फूफा-भतीजे का चेहरा गोदा, पत्थर से कुचला था:आंखें भी निकालीं, 13 को उम्रकैद; मंदिर के विवाद में दोस्त ही बना दुश्मन

7 फरवरी 2023 को खंडवा के ताल्याधड़ के जंगल में हनुमान मंदिर पर लंगोट चढ़ाने जा रहे फूफा तुलसीराम और भतीजे बद्रीलाल यादव पर 13 लोगों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। उनके दम तोड़ने तक बल्लम और फरसे से चेहरे को गोदते रहे, फिर पत्थर से कुचल दिया। चेहरा गोदते समय फूफा-भतीजे की आंखें बाहर निकल आई थीं। इस दोहरे हत्याकांड में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुष्पद पाठक की कोर्ट ने 18 नवंबर को 85 पेज का फैसला सुनाया है। इसमें पंजाब के केस का हवाला देते हुए कहा, 'आरोपियों के कृत्य के कारण यह हत्याकांड हुआ है, ऐसे में आरोपीगण को कम दंड से दंडित किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। इसलिए आरोपीगण पर धारा 341, 148, 302, 149 (दो शीर्ष) धाराओं में आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड लगाया जाता है।' फैसले को लेकर मृतकों के परिवार वाले ने संतोष जताया है। उन्होंने कहा- अब जाकर न्याय मिला। मंदिर निर्माण के ठेके को लेकर दो दोस्त बने दुश्मन मामला 7 फरवरी 2023 को खालवा थाना क्षेत्र के नामापुर गांव का है। गांव में ही रहने वाले बद्री यादव (40) और तुलसीराम यादव (55) बाइक से तालाधड़ जंगल के हनुमान मंदिर जा रहे थे। इसी दौरान जंगल की पुलिया के पास घात लगाकर बैठे 13 लोगों ने उन पर कुल्हाड़ी, फरसा और बल्लम से हमला कर हत्या कर दी। वारदात से आक्रोशित मृतकों के परिजन धरने पर बैठ गए और पुलिस को शव नहीं उठाने दिए। पुलिस के आश्वासन के बाद दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। पुलिस की ही मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया। जांच में सामने आया कि दोहरे हत्याकांड को बद्री के पुराने दोस्त और रिश्तेदार माखन यादव ने अंजाम दिया था। 2017 में मंदिर निर्माण के ठेके को लेकर बद्री और माखन के बीच विवाद हो गया था। दोनों के बीच फायरिंग तक हो गई थी। इसके बाद बद्री और माखन ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। 2021 में बद्री ने माखन को पीटा था, तब माखन की शिकायत पर बद्री को जेल भी जाना पड़ा था। बद्री का बेटा और रिश्तेदार डरकर भागे, लौटे तो लाशें मिलीं बद्री के बेटे तूफान ने बताया कि मंदिर जाने के दौरान वह पिता की गाड़ी से काफी पीछे चल रहा था। एक चाचा और दादा भी साथ में थे। मारपीट होते देख वे डर गए थे। गांव वापस गए और फिर कुछ लोगों को साथ लेकर लौटे। वहां दोनों के शव पड़े मिले। आरोपी भाग चुके थे। डायल 100 को सूचना देने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी। फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. सुनील मकवाना, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट गणेश पाटीदार ने मौका मुआयना कर सैंपल लिए थे। पोस्टमार्टम में पता चला कि बद्री के सिर और चेहरे पर आठ घाव थे। गर्दन पर गहरा घाव था। तुलसीराम का चेहरा पत्थर से कुचला गया था। टीनशेड की राशि मंजूर हुई थी, सीमेंट की छत डालने कह रहा था तुलसीराम के बेटे दुर्गालाल यादव ने बताया कि बद्री उनके मामा जगदीश यादव के लड़के थे। वे सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंग