यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव, कौन कितना ताकतवर:8 सीटों पर सपा मजबूत, कानपुर में इरफान का विकल्प ढूंढ रही पार्टी

यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 9 विधायक सांसद बन गए हैं। एक सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल की सजा हुई है, उनकी विधायकी चली जाएगी। विधानसभा की इन 10 सीटों पर उपचुनाव के लिए हर पार्टी मंथन कर रही है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से सामने आए आंकड़ों के मुताबिक- 8 सीटों पर सपा का पलड़ा भारी है। एक सीट पर भाजपा और एक पर अपना दल (एस) मजबूत स्थिति में है। सीट शेयरिंग के साथ-साथ कैंडिडेट कौन होगा? अब इस पर भाजपा गठबंधन और सपा गठबंधन में मंथन चल रहा है। नियमानुसार, रिक्त सीटों पर 6 महीने के अंदर चुनाव कराना होता है। ऐसे में इलेक्शन कमीशन जल्द ही यूपी में उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। संडे बिग स्टोरी में आज इन 10 विधानसभा सीटों के गुणा-गणित और कहां कौन कितना ताकतवर है, यह जानते हैं... सबसे पहले खाली हुई विधानसभा सीटों पर एक नजर 1. लोकसभा चुनाव में करहल से डिंपल यादव को मिले रिकॉर्ड वोट अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हो गई। मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की। विधानसभा के आंकड़ों की बात करें, तो डिंपल यादव को सबसे ज्यादा 1.34 लाख वोट करहल सीट पर मिले। यह भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह से 57 हजार 540 वोट ज्यादा थे। इस सीट पर भाजपा ने सिर्फ एक बार 2002 में जीत दर्ज की थी। जातीय समीकरण : करहल सीट यादव बाहुल्य है। यहां सवा लाख यादव मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर शाक्य, तीसरे पर बघेल और क्षत्रिय मतदाता हैं। करहल से कौन होगा सपा का कैंडिडेट? अखिलेश करहल सीट से लालू यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को उतार सकते हैं। दैनिक भास्कर को सपा के एक बड़े नेता ने बताया- तेज प्रताप, अखिलेश और डिंपल के चहेते हैं। तेज प्रताप के अलावा 3 और नामों पर भी चर्चा चल रही है। इनमें पूर्व MLC प्रो. राम गोपाल यादव के भांजे अरविंद यादव और पूर्व विधायक सोबरन सिंह यादव शामिल हैं। डिंपल की सांसद प्रतिनिधि ज्योति यादव भी रेस में हैं। भाजपा से कौन उतर सकता है? भाजपा यहां जातिगत समीकरण ही साधेगी। अभी नाम तय नहीं है। 2. अयोध्या में भाजपा को झटका, मिल्कीपुर में सपा मजबूत मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सांसद बन गए हैं। लोकसभा रिजल्ट में अगर मिल्कीपुर के नतीजे देखें, तो यहां सपा को 95,612 वोट मिले। मिल्कीपुर में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दो बार सपा और एक बार भाजपा ने जीत दर्ज की। जातीय समीकरण : मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम वोटर्स भी अच्छी तादाद में हैं। कौन होगा सपा का कैंडिडेट? यहां अवधेश प्रसाद के बड़े बेटे अजीत प्रसाद का नाम चर्चा में है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस बात की चर्चा है कि अयोध्या जीत का एक और गिफ्ट अखिलेश यादव अवधेश प्रसाद को देंगे। हार का रिव्यू कर रही भाजपा, 4 नाम उपचुनाव की रेस में भाजपा अभी अयोध्या में मिली हार का रिव्यू कर रही है। यहां से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, चंद्रकेश रावत, बबलू पासी, राधेश्याम त्यागी का नाम चर्चा में हैं। ये सभी मिल्कीपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। हालांकि, भाजपा नेताओं का मानना है कि पार्टी अभी भितरघात का पता लगा रही है। 