40 साल बाद सलीम बनकर घर लौटे ओमप्रकाश:SIR फॉर्म भरने के लिए गांव आए, ग्रामीणों में मंदिर में स्नान कराया; भोज का आयोजन हुआ
40 साल बाद सलीम बनकर घर लौटे ओमप्रकाश:SIR फॉर्म भरने के लिए गांव आए, ग्रामीणों में मंदिर में स्नान कराया; भोज का आयोजन हुआ
बरेली में 40 साल बाद ओप्रकाश एसआईआर फॉर्म भरने के लिए अपने घर लौटे हैं। 15 साल की उम्र में घर निकले ओमप्रकाश अब सलीम बन चुके हैं। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। ओमप्रकाश ने बताया कि दिल्ली में एसआईआर (SIR) फॉर्म भरते समय माता-पिता की आईडी नहीं थी। इसलिए उन्हें अपनी वास्तविक पहचान बतानी पड़ी। इसके बाद उन्हें अपने पैतृक गांव काशीपुर लौटना पड़ा। दिल्ली में वह सलीम पुत्र ताहिर हुसैन के नाम से रह रहे थे। ओमप्रकाश शाही थाना क्षेत्र स्थित काशीपुर गांव के रहने वाले हैं। चार बेटियां और एक बेटा है घर छोड़ने के बाद ओमप्रकाश ने कुछ समय बरेली में मजदूरी की और फिर दिल्ली चले गए। वहां आईडी न होने पर मोहल्ले के लोगों ने उनका नया नाम और पता दर्ज कराकर वोटर आईडी बनवाई। इसी बीच उनका निकाह शाह बानो से हुआ, जिनसे उनकी चार बेटियां रुखसाना, रुखसार, रूपा, कुप्पा और एक बेटा जुम्मन है। उनकी तीन बेटियों की शादी हो चुकी है। शुक्रवार को ओमप्रकाश अपनी बड़ी बहन चंद्रकली और जुम्मन (15) के साथ काशीपुर पहुंचे। 40 वर्षों बाद उन्हें देखकर छोटा भाई रोशनलाल, भतीजे कुंवरसेन, वीरपाल और ग्राम प्रधान वीरेंद्र राजपूत सहित ग्रामीण भावुक हो उठे। ग्रामीणों ने ओमप्रकाश और जुम्मन को मंदिर ले जाकर स्नान करवाया, मालाएं पहनाईं और भोज का आयोजन किया। ओमप्रकाश उर्फ सलीम ने अब अपने परिवार के साथ पैतृक गांव काशीपुर में ही बसने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि वे अपने सभी पहचान पत्र भी गांव से ही बनवाएंगे।
बरेली में 40 साल बाद ओप्रकाश एसआईआर फॉर्म भरने के लिए अपने घर लौटे हैं। 15 साल की उम्र में घर निकले ओमप्रकाश अब सलीम बन चुके हैं। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। ओमप्रकाश ने बताया कि दिल्ली में एसआईआर (SIR) फॉर्म भरते समय माता-पिता की आईडी नहीं थी। इसलिए उन्हें अपनी वास्तविक पहचान बतानी पड़ी। इसके बाद उन्हें अपने पैतृक गांव काशीपुर लौटना पड़ा। दिल्ली में वह सलीम पुत्र ताहिर हुसैन के नाम से रह रहे थे। ओमप्रकाश शाही थाना क्षेत्र स्थित काशीपुर गांव के रहने वाले हैं। चार बेटियां और एक बेटा है घर छोड़ने के बाद ओमप्रकाश ने कुछ समय बरेली में मजदूरी की और फिर दिल्ली चले गए। वहां आईडी न होने पर मोहल्ले के लोगों ने उनका नया नाम और पता दर्ज कराकर वोटर आईडी बनवाई। इसी बीच उनका निकाह शाह बानो से हुआ, जिनसे उनकी चार बेटियां रुखसाना, रुखसार, रूपा, कुप्पा और एक बेटा जुम्मन है। उनकी तीन बेटियों की शादी हो चुकी है। शुक्रवार को ओमप्रकाश अपनी बड़ी बहन चंद्रकली और जुम्मन (15) के साथ काशीपुर पहुंचे। 40 वर्षों बाद उन्हें देखकर छोटा भाई रोशनलाल, भतीजे कुंवरसेन, वीरपाल और ग्राम प्रधान वीरेंद्र राजपूत सहित ग्रामीण भावुक हो उठे। ग्रामीणों ने ओमप्रकाश और जुम्मन को मंदिर ले जाकर स्नान करवाया, मालाएं पहनाईं और भोज का आयोजन किया। ओमप्रकाश उर्फ सलीम ने अब अपने परिवार के साथ पैतृक गांव काशीपुर में ही बसने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि वे अपने सभी पहचान पत्र भी गांव से ही बनवाएंगे।