मैहर में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला:रिश्ते का भाई गिरफ्तार, पीड़िता का पहले ही हो चुका गर्भपात
मैहर में नाबालिग से दुष्कर्म का मामला:रिश्ते का भाई गिरफ्तार, पीड़िता का पहले ही हो चुका गर्भपात
मैहर के बदेरा थाना क्षेत्र में एक नाबालिग से दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पीड़िता के रिश्ते के भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मामला तब उजागर हुआ जब 17 वर्षीय पीड़िता थाने पहुंची और टीआई अभिषेक सिंह को बताया कि वह गर्भवती है और परिजन जबरन गर्भपात कराना चाहते हैं। सामाजिक लोकलाज के कारण शुरुआत में परिजन एफआईआर दर्ज कराने को तैयार नहीं थे। थाने में महिला कॉन्स्टेबल द्वारा समझाने के बाद टीआई ने जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) सतना को सूचित किया। 24 मार्च को पीड़िता को महिला पुलिस और परिजनों के साथ सीडब्ल्यूसी भेजा गया, जहां वन स्टॉप सेंटर में काउंसलिंग के बाद पीड़िता गर्भपात के लिए राजी हुई। विवादास्पद रहा एमटीपी आदेश सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष चंद्रकिरण श्रीवास्तव के आदेश पर जिला अस्पताल में पीड़िता का 15 सप्ताह का गर्भपात कराया गया। हालांकि यह आदेश विवादों में रहा क्योंकि इसमें आवश्यक तीन सदस्यों के बजाय केवल अध्यक्ष के हस्ताक्षर थे। सिविल सर्जन ने डॉ. मंजू सिंह के नेतृत्व में पांच विशेषज्ञों की टीम गठित की, जिसमें डॉ. आकृति गुप्ता, डॉ. रंजना सिंह और डॉ. विजेयता राजपूत शामिल थीं। 5 अप्रैल को दोपहर करीब 3 बजे एमटीपी किया गया और भ्रूण का सैंपल संरक्षित किया गया। आरोपी गिरफ्तार सीडब्ल्यूसी के 8 अप्रैल के पत्र के बाद बदेरा पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और भ्रूण का सैंपल अपने कब्जे में लिया। 9 अप्रैल को परिजनों की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। टीआई अभिषेक सिंह ने बताया शुरू में सामाजिक लोकलाज के कारण परिजन रिपोर्ट दर्ज कराने को तैयार नहीं थे। 9 अप्रैल को परिजनों की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। डीएनए टेस्ट के लिए आरोपी का रक्त नमूना भी लिया गया है।
मैहर के बदेरा थाना क्षेत्र में एक नाबालिग से दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पीड़िता के रिश्ते के भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मामला तब उजागर हुआ जब 17 वर्षीय पीड़िता थाने पहुंची और टीआई अभिषेक सिंह को बताया कि वह गर्भवती है और परिजन जबरन गर्भपात कराना चाहते हैं। सामाजिक लोकलाज के कारण शुरुआत में परिजन एफआईआर दर्ज कराने को तैयार नहीं थे। थाने में महिला कॉन्स्टेबल द्वारा समझाने के बाद टीआई ने जिला बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) सतना को सूचित किया। 24 मार्च को पीड़िता को महिला पुलिस और परिजनों के साथ सीडब्ल्यूसी भेजा गया, जहां वन स्टॉप सेंटर में काउंसलिंग के बाद पीड़िता गर्भपात के लिए राजी हुई। विवादास्पद रहा एमटीपी आदेश सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष चंद्रकिरण श्रीवास्तव के आदेश पर जिला अस्पताल में पीड़िता का 15 सप्ताह का गर्भपात कराया गया। हालांकि यह आदेश विवादों में रहा क्योंकि इसमें आवश्यक तीन सदस्यों के बजाय केवल अध्यक्ष के हस्ताक्षर थे। सिविल सर्जन ने डॉ. मंजू सिंह के नेतृत्व में पांच विशेषज्ञों की टीम गठित की, जिसमें डॉ. आकृति गुप्ता, डॉ. रंजना सिंह और डॉ. विजेयता राजपूत शामिल थीं। 5 अप्रैल को दोपहर करीब 3 बजे एमटीपी किया गया और भ्रूण का सैंपल संरक्षित किया गया। आरोपी गिरफ्तार सीडब्ल्यूसी के 8 अप्रैल के पत्र के बाद बदेरा पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और भ्रूण का सैंपल अपने कब्जे में लिया। 9 अप्रैल को परिजनों की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। टीआई अभिषेक सिंह ने बताया शुरू में सामाजिक लोकलाज के कारण परिजन रिपोर्ट दर्ज कराने को तैयार नहीं थे। 9 अप्रैल को परिजनों की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार किया गया। डीएनए टेस्ट के लिए आरोपी का रक्त नमूना भी लिया गया है।