गुना में बाल संस्कार शिविर का समापन:कलेक्टर कन्याल बाेले- इस उम्र के संस्‍कार बच्‍चों में जीवन पर्यन्‍त बने रहते हैं

आज के दौर में बच्चों को बाल्यकाल में संस्कार देना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस उम्र में जो संस्कार बच्चों को दिये जाते हैं, वह जीवन पर्यन्त बने रहते हैं। बच्चों में संस्कारों की जो नींव रखी गई है, वही भारत को भविष्य में संस्कारित और विकसित बनाएगी। यह बात बाल संस्कार शिविर के समापन समारोह में कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने कही। दरअसल, भारत विकास परिषद शाखा और अहिल्या शाखा द्वारा आयोजित 7 दिवसीय बाल संस्कार शिविर का समापन शनिवार को एक निजी स्कूल में हुआ। शिविर की दैनिक गतिविधियों की शुरुआत प्रातः सूर्य को अर्घ्य देने से हुई, जिससे बच्चों में दिनचर्या, ऊर्जा और प्रकृति के प्रति आभार का भाव विकसित हुआ। वैदिक हवन से शुरुआत समापन दिवस की शुरुआत गायत्री शक्तिपीठ के मार्गदर्शन में 7 कुण्डीय वैदिक हवन से हुई। शंखनाद के साथ प्रारंभ इस पवित्र हवन में 60 बच्चों सहित कुल 72 लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में बच्चों को हवन पद्धति, सामग्री, आहुति, टीका, संकल्प, दक्षिणा व लकड़ी के पात्रों के महत्व को समझाया गया। शिविर के दौरान बच्चों को योग, प्रार्थना, वैदिक मंत्रों का उच्चारण, नैतिक शिक्षा, माता-पिता का सम्मान, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति, जीवन में अनुशासन, आहार-विहार की मर्यादा और मंच प्रस्तुति का प्रशिक्षण दिया गया। आयोजकों के अनुसार, डिजिटल युग में यह शिविर बच्चों को संस्कृति से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम सिद्ध हुआ। यह रहे उपस्थित कार्यक्रम में गायत्री शक्तिपीठ से उपजोन समन्वयक महेश केवट, जिला समन्वयक सुरेन्द्र प्रजापति, व्यवस्थापक ओपी श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश मिश्रा, शिवचरण नामदेव और भूपेन्द्र पवार उपस्थित रहे। महिला मंडल से शशि मिश्रा, संतोष सोनी, भावना पराशर, स्मिता शर्मा और ममता कुशवाहा ने योगदान दिया। शिविर का मंच संचालन ऋषिकेश भार्गव ने किया। बच्चों को मिले प्रमाण पत्र और उपहार समापन समारोह में अहिल्या और गुना शाखा द्वारा सभी बच्चों को प्रमाण पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि शिविर का उद्देश्य केवल शिक्षण नहीं, बल्कि एक मजबूत, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की नींव रखना था। आज के दौर में बच्‍चों को बाल्‍यकाल में संस्‍कार देना बहुत आवश्‍यक है, क्‍योंकि इस उम्र में जो संस्‍कार बच्‍चों को दिये जाते हैं, वह जीवन पर्यन्‍त बने रहते हैं। बच्चों में संस्कारों की जो नींव रखी गई है, वही भारत को भविष्य में संस्कारित और विकसित बनाएगी। यह बात कलेक्‍टर किशोर कुमार कन्‍याल द्वारा शनिवार को निजी स्‍कूल में आयोजित भारत विकास परिषद् शाखा और अहिल्या शाखा द्वारा आयोजित 7 दिवसीय बाल संस्कार शिविर के समापन अवसर पर मुख्‍य अतिथि के रूप में व्‍यक्‍त किये। इस दौरान बताया गया कि शिविर की प्रारंभिक गतिविधियाँ प्रतिदिन प्रातः सूर्य को अर्घ्य देने से होती थीं, जिससे बच्चों में दिनचर्या, ऊर्जा और प्रकृति के प्रति आभार का भाव विकसित हुआ। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलेक्टर द्वारा बच्चों को प्रमाण-पत्र वितरित किए। बच्चों द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंत्रों व श्लोकों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा इन बच्चों में संस्कारों की जो नींव रखी गई है, वही भारत को भविष्य में संस्कारित और विकसित बनाएगी। सातवें और समापन दिवस की शुरुआत गायत्री शक्तिपीठ के मार्गदर्शन में हुए 7 कुण्डीय वैदिक हवन से हुई। शंखनाद के साथ प्रारंभ इस पवित्र हवन में 60 बच्चों सहित कुल 72 लोगों ने भाग लिया। हवन पद्धति, उसमें प्रयुक्त सामग्री, आहुति, टीका, संकल्प, दक्षिणा व लकड़ी के पात्रों के महत्व को समझाया गया, जिससे बच्चों ने वैदिक संस्कृति को गहराई से जाना। शिविर के सभी सातों दिवस का मंच संचालन ऋषिकेश भार्गव ने किया, जिन्होंने पूरे आयोजन में उत्साह, अनुशासन और भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखा। इस अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ से उपजोन समन्वयक महेश केवट, जिला समन्वयक सुरेन्द्र प्रजापति, व्यवस्थापक ओपी श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश मिश्रा, शिवचरण नामदेव, भूपेन्द्र पवार उपस्थित रहे। महिला मंडल से शशि मिश्रा, संतोष सोनी, भावना पराशर, स्मिता शर्मा, एवं ममता कुशवाहा ने सराहनीय योगदान दिया। 7 दिनों में बच्चों ने सीखा आयोजकों ने बताया कि इस शिविर ने बच्चों को प्रतिदिन योग, प्रार्थना, वेदों से मंत्रों का उच्चारण, नैतिक शिक्षा, माता-पिता का सम्मान, भारतीय संस्कृति की गरिमा, देशभक्ति, जीवन में अनुशासन, आहार-विहार की मर्यादा, और आत्मविश्वास के साथ मंच पर प्रस्तुतियाँ देने का प्रशिक्षण मिला। इन शिक्षाओं से बच्चों में आत्मबल, नेतृत्व क्षमता, संयम और सेवा भाव का विकास हुआ। आज के डिजिटल युग में यह शिविर उन्हें संस्कृति से जोड़ने वाला एक जीवंत माध्यम सिद्ध हुआ। कार्यक्रम के अंत में अहिल्या और गुना शाखा द्वारा सभी बच्चों को प्रमाण पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि इस शिविर की सफलता इस बात में निहित रही कि छोटे-छोटे बच्चों ने संस्कार, अनुशासन और संस्कृति को अपनाने की प्रेरणा पाई। इस शिविर का उद्देश्य केवल शिक्षण नहीं, एक मजबूत, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की नींव रखना है।

गुना में बाल संस्कार शिविर का समापन:कलेक्टर कन्याल बाेले- इस उम्र के संस्‍कार बच्‍चों में जीवन पर्यन्‍त बने रहते हैं
आज के दौर में बच्चों को बाल्यकाल में संस्कार देना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस उम्र में जो संस्कार बच्चों को दिये जाते हैं, वह जीवन पर्यन्त बने रहते हैं। बच्चों में संस्कारों की जो नींव रखी गई है, वही भारत को भविष्य में संस्कारित और विकसित बनाएगी। यह बात बाल संस्कार शिविर के समापन समारोह में कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने कही। दरअसल, भारत विकास परिषद शाखा और अहिल्या शाखा द्वारा आयोजित 7 दिवसीय बाल संस्कार शिविर का समापन शनिवार को एक निजी स्कूल में हुआ। शिविर की दैनिक गतिविधियों की शुरुआत प्रातः सूर्य को अर्घ्य देने से हुई, जिससे बच्चों में दिनचर्या, ऊर्जा और प्रकृति के प्रति आभार का भाव विकसित हुआ। वैदिक हवन से शुरुआत समापन दिवस की शुरुआत गायत्री शक्तिपीठ के मार्गदर्शन में 7 कुण्डीय वैदिक हवन से हुई। शंखनाद के साथ प्रारंभ इस पवित्र हवन में 60 बच्चों सहित कुल 72 लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में बच्चों को हवन पद्धति, सामग्री, आहुति, टीका, संकल्प, दक्षिणा व लकड़ी के पात्रों के महत्व को समझाया गया। शिविर के दौरान बच्चों को योग, प्रार्थना, वैदिक मंत्रों का उच्चारण, नैतिक शिक्षा, माता-पिता का सम्मान, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति, जीवन में अनुशासन, आहार-विहार की मर्यादा और मंच प्रस्तुति का प्रशिक्षण दिया गया। आयोजकों के अनुसार, डिजिटल युग में यह शिविर बच्चों को संस्कृति से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम सिद्ध हुआ। यह रहे उपस्थित कार्यक्रम में गायत्री शक्तिपीठ से उपजोन समन्वयक महेश केवट, जिला समन्वयक सुरेन्द्र प्रजापति, व्यवस्थापक ओपी