दिवाली के दिन भाई-बहन की मौत, एक बहन अस्पताल में:पिता बोले- उल्टी, दस्त का इलाज कराया था; इंजेक्शन लगाने के 14 घंटे में गई जान

सीहोर जिले के आष्टा में दीपावली के दिन ही घर के चिराग बुझ गए। 14 घंटे में दो भाई-बहन की मौत हो गई। तीसरी बहन भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत गंभीर है। परिजन का कहना है कि बच्चों को उल्टी-दस्त के बाद झोलाछाप डॉक्टर के पास ले गए थे। यहां डॉक्टर ने दवा दी और इंजेक्शन लगाए। दवा खाने के आधे घंटे बाद तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। डेढ़ साल की बच्ची की सिविल अस्पताल और बच्चे की जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में जान चली गई। मामला कचनारिया गांव का है, जहां सोमवार को अंशिका (डेढ़ साल) और वंश (8) पिता अखिलेश मालवीय की मौत हो गई। वहीं, तीन साल की वंशिका अस्पताल में भर्ती है। वंश परिवार का इकलौता बेटा था। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची, जिसने दवा जब्त कर ली है। दैनिक भास्कर की टीम ने मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर गांव जाकर बच्चों के पिता और डॉक्टर से बात कर मामले को समझने की कोशिश की। पढ़िए, रिपोर्ट… 20 बाय 40 का घर, दीवारों पर प्लास्टर नहीं आष्टा से भोपाल-इंदौर हाइवे पर 15 किलोमीटर दूर मोलूखेड़ी गांव है। यहां से अंदर की ओर करीब पांच किलोमीटर पर कचनारिया गांव है। करीब दो हजार की आबादी है। दीपावली के दिन गांव में खुशियों की जगह मातम पसरा है। गांव में मौजूद लोगों से अखिलेश मालवीय के बारे में पूछा। एक शख्स ने इशारा करके घर का पता बता दिया। गांव के बीचोंबीच पंचायत भवन के पास गली में 20 बाय 40 का घर नजर आया। दीवारों पर प्लास्टर नहीं था। घर के बाहर गांव वाले, रिश्तेदार और महिलाएं इकट्‌ठा थे। घर के अंदर महिलाएं विलाप कर रही थीं। त्योहार के दिन दोनों बच्चों की मौत से परिवार सदमे में है। मां कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। यहां हमने बच्चों के पिता अखिलेश से बात की। उल्टी-दस्त के बाद प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया था अखिलेश मालवीय (35) बच्चों की मौत से बदहवास हैं। उन्होंने कहा- मैं आष्टा मंडी में हम्माली का काम करता हूं। घर में दिवाली की तैयारियां चल रही थीं। त्योहार के दिन ही बच्चों के लिए पटाखे और मिठाइयां लाने वाला था। ठीक एक दिन पहले यानी 19 अक्टूबर को रात के खाने में दाल-बाटी बनाई थी। रात करीब 8 बजे तीनों बच्चों समेत सभी ने मिलकर खाना खाया। करीब एक घंटे बाद 9 बजे तीनों बच्चों को अचानक उल्टी–दस्त होने लगे। उन्हें कोठरी गांव में प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाले डॉ. राजेश के पास लेकर गए। डॉक्टर ने कुछ दवा दी। इंजेक्शन भी लगाए। यहां से रात करीब 10:30 बजे लौटकर घर आ गए। तीनों को एक-एक डोज दवाई का भी दे दिया। आधा घंटा ही हुआ होगा कि अंशिका की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। हम घबरा गए। रात करीब 11 बजे उसे सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान सोमवार सुबह करीब 7 बजे बच्ची की मौत हो गई। बच्ची के शव को घर ले आए। यहां अंतिम क्रिया करके सुबह करीब 11 बजे लौटे ही थे कि बेटे वंश की तबीयत बिगड़ गई। उसे भी सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां से डॉक्टरों ने सीहोर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। उसे लेकर एम्बुलेंस से सीहोर के लिए रवाना हो गए। रास्ते से बेटे ने भी दम तोड़ दिया। घर लौटकर आए। यहां देखा, तो तीसरी बेटी वंशिका की तबीयत भी खराब होने लगी। उसे भी तत्काल लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां से सीहोर ले गए। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने भोपाल रेफर कर दिया। बच्ची हमीदिया अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती है। एक ही दिन में उजड़ गई परिवार की खुशियां रुंधे गले से अखिलेश ने कहा- क्या बताऊं। एक दिन पहले तक सब कुछ ठीक था। अब घर में कभी दिवाली नहीं मनेगी। कभी घर में रोशनी नहीं होगी। जब इकलौता चिराग ही चला गया, तो कैसी दिवाली। सोचा था- त्योहार अच्छे से मनाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आखिर क्या हुआ, कैसे हुआ, हमें नहीं मालूम। बस, हमने डॉक्टर को दिखाया था। यह दवाइयां दी थीं। एक ही दिन में खुशियां उजड़ गईं। दो दिन बाद पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में दो बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम भी हरकत में आई। मंगलवार को आष्टा के कोटरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी वीके दोहरे अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर जानकारी ली। टीम ने गांव में घर-घर जाकर जांच की है। प्राइवेट डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को जब्त कर लिया है। इन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। बीएमओ बोले- जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. अमित माथुर ने बताया कि तीनों बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत थी। इलाज के दौरान दो बच्चों की मौत हुई है। फिलहाल, बेटे के शव का पोस्टमार्टम किया गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही ज्यादा कुछ कह पाएंगे। जरूरत पड़ने पर अनुमति के बाद बच्ची के शव को जमीन से निकालकर पोस्टमार्टम कराया जा सकता है। दैनिक भास्कर ने डॉक्टर द्वारा दिया गया पर्चा बीएमओ डॉ. माथुर को दिखाया। उन्होंने कहा कि जो दवाएं बच्चों को दी गई हैं, वह ठीक हैं। उनकी तबीयत कैसे बिगड़ी, यह जांच का विषय है। जहां तक डॉक्टर का सवाल है, तो परिवार वाले ज्यादा बात करने की स्थिति में नहीं है। पता लगाएंगे कि डॉक्टर ने कौन सा इंजेक्शन बच्चों को दिया था। डॉक्टर की भी जांच की जाएगी। लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस ने की जांच और सहायता की मांग मंगलवार सुबह करीब 12 बजे कांग्रेस नेता और जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह चौहान भी परिजन से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में जहरीले सिरप से 26 बच्चों की मौत हुई। अब सीहोर में प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया था। दवाई देने और इंजेक्शन लगाने के बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी। मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होना चाहिए। परिवार को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। ये खबर भी पढ़ें... 8 रुपए 90 पैसे की कमीशनखोरी में मासूमों की मौत मध्य प्रदेश में जहरीला कफ सिरप पीने से 26 मासूमों की जान चली गई। पहले उनकी किडनी फेल हुई, इसके बाद शरीर के बाकी अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया। आखिर में उनके ब्

Oct 22, 2025 - 07:58
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दिवाली के दिन भाई-बहन की मौत, एक बहन अस्पताल में:पिता बोले- उल्टी, दस्त का इलाज कराया था; इंजेक्शन लगाने के 14 घंटे में गई जान
सीहोर जिले के आष्टा में दीपावली के दिन ही घर के चिराग बुझ गए। 14 घंटे में दो भाई-बहन की मौत हो गई। तीसरी बहन भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत गंभीर है। परिजन का कहना है कि बच्चों को उल्टी-दस्त के बाद झोलाछाप डॉक्टर के पास ले गए थे। यहां डॉक्टर ने दवा दी और इंजेक्शन लगाए। दवा खाने के आधे घंटे बाद तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। डेढ़ साल की बच्ची की सिविल अस्पताल और बच्चे की जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में जान चली गई। मामला कचनारिया गांव का है, जहां सोमवार को अंशिका (डेढ़ साल) और वंश (8) पिता अखिलेश मालवीय की मौत हो गई। वहीं, तीन साल की वंशिका अस्पताल में भर्ती है। वंश परिवार का इकलौता बेटा था। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची, जिसने दवा जब्त कर ली है। दैनिक भास्कर की टीम ने मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर गांव जाकर बच्चों के पिता और डॉक्टर से बात कर मामले को समझने की कोशिश की। पढ़िए, रिपोर्ट… 20 बाय 40 का घर, दीवारों पर प्लास्टर नहीं आष्टा से भोपाल-इंदौर हाइवे पर 15 किलोमीटर दूर मोलूखेड़ी गांव है। यहां से अंदर की ओर करीब पांच किलोमीटर पर कचनारिया गांव है। करीब दो हजार की आबादी है। दीपावली के दिन गांव में खुशियों की जगह मातम पसरा है। गांव में मौजूद लोगों से अखिलेश मालवीय के बारे में पूछा। एक शख्स ने इशारा करके घर का पता बता दिया। गांव के बीचोंबीच पंचायत भवन के पास गली में 20 बाय 40 का घर नजर आया। दीवारों पर प्लास्टर नहीं था। घर के बाहर गांव वाले, रिश्तेदार और महिलाएं इकट्‌ठा थे। घर के अंदर महिलाएं विलाप कर रही थीं। त्योहार के दिन दोनों बच्चों की मौत से परिवार सदमे में है। मां कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। यहां हमने बच्चों के पिता अखिलेश से बात की। उल्टी-दस्त के बाद प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया था अखिलेश मालवीय (35) बच्चों की मौत से बदहवास हैं। उन्होंने कहा- मैं आष्टा मंडी में हम्माली का काम करता हूं। घर में दिवाली की तैयारियां चल रही थीं। त्योहार के दिन ही