सरकार के प्राइवेट प्रैक्टिस प्रस्ताव का सागर बीएमसी में विरोध:बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में काली पट्‌टी बांधकर पहुंचे डॉक्टर, बोले- हमारा अधिकार छीना जा रहा

मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर तैयार किए गए प्रस्ताव के विरोध में सोमवार को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में चिकित्सा शिक्षकों ने विरोध किया। वे काली पट्टी बांध कर अस्पताल पहुंचे और काम किया। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से डॉक्टरों का प्राइवेट प्रैक्टिस करने का अधिकार छीना जा रहा है। चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो डॉ. सर्वेश जैन ने बताया कि शुरू में नौकरी ज्वाइन करते समय यह विकल्प दिया गया था। इसीलिए डॉक्टर्स महानगरों की नौकरी छोड़कर सागर आए थे। लेकिन अब इस विकल्प को खत्म करने से डॉक्टर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, अभी भी जो डॉक्टर प्रैक्टिस करना चाहते हैं वो नॉन प्रैक्टिसिंग एलायंस (एनपीए) जो कि 25-30 हजार बनता है। वह वेतन के साथ नहीं लेते हैं और जो एनपीए लेते हैं वो प्रैक्टिस नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार व्यर्थ में दखलदांजी करके अप्रत्यक्ष रूप से निजी कॉर्पोरेट हॉस्पिटल को फायदा पहुंचाना चाहती है। वैसे ही मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय संस्थानों के मुकाबले वेतन भत्ते लगभग आधे हैं। सरकार का यह कदम डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे का कारण बन सकता है। कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ में सामूहिक इस्तीफे की वजह से नेशनल मेडिकल कमीशन की मान्यता खतरे में पड़ गई थी। इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार को उक्त निर्णय वापस लेना पड़ा था। निजी प्रैक्टिस पर सरकार को आपत्ति नहीं होना चाहिए संघ के सचिव डॉक्टर अखिलेश रत्नाकर ने कहा कि यदि हमारा डॉक्टर 8 घंटे की सरकारी नौकरी करने के बाद निजी प्रैक्टिस करता है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कह चुका है कि सरकार को एक आदर्श नियोक्ता की तरह व्यवहार करना चाहिए और बीच नौकरी में मूल सेवा शर्तें नहीं बदली जा सकती। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश कैबिनेट के इस प्रस्ताव का लगातार विरोध किया जाएगा।

सरकार के प्राइवेट प्रैक्टिस प्रस्ताव का सागर बीएमसी में विरोध:बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में काली पट्‌टी बांधकर पहुंचे डॉक्टर, बोले- हमारा अधिकार छीना जा रहा
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर तैयार किए गए प्रस्ताव के विरोध में सोमवार को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में चिकित्सा शिक्षकों ने विरोध किया। वे काली पट्टी बांध कर अस्पताल पहुंचे और काम किया। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से डॉक्टरों का प्राइवेट प्रैक्टिस करने का अधिकार छीना जा रहा है। चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो डॉ. सर्वेश जैन ने बताया कि शुरू में नौकरी ज्वाइन करते समय यह विकल्प दिया गया था। इसीलिए डॉक्टर्स महानगरों की नौकरी छोड़कर सागर आए थे। लेकिन अब इस विकल्प को खत्म करने से डॉक्टर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं, अभी भी जो डॉक्टर प्रैक्टिस करना चाहते हैं वो नॉन प्रैक्टिसिंग एलायंस (एनपीए) जो कि 25-30 हजार बनता है। वह वेतन के साथ नहीं लेते हैं और जो एनपीए लेते हैं वो प्रैक्टिस नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार व्यर्थ में दखलदांजी करके अप्रत्यक्ष रूप से निजी कॉर्पोरेट हॉस्पिटल को फायदा पहुंचाना चाहती है। वैसे ही मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय संस्थानों के मुकाबले वेतन भत्ते लगभग आधे हैं। सरकार का यह कदम डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे का कारण बन सकता है। कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ में सामूहिक इस्तीफे की वजह से नेशनल मेडिकल कमीशन की मान्यता खतरे में पड़ गई थी। इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार को उक्त निर्णय वापस लेना पड़ा था। निजी प्रैक्टिस पर सरकार को आपत्ति नहीं होना चाहिए संघ के सचिव डॉक्टर अखिलेश रत्नाकर ने कहा कि यदि हमारा डॉक्टर 8 घंटे की सरकारी नौकरी करने के बाद निजी प्रैक्टिस करता है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कह चुका है कि सरकार को एक आदर्श नियोक्ता की तरह व्यवहार करना चाहिए और बीच नौकरी में मूल सेवा शर्तें नहीं बदली जा सकती। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश कैबिनेट के इस प्रस्ताव का लगातार विरोध किया जाएगा।