थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी में नाराज विधायक जी:तहसीलदार मैडम का क्षेत्र से नहीं छूट रहा मोह; अफसर के ट्रांसफर का इंतजार

अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए विवादों में रहने वाली तहसीलदार मैडम का क्षेत्र विशेष से प्रेम छूट नहीं रहा है। मैडम जिस जिले से हटाई गई थीं। उनकी तीसरी बार उसी जिले में पोस्टिंग हुई है। जिसका सोशल मीडिया पर खुला विरोध हो रहा है। मैडम की थर्ड टर्म पोस्टिंग के बाद लोग कह रहे हैं कि ट्राइबल बेल्ट में फर्जी पट्‌टे बांटने और जिले में पिछली पदस्थापनाओं के दौरान कई घपले-घोटाले किए, उसके बावजूद इनकी फिर से यहीं पोस्टिंग हो रही है। मतलब मैडम सिस्टम जमाने में माहिर हैं। इनकी इस जिले में विशेष रुचि है। विधायक जी थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी में जुटे विरोधी दल की मौजूदा लीडरशिप से पार्टी के कई नेता संतुष्ट नहीं हैं। जिनके पास अहम जिम्मेदारियां हैं, उनकी वर्किंग स्टाइल से एक विधायक जी अंदरखाने इतने दुखी हैं कि अब समझाने के बजाय साथियों के साथ आगे बढ़ने का प्लान बना रहे हैं। विधायक जी कहते हैं कि हमारे एक लीडर ऐसे हैं जो बात के धनी नहीं हैं। दूसरे के साथ ये दिक्कत है कि कब आउट ऑफ कवरेज एरिया हो जाए, पता नहीं। दोनों हमारे दोस्त हैं, मगर कब तक समझाएं। विधायक जी अब लीडरशिप से दुखी दूसरे नेताओं के साथ मिलकर पार्टी के भीतर ही थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी कर रहे हैं। विधायक जी अच्छे वक्ता हैं और दूसरी बार के विधायक हैं। मंत्री के 'खास' के खिलाफ विरोधियों तक पहुंचे सबूत सूबे की सियासत में मंत्रियों के साथ उनके करीबियों पर विपक्ष पिछले कुछ समय से सीधे हमले कर रहा है। कोरोना की तरह मंत्रियों के ऊपर से सिर्फ खतरा टला है। संकट का वायरस वैरिएंट बदलकर कभी भी परेशान कर सकता है। सूबे के एक मंत्री जी के एक करीबी के खिलाफ सबूत विरोधी दल के नेताओं तक पहुंचे हैं। मंत्री जी के ये “खास” बैठते दूसरे विभाग के दफ्तर में हैं लेकिन, डीलिंग दूसरे विभाग की करते हैं। अब विरोधी दल में हमले की तैयारी के लिए समय का इंतजार किया जा रहा है। सदन के भीतर मंत्री जी के करीबियों के कारनामों का नाम सहित जिक्र हो चुका है। सीट से उठे तो कुर्सी चली जाएगी विरोधी दल की भले ही सरकार न हो लेकिन, कुर्सी को लेकर जंग छिड़ी रहती है। पार्टी का ऑफिशियल फेवर रखने वाले डिपार्टमेंट में ऐसी स्थिति है कि, स्पोकपर्सन अपनी सीट छोड़कर इस डर से बाहर भी नहीं जाते कि कहीं उनके वापस लौटने से पहले ही कुर्सी पर कोई और न बैठ जाए। एक तरफ कमरों के भीतर कुर्सी की जंग छिड़ी है, दूसरी तरफ पार्टी में पावर के लिए कोल्ड वॉर अब जुबानी जंग में बदल रहा है। पार्टी लीडर्स तक एक दूसरे के कामों की कुंडली पहुंचाने का काम चल रहा है। घर के अंदर की बातें बाहर करने वालों पर भी लीडर निगाह रख रहे हैं। आईटी वाले पूछ रहे लिस्ट कब आएगी साइंस एंड टेक्नालॉजी डिपार्टमेंट के प्रशासनिक मुखिया ने सरकार को भले ही साध रखा है, लेकिन उनकी कार्यशैली से अधीनस्थ उपक्रमों और विभाग के अफसर परेशान हैं। स्थिति यह है कि पिछले तीन महीने से इन अधिकारियों को विभाग प्रमुख के बदलने का इंतजार है। इसके लिए जब तब परेशान ये अधिकारी मंत्रालय और खबरनवीसों से यह जानकारी लेते रहते हैं कि आईएएस के सीनियर अफसरों की तबादला सूची कब आ रही है? माना जा रहा है कि इन अफसरों ने अपनी बात ऊपर तक पहुंचाई है और इसीलिए वे लिस्ट आने का इंतजार कर रहे हैं। दल भले मिले मगर दिल नहीं मिलता छोटा सा जिला, जिसके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते रहते हैं। वहां के विधायक जी और सांसद जी भले ही एक ही दल में हों लेकिन, दोनों के दिल नहीं मिलते। विधायक जी की कोशिश रहती है कि किसी भी काम का क्रेडिट सांसद जी को नहीं जाना चाहिए। हाल ही में पूर्व पीएम के नाम पर बने सभागार के इनोग्रेशन में सांसद जी को न तो बुलाया और न ही उनका नाम शिला लेख पर लिखवाया गया। सांसद जी के करीबी इस बात से खासे खफा हैं। जिला मुख्यालय पर हुए इस कार्यक्रम में जिले के दूसरे विधायक को भी नहीं बुलाने पर विरोधी भी सवाल उठा रहे हैं। और अंत में... ईडी की रिपोर्ट ने उलझाया गणित आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने चार्जशीट समय पर पेश नहीं की तो उन्हें जमानत मिल गई, लेकिन इस वाकये ने ईडी को सतर्क कर दिया और ईडी अफसरों ने तय समय से तीन दिन पहले ही चालान पेश कर दिया। इसमें सबसे ज्यादा सौरभ शर्मा के तमाम मनाही के बाद भी ईडी ने चेतन सिंह गौर, उसके भाई विनय हासवानी के बयान के आधार पर कोर्ट में यह लिखित में दे दिया है कि इनोवा कार में मिला गोल्ड और कैश सौरभ का ही है। उधर, कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में शामिल तथ्यों ने वकीलों को भी उलझा दिया है और वे दो हजार से अधिक पेज वाली ईडी की पूरी रिपोर्ट पढ़ने में जुट गए हैं। यही वजह है कि चालान पेश करने के अगले दिन कुछ वकील अपने क्लाइंट्स की जमानत के आवेदन लगाने वाले थे जिसे उन्होंने टाल दिया है। उधर सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल की न्यायिक हिरासत और पेशी की तारीख भी बढ़ गई है। पिछले हफ्ते की सुनी-सुनाई भी पढ़ें- अफसर पर मंत्री जी मेहरबान, बीजेपी नेता के निशाने पर 2 IAS स्कूल शिक्षा विभाग के एक बोर्ड के संचालक पर मंत्री जी रीझे हैं। इसका असर ऐसे दिखा कि संचालक के वर्किंग प्लान की प्रशंसा मंत्रीजी ने सीएम के सामने भी की। मंत्री ने विभाग की समीक्षा के दौरान इस उपक्रम के नवाचारों की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि कैसे स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर यह बोर्ड काम कर रहा है। पढ़ें पूरी खबर...

थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी में नाराज विधायक जी:तहसीलदार मैडम का क्षेत्र से नहीं छूट रहा मोह; अफसर के ट्रांसफर का इंतजार
अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए विवादों में रहने वाली तहसीलदार मैडम का क्षेत्र विशेष से प्रेम छूट नहीं रहा है। मैडम जिस जिले से हटाई गई थीं। उनकी तीसरी बार उसी जिले में पोस्टिंग हुई है। जिसका सोशल मीडिया पर खुला विरोध हो रहा है। मैडम की थर्ड टर्म पोस्टिंग के बाद लोग कह रहे हैं कि ट्राइबल बेल्ट में फर्जी पट्‌टे बांटने और जिले में पिछली पदस्थापनाओं के दौरान कई घपले-घोटाले किए, उसके बावजूद इनकी फिर से यहीं पोस्टिंग हो रही है। मतलब मैडम सिस्टम जमाने में माहिर हैं। इनकी इस जिले में विशेष रुचि है। विधायक जी थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी में जुटे विरोधी दल की मौजूदा लीडरशिप से पार्टी के कई नेता संतुष्ट नहीं हैं। जिनके पास अहम जिम्मेदारियां हैं, उनकी वर्किंग स्टाइल से एक विधायक जी अंदरखाने इतने दुखी हैं कि अब समझाने के बजाय साथियों के साथ आगे बढ़ने का प्लान बना रहे हैं। विधायक जी कहते हैं कि हमारे एक लीडर ऐसे हैं जो बात के धनी नहीं हैं। दूसरे के साथ ये दिक्कत है कि कब आउट ऑफ कवरेज एरिया हो जाए, पता नहीं। दोनों हमारे दोस्त हैं, मगर कब तक समझाएं। विधायक जी अब लीडरशिप से दुखी दूसरे नेताओं के साथ मिलकर पार्टी के भीतर ही थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी कर रहे हैं। विधायक जी अच्छे वक्ता हैं और दूसरी बार के विधायक हैं। मंत्री के 'खास' के खिलाफ विरोधियों तक पहुंचे सबूत सूबे की सियासत में मंत्रियों के साथ उनके करीबियों पर विपक्ष पिछले कुछ समय से सीधे हमले कर रहा है। कोरोना की तरह मंत्रियों के ऊपर से सिर्फ खतरा टला है। संकट का वायरस वैरिएंट बदलकर कभी भी परेशान कर सकता है। सूबे