चुनाव में मुफ्त के वादों पर सुप्रीम कोर्ट का केन्द्र सरकार को नोटिस, चुनाव आयोग से भी मांगा जवाब
promises of freebies in elections: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन के खिलाफ एक नई याचिका पर केंद्र तथा निर्वाचन आयोग (Election ...
promises of freebies in elections: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सौगातों का वादा करने के चलन के खिलाफ एक नई याचिका पर केंद्र तथा निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) से जवाब मांगा है।
क्या है याचिकाकर्ता की मांग : भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बेंगलुरु निवासी शशांक जे. श्रीधारा की याचिका पर भारत सरकार तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किए। वकील श्रीनिवास द्वारा दायर याचिका में निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले मुफ्त सौगातें देने के वादे करने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिए जाने का भी अनुरोध किया गया है। ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, हमने अपना धैर्य खो दिया है
याचिका में कहा गया है कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के बेलगाम वादे सरकारी राजकोष पर बड़ा और बेहिसाबी वित्तीय बोझ डालते हैं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है कि चुनाव पूर्व किए वादे पूरे किए जाएं। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को इसी मुद्दे पर अन्य याचिकाओं से संबद्ध कर दिया। ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जेल में जाति के आधार पर काम का बंटवारा ठीक नहीं
इससे पहले, न्यायालय चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा करने के चलन के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया था। वकील एवं जनहित याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था।
समान अवसरों में बाधा : उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोकलुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं और निर्वाचन आयोग को उचित निवारक उपाय करने चाहिए। याचिका में अदालत से यह घोषित करने का भी आग्रह किया गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से अतार्किक मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, समान अवसरों में बाधा डालता है और चुनाव प्रक्रिया की शुचिता को दूषित करता है।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का कहना है कि चुनावों के मद्देनजर मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का वादा कर मतदाताओं को प्रभावित करने की राजनीतिक दलों की हाल की प्रवृत्ति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बल्कि संविधान की भावना के लिए सबसे बड़ा खतरा है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala