपए थी, वो सिर्फ 160 रुपए में ऑफर हुए थे। जिस पर आरपी सिंह ने ऑर्डर प्लेस कर दिया। पेमेंट में ऑनलाइन का विकल्प था, जिस पर उन्होंने UPI से पेमेंट कर दिया। इसके बाद न तो ऑनलाइन ऑर्डर ट्रैक हुआ न ही डिलीवरी हुई। केस-2 - लश्कर निवासी संगीता देवी के इंस्टाग्राम पर एक पेज ओपन हुआ था। जिसमें उनको 12 हजार रुपए की ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन अमेजन पर सिर्फ 4 हजार रुपए में ऑफर हुई थी। जब संगीता ने अमेजन पर जाकर ऑफर चेक किया तो वहां ऐसा कोई ऑफर नहीं था। इस पर वह वापस पेज पर आई तो यहां उन्होंने वही ऑफर देखा। संगीता ने यहां अपने कैश ऑन डिलीवरी पर प्रोडक्ट खरीदने का सोचा, लेकिन उसमें यह विकल्प नहीं था। इसके बाद उन्होंने UPI से भुगतान किया, लेकिन 15 दिन बाद भी वाशिंग मशीन नहीं आई। ग्वालियर के साइबर क्राइम थाने के सब इंस्पेक्टर धर्मेन्द्र शर्मा का कहना है कि- इस तरह से ठगी के कई मामले सामने आ रहे हैं। विशेषकर त्योहार के सीजन में ऐसे केस ज्यादा आते हैं। इसमें डिलीवरी होती ही नहीं है या होती है तो बहुत खराब होती है। हम लगातार इनकी जांच कर ठगों को ट्रैक करने का प्रयास कर रहे हैं।