3. अंबेडकरनगर के कटेहरी में सिर्फ एक बार भाजपा जीती अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से विधायक लालजी वर्मा ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। लालजी ने विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया है। इस सीट पर सपा का दबदबा बरकरार है। यहां पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार। जातीय समीकरण: कटेहरी में दलित वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और कुर्मी मतदाता हैं। यादव-ठाकुर, निषाद और राजभर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां जातीय समीकरण साधने में सपा माहिर है। कौन होगा सपा से कैंडिडेट? सपा में चर्चा है कि लालजी वर्मा अपनी बेटी छाया वर्मा को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। हालांकि, अभी उन्होंने यह बात सार्वजनिक नहीं की है। वहीं पूर्व विधायक शंखलाल मांझी, जयशंकर पांडेय का नाम भी रेस में है। भाजपा से 4 नाम की चर्चा तेज उपचुनाव को लेकर भाजपा खेमे में पूर्व प्रत्याशी अवधेश द्विवेदी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रमाशंकर सिंह, पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद, छोटे पांडेय का नाम चर्चा में हैं। इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह के नाम की भी चर्चा है। 4. संभल लोकसभा चुनाव में कुंदरकी में 57 हजार वोट से जीती सपा संभल सीट से जियाउर रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। वह कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा को रिकॉर्ड 57 हजार वोटों से जीत मिली। जियाउर रहमान बर्क को यहां 1.43 लाख वोट मिले। जबकि भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 86 हजार। जातिगत समीकरण : इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 58 फीसदी है। इसके अलावा ओबीसी और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। सपा में हुई मोहम्मद रिजवान की एंट्री सपा ने शफीकुर्रहमान बर्क के पोते के लिए 2022 में सिटिंग विधायक मोहम्मद रिजवान का टिकट काट दिया था। इसके बाद मोहम्मद रिजवान ने पार्टी छोड़ दी थी। अब वह फिर से सपा में आ गए हैं। ऐसे में रिजवान के उम्मीदवार बनने की चर्चा है। भाजपा से रामवीर सिंह का नाम रेस में रामवीर सिंह कई बार चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी संभावना प्रबल बताई जा रही है। हालांकि, भाजपा कोई नया उम्मीदवार भी उतार सकती है। 5. योगी के मंत्री की सीट पर सपा को लीड मिली सीएम योगी के मंत्री और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से विधायक अनूप वाल्मीकि को हाथरस लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वो हाथरस में चुनाव जीत गए। लेकिन, जिस विधानसभा सीट से वो विधायक थे। वह

यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव, कौन कितना ताकतवर:8 सीटों पर सपा मजबूत, कानपुर में इरफान का विकल्प ढूंढ रही पार्टी
यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 9 विधायक सांसद बन गए हैं। एक सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल की सजा हुई है, उनकी विधायकी चली जाएगी। विधानसभा की इन 10 सीटों पर उपचुनाव के लिए हर पार्टी मंथन कर रही है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से सामने आए आंकड़ों के मुताबिक- 8 सीटों पर सपा का पलड़ा भारी है। एक सीट पर भाजपा और एक पर अपना दल (एस) मजबूत स्थिति में है। सीट शेयरिंग के साथ-साथ कैंडिडेट कौन होगा? अब इस पर भाजपा गठबंधन और सपा गठबंधन में मंथन चल रहा है। नियमानुसार, रिक्त सीटों पर 6 महीने के अंदर चुनाव कराना होता है। ऐसे में इलेक्शन कमीशन जल्द ही यूपी में उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। संडे बिग स्टोरी में आज इन 10 विधानसभा सीटों के गुणा-गणित और कहां कौन कितना ताकतवर है, यह जानते हैं... सबसे पहले खाली हुई विधानसभा सीटों पर एक नजर 1. लोकसभा चुनाव में करहल से डिंपल यादव को मिले रिकॉर्ड वोट अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हो गई। मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की। विधानसभा के आंकड़ों की बात करें, तो डिंपल यादव को सबसे ज्यादा 1.34 लाख वोट करहल सीट पर मिले। यह भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह से 57 हजार 540 वोट ज्यादा थे। इस सीट पर भाजपा ने सिर्फ एक बार 2002 में जीत दर्ज की थी। जातीय समीकरण : करहल सीट यादव बाहुल्य है। यहां सवा लाख यादव मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर शाक्य, तीसरे पर बघेल और क्षत्रिय मतदाता हैं। करहल से कौन होगा सपा का कैंडिडेट? अखिलेश करहल सीट से लालू यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को उतार सकते हैं। दैनिक भास्कर को सपा के एक बड़े नेता ने बताया- तेज प्रताप, अखिलेश और डिंपल के चहेते हैं। तेज प्रताप के अलावा 3 और नामों पर भी चर्चा चल रही है। इनमें पूर्व MLC प्रो. राम गोपाल यादव के भांजे अरविंद यादव और पूर्व विधायक सोबरन सिंह यादव शामिल हैं। डिंपल की सांसद प्रतिनिधि ज्योति यादव भी रेस में हैं। भाजपा से कौन उतर सकता है? भाजपा यहां जातिगत समीकरण ही साधेगी। अभी नाम तय नहीं है। 2. अयोध्या में भाजपा को झटका, मिल्कीपुर में सपा मजबूत मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सांसद बन गए हैं। लोकसभा रिजल्ट में अगर मिल्कीपुर के नतीजे देखें, तो यहां सपा को 95,612 वोट मिले। मिल्कीपुर में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दो बार सपा और एक बार भाजपा ने जीत दर्ज की। जातीय समीकरण : मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम वोटर्स भी अच्छी तादाद में हैं। कौन होगा सपा का कैंडिडेट? यहां अवधेश प्रसाद के बड़े बेटे अजीत प्रसाद का नाम चर्चा में है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में इस बात की चर्चा है कि अयोध्या जीत का एक और गिफ्ट अखिलेश यादव अवधेश प्रसाद को देंगे। हार का रिव्यू कर रही भाजपा, 4 नाम उपचुनाव की रेस में भाजपा अभी अयोध्या में मिली हार का रिव्यू कर रही है। यहां से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, चंद्रकेश रावत, बबलू पासी, राधेश्याम त्यागी का नाम चर्चा में हैं। ये सभी मिल्कीपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। हालांकि, भाजपा नेताओं का मानना है कि पार्टी अभी भितरघात का पता लगा रही है। 3. अंबेडकरनगर के कटेहरी में सिर्फ एक बार भाजपा जीती अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से विधायक लालजी वर्मा ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। लालजी ने विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया है। इस सीट पर सपा का दबदबा बरकरार है। यहां पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार। जातीय समीकरण: कटेहरी में दलित वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और कुर्मी मतदाता हैं। यादव-ठाकुर, निषाद और राजभर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां जातीय समीकरण साधने में सपा माहिर है। कौन होगा सपा से कैंडिडेट? सपा में चर्चा है कि लालजी वर्मा अपनी बेटी छाया वर्मा को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। हालांकि, अभी उन्होंने यह बात सार्वजनिक नहीं की है। वहीं पूर्व विधायक शंखलाल मांझी, जयशंकर पांडेय का नाम भी रेस में है। भाजपा से 4 नाम की चर्चा तेज उपचुनाव को लेकर भाजपा खेमे में पूर्व प्रत्याशी अवधेश द्विवेदी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रमाशंकर सिंह, पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद, छोटे पांडेय का नाम चर्चा में हैं। इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह के नाम की भी चर्चा है। 