के एक मंत्री जी के एक करीबी के खिलाफ सबूत विरोधी दल के नेताओं तक पहुंचे हैं। मंत्री जी के ये “खास” बैठते दूसरे विभाग के दफ्तर में हैं लेकिन, डीलिंग दूसरे विभाग की करते हैं। अब विरोधी दल में हमले की तैयारी के लिए समय का इंतजार किया जा रहा है। सदन के भीतर मंत्री जी के करीबियों के कारनामों का नाम सहित जिक्र हो चुका है। सीट से उठे तो कुर्सी चली जाएगी विरोधी दल की भले ही सरकार न हो लेकिन, कुर्सी को लेकर जंग छिड़ी रहती है। पार्टी का ऑफिशियल फेवर रखने वाले डिपार्टमेंट में ऐसी स्थिति है कि, स्पोकपर्सन अपनी सीट छोड़कर इस डर से बाहर भी नहीं जाते कि कहीं उनके वापस लौटने से पहले ही कुर्सी पर कोई और न बैठ जाए। एक तरफ कमरों के भीतर कुर्सी की जंग छिड़ी है, दूसरी तरफ पार्टी में पावर के लिए कोल्ड वॉर अब जुबानी जंग में बदल रहा है। पार्टी लीडर्स तक एक दूसरे के कामों की कुंडली पहुंचाने का काम चल रहा है। घर के अंदर की बातें बाहर करने वालों पर भी लीडर निगाह रख रहे हैं। आईटी वाले पूछ रहे लिस्ट कब आएगी साइंस एंड टेक्नालॉजी डिपार्टमेंट के प्रशासनिक मुखिया ने सरकार को भले ही साध रखा है, लेकिन उनकी कार्यशैली से अधीनस्थ उपक्रमों और विभाग के अफसर परेशान हैं। स्थिति यह है कि पिछले तीन महीने से इन अधिकारियों को विभाग प्रमुख के बदलने का इंतजार है। इसके लिए जब तब परेशान ये अधिकारी मंत्रालय और खबरनवीसों से यह जानकारी लेते रहते हैं कि आईएएस के सीनियर अफसरों की तबादला सूची कब आ रही है? माना जा रहा है कि इन अफसरों ने अपनी बात ऊपर तक पहुंचाई है और इसीलिए वे लिस्ट आने का इंतजार कर रहे हैं। दल भले मिले मगर दिल नहीं मिलता छोटा सा जिला, जिसके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते रहते हैं। वहां के विधायक जी और सांसद जी भले ही एक ही दल में हों लेकिन, दोनों के दिल नहीं मिलते। विधायक जी की कोशिश रहती है कि किसी भी काम का क्रेडिट सांसद जी को नहीं जाना चाहिए। हाल ही में पूर्व पीएम के नाम पर बने सभागार के इनोग्रेशन में सांसद जी को न तो बुलाया और न ही उनका नाम शिला लेख पर लिखवाया गया। सांसद जी के करीबी इस बात से खासे खफा हैं। जिला मुख्यालय पर हुए इस कार्यक्रम में जिले के दूसरे विधायक को भी नहीं बुलाने पर विरोधी भी सवाल उठा रहे हैं। और अंत में... ईडी की रिपोर्ट ने उलझाया गणित आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने चार्जशीट समय पर पेश नहीं की तो उन्हें जमानत मिल गई, लेकिन इस वाकये ने ईडी को सतर्क कर दिया और ईडी अफसरों ने तय समय से तीन दिन पहले ही चालान पेश कर दिया। इसमें सबसे ज्यादा सौरभ शर्मा के तमाम मनाही के बाद भी ईडी ने चेतन सिंह गौर, उसके भाई विनय हासवानी के बयान के आधार पर कोर्ट में यह लिखित में दे दिया है कि इनोवा कार में मिला गोल्ड और कैश सौरभ का ही है। उधर, कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में शामिल तथ्यों ने वकीलों को भी उलझा दिया है और वे दो हजार से अधिक पेज वाली ईडी की पूरी रिपोर्ट पढ़ने में जुट गए हैं। यही वजह है कि चालान पेश करने के अगले दिन कुछ वकील अपने क्लाइंट्स की जमानत के आवेदन लगाने वाले थे जिसे उन्होंने टाल दिया है। उधर सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल की न्यायिक हिरासत और पेशी की तारीख भी बढ़ गई है। पिछले हफ्ते की सुनी-सुनाई भी पढ़ें- अफसर पर मंत्री जी मेहरबान, बीजेपी नेता के निशाने पर 2 IAS स्कूल शिक्षा विभाग के एक बोर्ड के संचालक पर मंत्री जी रीझे हैं। इसका असर ऐसे दिखा कि संचालक के वर्किंग प्लान की प्रशंसा मंत्रीजी ने सीएम के सामने भी की। मंत्री ने विभाग की समीक्षा के दौरान इस उपक्रम के नवाचारों की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि कैसे स्टूडेंट्स के भविष्य को लेकर यह बोर्ड काम कर रहा है। पढ़ें पूरी खबर...