बच्चों के लिए पटाखे और मिठाइयां लाने वाला था। ठीक एक दिन पहले यानी 19 अक्टूबर को रात के खाने में दाल-बाटी बनाई थी। रात करीब 8 बजे तीनों बच्चों समेत सभी ने मिलकर खाना खाया। करीब एक घंटे बाद 9 बजे तीनों बच्चों को अचानक उल्टी–दस्त होने लगे। उन्हें कोठरी गांव में प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाले डॉ. राजेश के पास लेकर गए। डॉक्टर ने कुछ दवा दी। इंजेक्शन भी लगाए। यहां से रात करीब 10:30 बजे लौटकर घर आ गए। तीनों को एक-एक डोज दवाई का भी दे दिया। आधा घंटा ही हुआ होगा कि अंशिका की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। हम घबरा गए। रात करीब 11 बजे उसे सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान सोमवार सुबह करीब 7 बजे बच्ची की मौत हो गई। बच्ची के शव को घर ले आए। यहां अंतिम क्रिया करके सुबह करीब 11 बजे लौटे ही थे कि बेटे वंश की तबीयत बिगड़ गई। उसे भी सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां से डॉक्टरों ने सीहोर जिला अस्पताल रेफर कर दिया। उसे लेकर एम्बुलेंस से सीहोर के लिए रवाना हो गए। रास्ते से बेटे ने भी दम तोड़ दिया। घर लौटकर आए। यहां देखा, तो तीसरी बेटी वंशिका की तबीयत भी खराब होने लगी। उसे भी तत्काल लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। यहां से सीहोर ले गए। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने भोपाल रेफर कर दिया। बच्ची हमीदिया अस्पताल के चिल्ड्रन वार्ड में भर्ती है। एक ही दिन में उजड़ गई परिवार की खुशियां रुंधे गले से अखिलेश ने कहा- क्या बताऊं। एक दिन पहले तक सब कुछ ठीक था। अब घर में कभी दिवाली नहीं मनेगी। कभी घर में रोशनी नहीं होगी। जब इकलौता चिराग ही चला गया, तो कैसी दिवाली। सोचा था- त्योहार अच्छे से मनाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आखिर क्या हुआ, कैसे हुआ, हमें नहीं मालूम। बस, हमने डॉक्टर को दिखाया था। यह दवाइयां दी थीं। एक ही दिन में खुशियां उजड़ गईं। दो दिन बाद पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में दो बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम भी हरकत में आई। मंगलवार को आष्टा के कोटरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी वीके दोहरे अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर जानकारी ली। टीम ने गांव में घर-घर जाकर जांच की है। प्राइवेट डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को जब्त कर लिया है। इन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। बीएमओ बोले- जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. अमित माथुर ने बताया कि तीनों बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत थी। इलाज के दौरान दो बच्चों की मौत हुई है। फिलहाल, बेटे के शव का पोस्टमार्टम किया गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही ज्यादा कुछ कह पाएंगे। जरूरत पड़ने पर अनुमति के बाद बच्ची के शव को जमीन से निकालकर पोस्टमार्टम कराया जा सकता है। दैनिक भास्कर ने डॉक्टर द्वारा दिया गया पर्चा बीएमओ डॉ. माथुर को दिखाया। उन्होंने कहा कि जो दवाएं बच्चों को दी गई हैं, वह ठीक हैं। उनकी तबीयत कैसे बिगड़ी, यह जांच का विषय है। जहां तक डॉक्टर का सवाल है, तो परिवार वाले ज्यादा बात करने की स्थिति में नहीं है। पता लगाएंगे कि डॉक्टर ने कौन सा इंजेक्शन बच्चों को दिया था। डॉक्टर की भी जांच की जाएगी। लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस ने की जांच और सहायता की मांग मंगलवार सुबह करीब 12 बजे कांग्रेस नेता और जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह चौहान भी परिजन से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में जहरीले सिरप से 26 बच्चों की मौत हुई। अब सीहोर में प्राइवेट डॉक्टर को दिखाया था। दवाई देने और इंजेक्शन लगाने के बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी। मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होना चाहिए। परिवार को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। ये खबर भी पढ़ें... 8 रुपए 90 पैसे की कमीशनखोरी में मासूमों की मौत मध्य प्रदेश में जहरीला कफ सिरप पीने से 26 मासूमों की जान चली गई। पहले उनकी किडनी फेल हुई, इसके बाद शरीर के बाकी अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया। आखिर में उनके ब्रेन पर इसका असर हुआ और बच्चों ने दम तोड़ दिया। कफ सिरप की कीमत 89 रुपए थी और इसे पर्चे में लिखने के बदले डॉ. प्रवीण सोनी को 10 फीसदी कमीशन यानी 8 रुपए 90 पैसे मिलते थे।​​​​​​​ पढे़ं पूरी खबर...