बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे इंजीनियर पिता:बेटा बोला- घर आया, तब पता चला कि पापा नहीं रहे, बेटी ने कहा- उनका सपना पूरा करना है

‘पापा चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं। रोजाना दिन में चार से पांच बार फोन करते थे। हर बार पढ़ाई और हालचाल पूछते थे। पूछते थे कि खाना खाया कि नहीं। आखिरी बार शनिवार शाम को बात हुई थी। रविवार को कॉल नहीं आया। मुझे लगा कि शायद काम कर रहे होंगे। सोमवार सुबह दादाजी (विश्वनाथ शुक्ला) का कॉल आया। मैं और दीदी (आकांक्षा शुक्ला) रीवा में थे। दादाजी ने कहा कि सभी लोग घर आ जाओ। मैं, दीदी समेत सभी लोग घर पहुंचे, तो पता चला कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे।’ यह कहते हुए ओम शुक्ला फफक पड़ता है। वह 12वीं का छात्र है। उसके पिता इंजीनियर अनिल शुक्ला की 20 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हुए आतंकी हमले में मौत हो गई थी। इसमें सात लोगों की जान गई थी। इनमें मध्यप्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले इंजीनियर अनिल शुक्ला (45) भी शामिल थे। वे जेपी फैक्ट्री में सिविल इंजीनियर थे। इन दिनों जम्मू-कश्मीर में सुरंग बनवाने का काम करा रहे थे। मंगलवार को शव का सोन नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया गया। घटना के बाद परिवार सदमे में है। अनिल की पत्नी ममता शुक्ला बार-बार बेहोश हुए जा रही हैं। घटना के पिता विश्वनाथ शुक्ला, बेटी आकांक्षा शुक्ला और बेटे ओम शुक्ला से बात की। पिता बोले- जनवरी में आने वाला था अनिल के पिता विश्वनाथ शुक्ला ने बताया कि पिछली बार जुलाई महीने में आया था। 15 दिन पहले ही बात हुई, तो जनवरी महीने में आने के लिए कहा था। रविवार रात करीब 8 बजे बात हुई थी। उसने घर के बारे में हालचाल पूछा। रात 9 बजे एक बार फिर बेटे को कॉल किया, तो रिसीव नहीं हुआ। कुछ देर बाद कंपनी की ओर से कॉल आया कि अनिल नहीं रहा। मुझे धक्का लगा। किसी तरह खुद को संभाला। मैंने घर पर बताया, तो रोना शुरू हो गया। बेटी बोली- एकबारगी भरोसा नहीं हुआ अनिल की बेटी आकांक्षा शुक्ला ने बताया, पिताजी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं। अभी बीएससी कर रही हूं। उन्होंने जनवरी महीने में आने के लिए बोला था। पापा बोलते थे कि तुम दोनों को मेरा सपना पूरा करना है। रविवार शाम शाम 5 बजे बात हुई थी। पढ़ाई के बारे में पूछ रहे थे। सुबह दादाजी का कॉल आया था। बताया कि मेरी तबीयत खराब है। घर आ जाओ। गाड़ी से गए, तो खबर आई कि पिताजी के बारे में पता चला। एकबारगी तो विश्वास नहीं हुआ। एयर एम्बुलेंस से लाया गया इंजीनियर का शव मुंबई से अनिल के भाई शव को लेने सोमवार को जम्मू कश्मीर गए थे। यहां से कंपनी की ओर से एयर एम्बुलेंस की मदद से शव बनारस लाया गया। यहां से सड़क मार्ग से दोपहर करीब ढाई बजे शव रामपुर नैकिन क्षेत्र के दिठौरा गांव लाया गया। इस मौके पर सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और उनके साथ भाजपा नेता भी इंजीनियर को अंतिम विदाई देने पहुंचे। दोपहर करीब 3:30 बजे गांव में ही सोन नदी के किनारे खैराघाट पर अंतिम संस्कार हुआ। बेटे ओम शुक्ला ने मुखाग्नि दी। शव के आते ही बिलख पड़े परिवार के लोग इससे पहले शव जैसे ही गांव पहुंचा, पत्नी ममता शुक्ला और बेटी आकांक्षा शुक्ला बिलख पड़े। वे शव से लिपट गए। पत्नी बार-बार बेहोश हुए जा रही थी। परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है। इधर, पिता विश्वनाथ शुक्ला भी बेटे के शव को देखकर रो पड़े। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर काम कर रही है कंपनी इफको इंफ्राटेक कंपनी में कार्यरत अनिल के साथी इंजीनियर राजकुमार ने बताया कि अमरनाथ यात्रा मार्ग पर कंपनी काम कर रही है। वहां सड़क का काम चल रहा है। रविवार को अनिल शुक्ला निरीक्षण के लिए गए थे। इसी दौरान मैस में दो लोग घुस आए और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। पहले मैस में फायरिंग की। इसके बाद ऑफिसर मैस घुस कर फायरिंग की है। कंपनी की ओर से तत्काली दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है। बाकी राशि जल्द ही खाते में डाल दी जाएगी। यह भी पढ़ें- आतंकी हमले में MP के इंजीनियर की भी मौत जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमले में मध्यप्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले इंजीनियर अनिल शुक्ला (45) की भी मौत हो गई। वे जेपी फैक्ट्री में सिविल इंजीनियर थे। इन दिनों जम्मू-कश्मीर में सुरंग बनवाने का काम करा रहे थे। रविवार देर रात आतंकियों ने वहां अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इसमें अनिल शुक्ला समेत 7 लोगों की मौत हो गई। पढ़ें पूरी खबर शव से लिपट गईं बेटी-पत्नी, बेटे ने दी मुखाग्नि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में मारे गए मध्यप्रदेश के सीधी जिले के इंजीनियर अनिल शुक्ला (45) का मंगलवार को उनके पैतृक गांव दिठौरा में अंतिम संस्कार किया गया। बेटे ओम शुक्ला ने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। इंजीनियर को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। पढ़ें पूरी खबर

बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे इंजीनियर पिता:बेटा बोला- घर आया, तब पता चला कि पापा नहीं रहे, बेटी ने कहा- उनका सपना पूरा करना है
‘पापा चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं। रोजाना दिन में चार से पांच बार फोन करते थे। हर बार पढ़ाई और हालचाल पूछते थे। पूछते थे कि खाना खाया कि नहीं। आखिरी बार शनिवार शाम को बात हुई थी। रविवार को कॉल नहीं आया। मुझे लगा कि शायद काम कर रहे होंगे। सोमवार सुबह दादाजी (विश्वनाथ शुक्ला) का कॉल आया। मैं और दीदी (आकांक्षा शुक्ला) रीवा में थे। दादाजी ने कहा कि सभी लोग घर आ जाओ। मैं, दीदी समेत सभी लोग घर पहुंचे, तो पता चला कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे।’ यह कहते हुए ओम शुक्ला फफक पड़ता है। वह 12वीं का छात्र है। उसके पिता इंजीनियर अनिल शुक्ला की 20 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हुए आतंकी हमले में मौत हो गई थी। इसमें सात लोगों की जान गई थी। इनमें मध्यप्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले इंजीनियर अनिल शुक्ला (45) भी शामिल थे। वे जेपी फैक्ट्री में सिविल इंजीनियर थे। इन दिनों जम्मू-कश्मीर में सुरंग बनवाने का काम करा रहे थे। मंगलवार को शव का सोन नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया गया। घटना के बाद परिवार सदमे में है। अनिल की पत्नी ममता शुक्ला बार-बार बेहोश हुए जा रही हैं। घटना के पिता विश्वनाथ शुक्ला, बेटी आकांक्षा शुक्ला और बेटे ओम शुक्ला से बात की। पिता बोले- जनवरी में आने वाला था अनिल के पिता विश्वनाथ शुक्ला ने बताया कि पिछली बार जुलाई महीने में आया था। 15 दिन पहले ही बात हुई, तो जनवरी महीने में आने के लिए कहा था। रविवार रात करीब 8 बजे बात हुई थी। उसने घर के बारे में हालचाल पूछा। रात 9 बजे एक बार फिर बेटे को कॉल किया, तो रिसीव नहीं हुआ। कुछ देर बाद कंपनी की ओर से कॉल आया कि अनिल नहीं रहा। मुझे धक्का लगा। किसी तरह खुद को संभाला। मैंने घर पर बताया, तो रोना शुरू हो गया। बेटी बोली- एकबारगी भरोसा नहीं हुआ अनिल की बेटी आकांक्षा शुक्ला ने बताया, पिताजी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं। अभी बीएससी कर रही हूं। उन्होंने जनवरी महीने में आने के लिए बोला था। पापा बोलते थे कि तुम दोनों को मेरा सपना पूरा करना है। रविवार शाम शाम 5 बजे बात हुई थी। पढ़ाई के बारे में पूछ रहे थे। सुबह दादाजी का कॉल आया था। बताया कि मेरी तबीयत खराब है। घर आ जाओ। गाड़ी से गए, तो खबर आई कि पिताजी के बारे में पता चला। एकबारगी तो विश्वास नहीं हुआ। एयर एम्बुलेंस से लाया गया इंजीनियर का शव मुंबई से अनिल के भाई शव को लेने सोमवार को जम्मू कश्मीर गए थे। यहां से कंपनी की ओर से एयर एम्बुलेंस की मदद से शव बनारस लाया गया। यहां से सड़क मार्ग से दोपहर करीब ढाई बजे शव रामपुर नैकिन क्षेत्र के दिठौरा गांव लाया गया। इस मौके पर सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और उनके साथ भाजपा नेता भी इंजीनियर को अंतिम विदाई देने पहुंचे। दोपहर करीब 3:30 बजे गांव में ही सोन नदी के किनारे खैराघाट पर अंतिम संस्कार हुआ। बेटे ओम शुक्ला ने मुखाग्नि दी। शव के आते ही बिलख पड़े परिवार के लोग इससे पहले शव जैसे ही गांव पहुंचा, पत्नी ममता शुक्ला और बेटी आकांक्षा शुक्ला बिलख पड़े। वे शव से लिपट गए। पत्नी बार-बार बेहोश हुए जा रही थी। परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है। इधर, पिता विश्वनाथ शुक्ला भी बेटे के शव को देखकर रो पड़े। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर काम कर रही है कंपनी इफको इंफ्राटेक कंपनी में कार्यरत अनिल के साथी इंजीनियर राजकुमार ने बताया कि अमरनाथ यात्रा मार्ग पर कंपनी काम कर रही है। वहां सड़क का काम चल रहा है। रविवार को अनिल शुक्ला निरीक्षण के लिए गए थे। इसी दौरान मैस में दो लोग घुस आए और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। पहले मैस में फायरिंग की। इसके बाद ऑफिसर मैस घुस कर फायरिंग की है। कंपनी की ओर से तत्काली दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है। बाकी राशि जल्द ही खाते में डाल दी जाएगी। यह भी पढ़ें- आतंकी हमले में MP के इंजीनियर की भी मौत जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में आतंकी हमले में मध्यप्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले इंजीनियर अनिल शुक्ला (45) की भी मौत हो गई। वे जेपी फैक्ट्री में सिविल इंजीनियर थे। इन दिनों जम्मू-कश्मीर में सुरंग बनवाने का काम करा रहे थे। रविवार देर रात आतंकियों ने वहां अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इसमें अनिल शुक्ला समेत 7 लोगों की मौत हो गई। पढ़ें पूरी खबर शव से लिपट गईं बेटी-पत्नी, बेटे ने दी मुखाग्नि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में मारे गए मध्यप्रदेश के सीधी जिले के इंजीनियर अनिल शुक्ला (45) का मंगलवार को उनके पैतृक गांव दिठौरा में अंतिम संस्कार किया गया। बेटे ओम शुक्ला ने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। इंजीनियर को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। पढ़ें पूरी खबर