मुकुंदपुर में एक और सफेद बाघ की मौत:व्हाइट टाइगर सफारी में दिल्ली से लाया गया था 11 वर्षीय टीपू, अब सिर्फ 3 बचे
विश्व की पहली ओपन व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में दिल्ली से लाए गए सफेद बाघ टीपू की मंगलवार दोपहर मौत हो गई। टीपू पिछले तीन महीने से बीमार था और गहन चिकित्सा इकाई में उसका उपचार चल रहा था। सतना डीएफओ मयंक चांदीवाल और जू डायरेक्टर रामेश्वर टेकाम ने इसकी पुष्टि की है। तीन महीने से था बीमार मुकुंदपुर जू के डायरेक्टर ने बताया कि 11 वर्षीय नर सफेद बाघ टीपू की तबीयत कुछ महीनों से खराब थी। जू के पशु चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता लगातार उसका इलाज कर रहे थे। इसके अलावा जबलपुर, रीवा और बांधवगढ़ के विशेषज्ञ डॉक्टर भी उसकी जांच और उपचार में शामिल थे। आईसीयू में इलाज के दौरान गई जान पिछले एक सप्ताह से उसकी हालत और बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे आईसीयू में रखा गया। मंगलवार दोपहर 1:54 बजे टीपू ने अंतिम सांस ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रारंभिक कारण क्रॉनिक किडनी फेल्योर सामने आया है। बाघ के अंगों के सैंपल जांच के लिए सुरक्षित रखे गए। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में शवदाह की प्रक्रिया पूरी की गई। अब सफारी में केवल तीन बाघ मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी वर्ष 2016 में जनता के लिए खोली गई थी। यहां शुरुआत में मादा बाघिन विंध्या लाई गई थी, जिसके बाद राधा, रघु, सोनम और मोहन आए। 2023 में दिल्ली से टीपू को लाया गया था। विंध्या और राधा की पहले ही मौत हो चुकी है। अब टीपू की मौत के बाद सफारी में केवल रघु, सोनम और मोहन बचे हैं।
विश्व की पहली ओपन व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में दिल्ली से लाए गए सफेद बाघ टीपू की मंगलवार दोपहर मौत हो गई। टीपू पिछले तीन महीने से बीमार था और गहन चिकित्सा इकाई में उसका उपचार चल रहा था। सतना डीएफओ मयंक चांदीवाल और जू डायरेक्टर रामेश्वर टेकाम ने इसकी पुष्टि की है। तीन महीने से था बीमार मुकुंदपुर जू के डायरेक्टर ने बताया कि 11 वर्षीय नर सफेद बाघ टीपू की तबीयत कुछ महीनों से खराब थी। जू के पशु चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता लगातार उसका इलाज कर रहे थे। इसके अलावा जबलपुर, रीवा और बांधवगढ़ के विशेषज्ञ डॉक्टर भी उसकी जांच और उपचार में शामिल थे। आईसीयू में इलाज के दौरान गई जान पिछले एक सप्ताह से उसकी हालत और बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे आईसीयू में रखा गया। मंगलवार दोपहर 1:54 बजे टीपू ने अंतिम सांस ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रारंभिक कारण क्रॉनिक किडनी फेल्योर सामने आया है। बाघ के अंगों के सैंपल जांच के लिए सुरक्षित रखे गए। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में शवदाह की प्रक्रिया पूरी की गई। अब सफारी में केवल तीन बाघ मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी वर्ष 2016 में जनता के लिए खोली गई थी। यहां शुरुआत में मादा बाघिन विंध्या लाई गई थी, जिसके बाद राधा, रघु, सोनम और मोहन आए। 2023 में दिल्ली से टीपू को लाया गया था। विंध्या और राधा की पहले ही मौत हो चुकी है। अब टीपू की मौत के बाद सफारी में केवल रघु, सोनम और मोहन बचे हैं।