4. संभल लोकसभा चुनाव में कुंदरकी में 57 हजार वोट से जीती सपा संभल सीट से जियाउर रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। वह कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा को रिकॉर्ड 57 हजार वोटों से जीत मिली। जियाउर रहमान बर्क को यहां 1.43 लाख वोट मिले। जबकि भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 86 हजार। जातिगत समीकरण : इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 58 फीसदी है। इसके अलावा ओबीसी और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। सपा में हुई मोहम्मद रिजवान की एंट्री सपा ने शफीकुर्रहमान बर्क के पोते के लिए 2022 में सिटिंग विधायक मोहम्मद रिजवान का टिकट काट दिया था। इसके बाद मोहम्मद रिजवान ने पार्टी छोड़ दी थी। अब वह फिर से सपा में आ गए हैं। ऐसे में रिजवान के उम्मीदवार बनने की चर्चा है। भाजपा से रामवीर सिंह का नाम रेस में रामवीर सिंह कई बार चुनाव लड़ चुके हैं। उनकी संभावना प्रबल बताई जा रही है। हालांकि, भाजपा कोई नया उम्मीदवार भी उतार सकती है। 5. योगी के मंत्री की सीट पर सपा को लीड मिली सीएम योगी के मंत्री और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से विधायक अनूप वाल्मीकि को हाथरस लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वो हाथरस में चुनाव जीत गए। लेकिन, जिस विधानसभा सीट से वो विधायक थे। वहां सपा गठबंधन को सबसे ज्यादा वोट मिले। यहां सपा के बिजेंद्र सिंह को 95,391 वोट, जबकि भाजपा के सतीश गौतम को 93,900 वोट मिले। हालांकि, रालोद गठबंधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है। जातीय समीकरण : इस क्षेत्र में जाट वोटर्स की संख्या ज्यादा है। यहां 1.10 लाख जाट, इसके बाद दलित-50 हजार, ब्राह्मण-40 हजार और 30 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके अलावा वैश्य वोटर्स की संख्या भी निर्णायक रहती है। कौन होगा भाजपा का कैंडिडेट? भाजपा ने इस बार अपने सिटिंग सांसद राजवीर दिलेर का टिकट काट दिया था। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा इसकी भरपाई करेगी। वह उनके बेटे सुरेंद्र दिलेर को उपचुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। सपा में चर्चा नहीं, चंद्रशेखर हुए एक्टिव खैर उपचुनाव के लिए सपा में अभी कोई चर्चा नहीं चल रही है। हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि अखिलेश यादव यहां पीडीए समीकरण के तहत प्रत्याशी उतारेंगे। वहीं, दलित हत्याकांड के बाद अलीगढ़ पहुंचे आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर ने यहां से प्रत्याशी उतारने के संकेत दिए हैं। 6. गाजियाबाद में भाजपा मजबूत लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सदर से विधायक अतुल गर्ग ने जीत दर्ज की। उनके विधानसभा सीट पर भाजपा को रिकॉर्ड 1.37 लाख वोट मिले। यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी डॉली शर्मा को 73,950 वोट मिले। अतुल गर्ग ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले इस सीट पर 2004 में उपचुनाव हुए थे। तब सपा ने यहां जीत दर्ज की थी। यहां दो बार से लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है। जातीय समीकरण : गाजियाबाद सदर सीट पर वैश्य, अनुसूचित जाति के वोटर्स निर्णायक हैं। जाट वोट बैंक भी मायने रखता है। भाजपा से संजीव शर्मा समेत दो नाम रेस में उपचुनाव में भाजपा दो नामों पर मंथन कर रही है। पहला नाम महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा का है। संजीव शर्मा ने निकाय चुनाव में मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी। लेकिन, पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। दूसरा नाम- पश्चिमी यूपी के पूर्व महामंत्री अशोक मोंगा का है। वह संगठन में लंबे समय से एक्टिव हैं। कांग्रेस उतार सकती है अपना कैंडिडेट