बनाने के लिए ठेके लेते थे। गांव के हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए सरकार ने टीनशेड चबूतरा स्वीकृत किया था। यह काम बद्रीलाल को मिला था। इस पर माखन ने विवाद किया और कहने लगा कि टीनशेड की बजाय मंदिर के ऊपर सीमेंट-कांक्रीट की छत डलेगी। प्रशासन ने टीनशेड के लिए राशि मंजूर की थी, इतने पैसे में छत डलना मुश्किल था। इसी को लेकर दोनों के बीच बैर ठन गया। सभी आरोपी आपस में रिश्तेदार, मृतकों से भी नाता नामापुर गांव यादव बहुल है। अधिकांश परिवार दूध का व्यवसाय करते हैं। हत्याकांड में आरोपी और मृतक के परिवार भी यादव समाज से हैं। अलग कुटुम्ब और गोत्र होने से इनके बीच विवाद होता रहता था। बद्री कोंडल्या गोत्र से तो माखन का परिवार गांवडिया गोत्र से संबंध रखता है। हत्याकांड के सभी 13 आरोपी एक ही परिवार से हैं। मुख्य आरोपी माखन के पिता रामनाथ, भाई गोपाल, बड़े पापा काशीराम, बड़े पापा का लड़का संतोष, हुकुमंचद, मिश्रीलाल, दौलत, काका रूपराम, केवलराम और चचेरा भाई बसंत, मन्नू उर्फ महेश जेल में हैं। डर के कारण पढ़ाई छूटी, शादी नहीं हो पा रही नामापुर गांव में आज भी तनाव और दहशत का माहौल है। बद्रीलाल के पोते-पोती की पढ़ाई छूट गई है। 12-14 साल की उम्र में बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। छोटे बेटे की शादी नहीं हो पाई है। तुलसीराम के दो बेटे और तीन बेटियां हैं। उनके जिंदा रहते ही पांचों की शादी हो गई थी। पुलिस, फॉरेंसिक एक्सपर्ट समेत 18 गवाहों के बयान हुए कोर्ट में सुनवाई के दौरान 18 गवाहों के बयान हुए थे। इनमें पुलिस, परिजन सहित फॉरेंसिक एक्सपर्ट शामिल हैं। आई विटनेस के तौर पर जगदीश, अर्जुन, दुर्गालाल के बयान हुए। इनके बयान का समर्थन तूफान, रेखाबाई, छायाबाई ने किया। माखन यादव की गिरफ्तारी, मेमोरेंडम, जब्ती और तस्दीक पंचनामा भी सबूत के तौर पर पेश किए गए। पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. अरुण कुमार सिंह, घटनास्थल का नक्शा बनाने वाले संजय सिंह तोमर, इन्वेस्टिगेशन करने वाले टीआई गणपत कनेल के बतौर गवाह बयान दर्ज किए गए थे। 1 साल, 9 माह 11 दिन बाद फैसला; मृत्युदंड मांगा था अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे एडीपीओ अनिल सिंह चौहान के मुताबिक, आरोपियों की रंजिश बद्रीलाल से थी लेकिन उन्होंने तुलसीराम की भी हत्या कर दी। साक्ष्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 5 गवाह ऐसे थे, जिन्होंने वारदात को देखा था। अभियोजन की ओर से मृत्युदंड की मांग की गई थी। न्यायाधीश पुष्पक पाठक ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी है। घटना के 1 साल, 9 माह, 11 दिन बाद फैसला आया है। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... खंडवा में फूफा और भतीजे का मर्डर: जंगल के मंदिर गए तो घात लगाए बदमाशों ने आंखें फोड़ीं, खून से सनी लाशें रास्ते पर फेंकी खंडवा में मंगलवार तड़के दो लोगों की खून से सनी लाशें जंगल में सड़क के रास्ते में मिली। घटना, आदिवासी बहुल थाना खालवा क्षेत्र के गांव देवली की है। यहां जंगल में बने मंदिर में दर्शन के लिए फूफा व भतीजे पर जानलेवा हमला हुआ। घात लगाए बदमाशों ने आंखे फोड़ दी और शवों को रास्ते पर फेंक दिया। पुरानी रंजिश म

