वीरों को झूले पर घुमाने की अनूठी परंपरा निभाई:उमरेठ में मेघनाथ मेले का धूमधाम से समापन
वीरों को झूले पर घुमाने की अनूठी परंपरा निभाई:उमरेठ में मेघनाथ मेले का धूमधाम से समापन
उमरेठ में आस्था, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक मेघनाथ मेला के समापन रविवार को धूमधाम से हो गया। इस मेले में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मन्नत के वीरों को झूले पर बांधकर घुमाने की रस्म निभाई गई। इस वर्ष डिंपी (पिता अजय पवार, निवासी जूनापानी, उम्र 1 वर्ष), सतीश (पिता पतिराम, निवासी छाबड़ी, उम्र 35 वर्ष) और राजू (पिता वस्तीराम, निवासी वावन क्वार्टर उमरेठ, उम्र 32 वर्ष) को वीरों की तरह घुमाया गया। बताया जाता है कि मन्नत पूरी होने पर ऐसा किया जाता है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे साहस, आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। कैसे घुमाए जाते हैं मन्नत के वीर? श्रद्धालुओं में उत्साह, भक्तों की उमड़ी भीड़
मेघनाथ मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे। वीरों को घुमाने की परंपरा देखने के लिए उमरेठ के अलावा आसपास के गांवों से भी भारी संख्या में भक्त आए। मेले में धार्मिक अनुष्ठान, झूले, खान-पान और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। सुरक्षा व्यवस्था रही मजबूत भक्तों ने जताई श्रद्धा, उल्लास के साथ हुआ मेला
मेले के समापन के दौरान भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना की और प्रसाद वितरण किया गया। इस ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनने पर श्रद्धालुओं ने गर्व और संतोष व्यक्त किया।
उमरेठ में आस्था, परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक मेघनाथ मेला के समापन रविवार को धूमधाम से हो गया। इस मेले में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मन्नत के वीरों को झूले पर बांधकर घुमाने की रस्म निभाई गई। इस वर्ष डिंपी (पिता अजय पवार, निवासी जूनापानी, उम्र 1 वर्ष), सतीश (पिता पतिराम, निवासी छाबड़ी, उम्र 35 वर्ष) और राजू (पिता वस्तीराम, निवासी वावन क्वार्टर उमरेठ, उम्र 32 वर्ष) को वीरों की तरह घुमाया गया। बताया जाता है कि मन्नत पूरी होने पर ऐसा किया जाता है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे साहस, आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। कैसे घुमाए जाते हैं मन्नत के वीर? श्रद्धालुओं में उत्साह, भक्तों की उमड़ी भीड़
मेघनाथ मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे। वीरों को घुमाने की परंपरा देखने के लिए उमरेठ के अलावा आसपास के गांवों से भी भारी संख्या में भक्त आए। मेले में धार्मिक अनुष्ठान, झूले, खान-पान और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। सुरक्षा व्यवस्था रही मजबूत भक्तों ने जताई श्रद्धा, उल्लास के साथ हुआ मेला
मेले के समापन के दौरान भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना की और प्रसाद वितरण किया गया। इस ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनने पर श्रद्धालुओं ने गर्व और संतोष व्यक्त किया।