इस सीट पर सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग हो सकती है। गाजियाबाद में डॉली शर्मा ने लोकसभा चुनाव लड़ा और रनरअप रहीं। ऐसे में वह उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। दूसरा नाम पूर्व सांसद सुरेंद्र प्रकाश गोयल के बेटे सुशांत गोयल का है। उन्होंने भी मेयर चुनाव के लिए टिकट मांगा था। लेकिन, उन्हें टिकट नहीं मिला। ऐसे में वह प्रबल दावेदारी पेश कर रहे हैं। चंद्रशेखर की एंट्री : पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर एक्टिव हैं। उन्होंने गाजियाबाद सदर सीट पर विधानसभा प्रभारी सत्यपाल चौधरी को नियुक्त किया है। सत्यपाल चौधरी राजस्थान में आजाद समाज पार्टी की जिम्मेदारी संभालते हैं। ऐसे में यह तय है कि चंद्रशेखर उपचुनाव में यहां से अपना कैंडिडेट उतारेंगे। 7. मुजफ्फरनगर के मीरापुर में सपा मजबूत मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक चंदन चौहान ने बिजनौर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। लेकिन, अपनी विधानसभा सीट पर उन्हें सपा प्रत्याशी से कम वोट मिले। यहां सपा प्रत्याशी दीपक सैनी को 89429 और चंदन चौहान को 88,438 वोट मिले। ऐसे में उपचुनाव में इस सीट पर कांटे की टक्कर तय है। जातीय समीकरण : मीरापुर विधानसभा सीट पर एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 50 हजार से अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसी तरह से जाट 24 हजार और गुर्जर 18 हजार हैं। भाजपा से सीट शेयरिंग करेगा रालोद यह सीट रालोद के पास थी। ऐसे में यह तय है कि जयंत चौधरी की पार्टी यहां से अपना कैंडिडेट उतारेगी। ग्राउंड पर रालोद नेता उपचुनाव के लिए एक्टिव हैं। इस लिस्ट में रालोद नेता और पूर्व सांसद अमीर आलम के पुत्र पूर्व विधायक नवाजिश आलम का नाम चर्चा में है। नवाजिश 2017 में मीरापुर विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। मुस्लिम कैंडिडेट उतार सकती है सपा मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान की हार के बाद सपा के हौसले बुलंद हैं। मीरापुर सीट पर पार्टी PDA के तहत कैंडिडेट उतारेगी, यह तय माना जा रहा है। सपा से कादिर राणा इस समय एक्टिव हैं। चर्चा है कि वह उपचुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे। 8. फूलपुर में भाजपा मजबूत फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने सांसदी जीती है। अपनी विधानसभा सीट पर उन्होंने सपा को 29 हजार 705 वोटों से हराया। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में भाजपा को दो बार और सपा को एक बार जीत मिली है। जातीय समीकरण : फूलपुर में 21 से 23% दलित, 20% यादव मतदाता है। यहां सवर्ण वोटर्स 10 से 12% के बीच हैं। वहीं मुस्लिम मदताताओं की संख्या 14% है। कौन होगा कैंडिडेट? भाजपा और सपा दोनों पार्टियां उम्मीदवार पर मंथन कर रही हैं। फूलपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कई दावेदार भी सामने आ रहे हैं। 9. मिर्जापुर की मझवां सीट पर NDA मजबूत मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट से विधायक विनोद कुमार बिंद को भाजपा ने भदोही से टिकट दिया। यहां उन्होंने टीएमसी प्रत्याशी ललितेश मिश्रा को हराया। वहीं, मिर्जापुर में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। मझवां विधानसभा सीट से उन्हें सपा प्रत्याशी से 1762 वोट ज्यादा मिले। जातिगत समीकरण : दलित, ब्राह्मण, बिंद की संख्या 60-60 हजार है। कुशवाहा 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं। भाजपा उतारेगी अपना कैंडिडेट मझवां सीट भाजपा में शामिल निषाद पार्टी के पास थी। अब उपचुनाव में भाजपा इस सीट पर अपना कैंडिडेट उतारती है या सहयोगी पार्टी को देती है, यह घोषित नहीं है। हालांकि, भाजपा से सोहन श्रीमाली का नाम चर्चा में है। सपा की बात