नवमी पर नौ कन्याओं को चांदी के लॉकेट भेंट किए:बैतूल में बालिकाओं के प्रति सही सोच रखने पहल; रक्तदान करने की शपथ

बैतूल जिला चिकित्सालय में नवमी पर नौ कन्याओं को चांदी के दुर्गा लॉकेट भेंट किए गए। भ्रूण हत्या रोकने, लिंग भेदभाव को दूर करने और बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच बनाए रखने यह प्रयास किया गया। इधर, राष्ट्रीय रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में नवजात कन्याओं की माताओं को मोतियों की माला और बुके भेंट कर सम्मानित किया गया। समिति के संस्थापक शैलेंद्र बिहारिया ने बताया कि समाज में आज भी बेटी के जन्म पर परिवार में उदासीनता देखी जाती है, जबकि बेटे के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं। इसी सोच को बदलने के लिए समिति ने 'बेटी बधाई योजना' के रूप में यह सकारात्मक प्रयास शुरू किया है। लोगों ने रक्तदान करने शपथ ली राष्ट्रीय रक्तदाता दिवस के उपलक्ष्य में एक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ. जगदीश घोरे, डॉ. रानू वर्मा और रक्तकेंद्र अधिकारी डॉ. अंकिता सीते के मुख्य आतिथ्य में इस शिविर का शुभारंभ हुआ। रक्तदान शिविर में मीडिया प्रभारी संदीप सोलंकी ने 40वीं बार रक्तदान कर राष्ट्रीय रक्तदान दिवस पर रक्तदान का संदेश दिया। इस अवसर पर फौजी विलास धोटे और फौजी प्रकाश करने को रक्तदान के लिए आरती उतारकर, बुके और मोतियों की माला भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ. सीते ने सभी उपस्थित लोगों को रक्तदान की शपथ दिलाई। डॉ ने कहा- प्रदेश के लिए प्रेरक प्रयास डॉ. रानू वर्मा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना से प्रेरित होकर मां शारदा सहायता समिति द्वारा जन्मी बेटियों को चांदी के लॉकेट भेंट करना निश्चित रूप से एक अभिनव प्रयास है, जो प्रदेश के लिए प्रेरक है। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. घोरे और डॉ. सीते को भी रक्तदान हेतु सम्मानित किया गया। समिति के हिमांशु सोनी और निमिष मालवीय ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, आज भी 1000 पुरुषों पर 943 महिलाओं का लिंगानुपात चिंताजनक है। इसलिए 'बेटी बधाई योजना' जैसी पहलें समाज के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

Oct 1, 2025 - 16:28
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नवमी पर नौ कन्याओं को चांदी के लॉकेट भेंट किए:बैतूल में बालिकाओं के प्रति सही सोच रखने पहल; रक्तदान करने की शपथ
बैतूल जिला चिकित्सालय में नवमी पर नौ कन्याओं को चांदी के दुर्गा लॉकेट भेंट किए गए। भ्रूण हत्या रोकने, लिंग भेदभाव को दूर करने और बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच बनाए रखने यह प्रयास किया गया। इधर, राष्ट्रीय रक्तदान शिविर भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में नवजात कन्याओं की माताओं को मोतियों की माला और बुके भेंट कर सम्मानित किया गया। समिति के संस्थापक शैलेंद्र बिहारिया ने बताया कि समाज में आज भी बेटी के जन्म पर परिवार में उदासीनता देखी जाती है, जबकि बेटे के जन्म पर खुशियां मनाई जाती हैं। इसी सोच को बदलने के लिए समिति ने 'बेटी बधाई योजना' के रूप में यह सकारात्मक प्रयास शुरू किया है। लोगों ने रक्तदान करने शपथ ली राष्ट्रीय रक्तदाता दिवस के उपलक्ष्य में एक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ. जगदीश घोरे, डॉ. रानू वर्मा और रक्तकेंद्र अधिकारी डॉ. अंकिता सीते के मुख्य आतिथ्य में इस शिविर का शुभारंभ हुआ। रक्तदान शिविर में मीडिया प्रभारी संदीप सोलंकी ने 40वीं बार रक्तदान कर राष्ट्रीय रक्तदान दिवस पर रक्तदान का संदेश दिया। इस अवसर पर फौजी विलास धोटे और फौजी प्रकाश करने को रक्तदान के लिए आरती उतारकर, बुके और मोतियों की माला भेंट कर सम्मानित किया गया। डॉ. सीते ने सभी उपस्थित लोगों को रक्तदान की शपथ दिलाई। डॉ ने कहा- प्रदेश के लिए प्रेरक प्रयास डॉ. रानू वर्मा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना से प्रेरित होकर मां शारदा सहायता समिति द्वारा जन्मी बेटियों को चांदी के लॉकेट भेंट करना निश्चित रूप से एक अभिनव प्रयास है, जो प्रदेश के लिए प्रेरक है। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. घोरे और डॉ. सीते को भी रक्तदान हेतु सम्मानित किया गया। समिति के हिमांशु सोनी और निमिष मालवीय ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, आज भी 1000 पुरुषों पर 943 महिलाओं का लिंगानुपात चिंताजनक है। इसलिए 'बेटी बधाई योजना' जैसी पहलें समाज के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।