वन भूमि हंकाई के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई सजा:​​कहा- पुलिस की गवाही भी सबूत, नकारा नहीं जा सकता; साल 2018 का है मामला

गुना के फतेहगढ़ इलाके में अवैध रूप से वन भूमि की हंकाई करने के आरोपी को कोर्ट ने सजा सुनाई। आरोपी को वन भूमि की हंकाई करते हुए साल 2018 में वनकर्मियों ने पकड़ा था। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पुलिस कर्मचारी के साक्ष्य को भी आम लोगों द्वारा पेश किए गए साक्ष्य की ही तरह लेना चाहिए। ये उपधारणा कि व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करता है, पुलिस के मामले में भी लागू होती है। कोर्ट ने आरोपी को न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई साथ ही 2 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। ये है मामला मामला वर्ष 2018 का है। 16 नवंबर को बीट पूर्वी फतेहगढ़ में पदस्थ वनपाल ओमप्रकाश रघुवंशी, रामप्रसाद लोधी, प्रकाश मेहर व अन्य स्टाफ के साथ जंगल गए थे। वहां उन्हें बीट पूर्वी फतेहगढ़ में एक व्यक्ति नीले रंग का ट्रैक्टर जमीन हांकते हुए दिखाई दिया। पूछताछ की तो उसने अपना नाम लखन जाटव निवासी झिरी तहसील बमौरी बताया। बिना कागजात के अवैध हंकाई की टीम ने लखन से वन भूमि से संबंधित दस्तावेज मांगे, लेकिन उसने बताया कि उसके पास कोई कागजात नहीं हैं। लखन ने कहा कि ट्रैक्टर रज्जाक भाई का है और वह मजदूरी से इसे चला रहा है। उसने कहा रज्जाक भाई के कहने पर महाराज की भूमि को समतल करने आया है। टीम ने मौके के जीपीएस निर्देशांक लिए तो पता चला ये जमीन फॉरेस्ट लैंड है। टीम ने ट्रैक्टर को जब्त कर लिया है। साथ ही आरोपी के खिलाफ वन अधिनियम की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई। वकील ने गवाहों के सबूतों पर उठाए सवाल मामले की विवेचना के बाद चालान कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि प्रकरण में किसी सामान्य नागरिक को गवाह नहीं बनाया गया है। सभी गवाह वनकर्मी हैं। सिर्फ उनके सबूतों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने वनकर्मियों के सबूतों को सही ठहराया न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने कहा कि पुलिस कर्मचारी के साक्ष्य को भी आम लोगों द्वारा पेश किए गए साक्ष्य की ही तरह लेना चाहिए। कोर्ट ने ये भी कहा कि पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की अभियोजन में रुचि होती है, लेकिन उनके कथनों पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।

वन भूमि हंकाई के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई सजा:​​कहा- पुलिस की गवाही भी सबूत, नकारा नहीं जा सकता; साल 2018 का है मामला
गुना के फतेहगढ़ इलाके में अवैध रूप से वन भूमि की हंकाई करने के आरोपी को कोर्ट ने सजा सुनाई। आरोपी को वन भूमि की हंकाई करते हुए साल 2018 में वनकर्मियों ने पकड़ा था। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पुलिस कर्मचारी के साक्ष्य को भी आम लोगों द्वारा पेश किए गए साक्ष्य की ही तरह लेना चाहिए। ये उपधारणा कि व्यक्ति ईमानदारी से कार्य करता है, पुलिस के मामले में भी लागू होती है। कोर्ट ने आरोपी को न्यायालय उठने तक की सजा सुनाई साथ ही 2 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। ये है मामला मामला वर्ष 2018 का है। 16 नवंबर को बीट पूर्वी फतेहगढ़ में पदस्थ वनपाल ओमप्रकाश रघुवंशी, रामप्रसाद लोधी, प्रकाश मेहर व अन्य स्टाफ के साथ जंगल गए थे। वहां उन्हें बीट पूर्वी फतेहगढ़ में एक व्यक्ति नीले रंग का ट्रैक्टर जमीन हांकते हुए दिखाई दिया। पूछताछ की तो उसने अपना नाम लखन जाटव निवासी झिरी तहसील बमौरी बताया। बिना कागजात के अवैध हंकाई की टीम ने लखन से वन भूमि से संबंधित दस्तावेज मांगे, लेकिन उसने बताया कि उसके पास कोई कागजात नहीं हैं। लखन ने कहा कि ट्रैक्टर रज्जाक भाई का है और वह मजदूरी से इसे चला रहा है। उसने कहा रज्जाक भाई के कहने पर महाराज की भूमि को समतल करने आया है। टीम ने मौके के जीपीएस निर्देशांक लिए तो पता चला ये जमीन फॉरेस्ट लैंड है। टीम ने ट्रैक्टर को जब्त कर लिया है। साथ ही आरोपी के खिलाफ वन अधिनियम की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई। वकील ने गवाहों के सबूतों पर उठाए सवाल मामले की विवेचना के बाद चालान कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि प्रकरण में किसी सामान्य नागरिक को गवाह नहीं बनाया गया है। सभी गवाह वनकर्मी हैं। सिर्फ उनके सबूतों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने वनकर्मियों के सबूतों को सही ठहराया न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने कहा कि पुलिस कर्मचारी के साक्ष्य को भी आम लोगों द्वारा पेश किए गए साक्ष्य की ही तरह लेना चाहिए। कोर्ट ने ये भी कहा कि पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की अभियोजन में रुचि होती है, लेकिन उनके कथनों पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।