फूफा-भतीजे का चेहरा गोदा, पत्थर से कुचला था:आंखें भी निकालीं, 13 को उम्रकैद; मंदिर के विवाद में दोस्त ही बना दुश्मन
7 फरवरी 2023 को खंडवा के ताल्याधड़ के जंगल में हनुमान मंदिर पर लंगोट चढ़ाने जा रहे फूफा तुलसीराम और भतीजे बद्रीलाल यादव पर 13 लोगों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। उनके दम तोड़ने तक बल्लम और फरसे से चेहरे को गोदते रहे, फिर पत्थर से कुचल दिया। चेहरा गोदते समय फूफा-भतीजे की आंखें बाहर निकल आई थीं। इस दोहरे हत्याकांड में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुष्पद पाठक की कोर्ट ने 18 नवंबर को 85 पेज का फैसला सुनाया है। इसमें पंजाब के केस का हवाला देते हुए कहा, 'आरोपियों के कृत्य के कारण यह हत्याकांड हुआ है, ऐसे में आरोपीगण को कम दंड से दंडित किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। इसलिए आरोपीगण पर धारा 341, 148, 302, 149 (दो शीर्ष) धाराओं में आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड लगाया जाता है।' फैसले को लेकर मृतकों के परिवार वाले ने संतोष जताया है। उन्होंने कहा- अब जाकर न्याय मिला। मंदिर निर्माण के ठेके को लेकर दो दोस्त बने दुश्मन मामला 7 फरवरी 2023 को खालवा थाना क्षेत्र के नामापुर गांव का है। गांव में ही रहने वाले बद्री यादव (40) और तुलसीराम यादव (55) बाइक से तालाधड़ जंगल के हनुमान मंदिर जा रहे थे। इसी दौरान जंगल की पुलिया के पास घात लगाकर बैठे 13 लोगों ने उन पर कुल्हाड़ी, फरसा और बल्लम से हमला कर हत्या कर दी। वारदात से आक्रोशित मृतकों के परिजन धरने पर बैठ गए और पुलिस को शव नहीं उठाने दिए। पुलिस के आश्वासन के बाद दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। पुलिस की ही मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया। जांच में सामने आया कि दोहरे हत्याकांड को बद्री के पुराने दोस्त और रिश्तेदार माखन यादव ने अंजाम दिया था। 2017 में मंदिर निर्माण के ठेके को लेकर बद्री और माखन के बीच विवाद हो गया था। दोनों के बीच फायरिंग तक हो गई थी। इसके बाद बद्री और माखन ने एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। 2021 में बद्री ने माखन को पीटा था, तब माखन की शिकायत पर बद्री को जेल भी जाना पड़ा था। बद्री का बेटा और रिश्तेदार डरकर भागे, लौटे तो लाशें मिलीं बद्री के बेटे तूफान ने बताया कि मंदिर जाने के दौरान वह पिता की गाड़ी से काफी पीछे चल रहा था। एक चाचा और दादा भी साथ में थे। मारपीट होते देख वे डर गए थे। गांव वापस गए और फिर कुछ लोगों को साथ लेकर लौटे। वहां दोनों के शव पड़े मिले। आरोपी भाग चुके थे। डायल 100 को सूचना देने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची थी। फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. सुनील मकवाना, फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट गणेश पाटीदार ने मौका मुआयना कर सैंपल लिए थे। पोस्टमार्टम में पता चला कि बद्री के सिर और चेहरे पर आठ घाव थे। गर्दन पर गहरा घाव था। तुलसीराम का चेहरा पत्थर से कुचला गया था। टीनशेड की राशि मंजूर हुई थी, सीमेंट की छत डालने कह रहा था तुलसीराम के बेटे दुर्गालाल यादव ने बताया कि बद्री उनके मामा जगदीश यादव के लड़के थे। वे सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंग बनाने के लिए ठेके