करें, तो पार्टी से रोहित शुक्ला लल्लू उपचुनाव के लिए रेस में चल रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने विनोद कुमार बिंद को कड़ी टक्कर दी थी। ​​​​​​ 10. सीसामऊ में सपा का दबदबा, इरफान सोलंकी की जगह कौन होगा कैंडिडेट कानपुर की सीसामऊ विधानसभा से सपा विधायक इरफान सोलंकी को जाजमऊ आगजनी केस में 7 साल की सजा सुनाई गई है। इरफान 2 दिसंबर, 2022 से जेल में बंद थे। नियमानुसार, 4 साल से ज्यादा की सजा पर विधायकी या सांसदी रद्द कर दी जाती है। ऐसे में तय है कि इरफान सोलंकी की विधायकी चली जाएगी। कानपुर के सीसामऊ में उपचुनाव होंगे। लोकसभा चुनाव में भाजपा के रमेश अवस्थी ने जीत दर्ज की। लेकिन सीसामऊ विधानसभा सीट पर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा से कम वोट मिले। जातीय समीकरण : मुस्लिम वोटर्स 80 हजार हैं। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण लगभग 55 हजार हैं। दलित 35 हजार, कायस्थ 20 हजार, वैश्य 15 हजार, यादव 16 हजार, सिंधी-पंजाबी 2000 हैं। अन्य वोटर्स की संख्या लगभग 35 है। कौन होगा उम्मीदवार? इरफान सोलंकी अपने पिता हाजी मुश्ताक सोलंकी की सियासत संभाल रहे थे। हाजी मुश्ताक सोलंकी दो बार कानपुर की आर्यनगर सीट से जीते। 2006 में उनके निधन के बाद 2007 चुनाव में इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज कराई। वहीं परिसीमन के बाद सीसामऊ से चुनाव लड़े। वह लगातार तीन बार से विधायक थे। इरफान सोलंकी की पत्नी रेस में नहीं हमराज कॉम्प्लेक्स मामले में पुलिस जहां इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी पर शिकंजा कसना शुरू कर चुकी है। वहीं मां खुर्शीदा बेगम पर अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। ऐसे में कयास ये भी है कि सीसामऊ सीट से सपा खुर्शीदा बेगम को प्रत्याशी बना सकती है। खुर्शीदा बेगम को प्रत्याशी बनाने से पार्टी के प्रति लोगों की नाराजगी भी नहीं पनपनेगी और सहानुभूति वोट भी मिलेगा। ऐसे में अभी मां के नाम पर ही चर्चा तेज है। इरफान के भाई भी हैं, लेकिन उनके नाम पर अभी कोई विचार नहीं चल रहा है। लेकिन मौजूदा समीकरणों के लिहाज से परिवार में ही पार्टी किसी को उपचुनाव का टिकट थमा सकती है। इन विधायकों ने लड़ा चुनाव, लेकिन हार गए ओम कुमार : बिजनौर की नहटौर विधानसभा से भाजपा विधायक ओम कुमार को नगीना लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन वह चुनाव हार गए। रिंकी कोल: रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से (अपना दल एस) प्रत्याशी रिंकी कोल को हार का सामना करना पड़ा। वह मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट से अपना दल विधायक हैं। रविदास मेहरोत्रा: लखनऊ से सपा प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा को राजनाथ सिंह ने चुनाव में हरा दिया। वह लखनऊ मध्य विधानसभा सीट से सपा विधायक हैं। उपचुनाव से पता चलेगा हवा किसके फेवर में है? लोकसभा चुनाव के साथ ही यूपी की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। ये सीटें - लखनऊ की लखनऊ पूर्व विधानसभा, बलरामपुर की गैसड़ी, शाहजहांपुर की ददरौल और सोनभद्र की दुद्धी थीं। ददरौल और लखनऊ पूर्वी सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। वहीं गैंसड़ी और दुद्धी सीट पर सपा ने जीत दर्ज की। दुद्धी सीट पर भाजपा के रामदुलार गोंड को रेप केस में सजा हुई। इसके बाद यह सीट सपा ने जीत ली। 2022 चुनाव में भाजपा ने 255, सपा ने 111, अपना दल ने 12, रालोद ने 8, निषाद पार्टी ने 6, सुभासपा ने 6, जनसत्ता दल ने 2, कांग्रेस ने 2 और बसपा ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में हार-जीत के बाद भी सत्तासीन भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन, इससे हवा किसके फेवर में चल रही है? यह जरूर पता चलेगा।