मैहर तक पैदल यात्रा कर रहे श्रद्धालु उमरिया पहुंचे:300 किमी की यात्रा का चौथा दिन; मां शारदा का करेंगे दर्शन

कोतमा से मैहर स्थित मां शारदा मंदिर के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की पैदल यात्रा कर रहे हैं। 2 अक्टूबर को कोतमा से शुरू हुई यह यात्रा चौथे दिन 5 अक्टूबर को उमरिया पहुंची। इन श्रद्धालुओं में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं, जो मैहर के लिए आगे बढ़ रहे हैं। यह लगभग 300 किलोमीटर की कठिन यात्रा है, जिसे श्रद्धालु पैदल और नंगे पैर तय करते हैं। यात्रा हर पांच साल में एक बार आयोजित की जाती है। यात्रा के दौरान काली नृत्य और माता शारदा के जयकारों की गूंज सुनाई देती है। 5 अक्टूबर की रात उमरिया पहुंचने पर, नगरवासियों और समाजसेवियों ने श्रद्धालुओं के लिए रुकने और भोजन की व्यवस्था की। सामुदायिक भवन, मंगल भवन सहित अन्य स्थानों पर उनके ठहरने का इंतजाम किया गया। एक श्रद्धालु साक्षी प्रजापति ने बताया कि वे प्रतिदिन लगभग 50 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और 8 अक्टूबर को मैहर में दर्शन करने की उम्मीद है। जिले के भू-अभिलेख अधीक्षक लक्ष्मीकांत शर्मा ने पुष्टि की कि यात्रा 5 अक्टूबर की रात उमरिया पहुंची थी और 6 अक्टूबर की सुबह मैहर के लिए रवाना हो गई। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए रुकने की व्यवस्था सामुदायिक भवन और अन्य स्थानों पर की गई थी।

मैहर तक पैदल यात्रा कर रहे श्रद्धालु उमरिया पहुंचे:300 किमी की यात्रा का चौथा दिन; मां शारदा का करेंगे दर्शन
कोतमा से मैहर स्थित मां शारदा मंदिर के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालुओं की पैदल यात्रा कर रहे हैं। 2 अक्टूबर को कोतमा से शुरू हुई यह यात्रा चौथे दिन 5 अक्टूबर को उमरिया पहुंची। इन श्रद्धालुओं में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं, जो मैहर के लिए आगे बढ़ रहे हैं। यह लगभग 300 किलोमीटर की कठिन यात्रा है, जिसे श्रद्धालु पैदल और नंगे पैर तय करते हैं। यात्रा हर पांच साल में एक बार आयोजित की जाती है। यात्रा के दौरान काली नृत्य और माता शारदा के जयकारों की गूंज सुनाई देती है। 5 अक्टूबर की रात उमरिया पहुंचने पर, नगरवासियों और समाजसेवियों ने श्रद्धालुओं के लिए रुकने और भोजन की व्यवस्था की। सामुदायिक भवन, मंगल भवन सहित अन्य स्थानों पर उनके ठहरने का इंतजाम किया गया। एक श्रद्धालु साक्षी प्रजापति ने बताया कि वे प्रतिदिन लगभग 50 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और 8 अक्टूबर को मैहर में दर्शन करने की उम्मीद है। जिले के भू-अभिलेख अधीक्षक लक्ष्मीकांत शर्मा ने पुष्टि की कि यात्रा 5 अक्टूबर की रात उमरिया पहुंची थी और 6 अक्टूबर की सुबह मैहर के लिए रवाना हो गई। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए रुकने की व्यवस्था सामुदायिक भवन और अन्य स्थानों पर की गई थी।