लेते थे। गांव के हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए सरकार ने टीनशेड चबूतरा स्वीकृत किया था। यह काम बद्रीलाल को मिला था। इस पर माखन ने विवाद किया और कहने लगा कि टीनशेड की बजाय मंदिर के ऊपर सीमेंट-कांक्रीट की छत डलेगी। प्रशासन ने टीनशेड के लिए राशि मंजूर की थी, इतने पैसे में छत डलना मुश्किल था। इसी को लेकर दोनों के बीच बैर ठन गया। सभी आरोपी आपस में रिश्तेदार, मृतकों से भी नाता नामापुर गांव यादव बहुल है। अधिकांश परिवार दूध का व्यवसाय करते हैं। हत्याकांड में आरोपी और मृतक के परिवार भी यादव समाज से हैं। अलग कुटुम्ब और गोत्र होने से इनके बीच विवाद होता रहता था। बद्री कोंडल्या गोत्र से तो माखन का परिवार गांवडिया गोत्र से संबंध रखता है। हत्याकांड के सभी 13 आरोपी एक ही परिवार से हैं। मुख्य आरोपी माखन के पिता रामनाथ, भाई गोपाल, बड़े पापा काशीराम, बड़े पापा का लड़का संतोष, हुकुमंचद, मिश्रीलाल, दौलत, काका रूपराम, केवलराम और चचेरा भाई बसंत, मन्नू उर्फ महेश जेल में हैं। डर के कारण पढ़ाई छूटी, शादी नहीं हो पा रही नामापुर गांव में आज भी तनाव और दहशत का माहौल है। बद्रीलाल के पोते-पोती की पढ़ाई छूट गई है। 12-14 साल की उम्र में बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। छोटे बेटे की शादी नहीं हो पाई है। तुलसीराम के दो बेटे और तीन बेटियां हैं। उनके जिंदा रहते ही पांचों की शादी हो गई थी। पुलिस, फॉरेंसिक एक्सपर्ट समेत 18 गवाहों के बयान हुए कोर्ट में सुनवाई के दौरान 18 गवाहों के बयान हुए थे। इनमें पुलिस, परिजन सहित फॉरेंसिक एक्सपर्ट शामिल हैं। आई विटनेस के तौर पर जगदीश, अर्जुन, दुर्गालाल के बयान हुए। इनके बयान का समर्थन तूफान, रेखाबाई, छायाबाई ने किया। माखन यादव की गिरफ्तारी, मेमोरेंडम, जब्ती और तस्दीक पंचनामा भी सबूत के तौर पर पेश किए गए। पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. अरुण कुमार सिंह, घटनास्थल का नक्शा बनाने वाले संजय सिंह तोमर, इन्वेस्टिगेशन करने वाले टीआई गणपत कनेल के बतौर गवाह बयान दर्ज किए गए थे। 1 साल, 9 माह 11 दिन बाद फैसला; मृत्युदंड मांगा था अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे एडीपीओ अनिल सिंह चौहान के मुताबिक, आरोपियों की रंजिश बद्रीलाल से थी लेकिन उन्होंने तुलसीराम की भी हत्या कर दी। साक्ष्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 5 गवाह ऐसे थे, जिन्होंने वारदात को देखा था। अभियोजन की ओर से मृत्युदंड की मांग की गई थी। न्यायाधीश पुष्पक पाठक ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी है। घटना के 1 साल, 9 माह, 11 दिन बाद फैसला आया है। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... खंडवा में फूफा और भतीजे का मर्डर: जंगल के मंदिर गए तो घात लगाए बदमाशों ने आंखें फोड़ीं, खून से सनी लाशें रास्ते पर फेंकी खंडवा में मंगलवार तड़के दो लोगों की खून से सनी लाशें जंगल में सड़क के रास्ते में मिली। घटना, आदिवासी बहुल थाना खालवा क्षेत्र के गांव देवली की है। यहां जंगल में बने मंदिर में दर्शन के लिए फूफा व भतीजे पर जानलेवा हमला हुआ। घात लगाए बदमाशों ने आंखे फोड़ दी और शवों को रास्ते पर फेंक दिया। पुरानी रंजिश में वारदात को अंजाम दिया जाना बताया जा रहा है। पूरी खबर पढ़ें