श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश मिश्रा, शिवचरण नामदेव और भूपेन्द्र पवार उपस्थित रहे। महिला मंडल से शशि मिश्रा, संतोष सोनी, भावना पराशर, स्मिता शर्मा और ममता कुशवाहा ने योगदान दिया। शिविर का मंच संचालन ऋषिकेश भार्गव ने किया। बच्चों को मिले प्रमाण पत्र और उपहार समापन समारोह में अहिल्या और गुना शाखा द्वारा सभी बच्चों को प्रमाण पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि शिविर का उद्देश्य केवल शिक्षण नहीं, बल्कि एक मजबूत, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की नींव रखना था। आज के दौर में बच्‍चों को बाल्‍यकाल में संस्‍कार देना बहुत आवश्‍यक है, क्‍योंकि इस उम्र में जो संस्‍कार बच्‍चों को दिये जाते हैं, वह जीवन पर्यन्‍त बने रहते हैं। बच्चों में संस्कारों की जो नींव रखी गई है, वही भारत को भविष्य में संस्कारित और विकसित बनाएगी। यह बात कलेक्‍टर किशोर कुमार कन्‍याल द्वारा शनिवार को निजी स्‍कूल में आयोजित भारत विकास परिषद् शाखा और अहिल्या शाखा द्वारा आयोजित 7 दिवसीय बाल संस्कार शिविर के समापन अवसर पर मुख्‍य अतिथि के रूप में व्‍यक्‍त किये। इस दौरान बताया गया कि शिविर की प्रारंभिक गतिविधियाँ प्रतिदिन प्रातः सूर्य को अर्घ्य देने से होती थीं, जिससे बच्चों में दिनचर्या, ऊर्जा और प्रकृति के प्रति आभार का भाव विकसित हुआ। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलेक्टर द्वारा बच्चों को प्रमाण-पत्र वितरित किए। बच्चों द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंत्रों व श्लोकों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा इन बच्चों में संस्कारों की जो नींव रखी गई है, वही भारत को भविष्य में संस्कारित और विकसित बनाएगी। सातवें और समापन दिवस की शुरुआत गायत्री शक्तिपीठ के मार्गदर्शन में हुए 7 कुण्डीय वैदिक हवन से हुई। शंखनाद के साथ प्रारंभ इस पवित्र हवन में 60 बच्चों सहित कुल 72 लोगों ने भाग लिया। हवन पद्धति, उसमें प्रयुक्त सामग्री, आहुति, टीका, संकल्प, दक्षिणा व लकड़ी के पात्रों के महत्व को समझाया गया, जिससे बच्चों ने वैदिक संस्कृति को गहराई से जाना। शिविर के सभी सातों दिवस का मंच संचालन ऋषिकेश भार्गव ने किया, जिन्होंने पूरे आयोजन में उत्साह, अनुशासन और भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखा। इस अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ से उपजोन समन्वयक महेश केवट, जिला समन्वयक सुरेन्द्र प्रजापति, व्यवस्थापक ओपी श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश मिश्रा, शिवचरण नामदेव, भूपेन्द्र पवार उपस्थित रहे। महिला मंडल से शशि मिश्रा, संतोष सोनी, भावना पराशर, स्मिता शर्मा, एवं ममता कुशवाहा ने सराहनीय योगदान दिया। 7 दिनों में बच्चों ने सीखा आयोजकों ने बताया कि इस शिविर ने बच्चों को प्रतिदिन योग, प्रार्थना, वेदों से मंत्रों का उच्चारण, नैतिक शिक्षा, माता-पिता का सम्मान, भारतीय संस्कृति की गरिमा, देशभक्ति, जीवन में अनुशासन, आहार-विहार की मर्यादा, और आत्मविश्वास के साथ मंच पर प्रस्तुतियाँ देने का प्रशिक्षण मिला। इन शिक्षाओं से बच्चों में आत्मबल, नेतृत्व क्षमता, संयम और सेवा भाव का विकास हुआ। आज के डिजिटल युग में यह शिविर उन्हें संस्कृति से जोड़ने वाला एक जीवंत माध्यम सिद्ध हुआ। कार्यक्रम के अंत में अहिल्या और गुना शाखा द्वारा सभी बच्चों को प्रमाण पत्र और उपहार देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि इस शिविर की सफलता इस बात में निहित रही कि छोटे-छोटे बच्चों ने संस्कार, अनुशासन और संस्कृति को अपनाने की प्रेरणा पाई। इस शिविर का उद्देश्य केवल शिक्षण नहीं, एक मजबूत, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की नींव रखना है।